Tuesday, May 24, 2016

सफल होने के लिए दौड़ना जरूरी है ? या सोच समझकर सही डिसीजन लेकर कार्य करना ?

     


दुनिया मे दो तरह के लोग हैं,  एक  जो सोच समझ  कार्य करते  हैं, और उसमे परेशानियों के बाबजूद सफल होते हैं ।  दूसरे जो  बिना सोचे समझे कुछ भी कार्य करने लगते हैं। और फिर जब उस कार्य को करने में सफल नही होते तो उसे बीच में ही छोड़ देते हैं । ऐसे लोग सफलता व असफलता का जिम्मेदार भगवान को मानते हैं। लेकिन किस्मत भगवान नहीं लिखते। इसे इंसान खुद अपने कर्मो से  लिखता  है । होरेस का कहना है कि -


मुझे  भाग्य   के  बारे  में  नहीं  पता . मैं  कभी  इसके  भरोसे  नहीं  रहा  और  मुझे  उनसे  डर लगता  है  जो  भाग्य के भरोसे  रहते  हैं . मेरे  लिए  भाग्य  कुछ  और  है। कठिन  परिश्रम – और  यह  समझना  कि  क्या  अवसर  है  और  क्या  नहीं "
                                        

सफल  होने के  लिए  सोच समझकर डिशिजन लेना अनिवार्य  हैं  :-  अक्सर  लोग दुसरो  की देखा देखी सफल तो होना चाहते हैं, या उनसे भी आगे निकल जाना चाहते हैं, लेकिन ये नहीं सोचते की हम उनसे अलग हैं । हमारी मंजिल   अलग है,   हमारे रास्ते अलग हैं । उन्हें   ये नहीं पता की जाना कहा है ?  उनकी  मंजिल कहा है ? बस दौड़ते  रहते हैं । और इस दौड़  से जब थक जाते हैं, तो कहते हैं हमारी किस्मत ही अच्छी नहीं । हमारा लक साथ नहीं देता । क्यों ? किस्मत सिर्फ कुछ लोगो पर महरवान है ? भाग्य सिर्फ उन का साथ देता है, जो उसके सच में हकदार हैं । वह उन्हें नहीं देता जो उसे चाहते हैं । वह उसे  देता है, जो पाने के लिए सब कुछ हार जाने के लिए तैयार हैं । जिनमे सच्ची तड़फ है, कड़ी मेहनत है, हर कसौटी पर खरा उतरने के लिए तैयार हैं । 


असफलता के  बहुत से कारण हो सकते हैं: -लेकिन  सफल   होने के लिए  एक ही कारण काफी है, और वह है जनून किसी भी कार्य में तब तक लगे रहने का जनून  जब तक वो ना हो जाए ।  इंसान जो सोचता है या सुनाता है उसे कर  सकता । बस हार मत मानो । अगर आप फैल भी होते हैं तो कितनी बार होंगे ? आखिर एक दिन तो जीतोगे  ही । आप दस बार हारे या सौ बार हार गए तो क्या हुआ ? एक सौ एक बार में जीत जाओगे । कम से कम ये तो पछतावा नहीं रहेगा कि  हम  फैलियर की डर की वजह से ,कुछ कर  ना पाए । आप अपने अंदर उस अनंत शक्ति को  पहचानों अपने अंदर झांक कर  देखो की वो क्या वजह है जो आप को कुछ करने के लिए प्रेरित कर रही है। आप को खुद ही उस का जवाब मिल जायेगा । बस शांति से बैठकर सोचो  ।

 Law of attraction के अनुसार आप जिस चीज के बारे सोचते हैं,  मे उसे अपनी तरफ आकर्षित करते हैं:-   

इस बात से  ये समझना चाहिए कि जब हम कोई भी नया कार्य करते हैं,तो अक्सर हमारे मन में आशाएं, निराशाए  और भय लगा रहता है। हम खुद पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर पाते। पर ये ध्यान रखो की जो आप सोच रहे हो वही आप करोगे। इसलिए आप हमेशा जीत के बारे में सोचो। ये बाकि लोगो को, आपके सहयोग में  जोड़ने के लिए है । हमेशा बड़ा सोचो पोजेटिव सोचो। जब आप नकारात्मक सोचते हैं तो थकान व हारने का डर बना रहता है। अगर आप कुछ बड़ा करना चाहते हो तो बड़ा सोचना शुरू करो। खुद पर विश्वास कीजिए और धैर्य रखकर कार्य करते रहिए। स्टीवन  स्पीलबर्ग ने कहा है कि -

