
व्यक्ति चाहे तो वह वीर ,मर्यादित व गरिमामयी बना रह सकता है | या फिर स्वयं को महफूज रखने के प्रयास में वह अपने मानवीय गरिमा को भुलाकर ,किसी पशु से भी बदतर व्यवहार कर सकता है | मनुष्य का आंतरिक बल उसे नियति से भी परे ले जा सकता है |
जो बल आपके नियंत्रण से बाहर है वह आपकी एक चीज को छोड़कर आपसे बाकि सब कुछ छीन सकता है , लेकिन आपसे आपकी आजादी नहीं छीनी जा सकती कि आप उस नकारत्मक हालात के साथ किस तरह पेश आएंगे | आपके साथ जीवन में जो हुआ ,उस पर आपका वश नही है | लेकिन आपने उस घटना के प्रति क्या अनुभव किया और उसके साथ कैसे पेश आए वह तो हमेशा से ही आपके वश में रहा है |
जिस व्यक्ति का स्वाभिमान हमेशा दुसरो से मिले आदर व मान पर टिका होता है उसे भावनत्मक रूप से नष्ट होने में जरा भी देर नहीं लगती |
सफलता को अपना लक्ष्य मत बनाओ | तुम इसे जितना अधिक अपना लक्ष्य या उद्देश्य बनाओगे तुम उससे उतनी ही दूर होते जाओगे | ख़ुशी की ही तरह सफलता को भी कही पाया नहीं जा सकता इसे तो परिणाम स्वरूप पाया जाता है |
जब भी हम अपने से भी विशाल किसी ध्येय से जुड़ते है या अपने से परे किसी दूसरे के समर्पित होते हैं तो उसके फल स्वरूप ख़ुशी या सफलता प्राप्त होती है | ख़ुशी या सफलता अपने -आप ही घटते हैं आप चाह कर भी इन्हें अपने लिए घटने पर विवश नही कर सकते | एक मनुष्य के रूप में हम किसी भी चीज के आदि हो सकते हैं |
प्रेम में ही मुक्ति है | प्रेम ही अंतिम व उच्चतम लक्ष्य है ,जिसकी एक मनुष्य आकांक्षा कर सकता है | जब अवसाद व दुख के कोहरे के बीच मनुष्य खुद को सकारत्मकता से साथ प्रकट न कर सके ,जब अपने कष्टों को अच्छी तरह सहना ही उसकी एकमात्र नियति रह जाए - जो कि एक सम्मान जनक उपाय है -जो ऐसी दशा में वह अपने मन बसी प्रियतमा की छवि का मनन करके संपूर्ण संतोष पा सकता है | एक छोटी सी बात भी आनंद का कारण बन सकती है |
भाग्य को अपना काम करने देना चाहिए | कई बार जब सामने वाला अपनी उदासीनता या बेपरवाही की हद कर दे तो आपका चिड़चिड़ापन भी बढ़ जाता है | इंसान पर अपने माहौल का बहुत असर होता है या ये कहिये कि मनुष्य अपने आसपास के माहौल के असर से अछूता नही रह सकता |
एक मनुष्य से सब कुछ छीना जा सकता है : मानवीय स्वतंत्रता से जुडी हर चीज छीनी जा सकती मगर उससे यह चुनाव करने की छमता नहीं नहीं छीनी जा सकती कि वह किन्ही परिस्थतियों का सामना किस रवैये के साथ करेंगे और अपने लिए कौन सा मार्ग चुनेगा | आध्यात्मिक आजादी को हमसे कोई नही छीन सकता -वही हमारे जीवन को सार्थक तथा अद्देश्यपूर्ण बनती है |
दोस्तों ! ये समरी विक्टर ई फ्रेंकल की "बुक" जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य की है |
very good
ReplyDeleteVery good
ReplyDeletePart 2 kaha milega
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