दुनिया मे दो तरह के लोग हैं, एक जो सोच समझ कार्य करते हैं, और उसमे परेशानियों के बाबजूद सफल होते हैं । दूसरे जो बिना सोचे समझे कुछ भी कार्य करने लगते हैं। और फिर जब उस कार्य को करने में सफल नही होते तो उसे बीच में ही छोड़ देते हैं । ऐसे लोग सफलता व असफलता का जिम्मेदार भगवान को मानते हैं। लेकिन किस्मत भगवान नहीं लिखते। इसे इंसान खुद अपने कर्मो से लिखता है । होरेस का कहना है कि -
" मुझे भाग्य के बारे में नहीं पता . मैं कभी इसके भरोसे नहीं रहा और मुझे उनसे डर लगता है जो भाग्य के भरोसे रहते हैं . मेरे लिए भाग्य कुछ और है। कठिन परिश्रम – और यह समझना कि क्या अवसर है और क्या नहीं "
सफल होने के लिए सोच समझकर डिशिजन लेना अनिवार्य हैं :- अक्सर लोग दुसरो की देखा देखी सफल तो होना चाहते हैं, या उनसे भी आगे निकल जाना चाहते हैं, लेकिन ये नहीं सोचते की हम उनसे अलग हैं । हमारी मंजिल अलग है, हमारे रास्ते अलग हैं । उन्हें ये नहीं पता की जाना कहा है ? उनकी मंजिल कहा है ? बस दौड़ते रहते हैं । और इस दौड़ से जब थक जाते हैं, तो कहते हैं हमारी किस्मत ही अच्छी नहीं । हमारा लक साथ नहीं देता । क्यों ? किस्मत सिर्फ कुछ लोगो पर महरवान है ? भाग्य सिर्फ उन का साथ देता है, जो उसके सच में हकदार हैं । वह उन्हें नहीं देता जो उसे चाहते हैं । वह उसे देता है, जो पाने के लिए सब कुछ हार जाने के लिए तैयार हैं । जिनमे सच्ची तड़फ है, कड़ी मेहनत है, हर कसौटी पर खरा उतरने के लिए तैयार हैं ।
असफलता के बहुत से कारण हो सकते हैं: -लेकिन सफल होने के लिए एक ही कारण काफी है, और वह है जनून किसी भी कार्य में तब तक लगे रहने का जनून जब तक वो ना हो जाए । इंसान जो सोचता है या सुनाता है उसे कर सकता । बस हार मत मानो । अगर आप फैल भी होते हैं तो कितनी बार होंगे ? आखिर एक दिन तो जीतोगे ही । आप दस बार हारे या सौ बार हार गए तो क्या हुआ ? एक सौ एक बार में जीत जाओगे । कम से कम ये तो पछतावा नहीं रहेगा कि हम फैलियर की डर की वजह से ,कुछ कर ना पाए । आप अपने अंदर उस अनंत शक्ति को पहचानों अपने अंदर झांक कर देखो की वो क्या वजह है जो आप को कुछ करने के लिए प्रेरित कर रही है। आप को खुद ही उस का जवाब मिल जायेगा । बस शांति से बैठकर सोचो ।
असफलता के बहुत से कारण हो सकते हैं: -लेकिन सफल होने के लिए एक ही कारण काफी है, और वह है जनून किसी भी कार्य में तब तक लगे रहने का जनून जब तक वो ना हो जाए । इंसान जो सोचता है या सुनाता है उसे कर सकता । बस हार मत मानो । अगर आप फैल भी होते हैं तो कितनी बार होंगे ? आखिर एक दिन तो जीतोगे ही । आप दस बार हारे या सौ बार हार गए तो क्या हुआ ? एक सौ एक बार में जीत जाओगे । कम से कम ये तो पछतावा नहीं रहेगा कि हम फैलियर की डर की वजह से ,कुछ कर ना पाए । आप अपने अंदर उस अनंत शक्ति को पहचानों अपने अंदर झांक कर देखो की वो क्या वजह है जो आप को कुछ करने के लिए प्रेरित कर रही है। आप को खुद ही उस का जवाब मिल जायेगा । बस शांति से बैठकर सोचो ।
Law of attraction के अनुसार आप जिस चीज के बारे सोचते हैं, मे उसे अपनी तरफ आकर्षित करते हैं:-
इस बात से ये समझना चाहिए कि जब हम कोई भी नया कार्य करते हैं,तो अक्सर हमारे मन में आशाएं, निराशाए और भय लगा रहता है। हम खुद पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर पाते। पर ये ध्यान रखो की जो आप सोच रहे हो वही आप करोगे। इसलिए आप हमेशा जीत के बारे में सोचो। ये बाकि लोगो को, आपके सहयोग में जोड़ने के लिए है । हमेशा बड़ा सोचो पोजेटिव सोचो। जब आप नकारात्मक सोचते हैं तो थकान व हारने का डर बना रहता है। अगर आप कुछ बड़ा करना चाहते हो तो बड़ा सोचना शुरू करो। खुद पर विश्वास कीजिए और धैर्य रखकर कार्य करते रहिए। स्टीवन स्पीलबर्ग ने कहा है कि -
" कोई भी काम एक दिन मे सफल नहीं होता । काम एक पेड़ की तरह होता है । पहले उसकी आत्मा मे एक बीज बोया जाता है, हिम्मत की खाद से उसे पोषित किया जाता है और मेहनत के पानी से उसे सींचा जाता है तब जाकर सालो बाद वह फल देने लायक होता है "