" कोई भी काम एक दिन मे सफल नहीं होता । काम एक पेड़ की तरह होता है । पहले उसकी आत्मा मे एक बीज बोया जाता है, हिम्मत की खाद से उसे पोषित किया जाता है और मेहनत के पानी  से उसे सींचा जाता है तब जाकर सालो बाद वह फल देने लायक होता है "

  " सफलता के लिए इंतजार करना आना चाहिए । पौधे से फल की इच्छा रखना मूर्खता से अधिक कुछ भी नही है "

"धीरे-धीरे रे मनाधीरे सब कुछ होय,माली सींचे सौ घड़ाॠतु आए फल होय"

अपनी लाइफ के लिए खुद जिम्मेदार बनें  :- आप  हर चीज के लिए दूसरों को दोषी  नहीं ठहरा सकते । क्योंकि हमारे जीवन मे सफलता या असफलता जो भी मिलती  है, उसके जिम्मेदार, हम खुद होते हैं । स्टीवन  स्पीलबर्ग ने कहा है कि -

" हमारी सफलता  इस बात पर निर्भर है कि हम अपने जीवन का प्रतिक्षण ,प्रति घंटा और प्रतिदिन कैसे बिताते हैं "


इसलिए जो लोग रिस्पॉन्सिब्लि होते हैं व गलतियों के लिए जेनेटिक्स ,परिस्थतियों या परिवेश को दोषी नहीं ठहराते । क्योंकि वो जानते है की उन्होंने अपने लिए ये खुद चुना है । और दूसरी तरफ जो लोग रिस्पांसिबल नहीं होते वो दूसरों को दोष  देते हैं । 

अपना मूल्यांकन  दूसरों से comparison और  competition  के आधार पर ना करें :-ज्यादातर लोग अपनी सफलता दूसरों की असफलता मे देखते हैं- अगर ये जीत गए तो में हार जाऊगा। इसलिए अपना फोकस खुद जीतने की बजाए सामने वाले को हराने पर अधिक करते हैं। जिसकी वजह से खुद कोई ना कोई गलती ऐसी कर बैठते हैं, जिसकी वजह से खुद हार जाते हैं । या  दूसरों से comparison के चक़्कर मे  अपनी क्वाल्टियों को डवलप नही कर पाते । ईमानदारी से सोचिए की क्या आप वो कर रहे हो जो आप करना चाहते थे ? दरअसल कई बार हम खोकली सफलता के पीछे भागते हैं, जिसके लिए हमे कई बड़ी चीजों को गवाना पड़ता है। यदि आपने रास्ता सही नहीं चुना है. तो आप गलत जगह पर पहुंच जाओगे। और हो सकता फिर वहां से आप सही मंजिल पर ना पहुंच पाओ ।       
  

प्राथमिक  चीजों को वरीयता दें :- जिंदगी मे संतुलन बनाए रखने के लिए ये जरूरी है कि  आप हर काम खुद करने की कोसिश ना करें । खुद को ज्यादा बिजी रखना उचित नहीं है। इससे आप कामयाब नहीं हो सकते । क्यु की आप हर काम खुद नहीं कर सकते। इसलिए आप जो नहीं कर सकते उसे दूसरों से करवाना सीखें। और जो जरूरी नहीं है उसे ना कहने में ना हिचकें ।आप प्राथमिकता के अनुसार ही कार्य करें ये आप पर डिपेंड करता है की आपकी प्राथमिक चीजें क्या हैं ? जिसको आप सबसे मूलयवान मानते हो उसी कार्य मे अपना सबसे  ज्यादा समय ऊर्जा और पैसा लगाए ।       

कोई भी महत्वपूर्ण कार्य कल पर ना छोड़ें  :- अक्सर ज्यादतर लोग आज का कार्य कल पर छोड़ देते है । आज  का काम आज करने पर विश्वास रखने वाला व्यक्ति आगे बढ़ता जाता है और आलसी इंसान ना करने का बहाना ढुढता रहता है। आप जानते होगे की अक्सर बड़े बड़े ideas सही time पर ना करने से शुरू होने से पहले ही ख़तम हो जाते हैं । और यही वो चीज है जो हमे असफल  बनाती  है। आलसी लोगो  का मंत्र  है- 

"  आज  करे सो कल कर, कल सो परसों ,इतनी भी क्या जल्दी यारो जीना है अभी बरसों " 



Sunday, May 22, 2016

जिंदगी ७ सबक सीखाती है !!!

