
जो अपना दुःख सुनाए उसको सहानुभूतिपूर्वक ध्यान से सुन लेना चाहिए | अपनी संवेदना प्रकट करने में भी कृपणता न करनी चाहिए। किसी की वेदना सुनकर उपहास करना अथवा उसकी उपेक्षा कर देना एक नैतिक दोष है। इस से ग्रस्त लोग समाज में अपने विरोधियों तथा आलोचकों की वृद्धि कर लेते हैं | विलियम जेम्स ने कहा है कि -
"हर इंसान के दिल की गहराई में यह लालसा छुपी होती है कि उसे सराहा जाए "
बुद्धिमान व्यक्तियों का सहज स्वभाव होता है वे दूसरे लोगो के गुणों को सराहते हैं | किसी की बुराई की अपेक्षा अच्छाई पर अधिक दृष्टि रखते हैं।
मनुष्य के व्यक्तित्व की पहचान उसके बातचीत करने के ढंग से होती है। भले ही कोई व्यक्ति कितना ही सुंदर हो, परंतु वाणी में कर्कशता या रुखापन हो तो वह कभी किसी को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता।
प्रभावशीलता के आधार कुछ गुण और व्यवहार हुआ करते हैं जो मनुष्य के व्यक्तित्व और आचरण से चमकते हैं। इस गुण को जब चाहे उन्हें पाया, सीखा और अपने अन्दर उपजाया जा सकता है।
जो व्यक्ति प्रभावशीलता को जितना व्यापक और विस्तृत बना लेता है वह उतनी ही अधिक सद्भावना पाता है।
कोई अपनी सद्भावना देता तो अकेला ही बहुतों को है | पर बदले में पाता बहुत लोगो की सद्भावना है। इस प्रकार सद्भावना के इस आदान-प्रदान में सद्भावुक के बहुत लाभ में रहता है वह एक अकेला बहुतों का प्रिय पात्र बन जाता है |
ऐसे एक अकेले व्यक्ति को उठाने में सैकड़ों हजारों हाथ लग जाते हैं। इस प्रभाव से किसी का ऊँचे से ऊँचा उठ जाना स्वाभाविक ही है। जिसको बहुत से लोग चाहें और प्यार करें उसका प्रभाव एक बड़ी सीमा तक फैल जाता है उसका व्यक्तित्व चुम्बक की तरह आकर्षक और सोने की तरह चमक उठता है।
अपने पद की गरिमा बनाए रखें, एवं ऐसी स्थिति से बचें कि आपसे छोटा व्यक्ति आपको जवाब दे जाए। बच्चों के सामने उनके टीचर्स व रिश्तेदारों के लिए अपशब्द न कहें।
सेवक या किसी भी बाहरी व्यक्ति से अपने घर की बातें न करें, न ही उनके सामने बहस व गाली-गलौज करें।
अपनी गलत बात को सही सिद्ध करने के लिए बहस न करें। न ही चिल्ला-चिल्लाकर उसे सही सिद्ध करने की कोशिश करें।
अगर आप चाहते हैं कि आपसे मिलने जुलने वाले लोग आपकी तारीफ करें | आप चाहते हैं की आपकी प्रतिभा को पहंचाना जाए | आप चाहते है की आप छोटी सी दुनियां में महत्वपूर्ण बने | आप सस्ती चप्लुसी या झूठी तारीफ तो नही सुन्ना चाहेंगे |लेकिन जैसा चालर्स श्वाब ने कहा है कि
-आप मित्र व सहयोगीयो से जरूर चाहोगे कि वे आपकी दिल खोलकर तारीफ करें और मुक्त कंठ से सराहना करें हम सभी ये चाहते हैं |
हम सभी खुद को महत्वपूर्ण नही ,बहुत महत्वपूर्ण समझते हैं | लोगो से उनके बारे में बात कीजिए , वे घंटो तक आपकी बात सुनते रहेंगे | सामने वाले व्यक्ति को महत्वपूर्ण अनुभव कराएं -और ईमानदारी से कराएं |
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