Sunday, June 25, 2017

आलोचना आपकी जिंदगी बदलने की हिम्मत रखती है !!!

  


Image result for आलोचना meaning in hindiदोस्तों ! आज का हमारा ये आर्टिकल उन लोगो के लिए है जो आलोचना सुनकर डिस्टर्ब हो जाते हैं | आलोचनाओं को मैनेज नही कर पाते | और उनसे बचने के लिए घबराहट में खुद दुसरो की आलोचना कर बैठते हैं | ज्यादातर लोगो  को देखा होगा कि दुसरो की आलोचना बड़ा चसका ले ले कर सुनते हैं और करते हैं |  लेकिन अपनी आलोचना सुनना किसी को भी अच्छा नही लगता | जब कि हर कामयाब इंसान को आलोचनाओँ का समान करना पड़ता है कहते हैं कि -

" आलोचना हर एक को मिलती है | दरअसल आपकी जितनी ज्यादा प्रसंसा होती है और आप जितने ज्यादा सफल होते हैं | आप आलोचकों के उतने ही ज्यादा स्पष्ट निशाने पर होते हैं " 

हम बचपन से सुनते आये हैं कि आलोचना करना गलत है, किसी की आलोचना नही करनी चाहिए | इससे आलोचना करने वाले और जिस के बारे में की जाती है दोनों का ही नुकसान है जिसकी आलोचना की जाती है वो डिमोटिवेट होता है और जो करता है, उसके उनसे रिश्ते खराब होते हैं और समाज मे नेगेटिव छवि बनती है | मेरा मानना है कि गलत आलोचना से परेशान नही होना चाहिए | धैर्य से सुने और अगर गलत आलोचना है तो अनसुनी कर देनी चाहिए | नेगेटिव बातो का हम पर कोई असर नही पड़ना चाहिए , नही तो हम ज़िंदगी में आगे नही बढ़ पाएंगे | किसी ने सही कहा हैं कि -

" आलोचना हमे जब तक कोई नुकसान नही पहुंचा सकती जब तक हम उसे नुकसान करने की अनुमति ना दे दे " 
अगर आप सफलता की राह पर चलना चाहते हैं तो आपकी आलोचना तय है| अगर आप आलोचनओ को पर्सनल अटैक नही मानते तो आलोचना  अपनी गलतियों को देखने और उन्हें सुधारने का मौका देती हैं |ये आपकी आगे बढ़ने में बहुत मदद कर सकती हैं | अगर आपकी झूठी अफवाहें फैलाने की कोशिस की जा रही है जो आपके कैरियर या जीवन में नुकसान पहुंचा सकती हैं तो आप उनकी आलोचना मत करो उनमे  उलझ कर ना रह जाओ उनसे किनारा करके आगे बढ़ जाओ | किसी ने सही कहा है कि  -

 " जो लोग बड़े सपने देखते है वे अपने सपनो को हर आघात से बचाते है वे आलोचना के तीरो से नही घबराते हैं क्युकि वे जानते है कि आलोचना करने वालो की मानसिकता उतनी बड़ी नहीं है उनकी भविष्य दृष्टि उतनी व्यापक नही है "

अगर आप सफल व्यक्तियों की श्रेणी में शामिल होना चाहते हो तो आपको आलोचनाओ को सहन करना व नजर अंदाज करना सीखना होगा | तभी आप सफल हो सकते हो नही तो आप इन्ही में फंस कर रह जाओगे | सफल व्यक्ति आलोचना को एक कान से  सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं , और अपने काम में जुट जाते हैं | और असफल आदमी आलोचना को दिल पर ले लेते हैं और रात दिन उसी के बारे सोचते रहते हैं | और दूसरे लोगो के सामने सफाई पेश करते रहते हैं | ये याद रखना ज्यादातर जो लोग हमारे सामने दुसरो की बातें करते हैं वे हमारी पीठ पीछे हमारे बारे में भी बातें करते हैं | 

Friday, June 23, 2017

ईर्ष्या एक अवसर है जो समान्य लोग प्रभावशाली लोगो को देते हैं !!!




Image result for irshya naa krenदस्तो ! ईर्ष्या तब पनपती है जब किसी महत्वपूर्ण रिश्ते को दूसरे से पिछड़ने का खतरा महसूस हो | ईर्ष्या काम की जगह, शिक्षा , सम्पनता या सामाजिक कार्यो में  पैदा हो सकती है | जब भी मन मे ईर्ष्या का भाव आये तो इसे कम ना समझें | ज्यादातर आपके शुभ चिंतक ही आपको खुद से ज्यादा सफल होते देखना पसंद  नही करते | इतनी हिम्मत और समझदारी कम लोगो में होती है, जो दुसरो की सफलता का जश्न मनाये या सम्मान करें | खुद तो दुसरो से ईर्ष्या करने से बचें ही साथ में दुसरो की ईर्ष्या से भी सुरक्षित रहें | 

"निंदको और आलचकों से बचने का सबसे आसान तरीका यही है कि उनकी निर्थक बातो का कोई जवाब नही दिया जाए "  