                    जिंदगी  ७  सबक सीखाती है !!!


लक्ष्य तय करें , उसे  हासिल करने के  उपाय सोचें । जीवन में जो भी करना चाहते हो, उसे आधे अधूरे मन से कभी ना करें । पुरे मन से और ईमानदारी से करें । आधे अधूरे मन  से किए गए कार्य,  कभी भी आप को संतुष्टि या सक्सेस नहीं दिला सकते । पहले हालात और थे, आपके सामने तय शुदा कैरियर थे, ज्यादातर जो आपके पिता करते थे, या और गिने चुने। लेकिन आज लाइफ में संघर्ष है। आज हमे कई विकल्पों में से एक का चुनाव करना पड़ता है । और यदि आप सही समय पर सही चुनाव नहीं करेंगे तो आप अपने लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाओगे। दार्शनिक प्लेटो ने कहा है -

         '' शुरआत ही किसी कार्य का सबसे महत्व पूर्ण  हिस्सा है "

आप जो भी कार्य करना चाहते हैं , उसके लिए पहला  कदम उठाए। उसमे परेशानियां तो  आएगी। पर आप खुद एक दिन मंजिल तक  जरूर पहुंच जाओगे ।  

१आप जो भी कार्य करना चाहते हैं , उसे बस कर डालें :- आप  विश्वास करें, कि  जो आप करना चाहते हो, उसे कर सकते हो । अगर आपके पास अनुभव की कमी है तो कोई और रास्ता निका लो,अड़चन आ रही है तो उन्हें सुलझाओ,हर समस्या का डटकर सामना करो। आपके मन में कुछ करने का प्रलोभन इतना अधिक होना चाहिए की उस का कोई प्रतिरोध ना सके। अपने मन से डर को निकाल फेंको  जोखिम से मत घबराओ । हमेशा कोशिस करते रहो हौसला कभी मत हारो। अपने कार्य को अच्छी तरह से करने के लिए उसकी योजना बनाओ, अच्छी तरह तैयारी करो । और फिर क्या है ? लग जाओ । और तब तक लगे  रहो  जब तक आपको अपनी मंजिल न मिल जाए ।  

२ लाइफ को इंजॉय करें :- :-जमकर मेहनत करें ।  पैसे इस्तेमाल के लिए होते हैं । एन्जॉय करें । ये जिंदगी बार बार नहीं मिलनी इसलिए इसे खुल कर जिए । छोटी सी जिंदगी  है ये दुःख मय नहीं होनी चाहिए । जीवन जीने का तरीका ऐसा होना चाहिए जिसमे सुख, शांति, सकूंन हो। तनाव व दुखद मनोस्थति जैसी चीजों के लिए जीवन में जगह नहीं होनी चाहिए। हम साधु संत नहीं हैं की कही  गुफा में जाकर रह लेगें  हमे रहने के लिए अच्छा घर, कपड़े, और गाड़ी चाहिए । सब सुख सुविधा चाहिए इसके लिए पैसे जरूरी है । लेकिन सिर्फ पैसे कमाने के पीछे मत भागो । रिचर्ड ब्रानसन ने कहा है कि -  

" जब आपके पास एक उद्देश्य, जीवन के प्रति सकरात्मक दृष्टिकोण होता है तो आपके पास निशाना साधने के लिए एक लक्ष्य होता है । कड़ी मेहनत और मजे का  नाम ही तो जिंदगी है " 
                     
३ साहसी बनें; पर जुआ ना खेलें :-जोखिम का हिसाब लगाए बिना जोखिम ना लें । जोखिम उतना ही उठाएं जितना नियंत्रण कर सकते हो। परिस्थतियां जब मुश्किल होने लगती हैं तो हौसला टूटने लगता है । लेकिन फिर भी  पूरी तैयारी  व योजना के साथ अपने सपनो का व लक्ष्य का धीरे धीरे पीछा करते रहना चाहिए । और एक बार जब कुछ करने का निर्णय ले लें तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए और न ही अपने निर्णय पर अफ़सोस करना चाहिए । जब  निर्णय  लें तो  डिसीजन लेने में बहुत देर नहीं करनी चाहिए, बस इतना ही विचार करें की कितना जोखिम हैं और उन्हें  पूरा कैसे किया जा सकता है । 

