जिंदगी ७ सबक सीखाती है !!!
लक्ष्य तय करें , उसे हासिल करने के उपाय सोचें । जीवन में जो भी करना चाहते हो, उसे आधे अधूरे मन से कभी ना करें । पुरे मन से और ईमानदारी से करें । आधे अधूरे मन से किए गए कार्य, कभी भी आप को संतुष्टि या सक्सेस नहीं दिला सकते । पहले हालात और थे, आपके सामने तय शुदा कैरियर थे, ज्यादातर जो आपके पिता करते थे, या और गिने चुने। लेकिन आज लाइफ में संघर्ष है। आज हमे कई विकल्पों में से एक का चुनाव करना पड़ता है । और यदि आप सही समय पर सही चुनाव नहीं करेंगे तो आप अपने लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाओगे। दार्शनिक प्लेटो ने कहा है -
३ साहसी बनें; पर जुआ ना खेलें :-जोखिम का हिसाब लगाए बिना जोखिम ना लें । जोखिम उतना ही उठाएं जितना नियंत्रण कर सकते हो। परिस्थतियां जब मुश्किल होने लगती हैं तो हौसला टूटने लगता है । लेकिन फिर भी पूरी तैयारी व योजना के साथ अपने सपनो का व लक्ष्य का धीरे धीरे पीछा करते रहना चाहिए । और एक बार जब कुछ करने का निर्णय ले लें तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए और न ही अपने निर्णय पर अफ़सोस करना चाहिए । जब निर्णय लें तो डिसीजन लेने में बहुत देर नहीं करनी चाहिए, बस इतना ही विचार करें की कितना जोखिम हैं और उन्हें पूरा कैसे किया जा सकता है ।
४ अफ़सोस ना करें :-सफलता सिर्फ किस्मत से मिलने वाली चीज नही है। इसके लिए खुद पर भरोसा रखें, जोखिम उठकर भी वादा पुरा करें। समय पर काम पुरा करें । और तब भी अगर जीतते हैं तो ख़ुशी मनाओ और हार जाते हैं तो अफ़सोस मत करो क्यों की आप अतीत को नही बदल सकते । रिचर्ड ब्रानसन का कहना है कि -
७ हेल्पफुल बनें :- पैसा खर्च करने की चीज है । कहते हैं पैसा ही सारी बुराइयों की जड़ है । लेकिन ये जरूरी नहीं है पैसे से आप दूसरों की मदद कर सकते हो। दूसरों की मदद करने के बहुत सारे तरीके हैं आप सोचो की आप किस तरह से मदद कर सकते हो । और अगर आप कुछ नहीं भी कर सकते तो कम से कम किसी का नुकसान तो मत करो । अच्छाई और बुराई दोनों ही हर इंसान के अंदर होती हैं । ये आप पर डिपेंड करता है की आप किसे चुनते हो किसका स्पोट करते हो जिसको चुनोगे जिसका स्पॉट करोगे वही आपकी पहंचान बन जाएगी । रिचर्ड ब्राउंसन का कहना है कि -
" समय समय पर अपने जीवन का मूल्यांकन करते रहना चाहिए । क्या हम अपने लक्ष्य तक पहुंच गए हैं ? क्या हमारे जीवन में कुछ ऐसी चीजे हैं ? जिनकी हमे कोई जरूरत नहीं है और उसे हम बाहर निकाल सकते हैं ? मेरा मतलब है की हमे अपनी कुछ बुरी आदतों या आलसी तरीको को छोड़ देना चाहिए जो हमारे जीवन मे पीछे धकेलते हैं और हमारे दिमाग मे कबाड़ की तरह जमा हैं ।

'' शुरआत ही किसी कार्य का सबसे महत्व पूर्ण हिस्सा है "
आप जो भी कार्य करना चाहते हैं , उसके लिए पहला कदम उठाए। उसमे परेशानियां तो आएगी। पर आप खुद एक दिन मंजिल तक जरूर पहुंच जाओगे ।
१आप जो भी कार्य करना चाहते हैं , उसे बस कर डालें :- आप विश्वास करें, कि जो आप करना चाहते हो, उसे कर सकते हो । अगर आपके पास अनुभव की कमी है तो कोई और रास्ता निका लो,अड़चन आ रही है तो उन्हें सुलझाओ,हर समस्या का डटकर सामना करो। आपके मन में कुछ करने का प्रलोभन इतना अधिक होना चाहिए की उस का कोई प्रतिरोध ना सके। अपने मन से डर को निकाल फेंको जोखिम से मत घबराओ । हमेशा कोशिस करते रहो हौसला कभी मत हारो। अपने कार्य को अच्छी तरह से करने के लिए उसकी योजना बनाओ, अच्छी तरह तैयारी करो । और फिर क्या है ? लग जाओ । और तब तक लगे रहो जब तक आपको अपनी मंजिल न मिल जाए ।
