Friday, May 20, 2016

गलतियों को स्वीकार कर, उन्हें सुधारकर ही आगे बढ़ सकते हो !!!

  
दरअसल ज्यादातर लोग अपनी गलती जानते हुए भी उसे स्वीकारना नहीं चाहते। क्यों की गलती स्वीकार करना हिम्मत का काम है । जैसे ही पता लगे कि आपसे कोई गलती हुई है,उसे सुधारने की कोशिश करें। आपके साथ में सीनियर्स  हो या छोटे उन्हें बताएं उनकी राय लें। गलती के लिए माफ़ी मांगे, पर positive रहें ।गलती करने के बाद ज्यादातर लोग इसकी जिम्मेदारी किसी और पर थोपने की कोशिश करते हैं।यह एक negative approach है। इससे आपकी छवि खराब हो सकती है। गलती किसी से भी हो सकती है।लेकिन कामयाब वो लोग होते हैं जो अपनी गलतियों  को सुधारते हैं। खुद की गलतीयों  को सुधार कर ही इंसान  कामयाबी की बुलंदियों को  छु सकता है । वैज्ञानिकों का कहना है कि जो इंसान अपनी गलती मानकर उन्हें सुधार लेता उनका जीवन पहले से बेहतर हो जाता है। उन के अंदर अटूट विश्वास और सद्गुणों में विकास होने लगता है। इसलिए गलती की जिम्मेदारी  खुद लें और  उन्हें सुधार कर आगे बढ़े।

अपनी गलतियां  स्वीकारें  ?  गलती होना हर इंसान से स्वाभिक है। लेकिन इन्हे स्वीकार करके सुधारा जा सकता है। Life में हर घटना  कोई न कोई  सबक जरूर सीखा जाती  है। अगर आपसे कोई गलती हो गई है और आप positive सीख लेना चाहते  हैं  तो इससे मिले सबक को जीवन में उतारें। हो सकता है कि आपको ज्यादा सजक रहकर काम करने की जरूरत पड़े या आपको अपनी skill को  डवलप करना पड़े। कुछ लोग अपनी गलती मानकर उसे सुधारने में शर्म महसूस करते हैं। अपना अपमान समझते हैं और यहीं  वे दूसरों के मुकाबले में मात खा जाते हैं । खुद को अपनी गलतियों से हार जाने की बजाए अपनी गलतियों को हराने की आदत डालें । और खुद को एक सशक्त इंसान के रूप में साबित करें। खुद को आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता । अगर आप अपनी गलतियों को स्वीकार ने से भागते रहे तो ये गलतियां आपसे चिपकी रहेगी । ज्यादातर लड़ाई ही तब शुरू होती  है जब इंसान दूसरे की निकाली हुई गलती को स्वीकार नहीं करता। इसलिए अपनी गलती पर ध्यान देकर उसे सुधारने की कोशिश करें। आपकी कमियों या गलतियों को कोई और नहीं सुधार सकता। इसलिए अपनी कमियों को सुधारकर खुद को प्रेरित करें । 
  
गलतियों को स्वीकारने में  ना हिचके  ? दअसल अपनी गलती को  कोई विरला ही स्वीकार करता है। कई  बड़े बड़े बुजर्गो तक को झूठ बोलते देखा  होगा  । दूसरों की छोटी से छोटी गलती को भी बढ़ाचढ़ाकर बखान करते हैं और अपनी बड़ी से बड़ी गलती को भी इग्नोर कर  देते हैं।  अधिकतर लोग चाहते हैं की उनकी गलती समाज या घर परिवार से छिपी रहे। ऐसा कर  के, वे अपनी गलती से थोड़ी देर  बच तो सकते है, लेकिन  कही ना कही  वे अपने अंतर्मन में खोकले होते जाते हैं । उनका अंतर्मन उन्हें कचोटता  रहता है ।  अपनी गलतीयों  को  जो लोग स्वीकार कर के उसे नहीं सुधारते वो कभी  कामयाब  भी नहीं होते । कामयाबी क़ुरबानी मांगती है और वो कुर्बानी है। और पहली कुर्बानी है अपनी हर कमी को दूर करना । जब आप योग्य बनोंगे तभी कामयाबी मिलेगी जब तक आपके अंदर एक भी कमी है तब तक आप कामयाबी से दूर रहोगे  ।  


नकारत्मकता से तभी बच चाहते हो, जब  अपनी गलती स्वीकारोगी  :- जो व्यक्ति खुद की गलती  नही स्वीकारते उनमे धीरे धीरे नकारत्मक गुण आने लगते है । गलती छिपाने के लिए वह झूठ बोलने लगता है और फिर झूठ उसके जीवन का अंग बन जाता है ।  ये सच है गलती स्वीकारने के लिए साहस की जरूरत होती है लेकिन एक बार आप ने  ये साहस  जुटा लिया तो आप खुद में बहुत हल्का पन महसूस करोगे । और जो लोग सच स्वीकारने का साहस नहीं जुटा पाते वे लोग नफरत ईर्ष्या और अनजाने डर से जूझते है उनके अंदर हमेशा एक खालीपन रहता है । वे अपनी गलती किसी से भी शेयर नहीं कर पाते। गलती छिपाने के लिए हमेशा दूसरों से एक फासला बनाए रखते हैं । अपनी बात को  मनवाने  के चकर में अड़े रहते हैं।जब कि अपनी ही बात पर अड़ने वाला इंसान किसी को पसंद नहीं आता ।     

जो गलती हो गई  है ,उसकी जड़ तक जाने का प्रयास करें:-पता लगाएं कि गलती क्यों  हुई है?  किस वजह से हुई है ?इसे कैसे सुधारा जा सकता है ?इससे आप problem को solve कर सकते है।  और  इससे आगे गलती होने के  चांस  भी कम रहेंगे। अगर गलती होने के बाद आप कोई action plan नहीं करते तो गलती दुबारा होने के चांस भी अधिक रहेंगे। 

   
जो हुआ उससे सीख लें  और आगे बढ़े :- गलती हो जाने के बाद छिप कर  बैठ जाना  या उसे दिल में रखे रहने मे कोई समझदारी नहीं है। आपको आगे बढ़ना है अपने career में कई बुलंदिया छूनी है। इसलिए अपनी  गलती  से सीख ले और आगे बढ़े  प्रगति के लिये जुट जाएं। छोटी छोटी गलतियों से सीखकर ही इंसान बड़ा बनता है। जो सहजता से अपनी गलती मान लेता है वह सकरात्मक सोच और उनत्ति की तरफ कदम बढ़ाता है।   

" अगर आप अपनी एक  गलती से सबक लें तो वह गलती भी एक सार्थक उपलब्धि के लिए आवश्यक हो सकती है "
                                            - हेनरी फोर्ड 

  
   
   

1 comment:

  1. its really nice information sir .thank you so much .

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