Friday, June 9, 2017

सफलता की राह में आने वाली 6 रुकावटें !!!



Image result for safalta ki raah me aane wali badhaye
दोस्तों! सफलता की राह में कई रुकावटें आती हैं | जिन्हें पार किये बिना हम सफलता का रस नही चख सकते | आइये जानते हैं  हमें कौन कौन सी बाधांए पार करनी हैं -   

1 आत्मविश्वास की कमी :-कार्य करते वक्त हमारे मन में ये संशय बनी रहती है कि इस कार्य में हमे सफलता मिलेगी या नही में इसे कर सकता हूं ? या नही | इस तरह हमारे मन मे अनेको सवाल बने रहते हैं | और जब तक हमारे मन मे संशय है तब हम किसी भी कार्य सफलता हासिल नही कर सकते | 

2 नियमत्ता बनाकर नही चलना :- जिस कार्य में हम नियमतता बनाकर नही चलते उस कार्य में  महारत हासिल नही कर सकते | लेकिन हम किसी भी कार्य में ज्यादा दिन डटे नही रह पाते | इसलिए  सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम जिस कार्य को कर रहे हैं उस कार्य में डटे रहें | डटे हम तभी रह सकते हैं जब हमारी परस्नेलटी में ये बात हो | अगर आपमें धैर्य है ,सहास है ,मेहनत करने का जज्बा है और गुस्सा कंट्रोल करने की क्षमता है तभी आप बेहतर इंसान हैं | फिर आपके आड़े कोई समस्या नही आ सकती | चाहे उम्र हो ,आर्थिक स्थति हो , समय की शॉर्टेज हो या एजुकेशन की कमी हो आप हर हाल में कामयाबी पा सकते हो | क्युकि ये सब तो ना करने के बहाने होते हैं | करने वालो के लिए एक बात मायने रखती है कि उन्हें ये कार्य करना है | 

3 विशेष मकसद का ना होना :- दोस्तों ! आप ऐसे अनेक लोगो को देखते होगें जिन की जिंदगी का कोई मकसद नही है | पूरी जिंदगी बिना मकसद के गुजार देते हैं | उनपर कोई फर्क नही पड़ता कि उनके घर में  क्या हो रहा है ?  समाज क्या में हो रहा है?  देश में क्या हो रहा है ?  जब की इंसान अपनी बुद्धि व कौशल से बहुत कुछ हासिल कर सकता है | घर परिवार व समाज को सुव्यवस्थित रखने मे बहुत  सहयोग दे सकता है | इंसान का जन्म सिर्फ मौज मस्ती के लिए नही हुआ | हर इंसान को भगवान ने पृथ्वी पर विशेष मकसद के लिए भेजा है, जिसे पुरा करके इंसान इस सृस्टि को  और सुंदर बनाने में सहयोग कर सकें | 

4 शरीरिक या मानसिक रूप से रुग्ण होना :- हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि - " शरीर माघ खलु धर्म साधनम " मतलब धर्म या किसी भी कार्य को सिद्ध करने वाला साधन शरीर और  मन है| इसकी कभी भी उपेक्षा नही करनी चाहिए | 

5 दोस्तों में अधिक समय बर्बाद करना :- जो लोग दोस्तों में अधिक रहते हैं वे थेयटर सिनेमा पार्टी आदि के आकर्षण में फंस जाते हैं | जिसकी वजह से मन शांत नही रह पाता और कार्य सही ढंग व समय पर पूरा नही कर पाते |  

6 ईगो का आड़े आना :- आपने देखा होगा कि फल दार वृक्ष ही झुकता है | इसी तरह वही इंसान झुक सकता है जिसमे कुछ कर गुजरने की  क्षमता होती | जब आपको ये लगे की आपने कुछ किया है तो अपने फैलियर समय को याद करना और सोचना की ये जो भी हो रहा है सिर्फ परमात्मा की दया से हो रहा है संत ज्योति प्रकाशानंद जी कहती हैं कि -

" देश काल और कर्म का जब होता संयोग ,करता को ढूढे कर्म " 

जब ये तीनो चीज मिलती हैं तभी कोई कार्य संपन होता है | वरना आप ही सोचो की कितने कार्य ऐसे होंगे जीने आप करना चाहते हो, कर सकते हो और तब भी आप नही कर पा रहे हो  | इसका मतलब है कि आपके हाथ में सफलता या असफलता नही है | इससे आपके अंदर करता भाव जाग्रत नही हो पायेगा | कामयाबी की सीढ़ी विन्रम स्वभाव वाले ही चढ़ पाते हैं | इंसान झुकने से छोटा नही होता बल्कि झुकने से सम्मान पाता है | 

" कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है तो भर कर बाहर आती है | जीवन क भी यही गणित है जो झुकता है वह प्राप्त करता है "


No comments:

Post a Comment