४ अफ़सोस ना करें :-सफलता सिर्फ किस्मत से मिलने वाली चीज नही है। इसके  लिए खुद पर भरोसा रखें, जोखिम उठकर भी  वादा पुरा करें। समय पर काम पुरा करें । और तब भी अगर जीतते हैं तो ख़ुशी मनाओ और हार जाते हैं  तो अफ़सोस मत करो क्यों की आप अतीत को नही बदल सकते ।  रिचर्ड ब्रानसन का कहना है कि -


 "अफ़सोस का बोझ आपको नीचे रोके रखता है ये आप को अतीत  में रोके रखता है जबकि आपको तो हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए । व्यावसायिक सौदे में नुकसान उठाना मुश्किल होता है, लेकिन ग्लानि का कष्ट सहना उससे भी ज्यादा मुश्किल होता है । हम कई बार ऐसे काम क्र जाते है जिसके बारे में हम बाद में सोचते है काश हमने ये नहीं किया होता या ये नहीं कहा होता । कई बार ये बड़ी गलतियों जैसे दीखते हैलेकिन बाद में जब आप पलट कर  देखते हैं तो वो महत्व हीं नजर आते हैं ग्लानि के अहसास की और ले जाने वाला अफ़सोस आपकी ट की नींद उड़ा सकता है । लेकिन जो गुजर गया वो गुजर गया वो नहीं बदला जा सकता । इसलिए अगर आपसे कुछ गलत कार्य हो भी जाए ,तब भी अफ़सोस का कोई मतलब नहीं होता और आपको आगे बढ़ जाना चाहिए"   हमेशा  भविष्य में रहने से भी हम उतने ही धीमे हो सकते हैं जितने की हमेशा पीछे देखने से । वर्तमान में होने वाली चीजें भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी वे  जिनके लिए आप भावी योजनाएं बना रहे हैं " 

५  चुनोतियाँ स्वीकारें :- जीवन में कोई  ना कोई उद्देश्य होना अनिवार्य है । चुनौतियों को स्वीकर करके ही हम  आदिमानव से वर्तमान तक आए हैं, चंद्रमा तक पहुंचे  हैं । यदि  आप चुनौतियां स्वीकारते हैं तो प्रगति करते हैं। आपका जीवन बदल जाता है, सकारात्मक दृष्टिकोण बनता है । हर बार लक्ष्य तक पहुंचना आसान नहीं है, लेकिन रुकने की कोई वजह भी नही है । रिचर्ड ब्रानसन का कहना है कि-

 चुनौतियां दो प्रकार की होती हैं १ काम काज में सर्वश्रेष्ठ करने की चुनौती । २ जोखिम भरे काम करने की  चुनौती । में खुद को चरम सीमा तक खींचना चाहता हुं । मुझे शर्त हारने से नफरत है । यदि इंसान कोशिस करे तो कुछ भी हासिल कर सकता है । लेकिन उसके लिए कोसिश करनी होगी । चुनौतियां ही आपको आगे बढती हैं । लेखक और पर्वतरोही जेम्स उलमैन  ने सारांश मे व्यक्त किया है चुनौती ही सारे मानवीय कार्यों की बुनियाद और मुख्य प्रेरणा है यदि कोई महासागर है तो हम उसे पार कर लेते  हैं । यदि कोई रोग है तो हम उसका इलाज कर लेते हैं । यदि कोई गलती हुई है तो उसे सुधार देते हैं। यदि कोई रिकार्ड है,तो उसे हम तोड़ देते हैं । यदि कोई पहाड़ है तो हम उस पर चढ़ जाते हैं ।    

६ परिवार व दोस्तो को अहमियत दें, और सबका सम्मान करें :- परिवार व दोस्तो के प्रति वफादार रहें। यदि आप रिस्तो को अहमियत देते हैं, तो आप  बुरे दौर से गुजरने पर भी रिस्ते को कायम पाओगे । और यदि कोई मन मुटाव हुआ है तो आमने सामने बात करके दोस्ताना तरीके से  झगड़ा सुलझाया जा सकता है । लेकिन जो कहें सामने कहें अक्सर आलोचना उन लोगो तक पहुंच जाती हैं जिनकी आलोचना होती है । विन्रम बनें, सबके सामने अपनी अच्छी छवि बनाए। सबका सम्मान करें । रिचर्ड ब्रानसन का कहना है कि -
   
" सम्मान का मतलब यह है कि आप हर एक के साथ कैसा व्यवहार करते है ,सिर्फ उन्हीं लोगो के साथ नही ,जिन्हें आप प्रभावित करना चाहते हैं " 

