Sunday, May 26, 2019

लीडर का सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि अच्छे लोगो को टीम में शामिल किया जाए और उन्हें टीम में बनाए रखा जाए| !!

अगर आप लोगो का मार्ग दर्शन करना चाहते हैं और उन्हें लीडर्स के रूप में विकसित करना चाहते हैं तो आपको ये काम करने होंगे -
1 उनके वास्तविक रूप की सराहना करना 2  विश्वास करना कि वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे 3 उनकी उपलब्धियों की सराहना करना 4  उनके लीडर के रूप में अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी को स्वीकार करना | 

लीडर को ये पता होना चाहिए कि टीम को एक सूत्र में कैसे बांधा जाता है ?कुछ लोगो को ऊपर कैसे उठाया जाता है और बाकियों को जब तक शांत कैसे किया जाता है ? जब तक की टीम अंतत एक ही शुर में न धड़कने लगे |

 में हमेशा तीन बातें कहता हूं : अगर कोई काम बिगड़ जाता है तो ये मैने किया है या मेरी वजह से बिगड़ा है | या कोई काम आधा अच्छा है तो हमने किया  है || अगर कोई काम वाकई अच्छा हुआ है  तो यह मेरे साथियों ने किया है | टीम जीतने के लिए इतने की  ही जरूरत  है | 

सर्वोच्च सफलता प्राप्त  वाले लीडर्स का अध्ययन करने पर यह पता चला  हैं कि उनमे एक चीज सामान होती है वे जानते हैं कि लीडर का सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि अच्छे लोगो को टीम में शामिल किया जाए और उन्हें टीम में बनाए रखा जाए | 

किसी संगठन में जो सम्प्पति सचमुच बढ़ती है वह उसके लोग हैं |सिस्टम पुराने पड़ जाते हैं| इमारतों में दरार पड़ जाती है ,मशीने घीस जाती हैं ,परंतु लोग प्रगति कर सकते हैं विकाश कर सकते हैं और अधिक प्रभावकारी बन सकते हैं  | 

परन्तु उनका लीडर ऐसा हो जो उनकी  क्षमता व  महत्व को समझता हो | सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप ये काम अकेले नही कर सकते | सफल लीडर बनना हैं तो आपको अपने आसपास दूसरे लीडर्स को तैयार करना होगा | आपको एक टीम बनानी होगी | आपको एक ऐसा तरीका खोजना होगा ,ताकि दूसरे आपकी भविष्य द्रष्टि को देखें ,उस पर अमल करें और उसे साकार करने में योगदान दें |

लीडर बड़ी तस्वीर देखता है ,परन्तु अपनी मानसिक तस्वीर को हकीकत में बदलने के लिए उसे दूसरे लीडर्स की जरूरत पड़ती है | ज्यादातर लीडर्स के पास अनुयायी होते हैं | वे मानते हैं कि बहुत से अनुयायी होना ही लीडरशिप की कुंजी है |

बहुत कम लीडर्स अपने आसपास दूसरे लीडर्स  को रखते हैं ,परन्तु जिन संगठनों के लीडर्स ऐसा करते हैं उन्हें बहुत फायदा होता है | इससे न सिर्फ ऐसे लीडर्स का बोझ हल्का होता है बल्कि सपना भी साकार हो जाता है और उस सपने का विस्तार भी होता है | 

दोस्तो ! ये सामरी जॉन सी. मैक्सवेल की बुक ' अपनी टीम के लीडर्स को विकसित कैसे करें'  की है  | 




Friday, May 24, 2019

आपका दोस्त आपका दुश्मन तो नहीं ?

दोस्तों ! आज में आप लोगो से एक खास टॉपिक शेयर कर रही हूँ जिसका मुख्य बिंदु है ' फ्रेरनेमी,शायद आप लोगो में से कुछ लोगो ने ये शब्द पहली बार ही सुना हो | इसका मतलब है दोस्त होकर दुश्मन का काम करना | अब आप समझ गये होंगे कि ये आर्टिकल किस तरह के बारे है |

दोस्त इंसान की पहंचान होते है कहते कि अगर इंसान के बारे में जानना है तो उसके चार मित्रो को मिलो वो वैसा ही होगा जैसे उसके चार मित्र होंगे | जैसा इंसान होता है वैसे ही उसके दोस्त होते हैं | अगर कर्म में फर्क मिल भी जाए तो सोच में फर्क नही मिल सकती | सोसायटी का असर जरूर पड़ता है | 