एक बार शरतबाबू ने रविद्रनाथ टैगोर से कहा ,' मुझसे आपकी निंदा सुनी नही जाती | आप अपनी आधारहीन आलोचना का प्रतिकार करें | टैगोर ने शांत भाव से कहा ,तुम जानते हो में निंदक और आलोचकों के स्तर तक नही जा सकता मेरा अपना एक स्तर है | उसको छोड़ कर में आलचकों के स्तर तक जाऊं तभी उसका प्रतिकार हो सकता है | में ऐसा कभी नही चाहुंगा | वैसे भी जिस पेड़ पर फल लगते हैं उसी पर पत्थर मारे जाते हैं | कहते हैं कि -

" प्रसिद्धि की कीमत ईर्ष्या है "  

ईर्ष्या दो तरह की होती है -

1 नकारात्मक  ईर्ष्या :- नकारात्मक ईर्ष्या रखने वाले इंसान दुसरो की सफलता देखकर कुढ़ते है, सफल इंसान से जलने लगते  है | सफल व्यक्ति की जिंदगी में हमेशा रोड़े अटकाते हैं | सफल लोगो के बारे में अफवाह फैलाते हैं और हर समय उनकी सफलता को कम करने की कोशिस करते हैं | कई बार ईर्ष्यालु व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा पाने के लालच में झूठ बोल देते हैं और अपनी  तार्किक बुद्धि से अपने झूठ को सही साबित करने की कोशिस करते हैं | लालच के चलते सत्यवादी व्यक्ति को असत्यवादी व्यक्ति झूठा साबित कर देते हैं | ईर्ष्यालु लोगो ने ही ईसामसीह को सूली पर चढ़ा दिया और सुक्रान्त को जहर पिलवा दिया था | ये सफल लोगो को तो नुकसान पहुँचाते ही हैं साथ में खुद को भी नुकसान पहुँचाते हैं | कहते हैं कि -

" ईर्ष्या उस बाघ की तरह  है जो ना केवल अपने शिकार को खाती है बल्कि उस ह्रदय को भी चीर देती है जिसमे यह बसती है " 

 2 सकारात्मक ईर्ष्या :- सकारात्मक ईर्ष्या में लोग सफल लोगो के मूल्यों को अपनाकर सफल होना चाहते हैं | सकरात्मक ईर्ष्या हर मनुष्य के दिल में होनी भी चाहिए | क्युकि इससे इंसान अपनी व समाज की प्रोग्रेस करता है | अगर आपको कभी दुसरो से ईर्ष्या होती है तो इसे आगे बढ़ने मे ही यूज करें ना कि दुसरो को नुकसान पहुंचाने के लिए | ईर्ष्या को अपनी व दुसरो की खुशियों का दुश्मन ना बनने दें | ईर्ष्या से बचने के लिए क भी भी अपने से कम सफल लोगो के सामने अपनी सफलता की बातें ना करें | हमेशा ईर्ष्यालु के सामने अपनी परेशानियों का रोना रोकर उनकी ईर्ष्या कम करें | 

" ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंजिल मेरी अपनी दौड़ " 

कई लोगो को कहते सुना होगा कि हमारा मन किसी कार्य में नही लग रहा | अगर आप इसकी गहराई जानो तो ये किसी के दुवारा की गई अवहेलना, उपेक्षा या तिरस्कार की वजह से या किसी और परेशानी की वजह से होती है | विख्यात मनोचिकत्स्क मौरिस फ्रेडमेंन बताते है कि -

  यदि गुस्सा चिड़चिड़ाहट  हट व मन काम में ना लगे तो परखिये, जरूर मन की निचली परत में कोई गांठ पड़ गई है | बेसक अभी समझ में ना आये परन्तु इसकी वजह से ही ये हालत होती है| जब  ये गाठ कसकती है तो चुभती  है, आक्रोश दिलाती है और रुलाती है   "

फ्रैंक ने इस विषय पर काफी शोध किये उनके अनुसार -मन में ऐसी गांठ किसी कटु व्यवहार के कारण ही पड़ती है | जिसे हम कभी भी भुल नही पाते | जब  हम कठोर वचन सुनते हैं तो दुखी हो जाते हैं | इंसान नुकसान भूल जाता है लेकिन तिरस्कार क भी नही भूलता | अपनी जिंदगी में बड़ा लक्ष्य बनाए और उसे पाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत करें | इससे आपको नेगेटिव सोचने का समय ही नही मिलेगा | और फिर भी कसक उठती है तो जिंदगी में जो भी कड़वे अनुभव हैं उन्हें भूलने की कोशिस करें और पोजेटिव सोचें तभी आप सुखी जीवन जी सकते हैं |  कहते हैं कि -    

" जो मनुष्य अपने मानसिक विचारो को वश में कर लेता तब वह उन व्यक्तियों से ईर्ष्या करना छोड़ देता है जिनके महान कार्यो को देखकर वह पहले कभी चकित हो जाया करता था | कारण यही है कि उसमे स्वयं शक्तियों का इतना अपूर्व भंडार जमा हो जाता है कि वह शांत होकर आत्मविश्वास से भरपूर रहता हुआ निरंतर अपने लक्ष्य की और बढ़ता चला जाता है ''   












Friday, June 16, 2017

बोरिंग बनके अपनी व अपनो की लाइफ को बोझिल क्यों करते हो ?