" सफलता के लिए इंतजार करना आना चाहिए । पौधे से फल की इच्छा रखना मूर्खता से अधिक कुछ भी नही है "
"धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय"
अपनी लाइफ के लिए खुद जिम्मेदार बनें :- आप हर चीज के लिए दूसरों को दोषी नहीं ठहरा सकते । क्योंकि हमारे जीवन मे सफलता या असफलता जो भी मिलती है, उसके जिम्मेदार, हम खुद होते हैं । स्टीवन स्पीलबर्ग ने कहा है कि -
" हमारी सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम अपने जीवन का प्रतिक्षण ,प्रति घंटा और प्रतिदिन कैसे बिताते हैं "
इसलिए जो लोग रिस्पॉन्सिब्लि होते हैं व गलतियों के लिए जेनेटिक्स ,परिस्थतियों या परिवेश को दोषी नहीं ठहराते । क्योंकि वो जानते है की उन्होंने अपने लिए ये खुद चुना है । और दूसरी तरफ जो लोग रिस्पांसिबल नहीं होते वो दूसरों को दोष देते हैं ।
अपना मूल्यांकन दूसरों से comparison और competition के आधार पर ना करें :-ज्यादातर लोग अपनी सफलता दूसरों की असफलता मे देखते हैं- अगर ये जीत गए तो में हार जाऊगा। इसलिए अपना फोकस खुद जीतने की बजाए सामने वाले को हराने पर अधिक करते हैं। जिसकी वजह से खुद कोई ना कोई गलती ऐसी कर बैठते हैं, जिसकी वजह से खुद हार जाते हैं । या दूसरों से comparison के चक़्कर मे अपनी क्वाल्टियों को डवलप नही कर पाते । ईमानदारी से सोचिए की क्या आप वो कर रहे हो जो आप करना चाहते थे ? दरअसल कई बार हम खोकली सफलता के पीछे भागते हैं, जिसके लिए हमे कई बड़ी चीजों को गवाना पड़ता है। यदि आपने रास्ता सही नहीं चुना है. तो आप गलत जगह पर पहुंच जाओगे। और हो सकता फिर वहां से आप सही मंजिल पर ना पहुंच पाओ ।
इसलिए जो लोग रिस्पॉन्सिब्लि होते हैं व गलतियों के लिए जेनेटिक्स ,परिस्थतियों या परिवेश को दोषी नहीं ठहराते । क्योंकि वो जानते है की उन्होंने अपने लिए ये खुद चुना है । और दूसरी तरफ जो लोग रिस्पांसिबल नहीं होते वो दूसरों को दोष देते हैं ।
अपना मूल्यांकन दूसरों से comparison और competition के आधार पर ना करें :-ज्यादातर लोग अपनी सफलता दूसरों की असफलता मे देखते हैं- अगर ये जीत गए तो में हार जाऊगा। इसलिए अपना फोकस खुद जीतने की बजाए सामने वाले को हराने पर अधिक करते हैं। जिसकी वजह से खुद कोई ना कोई गलती ऐसी कर बैठते हैं, जिसकी वजह से खुद हार जाते हैं । या दूसरों से comparison के चक़्कर मे अपनी क्वाल्टियों को डवलप नही कर पाते । ईमानदारी से सोचिए की क्या आप वो कर रहे हो जो आप करना चाहते थे ? दरअसल कई बार हम खोकली सफलता के पीछे भागते हैं, जिसके लिए हमे कई बड़ी चीजों को गवाना पड़ता है। यदि आपने रास्ता सही नहीं चुना है. तो आप गलत जगह पर पहुंच जाओगे। और हो सकता फिर वहां से आप सही मंजिल पर ना पहुंच पाओ ।
प्राथमिक चीजों को वरीयता दें :- जिंदगी मे संतुलन बनाए रखने के लिए ये जरूरी है कि आप हर काम खुद करने की कोसिश ना करें । खुद को ज्यादा बिजी रखना उचित नहीं है। इससे आप कामयाब नहीं हो सकते । क्यु की आप हर काम खुद नहीं कर सकते। इसलिए आप जो नहीं कर सकते उसे दूसरों से करवाना सीखें। और जो जरूरी नहीं है उसे ना कहने में ना हिचकें ।आप प्राथमिकता के अनुसार ही कार्य करें ये आप पर डिपेंड करता है की आपकी प्राथमिक चीजें क्या हैं ? जिसको आप सबसे मूलयवान मानते हो उसी कार्य मे अपना सबसे ज्यादा समय ऊर्जा और पैसा लगाए ।
कोई भी महत्वपूर्ण कार्य कल पर ना छोड़ें :- अक्सर ज्यादतर लोग आज का कार्य कल पर छोड़ देते है । आज का काम आज करने पर विश्वास रखने वाला व्यक्ति आगे बढ़ता जाता है और आलसी इंसान ना करने का बहाना ढुढता रहता है। आप जानते होगे की अक्सर बड़े बड़े ideas सही time पर ना करने से शुरू होने से पहले ही ख़तम हो जाते हैं । और यही वो चीज है जो हमे असफल बनाती है। आलसी लोगो का मंत्र है-
" आज करे सो कल कर, कल सो परसों ,इतनी भी क्या जल्दी यारो जीना है अभी बरसों "
" आज करे सो कल कर, कल सो परसों ,इतनी भी क्या जल्दी यारो जीना है अभी बरसों "