७  हेल्पफुल बनें :- पैसा खर्च करने की चीज है । कहते हैं पैसा ही सारी बुराइयों की जड़ है । लेकिन ये जरूरी नहीं है पैसे से आप दूसरों की मदद कर सकते  हो।  दूसरों की मदद करने के बहुत सारे तरीके हैं आप सोचो की आप किस तरह से मदद कर  सकते हो । और अगर आप कुछ नहीं भी कर सकते तो कम से कम किसी का नुकसान तो मत करो । अच्छाई और बुराई दोनों ही हर इंसान के अंदर होती हैं । ये आप पर डिपेंड करता है की आप किसे चुनते हो किसका स्पोट करते हो जिसको चुनोगे जिसका स्पॉट करोगे वही आपकी पहंचान बन जाएगी । रिचर्ड ब्राउंसन का कहना है कि - 

" समय समय पर अपने जीवन का मूल्यांकन करते रहना चाहिए । क्या हम अपने लक्ष्य तक पहुंच गए हैं ? क्या हमारे जीवन में कुछ ऐसी चीजे हैं  ? जिनकी हमे कोई जरूरत नहीं है और उसे हम बाहर निकाल सकते हैं ? मेरा मतलब है की हमे अपनी कुछ बुरी आदतों या आलसी तरीको को छोड़ देना चाहिए जो हमारे जीवन मे पीछे धकेलते हैं और हमारे दिमाग मे कबाड़ की तरह जमा हैं । 



Friday, May 20, 2016

गलतियों को स्वीकार कर, उन्हें सुधारकर ही आगे बढ़ सकते हो !!!

  
दरअसल ज्यादातर लोग अपनी गलती जानते हुए भी उसे स्वीकारना नहीं चाहते। क्यों की गलती स्वीकार करना हिम्मत का काम है । जैसे ही पता लगे कि आपसे कोई गलती हुई है,उसे सुधारने की कोशिश करें। आपके साथ में सीनियर्स  हो या छोटे उन्हें बताएं उनकी राय लें। गलती के लिए माफ़ी मांगे, पर positive रहें ।गलती करने के बाद ज्यादातर लोग इसकी जिम्मेदारी किसी और पर थोपने की कोशिश करते हैं।यह एक negative approach है। इससे आपकी छवि खराब हो सकती है। गलती किसी से भी हो सकती है।लेकिन कामयाब वो लोग होते हैं जो अपनी गलतियों  को सुधारते हैं। खुद की गलतीयों  को सुधार कर ही इंसान  कामयाबी की बुलंदियों को  छु सकता है । वैज्ञानिकों का कहना है कि जो इंसान अपनी गलती मानकर उन्हें सुधार लेता उनका जीवन पहले से बेहतर हो जाता है। उन के अंदर अटूट विश्वास और सद्गुणों में विकास होने लगता है। इसलिए गलती की जिम्मेदारी  खुद लें और  उन्हें सुधार कर आगे बढ़े।

अपनी गलतियां  स्वीकारें  ?  गलती होना हर इंसान से स्वाभिक है। लेकिन इन्हे स्वीकार करके सुधारा जा सकता है। Life में हर घटना  कोई न कोई  सबक जरूर सीखा जाती  है। अगर आपसे कोई गलती हो गई है और आप positive सीख लेना चाहते  हैं  तो इससे मिले सबक को जीवन में उतारें। हो सकता है कि आपको ज्यादा सजक रहकर काम करने की जरूरत पड़े या आपको अपनी skill को  डवलप करना पड़े। कुछ लोग अपनी गलती मानकर उसे सुधारने में शर्म महसूस करते हैं। अपना अपमान समझते हैं और यहीं  वे दूसरों के मुकाबले में मात खा जाते हैं । खुद को अपनी गलतियों से हार जाने की बजाए अपनी गलतियों को हराने की आदत डालें । और खुद को एक सशक्त इंसान के रूप में साबित करें। खुद को आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता । अगर आप अपनी गलतियों को स्वीकार ने से भागते रहे तो ये गलतियां आपसे चिपकी रहेगी । ज्यादातर लड़ाई ही तब शुरू होती  है जब इंसान दूसरे की निकाली हुई गलती को स्वीकार नहीं करता। इसलिए अपनी गलती पर ध्यान देकर उसे सुधारने की कोशिश करें। आपकी कमियों या गलतियों को कोई और नहीं सुधार सकता। इसलिए अपनी कमियों को सुधारकर खुद को प्रेरित करें । 
  
