
" जग सारा कर्म क्षेत्र है , जीवन है संग्राम | विजय श्री वही पाएंगे जो करेंगा का काम "
मंजिल पर वही पहुंचते हैं जो लक्ष्य बना कर उस पर चलते हैं | बस खुद को जानना है कि हमारी मंजिल कहा है ? हम खुद क्या चाहते हैं ? और जो चाहते हो वो करो उसी कार्य में आपको सक्सेस मिलेगी | और आज तक जो लोग कामयाब कहलाये गए हैं वे वही लोग हैं जिन्होने अपनी पसंद की फिल्ड चुनी और उसी में अपना कैरियर बनाया | उस काम को उन्होंने इंजॉय किया | जगदीश भारद्वाज कथा वाचक का कहना है कि -
" राज तु अपनी हकीकत का अगर पा जायेगा ,जिंदगी जीने का मजा आ जायेगा "
लेकिन भाग्य का समर्थन करने वाले कहते हैं कि इंसान की किस्मत में जो लिखा है वही होकर रहेगा | उसे कोई नहीं बदल सकता | और जगदीश भारदूआज जी का कहना है कि -
" होनी होकर के रहे , होनी से सब हारे "
एक तरफ श्री राम जी के तिलक की तैयारी हो रही थी दूसरी तरफ उन्हें वनवास हुआ | इसलिए जो लिखा होता है वही होकर रहता है | वैसे ही हालात बनते जाते हैं और वैसी ही इंसान की बुद्धि बन जाती है |
दोस्तों ! मेरा मानना है कि दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं 'भग्य' के बिना 'कर्म' नही फलता और कर्म के बिना भाग्य साथ नहीं देता | लेकिन अगर हमारे भाग्य में भूखा रहना लिखा है तो कर्म करके पेट तो भर ही सकते हैं कम से कम भीख मांगने से तो बच ही जाएंगे | भिखारियों से तो जिंदगी अच्छी होगी |
भगवान श्री कृष्ण जी ने भी श्री मद भागवत में कर्म को ही प्रधान बताया है| कर्म प्रधान पूरी द्रढ़ता ,हिम्मत और उत्साह से हंसते खेलते अपनी मंजिल तक पहुंचने का प्रयास करते हैं | और आलसी लोग किस्मत हालत समय व लोगो को दोषी ठहराकर असफलता व गरीबी से समझौता करके बैठ जाते हैं |जबकि भगवान ने हर इंसान को सोचने समझने की शक्ति दी है जिससे वह सोच समझकर अपने अनुभवों के आधार पर सही गलत का निर्णय लेकर सही रस्ते का चुनाव कर के आगे बढ़ सकता |
दोस्तों ! मेरा मानना है कि दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं 'भग्य' के बिना 'कर्म' नही फलता और कर्म के बिना भाग्य साथ नहीं देता | लेकिन अगर हमारे भाग्य में भूखा रहना लिखा है तो कर्म करके पेट तो भर ही सकते हैं कम से कम भीख मांगने से तो बच ही जाएंगे | भिखारियों से तो जिंदगी अच्छी होगी |
भगवान श्री कृष्ण जी ने भी श्री मद भागवत में कर्म को ही प्रधान बताया है| कर्म प्रधान पूरी द्रढ़ता ,हिम्मत और उत्साह से हंसते खेलते अपनी मंजिल तक पहुंचने का प्रयास करते हैं | और आलसी लोग किस्मत हालत समय व लोगो को दोषी ठहराकर असफलता व गरीबी से समझौता करके बैठ जाते हैं |जबकि भगवान ने हर इंसान को सोचने समझने की शक्ति दी है जिससे वह सोच समझकर अपने अनुभवों के आधार पर सही गलत का निर्णय लेकर सही रस्ते का चुनाव कर के आगे बढ़ सकता |
कई युवा सोचते है कि बिना मेहनत करे सब कुछ हासिल हो जाए| इसलिए अपनी कुंडली दिखाते हैं, ग्रह दशा दिखा कर पूजा पाठ कराते हैं | जबकि कहा गया है कि -
" जीवन में संतुलित रहे धर्म, अर्थ और काम | इनका संतुलन जहां बिगड़ा वही बिगड़ा काम "
जबकि कुंडली व ग्रह दशा का तो कोई जिक्र ही नहीं आया | लेकिन पूजा करना अच्छी बात है भगवान से आशीर्वाद लो लेकिन किस्मत के भरोशे रहकर कर्म से मत भटको | पूजा का फल मिलता है इसी लिए हमारे धर्म शास्त्रों में भी पूजा पाठ का विधान बतलाया गया है| पूजा पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है और आत्मविश्वास से हारी बाजी भी इंसान जीत जाता है | और कहा भी गया है कि -
" तुलसी भरोषे राम के ,निर्भय होकर सो | होनी होकर के रहे अनहोनी टल जाये "
" जीवन में संतुलित रहे धर्म, अर्थ और काम | इनका संतुलन जहां बिगड़ा वही बिगड़ा काम "
जबकि कुंडली व ग्रह दशा का तो कोई जिक्र ही नहीं आया | लेकिन पूजा करना अच्छी बात है भगवान से आशीर्वाद लो लेकिन किस्मत के भरोशे रहकर कर्म से मत भटको | पूजा का फल मिलता है इसी लिए हमारे धर्म शास्त्रों में भी पूजा पाठ का विधान बतलाया गया है| पूजा पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है और आत्मविश्वास से हारी बाजी भी इंसान जीत जाता है | और कहा भी गया है कि -
" तुलसी भरोषे राम के ,निर्भय होकर सो | होनी होकर के रहे अनहोनी टल जाये "
लेकिन इंसान को कर्म करते रहना चाहिए क्यु कि कर्म से भाग्य बनता है | इंसान कर्म करके ही कामयाब हो सकता है | इसलिए कहा गया है कि भाग्य भी उन्ही लोगो का साथ देता है जो कर्म करते हैं | कहते हैं कि -
" ख्वाहिशो से नहीं गिरते फूल झोली में , कर्म की साखा को हिलाना पड़ता है | कुछ नहीं होता अँधेरे को कोसने से अपने हिस्से का दिया जलाना पड़ता है "
" ख्वाहिशो से नहीं गिरते फूल झोली में , कर्म की साखा को हिलाना पड़ता है | कुछ नहीं होता अँधेरे को कोसने से अपने हिस्से का दिया जलाना पड़ता है "