 दोस्तों! ओर ऒर की चाहत  के पीछे दौड़ते -2 लोग हंसना भूल चुके हैं | इच्छाऐ कभी पूरी नही होती ना इनकी कोई मंजिल  है जहां जाकर  ये खत्म हो जाएगी | और तब आप हंसोगे, खुश रहना शुरू कर दोगे  | जिंदगी में सक्सेस जरूरी है लेकिन अपनी जिंदगी अपने मुताबिक जीनी ज्यादा जरूरी है |  कहते हैं कि -   

" सक्सेस इंसान खुश हो ये जरूरी नही, लेकिन खुश इंसान सक्सेस जरूर हो सकता है "  


अपने लिए लक्ष्य बनाइये ,उसे पूरा करने  के लिए प्लानिंग कीजिये , लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रात दिन कड़ी मेहनत कीजिये | लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति इतने मसगुल मत होइए कि आप अपनी लाइफ की हर खुशी को मिस करते जाए | ये आपको बोरिंग बना सकती है और बोरिंग इंसान किसी को भी पसंद नही आते | कही आप बोरिंग तो नही ? आइये जानते हैं बोरिंग लोगो की पहंचान -

जीवन के प्रति  नकारत्मक दृष्टिकोण  :-  आपने कई लोगो को देखा होगा कि अगर उनके पास कभी फोन किया या उनसे मिले तो वो अपनी परेशानियों का पिटारा खोल कर बैठ जाते हैं | उनसे मिलकर ऐसा लगता है कि भगवान ने सबसे ज्यादा दुःख इन्ही को दिया है | पूरी दुनियां इनकी दुश्मन है या सारी दुनियां का बोझ व जिम्मेदारी इन्ही पर है जिसके बोझ से ये दबे जा रहे हैं | ऐसे लोगो से बातें करके खुद भी नैगेटिव हो जाते हैं और अपने सारे दुख व परेशानी याद आ जाती है |  जिसका रिजल्ट ये निकलता है कि अच्छा खासा मूड खराब हो जाता है और सारा दिन खराब हो जाता है |  अगर आपसे मिलाकर लोगो को अपने दुख दर्द याद आते हैं   तो आप बोरिंग इंसान हो | आपको कोई पसंद नही करेगा | हर इंसान  को हंसना अच्छा लगता है | रोते हुए को देखकर कोई खुश नही होता |खुश रहने वाला इंसान ओरो  को पॉजिटिव वेब्स भेजता है जो की टॉनिक का काम करता है | 

तिल का ताड़ बनाना :-  कई लोग छोटी छोटी बातो को इतना बढ़ा चढ़ा कर बोलते हैं की उसका मतलब ही बदल जाता है | ये नही  सोचते कि आपकी इस आदत की वजह से कोई इंसान कितना डिस्टर्ब हो सकता है | ये सिर्फ आपके हाथ में है की आप अपनी समस्याओं  को किस नजरिये से देखते हो | आपकी जिंदगी में चाहे जो भी हो रहा हो आप उन्हें सुलझा कर आगे बढ़ सकते हो | 

कुछ ज्यादा ही गंभीर होना :- हर कार्य को गंभीरता से लेना जरूरी है लेकिन हर समय गंभीर रहना उचित नहीं है | आपको संजीदा फैसले लेते समय ही गंभीर होना चाहिए | हर समय गंभीर रहना आपको बोरिंग बनाता है | हंसी मजाक के माहौल में आप खुद को टेंशन फ्री कर सकते हो | ऐसा माहौल आपको खुद ढूढ़ना होगा | आपको पर्स्नल व प्रोफशनल लाइफ में तालमेल बिठा कर चलना होगा तभी आप बेहतर लाइफ जी सकोगे | 

हर बात में शिकायत करना:-  अगर आप छोटी छोटी बातों की शिकायत करते रहते हो तो ये आदत आपको दोस्तों व रिस्तेदारो से दूर कर देगी | हर  इंसान सकारात्मक सोच वाले इंसान से रिश्ते रखना पसंद करता है | आज टेशन  हर किसी की लाइफ में अपनी ही बहुत हैं | हर इंसान दुसरो से रिश्ते या उठ बैठ इसलिए रखता है जिससे उसे थोड़ी रिलीफ मिले | सुख दुःख में काम आये  और अगर किसी के पास बैठकर टेशन मिलती है तो ऐसे इंसान के पास कोई नही बैठना चाहेगा | 

यात्रा के नाम पर टेशन :-  जिंदा दिल  लोग हमेशा घूमने के मौके ढूढ़ते हैं | लेकिन बोरिंग लोगो को यात्रा के नाम पर टेशन हो जाती है | यात्रा से हमे नई संस्कृति व नए नए लोगो से मिलने व जानने का मौका मिलता है | जिससे हमारा व्यक्तित्व विकसित होता है | दोस्तों में मौज मस्ती करने व घूमने से ऊर्जावान फील करते हैं | इसलिए जब भी समय मिले तब घूमने फिरने के लिए जरूर जाए | अगर आप घर में रहकर खुश हैं तो अपनी इस आदत को बदलिये और बाहर निकल कर प्रकृति का आनंद लीजिये |   