गलतियों को स्वीकारने में  ना हिचके  ? दअसल अपनी गलती को  कोई विरला ही स्वीकार करता है। कई  बड़े बड़े बुजर्गो तक को झूठ बोलते देखा  होगा  । दूसरों की छोटी से छोटी गलती को भी बढ़ाचढ़ाकर बखान करते हैं और अपनी बड़ी से बड़ी गलती को भी इग्नोर कर  देते हैं।  अधिकतर लोग चाहते हैं की उनकी गलती समाज या घर परिवार से छिपी रहे। ऐसा कर  के, वे अपनी गलती से थोड़ी देर  बच तो सकते है, लेकिन  कही ना कही  वे अपने अंतर्मन में खोकले होते जाते हैं । उनका अंतर्मन उन्हें कचोटता  रहता है ।  अपनी गलतीयों  को  जो लोग स्वीकार कर के उसे नहीं सुधारते वो कभी  कामयाब  भी नहीं होते । कामयाबी क़ुरबानी मांगती है और वो कुर्बानी है। और पहली कुर्बानी है अपनी हर कमी को दूर करना । जब आप योग्य बनोंगे तभी कामयाबी मिलेगी जब तक आपके अंदर एक भी कमी है तब तक आप कामयाबी से दूर रहोगे  ।  


नकारत्मकता से तभी बच चाहते हो, जब  अपनी गलती स्वीकारोगी  :- जो व्यक्ति खुद की गलती  नही स्वीकारते उनमे धीरे धीरे नकारत्मक गुण आने लगते है । गलती छिपाने के लिए वह झूठ बोलने लगता है और फिर झूठ उसके जीवन का अंग बन जाता है ।  ये सच है गलती स्वीकारने के लिए साहस की जरूरत होती है लेकिन एक बार आप ने  ये साहस  जुटा लिया तो आप खुद में बहुत हल्का पन महसूस करोगे । और जो लोग सच स्वीकारने का साहस नहीं जुटा पाते वे लोग नफरत ईर्ष्या और अनजाने डर से जूझते है उनके अंदर हमेशा एक खालीपन रहता है । वे अपनी गलती किसी से भी शेयर नहीं कर पाते। गलती छिपाने के लिए हमेशा दूसरों से एक फासला बनाए रखते हैं । अपनी बात को  मनवाने  के चकर में अड़े रहते हैं।जब कि अपनी ही बात पर अड़ने वाला इंसान किसी को पसंद नहीं आता ।     

जो गलती हो गई  है ,उसकी जड़ तक जाने का प्रयास करें:-पता लगाएं कि गलती क्यों  हुई है?  किस वजह से हुई है ?इसे कैसे सुधारा जा सकता है ?इससे आप problem को solve कर सकते है।  और  इससे आगे गलती होने के  चांस  भी कम रहेंगे। अगर गलती होने के बाद आप कोई action plan नहीं करते तो गलती दुबारा होने के चांस भी अधिक रहेंगे। 

   
जो हुआ उससे सीख लें  और आगे बढ़े :- गलती हो जाने के बाद छिप कर  बैठ जाना  या उसे दिल में रखे रहने मे कोई समझदारी नहीं है। आपको आगे बढ़ना है अपने career में कई बुलंदिया छूनी है। इसलिए अपनी  गलती  से सीख ले और आगे बढ़े  प्रगति के लिये जुट जाएं। छोटी छोटी गलतियों से सीखकर ही इंसान बड़ा बनता है। जो सहजता से अपनी गलती मान लेता है वह सकरात्मक सोच और उनत्ति की तरफ कदम बढ़ाता है।   

" अगर आप अपनी एक  गलती से सबक लें तो वह गलती भी एक सार्थक उपलब्धि के लिए आवश्यक हो सकती है "
                                            - हेनरी फोर्ड 

  
   
   

Thursday, May 12, 2016

दूसरों से अपेक्षा ना करें इससे दुःख मिलता है !!!