आज समज में तेजी से परिवर्तन आ रहा है | समाज व कार्यस्थल में कई लोग देखे जाते जिनकी सत्ता छोटे छोटे कई सिंहासन पर टिकी होती है जिसपर प्रभुत्व जताने के लिए रोज नई नई लड़ाई लड़नी पड़ती हैं | चाहे वह परिवार में खुद को बेहतर साबित करने की  बात हो या कार्य स्थल व दोस्तों को इंप्रेस करने का संघर्ष | 

ऐसी स्थति में लोग सीधी लड़ाई ना लड़ के पीठ पीछे बुराई करते हैं दोस्तों के वीक पॉइन्ट बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं | झूठ बोलकर समाज में उनका आत्म सम्मान छलनी करते हैं | और बहुत ही चालाकी से सामने मीठा बनकर अपना काम साधते हैं | उनका ये रवैया नकारत्मक है वे खुद से इतने अभिभूत हैं की दोस्तों को नीचा दिखाकर स्वयं को बेहतर सिद्ध करना चाहते हैं | इसके लिए वे दोस्तों को बैकहैंड कम्प्लीमेंट्स देते है ,जिससे वे ये जता सकें कि उनका स्तर उनके दोस्तों के स्तर से बहुत ऊंचा है | वे हमेशा आपकी उन्ही चीजों को निशाना बनाकर वार करते हैं जो आपके दिल के बहुत करीब हो | 

आप ये तो जानते ही हैं कि जब तक सच घर से बहार निकलता तब तक झूठ सारे शहर में ढिढोरा पीट आता है | जिसका खामयाजा उस इंसान को भुगतना पड़ता है जिसके बारे में झूठी अफवाह फैलाई गई है | एक तो वो पहले ही अपनी फिल्ड में सक्सेस के  लिए समस्याओं को झेल  रहा होता है दूसरे ऐसे लोग जो खुद अपनी लाइफ में कुछ नही कर पाए वे उसका श्रेय लेने के लिए झूठे आरोप लगा कर और समस्या खड़ी कर देते हैं | जिसकी वजह से उस इंसान को  बार -बार अपनी सफाई देनी पड़ती है | जिसकी वजह से वो सक्सेस नही पाता जो पा सकता था  | 
सच्चा दोस्त आपके सामने ही सरलता और सचाई से आपकी कमजोरी के बारे में बताएगा ,लेकिन फ़्रेनेमी उसी कमजोरी को डंके की चोट पर बताएगा जिससे ज्यादा लोगो को उसके दोस्त की कमजोरी के बारे में पता चल सकें और उसकी तुलना में वह फ़्रेनेमी बेहतर दिखे

दोस्तों आप अपने फ़्रेनेमी को अच्छी तरह पहंचान सकते हो | और सावधान हो सकते हो कहि वही दोस्त आपको दोस्ती की आड़ में मानसिक व शारीरिक रूप से चोट ना पहुंचा दे | दोस्त होकर लोग ऐसा काम क्यों करते हैं ? दोस्तों मेंने  कही पढ़ा था -

 " चार शराबी एक साथ रह सकते हैं ,चल सकते हैं, पर चार विद्धवान एक साथ नही रह सकते | क्यों ? क्यों कि शराबी को तिरस्कार मिलता है गालियां मिलती हैं जिन्हे वो दे सकते हैं | विद्वान् को सम्मान मिलता है और विद्वान सम्मान को बाटना नही चाहता | सम्मान की भूख सभी को होती है इसलिए जिसे नही मिला वो जबरदस्ती लेना चाहता है | जिसके चलते मन मुटाव होता इसलिए एक साथ नही रह सकते| 

 दुसरो के जैसा दिखने या बनने का लालच ही दोस्तों में ईर्ष्या पैदा करता है | जिसकी वजह से वह खुद को कमतर आंकता है | बेहतर दिखने या कहलाने के कारण ही ऐसा करता है | जबकि  कभी भी दुसरो के आदर्श रूप को प्रस्तुत नही करना चाहिए | 

हर एक इंसान को भगवान ने एक अलग हुनर से नवाजा है | किसी भी काम को सीख कर या डिग्री लेकर तुम नौकरी पा सकते हो लेकिन सक्सेस तो आपको हुनर से ही मिलेगी | और उस हुनर को देने वाला सिर्फ परमात्मा है | इसलिए जैसे हो वैसे ही खुद को स्वीकार करो खुद से प्रेम करो | जो हुनर परमात्मा ने आपको दिया है उस हुनर को तरासो  |  








Monday, May 13, 2019

भाग्य तो लगडा है इसे कर्म की बैसाखी से चलना पड़ता है!!!