खुश मिजाज कैसे बनें :-  खुश मिजाज बनने के लिए ऐसे लोगो से नजदीकियां बनाइये जो पोजेटिव रिस्पॉन्स देते हो, पोजेटिव रहते हों | खुश रहने के लिए बाहरी सुख सुविधाओं की जरूरत नही हैं जिसे आप पूरी नही कर सकते  इसके लिए अपने व्यवहार अपनी कमजोरियों को दूर करें | वर्किग लोग बाहर लोगो से मिल झूलकर खुश रह लेते हैं, लेकिन ठाली लोग छोटी छोटी बातो को दिल से लगा लेते हैं वे लोग ये भूल जाते हैं कि सारे काम आपकी मर्जी से नही हो सकते | इसलिए अपना फ्रेंड सर्कल बढ़ाए इससे आपकी सोच विकसित होगी | विकसित व सकारात्मक सोच वाला इंसान किसी पर अपने विचार नही थोपता | और ना ही अपनी बात मनाने पर मजबूर करता  |  

खुद से प्रेम करें व अपने उम्दा कार्यो की प्रसंसा करें :-  खुद से प्रेम करने वाला इंसान ही दुसरो से प्रेम कर सकता है | जब भी लाइफ में अच्छा कार्य करें उसे जरूर सराहें अच्छे कार्यो की सराहना करने से कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ता है , आत्मिक संतुष्टि मिलती है और इससे हमारी योग्यता निखर कर बाहर आती है | 


सच बोलें, सच चाहे कितना ही कटवा क्यों ना हो :-  आज लोगो में ना सच बोलने की हिम्मत रही  है ना सच सुनने की | जिसकी वजह से लोग  आज ज्यादा टेशन में रहते  है | हम लोग सिर्फ ये सोच कर चुप रह जाते हैं कि सामने वाले को बुरा लगेगा , हमारे रिश्ते खराब होंगे | इसकी वजह से हमारे अंतर्मन  में संघर्ष चलता रहता है | इस संघर्ष से निपटने का एक ही रास्ता है कि आप सच बोलें चाहे सामने वाले को कितना ही बूरा क्यों ना लगे | आप एक बार साहस करके  अपनी बात रख दें | सामने वाले को थोड़ी देर गुस्सा आयेगा लेकिन वो सोचेगा जरूर की ये सब सच  है |  

श्रेष्ठ दिनचर्य रखें :-  आयुर्वेद के जनक माने जाने वाले आचार्य चर्क के अनुसार -

"स्वस्थ व्यक्ति ही वह पुरषार्थ रखता है -जिसमे धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति हो  सकती है  " 

इंसान को भौतिक प्रकृति शरीरिक बनावट के अनुसार दिनचर्य निर्धारित करनी चाहिए | जब तक आप की दिनचर्य निर्धारित नही है तब तक आप फिट व खुश नही रह सकते | 
  
वास्तविक सुख खोजें :- जिसका अंतकरण पवित्र व सुंदर है वही इंसान वास्तविक सुखी है | आज हर इंसान धन व संसाधनों में सुख ढूढ़ता है | और कई अर्थशास्त्रियों ने भी अनुमान लगाया कि विकसित देशो के नागरिक अधिक खुश रहते हैं बजाए गरीब देश के |  लेकिन जब सर्वे किया गया तो ये तथ्य सामने आया कि किसी भी देश के नागरिको की प्रशंसनता उस देश की औसत आय पर निर्भर नही करती | मनुष्य के जीवन स्तर मे वैभव ऎश्वर्य संसाधनों की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है लेकिन सुख में शून्य मात्रा से भी वृद्धि नही हुई है | इससे यही अनुमान निकलता है कि अर्थशास्त्रियों का अनुमान ठीक नही था | धन और ऐश्वर्य के सभी साधन मिलकर भी इंसान को वास्तविक ख़ुशी नही दे सकते | 







Friday, June 9, 2017

सफलता की राह में आने वाली 6 रुकावटें !!!



