
अपनी गलतियां स्वीकारें ? गलती होना हर इंसान से स्वाभिक है। लेकिन इन्हे स्वीकार करके सुधारा जा सकता है। Life में हर घटना कोई न कोई सबक जरूर सीखा जाती है। अगर आपसे कोई गलती हो गई है और आप positive सीख लेना चाहते हैं तो इससे मिले सबक को जीवन में उतारें। हो सकता है कि आपको ज्यादा सजक रहकर काम करने की जरूरत पड़े या आपको अपनी skill को डवलप करना पड़े। कुछ लोग अपनी गलती मानकर उसे सुधारने में शर्म महसूस करते हैं। अपना अपमान समझते हैं और यहीं वे दूसरों के मुकाबले में मात खा जाते हैं । खुद को अपनी गलतियों से हार जाने की बजाए अपनी गलतियों को हराने की आदत डालें । और खुद को एक सशक्त इंसान के रूप में साबित करें। खुद को आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता । अगर आप अपनी गलतियों को स्वीकार ने से भागते रहे तो ये गलतियां आपसे चिपकी रहेगी । ज्यादातर लड़ाई ही तब शुरू होती है जब इंसान दूसरे की निकाली हुई गलती को स्वीकार नहीं करता। इसलिए अपनी गलती पर ध्यान देकर उसे सुधारने की कोशिश करें। आपकी कमियों या गलतियों को कोई और नहीं सुधार सकता। इसलिए अपनी कमियों को सुधारकर खुद को प्रेरित करें ।
गलतियों को स्वीकारने में ना हिचके ? दअसल अपनी गलती को कोई विरला ही स्वीकार करता है। कई बड़े बड़े बुजर्गो तक को झूठ बोलते देखा होगा । दूसरों की छोटी से छोटी गलती को भी बढ़ाचढ़ाकर बखान करते हैं और अपनी बड़ी से बड़ी गलती को भी इग्नोर कर देते हैं। अधिकतर लोग चाहते हैं की उनकी गलती समाज या घर परिवार से छिपी रहे। ऐसा कर के, वे अपनी गलती से थोड़ी देर बच तो सकते है, लेकिन कही ना कही वे अपने अंतर्मन में खोकले होते जाते हैं । उनका अंतर्मन उन्हें कचोटता रहता है । अपनी गलतीयों को जो लोग स्वीकार कर के उसे नहीं सुधारते वो कभी कामयाब भी नहीं होते । कामयाबी क़ुरबानी मांगती है और वो कुर्बानी है। और पहली कुर्बानी है अपनी हर कमी को दूर करना । जब आप योग्य बनोंगे तभी कामयाबी मिलेगी जब तक आपके अंदर एक भी कमी है तब तक आप कामयाबी से दूर रहोगे ।
नकारत्मकता से तभी बच चाहते हो, जब अपनी गलती स्वीकारोगी :- जो व्यक्ति खुद की गलती नही स्वीकारते उनमे धीरे धीरे नकारत्मक गुण आने लगते है । गलती छिपाने के लिए वह झूठ बोलने लगता है और फिर झूठ उसके जीवन का अंग बन जाता है । ये सच है गलती स्वीकारने के लिए साहस की जरूरत होती है लेकिन एक बार आप ने ये साहस जुटा लिया तो आप खुद में बहुत हल्का पन महसूस करोगे । और जो लोग सच स्वीकारने का साहस नहीं जुटा पाते वे लोग नफरत ईर्ष्या और अनजाने डर से जूझते है उनके अंदर हमेशा एक खालीपन रहता है । वे अपनी गलती किसी से भी शेयर नहीं कर पाते। गलती छिपाने के लिए हमेशा दूसरों से एक फासला बनाए रखते हैं । अपनी बात को मनवाने के चकर में अड़े रहते हैं।जब कि अपनी ही बात पर अड़ने वाला इंसान किसी को पसंद नहीं आता ।
its really nice information sir .thank you so much .
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