२ लाइफ को इंजॉय करें :- :-जमकर मेहनत करें । पैसे इस्तेमाल के लिए होते हैं । एन्जॉय करें । ये जिंदगी बार बार नहीं मिलनी इसलिए इसे खुल कर जिए । छोटी सी जिंदगी है ये दुःख मय नहीं होनी चाहिए । जीवन जीने का तरीका ऐसा होना चाहिए जिसमे सुख, शांति, सकूंन हो। तनाव व दुखद मनोस्थति जैसी चीजों के लिए जीवन में जगह नहीं होनी चाहिए। हम साधु संत नहीं हैं की कही गुफा में जाकर रह लेगें हमे रहने के लिए अच्छा घर, कपड़े, और गाड़ी चाहिए । सब सुख सुविधा चाहिए इसके लिए पैसे जरूरी है । लेकिन सिर्फ पैसे कमाने के पीछे मत भागो । रिचर्ड ब्रानसन ने कहा है कि -
" जब आपके पास एक उद्देश्य, जीवन के प्रति सकरात्मक दृष्टिकोण होता है तो आपके पास निशाना साधने के लिए एक लक्ष्य होता है । कड़ी मेहनत और मजे का नाम ही तो जिंदगी है "
३ साहसी बनें; पर जुआ ना खेलें :-जोखिम का हिसाब लगाए बिना जोखिम ना लें । जोखिम उतना ही उठाएं जितना नियंत्रण कर सकते हो। परिस्थतियां जब मुश्किल होने लगती हैं तो हौसला टूटने लगता है । लेकिन फिर भी पूरी तैयारी व योजना के साथ अपने सपनो का व लक्ष्य का धीरे धीरे पीछा करते रहना चाहिए । और एक बार जब कुछ करने का निर्णय ले लें तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए और न ही अपने निर्णय पर अफ़सोस करना चाहिए । जब निर्णय लें तो डिसीजन लेने में बहुत देर नहीं करनी चाहिए, बस इतना ही विचार करें की कितना जोखिम हैं और उन्हें पूरा कैसे किया जा सकता है ।
४ अफ़सोस ना करें :-सफलता सिर्फ किस्मत से मिलने वाली चीज नही है। इसके लिए खुद पर भरोसा रखें, जोखिम उठकर भी वादा पुरा करें। समय पर काम पुरा करें । और तब भी अगर जीतते हैं तो ख़ुशी मनाओ और हार जाते हैं तो अफ़सोस मत करो क्यों की आप अतीत को नही बदल सकते । रिचर्ड ब्रानसन का कहना है कि -
"अफ़सोस का बोझ आपको नीचे रोके रखता है ये आप को अतीत में रोके रखता है जबकि आपको तो हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए । व्यावसायिक सौदे में नुकसान उठाना मुश्किल होता है, लेकिन ग्लानि का कष्ट सहना उससे भी ज्यादा मुश्किल होता है । हम कई बार ऐसे काम क्र जाते है जिसके बारे में हम बाद में सोचते है काश हमने ये नहीं किया होता या ये नहीं कहा होता । कई बार ये बड़ी गलतियों जैसे दीखते हैलेकिन बाद में जब आप पलट कर देखते हैं तो वो महत्व हीं नजर आते हैं ग्लानि के अहसास की और ले जाने वाला अफ़सोस आपकी ट की नींद उड़ा सकता है । लेकिन जो गुजर गया वो गुजर गया वो नहीं बदला जा सकता । इसलिए अगर आपसे कुछ गलत कार्य हो भी जाए ,तब भी अफ़सोस का कोई मतलब नहीं होता और आपको आगे बढ़ जाना चाहिए" हमेशा भविष्य में रहने से भी हम उतने ही धीमे हो सकते हैं जितने की हमेशा पीछे देखने से । वर्तमान में होने वाली चीजें भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी वे जिनके लिए आप भावी योजनाएं बना रहे हैं "
५ चुनोतियाँ स्वीकारें :- जीवन में कोई ना कोई उद्देश्य होना अनिवार्य है । चुनौतियों को स्वीकर करके ही हम आदिमानव से वर्तमान तक आए हैं, चंद्रमा तक पहुंचे हैं । यदि आप चुनौतियां स्वीकारते हैं तो प्रगति करते हैं। आपका जीवन बदल जाता है, सकारात्मक दृष्टिकोण बनता है । हर बार लक्ष्य तक पहुंचना आसान नहीं है, लेकिन रुकने की कोई वजह भी नही है । रिचर्ड ब्रानसन का कहना है कि-
