
हैलो दोस्तों ! हम सब चाहते हैं की सब हमारी रिस्पेक्ट करें । सब हम से प्यार करें, सब हमे वेलु दें । लेकिन हम खुद किसी के बारे में नहीं सोचते किसी को रिस्पेक्ट नही देते किसी से प्यार नही करते । हम सेल्फ़ीस हो चुके हैं सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं । किसी की परेशानियों को नहीं समझना चाहते । जानते हो हम खुश क्यों नहीं रह पाते ? क्यों कि जो हम चाहते हैं वैसा दूसरों के लिए नही करते । अगर हम जो खुद चाहते है वो दूसरों के लिए करना शुरू कर दे तो हमे जिंदगी में किसी से कोई शिकायत ही नही रहेगी । और हम खुश रह सकते हैं ।
दूसरों को अहमियत दें :- अगर हम दूसरों को अहमियत देंगे तो वो लोग भी हमे अहमियत देंगे । जब हम उनकी परवाह करेंगे तो वो लोग भी हमारी परवाह करेंगे । जब हम सबसे प्रेम से रहेंगे तो हमे भी सब से प्रेम ही मिलेगा । कहते है कि जो देते हो वही मिलता है इसलिए जो चाहते हो वही देना शुरू करो ।
दूसरों की भावनाओं की कदर करें :- ये बहुत ही जरूरी है की हम दूसरों की भावनाओं की कद्र करें। जब हमारी भवनओ की कोई कद्र करता है तो वो इंसान हमेशा के लिए अपना बन जाता है। और अपने पन में ही जीने का मजा है । या तो आप किसी के बन जाओ या किसी को अपना बना लो, रिस्ते तभी चल सकते हैं वरना पूरी जिंदगी खींचा तानी लगी रहेगी । कहते हैं कि -
" किसी भी व्यक्ति की बात बुरी लगे ,तो दो तरह से सोचें यदि व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ और यदि बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाओ "
" किसी भी व्यक्ति की बात बुरी लगे ,तो दो तरह से सोचें यदि व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ और यदि बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाओ "
भूल से भी किसी के स्वाभिमान को ठेस ना पहुंचाए :- इंसान अपने घमंड में दूसरों की स्वाभिमान को ठेस पहुंचा देता है । इसलिए हमेशा ये याद रखें की कभी भी अपने से निचे वाले इंसान को ये महसूस मत होने दो की तुम उनसे काबिल हो सक्षम या समृद्ध हो ये बाते ही इंसान के मन में ईर्ष्या का कारण बन जाती हैं।
किसी की भी अवहेलना ना करें :- कई घरों में देखा जाता है की पति पत्नी को अहमियत नही देता । उसमे ये घमंड रहता है कि में कमाता हूं पत्नी हॉउस वाइफ है तो ये पूरी तरह मुझपर निर्भर है तो मन चाहा व्यवहार करता है। इस सोच से पत्नी कितनी आहत होती है इस बात का अंदाजा भी नहीं रहता । और ये आहत ही पति पत्नी के बिच में दुरी पैदा करती जाती है। और इसके कई भयंकर दुष्परिणाम निकल कर सामने आते हैं ।
किसी को भी आहत ना पहुचाये :- आहत का मतलब सिर्फ ये नहीं है की आप किसी को धन से या शरीर से नुकसान पहुंचना । कई बार हमारे शब्द ही दूसरों को आहत पहुंचाते हैं । हम बोलती बार ये भूल जाते है की ये शब्द कहा जाकर लगेंगे । इसलिए बोलती बार जरूर सोचे । कहते है हथियार के घाव भर जाते है लेकिन शब्दों के घाव नही भरते । इसलिए मजाक में भी किसी को आहत मत करो ।
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