      


इंसान की फ़िक़रत है, कि वह सुख, सुविधा, सुरक्षा,  प्रेम व सम्मान की हमेशा दुसरो से अपेक्षा करता है। चाहता है दूसरे उसे समझें उसको अहमियत दें ,उसका साथ दें  उसे समय दें । पर वह खुद किसी को कुछ नही देना चाहता।किसी के लिए कुछ नही करना चाहता । खुद कभी किसी की उम्मीदों  के बारे में नहीं सोचता किसी की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश नहीं करता। अपने अंदर झाकने की कोशिस नही करता। कि में  क्या कर रहा हूं ? और हमेशा दुसरो से अपेक्षा रखता है। जब अपेक्षित उत्तर नही मिलता तब निराशा गुस्सा चिड़चिड़ापन आदि से ग्रस्त हो जाता है । अपेक्षा पुरी करने के लिए इंसान ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिस करता है। और जाने अनजाने मे सही गलत का फर्क करना भूल जाता है ।  और कोई ना कोई मिस्टेक कर बैठता है । सेक्सपियर ने कहा है- 

 " अधिकतर लोगो के दिलो में दर्द व रिश्ते खराब होने का कारण दुसरो से अपेक्षा ही  है" 
  
ये तय करो कि आप क्या चाहते हो ?:-दरअसल हमारे सामने सबसे बड़ी प्रॉब्लम ही ये है,  हम ये ही नही समझ पाते कि हम क्या चाहते हैं? अगर हम ये जान ले, की हमे क्या चाहिए? तो इससे हमारी क्षणिक व वास्तविक इच्छा का पता चल जाए। इससे हमारी काफी हद तक प्रॉब्लम सौलभ हो जाए । अगर क्षणिक  इच्छा है तो छोड़ देंगे । अगर वास्तविक इच्छा है तो इंसान उसे पूरा करने के लिए चोटी से एड़ी तक की जान लगा देगा,  वास्तविक इच्छा है तो आप उस इच्छा को पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा देंगे । रॉबिन शर्मा का एक लेख पढ़ा था अपनी नाव जला दो में इससे पूरी तरह सहमत हूं जब तक इंसान अपने लिए बचाव का ऑप्शन रखेगा तब तक कामयाबी की उच्चाई का रस नहीं चख पाएगा । और जब आप अपने बचाव के  लिए कोई ऑप्शन ही नहीं रखोगे तो आपके लिए कोई रास्ता ही नहीं बचेगा फिर करोगे या मरोगे । मरणा कोई नहीं चाहेगा तो फिर इंसान करेगा ही । हाँ सिर्फ आप को सघर्श ज्यादा करना पड़  सकता है। सघर्श से क्या घबराना ?  

आप की अपेक्षाएं लोगो को नही बदल सकतीं :-  रिस्ते तभी बिगड़ते  है जब अपेक्षाएं पूरी नही होती । हम परफेक्ट कैरियर , परफेक्ट लाइफ, परफेक्ट रिलेसनशिप को लेकर  इतने आसक्त हो जाते हैं कि ये आसक्ति ही हमारे लिए अभिशाप बन जाती है। खुशहाल लम्हे भी बोझिल बन जाते हैं । हम ये भुल जाते हैं कि हर इंसान में गुण के साथ साथ कोई ना कोई कमी भी अवश्य होती है। तुलसी कृत रामायण में भी आया है  -

इस संसार में ऐसा कौन ज्ञानी है, तपस्वी ,शूरवीर कवि विद्धवान और गुणों का धाम है जिसकी लोभ ने मिटटी पलीत ना की हो ?  लक्ष्मी  के मद ने किसको टेढ़ा और प्रभुता ने किसको बहरा नहीं कर  दिया ? ऐसा कौन है ,जिसे मृग नयनी ( युवती  स्त्री ) के  नेत्र बाण न लगे हो ?   (रज तम आदि) गुणों का सन्निपात किसे नहीं हुआ ? ऐसा कोई नहीं है जिसे मान और मद ने अछूता छोड़ा हो । यौवन के ज्वर ने किसे आप से बाहर नहीं किया ? ममता ने किसके यश का  नाश नहीं किया ? शोक रूपी पवन ने किसे नहीं हिला दिया ? चिन्ता रूपी सांप ने किसे नही डंसा ? जगत में ऐसा कौन  है जिसे माया ना व्यापी हो ।  मनोरथ कीड़ा है शरीर लकड़ी है । ऐसा धैर्य वान कौन है जिसके शरीर में ये कीड़ा ना लगा हो ? पुत्र की , धन की , लोकप्रतिष्ठा की इन तीन इच्छाओं ने किसकी बुद्धि को मलिन नहीं किया ( बिगाड़ नहीं दिया ) ?  