चुनौतियां दो प्रकार की होती हैं १ काम काज में सर्वश्रेष्ठ करने की चुनौती । २ जोखिम भरे काम करने की चुनौती । में खुद को चरम सीमा तक खींचना चाहता हुं । मुझे शर्त हारने से नफरत है । यदि इंसान कोशिस करे तो कुछ भी हासिल कर सकता है । लेकिन उसके लिए कोसिश करनी होगी । चुनौतियां ही आपको आगे बढती हैं । लेखक और पर्वतरोही जेम्स उलमैन ने सारांश मे व्यक्त किया है चुनौती ही सारे मानवीय कार्यों की बुनियाद और मुख्य प्रेरणा है यदि कोई महासागर है तो हम उसे पार कर लेते हैं । यदि कोई रोग है तो हम उसका इलाज कर लेते हैं । यदि कोई गलती हुई है तो उसे सुधार देते हैं। यदि कोई रिकार्ड है,तो उसे हम तोड़ देते हैं । यदि कोई पहाड़ है तो हम उस पर चढ़ जाते हैं ।
चुनौतियां दो प्रकार की होती हैं १ काम काज में सर्वश्रेष्ठ करने की चुनौती । २ जोखिम भरे काम करने की चुनौती । में खुद को चरम सीमा तक खींचना चाहता हुं । मुझे शर्त हारने से नफरत है । यदि इंसान कोशिस करे तो कुछ भी हासिल कर सकता है । लेकिन उसके लिए कोसिश करनी होगी । चुनौतियां ही आपको आगे बढती हैं । लेखक और पर्वतरोही जेम्स उलमैन ने सारांश मे व्यक्त किया है चुनौती ही सारे मानवीय कार्यों की बुनियाद और मुख्य प्रेरणा है यदि कोई महासागर है तो हम उसे पार कर लेते हैं । यदि कोई रोग है तो हम उसका इलाज कर लेते हैं । यदि कोई गलती हुई है तो उसे सुधार देते हैं। यदि कोई रिकार्ड है,तो उसे हम तोड़ देते हैं । यदि कोई पहाड़ है तो हम उस पर चढ़ जाते हैं ।
६ परिवार व दोस्तो को अहमियत दें, और सबका सम्मान करें :- परिवार व दोस्तो के प्रति वफादार रहें। यदि आप रिस्तो को अहमियत देते हैं, तो आप बुरे दौर से गुजरने पर भी रिस्ते को कायम पाओगे । और यदि कोई मन मुटाव हुआ है तो आमने सामने बात करके दोस्ताना तरीके से झगड़ा सुलझाया जा सकता है । लेकिन जो कहें सामने कहें अक्सर आलोचना उन लोगो तक पहुंच जाती हैं जिनकी आलोचना होती है । विन्रम बनें, सबके सामने अपनी अच्छी छवि बनाए। सबका सम्मान करें । रिचर्ड ब्रानसन का कहना है कि -
" सम्मान का मतलब यह है कि आप हर एक के साथ कैसा व्यवहार करते है ,सिर्फ उन्हीं लोगो के साथ नही ,जिन्हें आप प्रभावित करना चाहते हैं "
७ हेल्पफुल बनें :- पैसा खर्च करने की चीज है । कहते हैं पैसा ही सारी बुराइयों की जड़ है । लेकिन ये जरूरी नहीं है पैसे से आप दूसरों की मदद कर सकते हो। दूसरों की मदद करने के बहुत सारे तरीके हैं आप सोचो की आप किस तरह से मदद कर सकते हो । और अगर आप कुछ नहीं भी कर सकते तो कम से कम किसी का नुकसान तो मत करो । अच्छाई और बुराई दोनों ही हर इंसान के अंदर होती हैं । ये आप पर डिपेंड करता है की आप किसे चुनते हो किसका स्पोट करते हो जिसको चुनोगे जिसका स्पॉट करोगे वही आपकी पहंचान बन जाएगी । रिचर्ड ब्राउंसन का कहना है कि -
" समय समय पर अपने जीवन का मूल्यांकन करते रहना चाहिए । क्या हम अपने लक्ष्य तक पहुंच गए हैं ? क्या हमारे जीवन में कुछ ऐसी चीजे हैं ? जिनकी हमे कोई जरूरत नहीं है और उसे हम बाहर निकाल सकते हैं ? मेरा मतलब है की हमे अपनी कुछ बुरी आदतों या आलसी तरीको को छोड़ देना चाहिए जो हमारे जीवन मे पीछे धकेलते हैं और हमारे दिमाग मे कबाड़ की तरह जमा हैं ।
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