Thursday, June 28, 2018

महिलाओं को बराबरी का हक़ मिले !!!




हैलो दोस्तों ! दोस्तों ! लाइफ की हर फिल्ड में आगे रहना चाहते हो ? तो लेडीजो को बराबरी का अधिकार दो | आप जीवन की हर फिल्ड में तभी आगे रह सकते हो जब आपकी सोच पॉजिटिव हो | जब इंसान की सोच पॉजिटिव होती है तभी वह किसी को कुछ देने की सोचता है। पॉजिटिव सोच में ही ये आता है की हर इंसान को बराबरी का अधिकार मिले । इस अधिकार में सबसे पहले आती हैं लेडीजे ।


एक समय था जब लेडीजे सिर्फ अच्छा घर अच्छा पति व हर सुख सुविधा चाहती थीं | लेकिन आज की चाहत कुछ और है आज लेडीजे अच्छा कमा लेती हैं | उन्हें हर फिल्ड की जानकारी है | वे अपना कैरियर प्लान करने व संम्पति का निर्माण करने में सक्षम  हैं | वे हर जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाती हैं | आज लेडीजो के लिए शादी का मतलब अच्छा पति  व घर नही है उनके लिए शादी का मतलब बराबरी का अधिकार | लेडीजे चाहती हैं कि उन्हें पूर्ण आजादी व सामर्थ्य और उनके विचारो को फूलने फलने का मौका मिले | 


रविंद्रनाथ टैगोर ने लिखा है कि किसी समाज के उथान और पतन के लिए लेडीजे जिम्मेदार होती हैं भारत के भाग्य को आकर देने में नारियो की भूमिका को इग्नोर नही करा जा सकता | नारी तभी सफल सबल बन सकती है जब उसे बराबरी का दर्जा मिले | इसी से हमारा समाज व परिवार तरक्की कर सकता हैं और देश की तरक्की हो सकती है | 


समाज के निर्माण में लेडीजे कधे से कधा मिलाकर पुरषो के साथ हर काम में  सहयोग दे रही हैं । घर , आफिस या राजनीती वे हर जगह अपना      कर्तव्य निभा रही हैं । इतिहास उठाकर देखो सैकड़ो उदाहरण मिल जाएंगे जब पत्नी पति से आगे रही है | पति को काबिल बनाने में सहयोगी रही हैं|  विदुषी विधोत्मा ने पति  काली दास को अनपढ़ से एक महान कवि बनाया | रत्नाबाई ने तुलसी को तुलसीदास बनाया | नारी की फ्रीडम पर रोक क्यों ? नारी की योग्यता पर सवालिया निशान क्यों ? लेडीजो  ने हमेशा पुरषो की कामयाबी में सहयोग दिया है फिर महिलाओ के आगे बढ़ने में पुरषो की रोक टोक क्यों ? 

लेडीजो को सरकार की तरफ से तो बराबरी का दर्जा मिला है लेकिन घर में ज्यादातर अभी भी सोच छोटी ही हो जाती है । महिलाओं को कमतर आंका जाता है | ज्यादातर अब भी जेंट्स लोग घर के किसी भी बड़े फैसले लेते वक्त घर में लेडीज़ की दखल अंदाजी पसंद नही करते | अपनी ही सोच पर विश्वाश करते हैं | जबकि कई लेडीजो का दिमाग पुरषो से भी ज्यादा क्रिएटिव  होता है | उस क्रिएटिव माइड का स्पॉट लेकर सही डिसीजन लिया जा सकता  है | लेडीजो को आप एक बार बराबरी का मौका देकर तो देखें | लेडिजो  की राय को वेलु दें उन्हें समझे तो लेडीजे  बहुत हेलफुल साबित हो सकती हैं | 



जैसे बेटो को स्पोट दिया जाता है फीर्डम दी जाती है | उसी तरह घर में लेडिजो की योग्यता निखारने के लिए सिर्फ आपके स्पॉट की जरूरत है । अगर लेडीजो को स्पोट मिले व फीर्डम दी जाएं तो लेडिज सक्सेस बन कर लाइफ में बहुत ऊचा मुकाम हासिल कर सकती हैं | इंद्रागाँधी, प्रतिभा पाटिल, कल्पना चावला की तरह से समाज के लिए योगदान कर सकती हैं। हो सकता है आपके घर की लेडीजे आपसे भी ज्यादा टैलंडिड  हो |

बेटे को कुछ करना है तो आजादी है और बेटी अगर कुछ करना चाहती है तो पाबंदी है क्यों ? आज भी बेटी के कैरियर का डिसीजन उसकी आयु और फाइनेंशल को मध्य रखकर लिया जाता है जब कि बेटो के बारे ऐसा नही सोचा  जाता है क्यू ? आज भी अपने सपने को छोड़ कर खुद के मन को मार कर शादी करनी पड़ती है क्यू ? क्यू कि कही न कही हमारे समाज की सोच में विकृति है  बेटी के कैरियर से ज्यादा दहेज के बारे में सोचा जाता है बेटे को पारिवारिक सम्प्पति का वारिस माना जाता और बेटी को अगर पेरेंट्स  दें भी तो समाज गलत मानता है | आज भी बेटी शादी के बाद पराई मानी जाती है क्यों ? शादी के बाद मायका भाई का घर है और ससुराल हसबेंड का तो लड़की का घर कौन सा है ?

इस वर्ष 33 देशो में कराये गए सर्वे के अनुसार भारतीय लेडीजे घर व बाहर संतुलन बिठाने के चककर में अक्सर कैरियर छोड़ देती हैं या कैरियर को आगे नही बढ़ाना चाहती |देश में शादी शुदा स्त्रियों को अपनी महत्वकांक्षाओ की आहुति देनी पड़ती है | नारी शक्ति स्वरूपा है फिर भी हर तीन नारी में से एक घरेलू हिंसा की शिकार है | घर हो बहार नारियो को बलात्कार, शोषण, शारीरिक और मानसिक प्रताडनाओ को झेलना पड़ता हैं |