जिस चित को एकाग्रता मिल गई वह बड़े से बड़ा काम कर सकता है । या ये कहिए कि उसके लिए कोई कार्य असंभव नही है। अगर आपके पास एकाग्रता नही है तो आप बड़ी उपलब्धि कभी हासिल नही कर सकते।
अगर आपको उपलब्धि नही मिली,आपकी श्रेष्ठता ठहर गई है, ऊचे नही उठ सके, विकाश नही हो रहा ,बड़े नही बन सके, कामयाब नही हो सके तो एक चीज आपके पास रही होगी उसका नाम है प्रमाद ।
जिस दिन आपका मन करे अपने शत्रुओं की गणना करनी है, जिस दिन आपका मन करे मुझे अपने बैरी गिनने हैं कि मेरा बैरी कोन है , ध्यान रखना आपके हजार बैरी नही हैं, सौ, दो सौ भी नही हैं, दो चार भी नही हैं आपका एक ही बैरी है उसका नाम है प्रमाद।और अगर आपने प्रमाद को जीत लिया तो अन्य कोइ बैरी नही रहेगा और अगर नही जीता तो अन्य भी बैरी बन जायेंगे जो आगे चलकर आपकी प्रगति में बाधा बनेंगे।
आप जानते हो आलस्य आता कहां से है? अज्ञानता से इसलिए शास्त्र कहते है- "आपका कोई बैरी है तो वो अज्ञानता है"
वेद में बड़ी अच्छी बात कही गई है-
"प्रणवो धनो सरो ही आत्मा, ब्रहम तरू लक्ष्य मुच्यते,अपर मतेन वेद्भ्यम सरवतेन्नमयो भवे"
धनुष उठाइए, जरा पर किस का धुनुष बनाइए ओकार का धनुष बनाइए और धनुष पर तीर किसका रखे, खुद को चढ़ाए किसी और को नही ईश्वर को लक्ष्य बनाइए।और ये तब तक नही होगा जब तक आपके पास एकाग्रता नही है।
बिना एकाग्रता के तो कुम्हार बर्तन नही बना पाता, चित्रकार चित्र नही बना पाता, लेखक लिख नही पाता उनकी बात छोड़ो, ढंग का फुलका भी नही बन पाता। एकाग्रता बहुत बड़ी चीज है जो जीवन में चहिए।