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दोस्तों! सफलता की राह में कई रुकावटें आती हैं | जिन्हें पार किये बिना हम सफलता का रस नही चख सकते | आइये जानते हैं  हमें कौन कौन सी बाधांए पार करनी हैं -   

1 आत्मविश्वास की कमी :-कार्य करते वक्त हमारे मन में ये संशय बनी रहती है कि इस कार्य में हमे सफलता मिलेगी या नही में इसे कर सकता हूं ? या नही | इस तरह हमारे मन मे अनेको सवाल बने रहते हैं | और जब तक हमारे मन मे संशय है तब हम किसी भी कार्य सफलता हासिल नही कर सकते | 

2 नियमत्ता बनाकर नही चलना :- जिस कार्य में हम नियमतता बनाकर नही चलते उस कार्य में  महारत हासिल नही कर सकते | लेकिन हम किसी भी कार्य में ज्यादा दिन डटे नही रह पाते | इसलिए  सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम जिस कार्य को कर रहे हैं उस कार्य में डटे रहें | डटे हम तभी रह सकते हैं जब हमारी परस्नेलटी में ये बात हो | अगर आपमें धैर्य है ,सहास है ,मेहनत करने का जज्बा है और गुस्सा कंट्रोल करने की क्षमता है तभी आप बेहतर इंसान हैं | फिर आपके आड़े कोई समस्या नही आ सकती | चाहे उम्र हो ,आर्थिक स्थति हो , समय की शॉर्टेज हो या एजुकेशन की कमी हो आप हर हाल में कामयाबी पा सकते हो | क्युकि ये सब तो ना करने के बहाने होते हैं | करने वालो के लिए एक बात मायने रखती है कि उन्हें ये कार्य करना है | 

3 विशेष मकसद का ना होना :- दोस्तों ! आप ऐसे अनेक लोगो को देखते होगें जिन की जिंदगी का कोई मकसद नही है | पूरी जिंदगी बिना मकसद के गुजार देते हैं | उनपर कोई फर्क नही पड़ता कि उनके घर में  क्या हो रहा है ?  समाज क्या में हो रहा है?  देश में क्या हो रहा है ?  जब की इंसान अपनी बुद्धि व कौशल से बहुत कुछ हासिल कर सकता है | घर परिवार व समाज को सुव्यवस्थित रखने मे बहुत  सहयोग दे सकता है | इंसान का जन्म सिर्फ मौज मस्ती के लिए नही हुआ | हर इंसान को भगवान ने पृथ्वी पर विशेष मकसद के लिए भेजा है, जिसे पुरा करके इंसान इस सृस्टि को  और सुंदर बनाने में सहयोग कर सकें | 

4 शरीरिक या मानसिक रूप से रुग्ण होना :- हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि - " शरीर माघ खलु धर्म साधनम " मतलब धर्म या किसी भी कार्य को सिद्ध करने वाला साधन शरीर और  मन है| इसकी कभी भी उपेक्षा नही करनी चाहिए | 

5 दोस्तों में अधिक समय बर्बाद करना :- जो लोग दोस्तों में अधिक रहते हैं वे थेयटर सिनेमा पार्टी आदि के आकर्षण में फंस जाते हैं | जिसकी वजह से मन शांत नही रह पाता और कार्य सही ढंग व समय पर पूरा नही कर पाते |  

6 ईगो का आड़े आना :- आपने देखा होगा कि फल दार वृक्ष ही झुकता है | इसी तरह वही इंसान झुक सकता है जिसमे कुछ कर गुजरने की  क्षमता होती | जब आपको ये लगे की आपने कुछ किया है तो अपने फैलियर समय को याद करना और सोचना की ये जो भी हो रहा है सिर्फ परमात्मा की दया से हो रहा है संत ज्योति प्रकाशानंद जी कहती हैं कि -

" देश काल और कर्म का जब होता संयोग ,करता को ढूढे कर्म " 

जब ये तीनो चीज मिलती हैं तभी कोई कार्य संपन होता है | वरना आप ही सोचो की कितने कार्य ऐसे होंगे जीने आप करना चाहते हो, कर सकते हो और तब भी आप नही कर पा रहे हो  | इसका मतलब है कि आपके हाथ में सफलता या असफलता नही है | इससे आपके अंदर करता भाव जाग्रत नही हो पायेगा | कामयाबी की सीढ़ी विन्रम स्वभाव वाले ही चढ़ पाते हैं | इंसान झुकने से छोटा नही होता बल्कि झुकने से सम्मान पाता है | 

" कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है तो भर कर बाहर आती है | जीवन क भी यही गणित है जो झुकता है वह प्राप्त करता है "


Sunday, June 4, 2017

सफलता की परिभाषा क्या है ? जीवन में सफलता कैसे पाए ?

Image result for safalta kaiseसफलता की परिभाषा क्या है ? सफलता  की कोई परिभाषा या अर्थ नही हो सकता |  हर व्यक्ति के अपने माप दंड़ हैं | "धीरू भाई अंबानी "  को 50 रु० से लेकर 750 करोड़ कमाना सफलता है तो मदर टरेसा व कैलास सत्यार्थी जैसे लोगो  के लिए हजारो लोगो की मदद करना सफलता है |  उज्ज्वल पाटनी का कहना है कि -

" सफलता के व्यक्तिगत मायने होते हैं | ये महत्वपूर्ण नही है कि आप सफल हैं ये महत्वपूर्ण है कि आप उतने सफल है ? जितनी आपके अंदर योग्यता है | अगर आप अपनी योग्यता के साथ न्याय नही करते थोड़ी बहुत सफलता से आप संतुष्ट हो तो एक्चुल में ये सफलता नही है " 

