
दोस्ती की डेफिनेशन :- जो सुख में खुश हो , दुःख में दुखी हो , जरूरत पड़ने पर तन मन धन लगाने को तैयार हो , अगर कही कुछ गलत हो रहा है उसे सुधारे , गलती हो जाने पर सबके सामने साथ दें ,व अकेले में गलती बताएं मेरा मानना तो यही है।
दोस्तों की जरूरत क्या है ? बचपन से लेकर बुढ़ापे तक इंसान को एक सच्चे दोस्त की जरूरत पड़ती है । सुख में दुःख में हँसी में गमी में कही घूमने व सही सलाह के लिए भी दोस्तों की जरूरत पड़ती है । कई बाते तो ऐसी होती हैं जो हम लाइफ में किसी से भी शेयर नही कर पाते वो दोस्तों से करते हैं, एक दोस्त ही हमे सबसे ज्यादा समझ सकता है । रिसर्च में भी बताया गया है कि इंसान सबसे ज्यादा खुश दोस्तों में रहता है ।
दोस्त कैसे होने चाहिए ? जो हमारे सुख दुःख में काम आये । ये ना हो की सुख में जलन हो, दुःख में बातें बनाएं, रोज आकर आपका समय बर्बाद करें । रिस्ते कभी तब नही टूटते जब आप के दुःख में काम ना आये बल्कि तब टूटते हैं जब सुख मे जलन की वजह से साथ ना हो ।
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