तो आप ही बताईये की कोई भी इंसान परफेक्ट कैसे हो सकता है ? जब हम खुद परफेक्ट नहीं हैं तो हम औरो उम्मीद कैसे कर सकते हैं ? खुश रहने का एक ही तरीका है की आप सच्चाई को स्वीकारें व दुसरो से अपेक्षाएं ना रखें। जो भी तुम करना चाहते हो अपने बल पर करें। दुसरों से मदद की उम्मीद ना करें और अगर आपकी कोई मदद भी करता है तो उसके शुक्रगुजार बनें 
  
इंसान की फ़िक़रत है कि वह हमेशा दुसरो को सुखी व खुद को दुखी मानता है :-लेकिन हम ये नही सोचते की दुसरा सुखी क्यु  है ? हम दुखी क्यु हैं ? हमे सोचना चाहिए! कि  हम अपने काम को कैसे कर रहे हैं ? बेहतर तरीके से कैसे कर सकते हैं ? हमारी सोच ही कामयाबी की तरफ लेकर जायेगी । हर इंसान काम की तो बात करता है लेकिन काम किस तरीके से किया जाएं ये जानना जरूरी है। नही तो कोल्हू के बैल की तरह चौरासी कोस चलकर भी वही खड़े रह जाएंगे । काम तो होगा जिंदगी भी चलती रहेगी पर वो गुणवत्ता नही आएगी जो आनी चाहिए। किसी भी कार्य में तभी कामयाबी मिलती है जब उसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाएं। चाहे वो छोटे से छोटा काम हो या कोई बड़ा प्रॉजेक्ट। जब कोई काम तरीके से करते हैं  तो काम में गुणवत्ता के साथ साथ आनंद भी आने लगता है । 

   " प्रत्येक दिन एक  "अपेक्षा" के साथ शुरू होता है और एक अनुभव के साथ खत्म होता है "

समस्या से भागने की बजाए समस्या की जड़ को समझें :-जे. कृष्णमूर्ति का कहना है कि-
 " समस्या को समझ कर ही हम उसे मिटाने का प्रयास कर सकते हैं दवाब से कभी भी जीवन में बदलाव नही आ सकता"  

असफल हो तो आप उसे सफलता के नकाब से नही बदल सकते । उसे आप तभी बदल सकते हो जब आप अपने अंतर्मन से सवाल करो कि आप असफल क्यों हो ? उस समस्या को जानकर ही समाधान कर  सकते हो ।बाजीराव मस्तानी फिल्म  में कहा गया था कि  जड़ों पर वार किया जाए तो बड़े पेड़ को गिराया जा सकता है । जैसे जड़ पकड़ने से पूरा पेड़ काबू में आ जाता है। उसी तरह से अगर हम किसी समस्या की जड़ पकड़ ले तो उस का हल आसानी से निकल आता है ।  

दूसरों को देने से बढ़कर और कोई ख़ुशी नहीं है :-   दूसरों को देकर जो ख़ुशी मिलती है वो किसी से लेकर कभी नहीं मिल सकती । जब हम किसी को कुछ देते हैं तो हमे महसूस होता है की प्रभु की दया द्रष्टि हम पर  है । हम स्वार्थी होने की बजाए निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं । जो दूसरों की निस्वार्थ मदद करते हैं उन्होंने पाया होगा कि देने से कभी भी घाटा नही होता बल्कि दिन प्रति दिन जीवन में खुशहाली ही बढ़ती जाती है । अपने लिए भी रस्ते खुलते जाते हैं । तभी तो किसी ने कहा है -

 कुछ भी मांगना अच्छा नहीं लगता,कही हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता । भगवान मुझे देने वालो की, कतार में रखना तेरे दर के सिवा सर झुकाना अच्छा नहीं लगता ।   


यदि आप कामयाबी चाहते हो तो दुसरो से अपेक्षा करने की बजाए खुद से अपेक्षा रखें । खुद मेहनत करें बिना मेहनत और लगन के इंसान किसी भी फिल्ड में कामयाबी हासिल नहीं कर सकता । किसी ने सही कहा है कि -

     " कोशिस कर,  हल निकलेगा। आज नहीं तो, कल निकलेगा। 
       अर्जुन के तीर सा निशाना साध, जमीन से भी जल निकलेगा ।
       मेहनत  कर पौधों को जल दे ,बंजर जमीन से भी फल निकलेगा । 
         ताकत जुटा हिम्म्त को आग दे, फौलाद का भी बल निकलेगा ।
       जिंदा रख दिल में उम्मीदों को , समंदर से भी गंगा जल निकलेगा । 
     कोशिस जारी रख कुछ कर गुजरने की, जो है आज थमा थमा वो चल निकलेगा"