सफलता पर्स्नल सोच है | विधार्थियों के लिए अच्छे नंबरों से पास होना सफलता है तो बुजर्गो के लिए उनके बच्चो की अच्छी पढ़ाई व उनका अच्छे से सैटल होना सफलता है | और मेरे जैसे लोगो के लिए अपने परिवार में सुख शांति से रहना ही सफलता है | इसलिए माना जाता है कि संतुष्टि ही सफलता का मूल भाव है | अर्ल नाइटिंगेल का कहना है कि -

" मूलयवान लक्ष्य की लगातार प्राप्ति ही सफलता है " 

सफल होना चाहते हो तो सोचने के लिए समय निकालें :- अगर आप सफल होना चाहते हो तो कुछ समय सोचने के लिए अवश्य निकालें | आप का इंट्रेस्ट किस फिल्ड में है  ?  उस फिल्ड में कितनी योग्यता की जरूरत है  ?  क्या आप के अंदर वह योग्यता है  ? क्या आप उसे हासिल करने में सक्षम हैं ? आपकी इस कार्य में मदद कौन कर सकता है ? आपके सामने परेशानी क्या क्या आ सकती हैं ? और उन परेशानियों का सलूशन क्या है ? आप अच्छी तरह से सोच कर ही अपनी प्राथमिकतो को समझ सकते हो | 

लक्ष्य तय करके आगे बढ़ें :- जिंदगी में कैरियर हो या पढ़ाई लक्ष्य बनाकर ही आगे बढ़ना चाहिए | अगर आपको मंजिल तक पहुंचना है तो आपको योग्य बनना होगा | अपनी पसंद का लक्ष्य तय करने के बाद हमे सब से पहले ये देखना होगा कि जो लक्ष्य तय किया है उसके लिए हमारे अंदर योग्यता है या नही | नही है तो उसे पाने के लिए क्या -2 करना होगा ? एक बार लक्ष्य तय करने के बाद उसमे कोई भी बाधा आए उससे ना डगमगाए | आपने  जो भी लक्ष्य बनाया है उसे हासिल करने के लिए  उसमे अपनी तरफ  से 100 % दें | इससे सफलता जरूर मिलेगी और आप अपना एक अलग मुकाम हासिल कर सकोगे | मनचाही सफलता पाने के लिए धैर्य रखें हर कार्य में सफलता मिलने में समय लगता है | 

आगे बढ़ने का द्रढ़ संकल्प लें :-  संकल्प के लिए स्थिरता होनी चाहिए  जो पेशन से आती है | कई आदतें हमारे जीवन में गलत होती हैं | फिर भी हम उन्हें नही बदल पाते क्यों ? क्यों कि उन आदतों को बदलने के लिए  हम द्रढ़ संकलिपत नही होते | आदतों को बदलने के लिए हम मन को मजबूत नहीं बनाते | इसलिए हम जानते हुए भी अपनी गलत आदतों को नही बदल पाते | हम सोचते तो ये हैं कि इस काम को हफ्ते में पूरा करेंगे लेकिन महीने में भी उसे पूरा नही करते | क्यों ? क्यों कि मेहनत और सही तैयारी करने की बजाए सुनहरे सपने देखने में लगे रहते हैं जिस की वजह से हम समय रहते अपना कार्य पुरा नही कर पाते | हमे आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए और उस पर अडिग रहना चाहिए | ये इतना आसान तो नहीं है लेकिन मुश्किल भी नही है| ये संकल्प हमारी लाइफ के किसी भी पहलू से जुड़ा हो सकता है | संकल्प ही आपकी जिंदगी को खुशहाल करेगा | जो भी संकल्प लिया है उसके फायदों की लिस्ट बना लें कि इससे आपकी लाइफ में क्या क्या फायदे हैं | आप अपनी  योग्यता  को पहंचानते  हुए अपने कैरियर की तरफ ध्यान दें | सुनहरे सपने तो बहुत लोग देखते हैं लेकिन सफल वे लोग ही हो पाते हैं जो द्रढ़ संकल्प से अपनी योग्यता के अनुसार लक्ष्य चुनते हैं |  
             
खुद पर विश्वास करें :- जब भी कोई कार्य शुरू करें तो आपके मन में  वी कैन " यानी हम कर सकते हैं कि भावना होनी चाहिए | जो भी संकल्प आपने लिया है उसे पुरे विश्वास से पुरा करो | एक ही संकल्प बार बार लेने का मतलब है कि आप आत्मविश्वासी नही हैं  आपको अपने ऊपर पूरा विश्वास नही है अपने आपको कभी भी अंडर एस्टीमेट ना करें और ना ही ओवर कॉन्फिडेंस के शिकार हों इसके लिए बीच बीच में अपनी योग्यता व प्रयासों का आंकलन करते रहें  | और जो भी कमी दिखे उसे दूर करते रहें | जो लोग खुद पर भरोषा करते हैं वे ही अपना कॉन्फिडेंस बढ़ा पाते हैं | और इस कॉन्फिडेंस का नतीजा यह निकलता है कि वे कभी भी चुनौती भरे कार्यो से नही घबराते |    

आत्मविश्वास से भरे होने के कारण ही कोई भी लक्ष्य उन्हें कठिन नही लगता 
           - दैनिक जागरण 


अच्छी नियत व ईमानदारी से कार्य करें :- जब हम किसी कार्य को अच्छी नियत से करते हैं तभी हम उस कार्य में डूब पाते हैं , पूर्ण समर्पित हो पाते हैं | वह कार्य हमारे रोम रोम में बस जाता है |  ईमानदारी व अच्छी नियत की ताकत से ही आगे बढ़ सकते हैं  | हो सकता है आपके लक्ष्य पर पर दुनिया ऊगली उठाये आपकी नियत पर शंक करें आपकी निंदा करें | अगर आपकी नियत साफ हैं आपके कार्य में ईमानदारी है तो दुनिया की परवाह ना करें |और द्रढ़ता से आगे बढ़ते जाऐ  | जो लोग आज आपकी बुराई कर रहे हैं वो लोग  कल आपके साथ होंगे | आपकी मिसाल देंगें | 

सयंम अनुशासन में रहें :- अनुशासित व्यक्ति व्यवधानों के बीच में भी सजगता से कार्य करता है|  गीता के छठे अध्याय में कहा गया है कि -

" व्यक्ति अपना उद्धार करे ना की पतन जीवन पथ पर चलते हुए कई बार काटों का भी सामना करना पड़ता है | इन संघर्ष रूपी काटों को फूलों के रूप में जीवन में अपनाने वाला कोई विरला ही होता है और वह विरला वो ही इंसान बन सकता है जिसने खुद को जीत लिया है  " 

हर इंसान एक जैसा नही हो सकता फिर विन्रम व अनुशासित कैसे हो सकता है |   विवेकानंद जी  का कहना है कि  -

"किसी भी क्षेत्र में वही व्यक्ति शासन कर सकता है जो अनुशासित है "  

प्रक्टिस से हो परफेक्ट :- किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए प्रक्टिस जरूरी है | प्रेक्टिस से ही किसी भी कार्य में निखार ला सकते हैं | खुद से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना करें | धीरे -२ ही निखार आता है | सफल व्यक्ति जमकर प्रक्टिस करते हैं | आप जितनी प्रक्टिस करोगे उतना ही आपके कार्य में निखार आयेगा | गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि -

" मन को अभ्यास से ही साधा जा सकता है इसके आलावा कोई विधान आपको अनुशासित या आत्मनिर्भर नही बना सकता "

समर्पण ही सक्सेस की सीढ़ी है :- हर इंसान सक्सेस चाहता है लेकिन हर इंसान सक्सेस की कीमत  नही चूका पाता | इसलिए हर इंसान सक्सेस नही होता | जो लोग सक्सेस की कीमत चुकाते हैं वो लोग सक्सेस का जश्न मनाते हैं | आप ये जानते होंगे कि जितना धन 90 % लोगो के पास है उतना या उससे ज्यादा 10 % लोगो के पास है | क्यों कि उनका ध्यान सिर्फ पैसे कमाने पर लगा रहता है | सक्सेस लोग किसी समस्या से नही घबराते और ना ही मेहनत करने से पीछे हटते हैं | वो काम को एन्जॉय करते हैं |


द्रढ़ इच्छा रखें व कड़ी मेहनत से आगे बढ़े :- संघर्ष व पर्तिस्पर्धा की दौड़ में वही लोग आगे बढ़ सकते हैं जिनमे द्रढ़ इच्छा है | और द्रढ़ता आपकी तैयारी और ज्ञान से मजबूत होगी | कई लोग देखे जाते हैं कि वो करना तो बहुत चाहते हैं लेकिन कुछ कर नही पाते क्यों? क्यों  कि उनमे इच्छा होती है द्रढ़ इच्छा नही | जिन लोगो में द्रढ़ इच्छा होती है वे किसी के डाटे नही डटते | उनके अपोजिट चाहे सारी दुनियां हो जाये वो किसी की परवाह नही करते और  उस कार्य को करके ही दम लेते हैं | 


कामयाब होना है तो एक ही मंत्र जपो  " करो या मरो" :- "करो या मरो "  मंत्र को जपने वाले अपनी  नाव अपने ही हाथ फ़ूंक देते हैं | यानि की अपने लिए दूसरा  रास्ता नही रखते | बार -२ असफल होने पर भी अपनी धुन नहीं छोड़ते और एक दिन कामयाब होकर ही रहते हैं | ऐसे लोग ही दुनियां में नया इतिहास रचते हैं | आज का इंसान नया एक्सपेरिमेंट करना नही चाहता बनी बनाई राह पर चलकर कामयाब होना चाहता है|  जब तक एक्सपेरिमेंट नहीं करोगे तब तक कामयाब नही  हो सकते |  अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने अपनी जिद व जनून से सफलता पाई उन्हें स्कुल से मंद बुद्धि  कह कर स्कुल से निकाल दिया गया था | लेकिन उन्होंने ना किसी की निंदा की परवाह की और ना मुश्किलों की | ऐसे बहुत से जनुनी लोग रहे हैं जिन्होंने जितने की द्रढ़ इच्छा से हर समस्या को चीर ते हुए आगे बढ़े हैं| कहते हैं कि -

" आप आसान तरीके से असाधारण कार्य नही कर सकते | इसके लिए आपको अपने अंदर हमेशा आगे बढ़ने की आग लगाई रखनी पड़ेगी"  

जीतने की जिद ही आपको कामयाबी दिलाती हैं | बस एक सबक याद रखना कामयाबी हार्ड वर्क से मिलेगी इसका कोई दूसरा ऑप्शन नही है | 

सुनहरे भविष्य की कल्पना करें :- जो कामयाबी के सपने देखते हैं, कामयाबी के बारे में सोचते हैं उनके कार्य में निपुणता आने लगती है| वे अच्छी तरह से परिकल्पना करने लगते हैं | और उनके लिए कामयाबी के रास्ते खुद ब खुद खुलने लगते हैं | पोजेटिव सोचें पोजेटिव सोच आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है | 

आपके कार्य क्षेत्र में आपकी कोई बुराई करता है तो बिफरें नहीं बल्कि सूझ बुझ से काम लें :- आलोचनाओं को एक सुझाव के रूप में लें अगर आप को कोई सुझाव ठीक लगता है तो आप उसे अपने जीवन में उतारें और अगर नहीं तो अनसुना कर दें | 

" जीने का मतलब ही है विरोध करना व विरोध का सामना  करना "

तभी इंसान कामयाब हो सकता है | इसका मतलब ये नही है कि आप नैतिक मूल्यों को भूल जाओ | स्वयं के मन में स्वाभिमान का जज्बा विकसित करें | घर हो या आफिस अपने कर्तव्य को निभाते हुए चलें तभी आप दुसरो के लिए आदर्श इंसान बन पाएंगे |  


इम्प्रूव योर इमेज डवलप योर क्वालटी :- इंसान की अच्छी इमेज हर कदम पर आगे बढ़ने का मौका देती है | लेकिन हम कुछ गलत आदतों की वजह से अपनी इमेज बिगाड़ लेते हैं| ये याद रखना कि हर इंसान में कुछ  ना कुछ गलत आदत होती हैं और कोई भी  आदत ऐसी नही है जिसे बदल  ना जा सकें | चाहे हम दुसरो के सामने कितनी ही डींगे हांके लेकिन हमारा जमीर जानता है कि हमारे अंदर कितनी क्वालटी है या ये भी हो सकता है कि हम अपने आप  को अंडर स्टीमेट करते हों या ओवर कॉन्फिडेंट हो | दोनों ही स्थति में हमारी ग्रोथ रुक जाएगी |अपनी सही स्थति को पहंचान कर जो कमिया या खामियां आपने अंदर हैं उन्हें दूर करके खुद को सक्षम बनाकर आगे बढ़े अगर आप अपनी आदतों के सामने हारे तो आपको डर रहेगा कि  कही ओरो के सामने आप उपहास का कारण ना बन जाए |

कैरियर में प्रयजनो का महत्व समझें :-  हमारी कमियों व खूबियों का आंकलन हमारे प्रियजन  करते हैं ये हमारे व्यक्तित्व के विकाश के लिए बेहतर रहता  है | इंसान की सफलता के पीछे उनकी मेहनत व लग्न ही नही बल्कि परिवार,  रिलेटव, दोस्तो का भी हाथ होता है | दोस्तों के साथ डिस्कस करने मे ना हिचकिचाए हो सकता है आपकी बात से कुछ लोग सहमत हों और आपकी मदद कर सकें | या आप उनकी किसी चीज में मदद कर सकें | चालर्स दिकेन्स कहा है कि -

" उन लोगो  के लिए अपने होठो पर ताला ना लगाए जिनके लिए आपने दिल के दरवाजे खोल रखे हैं "

सही गलत की पहंचान हमारे अंदर होनी चाहिए | तभी अपने तय किये हुए लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिस कर सकते हैं | और सही कोशिस ही आपको कामयाबी की तरफ ले जा सकती है | 



कैरियर को ऊंचाई पर ले जाने के लिए सपने देखना व उन सपनो को पुरा करने का सहास ही काफी नही है |उसमे आई कठनाइयों से जूझने का माददा  होना जरूरी है :- हर इंसान के जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं इनसे विचलित ना हो| और ना ही  विपरीत परिस्थतियों से घबराकर अपने कदम पीछे खींचे |असफलता ही सफलता की सीढी है ये सोचकर  विपरित परिस्थतियों का सामना करें | और जितना हो सके उतना परिस्थतियों के अनुसार खुद को बदलने की कोशिश करें | कभी कभी इंसान के अंदर आत्मविश्वास कूट कूट के भरा होता है और कभी टुटा हुआ नजर आता है | कभी हंसता मुस्कराता दिखता है | तो कभी गुमसुम अधीर हो जाता है | लेकिन कुछ चीजें हैंजिनसे इंसान अच्छे बुरे समय का सामना कर सकता है | पुरे मनोबल से इंसान किसी चीज की पाने की सोचे तो लगन व मेहनत से उसे पा सकता है |