" खुदी को कर बुलंद इतना ,खुदा जमी पर आकर, बंदे से पूछे ? बता तेरी रजा क्या है "

दोस्तों! मेहनत जीवन को निखारती है, सवारती है और इंसान को ऐसा गढ़ती है जिसकी प्रसंसा किये बिना कोई नही रह सकता । हर इंसान उसके जैसा बनना चाहता है। महेनती इंसान ही पथरों में फूल खिला सकता है | मेहनत से ही इंसान कामयाबी की उचाईयों को छू सकता है | मेहनत हमे आगे ही नही बढ़ाती बल्कि जीवन जीने का नया अंदाज सिखाती है।

"भागवत गीता में भी कर्म के ऊपर 80 श्लोक लिखे गए हैं | और प्रथम 6 अध्याय में कर्म  की ही व्याख्या की गई है | 

सर्व प्रथम स्थान कर्म को ही दिया गया हैं | किसी भी सपने को साकार करने की प्रथम जरूरत कर्म है | कर्म किये बिना सपना साकार नही होता | सपने देखना आसान है लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना जरूरी  है | जो लोग कर्म प्रधान होते हैं वे लोग ही अपने सपने को साकार  कर पाते हैं | जब किसी सक्सेस इंसान को देखते हैं तो कहते हैं कि इसकी किस्मत अच्छी है। लेकिन दोस्तों किस्मत कुछ भी नही है सिर्फ मेहनत का फल है । सुरेश माली जी कहते हैं - 

"भाग्य तो लगडा है इसे कर्म की बैसाखी से चलना पड़ता है इसलिए भाग्य के भरोषे मत बैठिये "

मेहनत कर रहे हो तो एक दिन आपको सक्सेस का फल मिल ही जायेगा | किस्म्मत किसी की भी अच्छी नही होती किस्मत मेहनत से अच्छी बनाई जाती है | अगर लगातार मेहनत करते हैं तो किस्मत अच्छी बन जाती है | अगर आपने पूरी मेहनत नही की तो किस्मत खराब रह जाती है।

हाँ ऐसा हो सकता है कि मेहनत में आपको कम ज्यादा मिले । ये नही हो सकता कि आप पढ़ाई करो चार घन्टे और सपने देखो आई ए एस  बनने के । हाँ ये हो सकता है की आपने पढ़ाई की आई ए एस की और आप बन गए pcs । किसी भी फिल्ड में सक्सेस पाने के लिए अपने कार्य को चौबीस घंटे देने पड़ते हैं ,चौबीस घंटे देने का मतलब ये नही है की आप चौबीस घंटे काम करो, चौबीस घंटे का मतलब है कि दिमाग से सोचो,  मन से कल्पना करो, पूजी लगाओ और जितनी शरीर की मेहनत जरूरी है उतना मेहनत करो तभी जाकर आप सक्सेस हो सकोगे |  

"तुलसी दास जी ने 78 साल मेहनत की तब जाकर अपने अनुभव से रामयण लिखी" 

मैने अपने आसपास के कई लोगो को देखा है जिन्होंने अनपढ़  या थोड़े पढ़े लिखे होने पर भी अपनी मेहनत व अनुभव से लाइफ में बहुत कुछ अचीव किया है | अगर आप की अपने कार्य में श्रद्धा नही है अपने पर व परमात्मा पर विश्वास नही है तो आप अपने कार्य में कभी सक्सेस नही हो सकते  | 

दोस्तों ! सक्सेस का पढाई से कोई खास लेना देना नही है | सक्सेस का मतलब सिर्फ अपनी फिल्ड की नालिज व मेहनत से है | आपने कितनी मेहनत की है कितनी आप अपनी फिल्ड की नालिज रखते हैं इसी  पर आपकी सक्सेस निर्भर करती हैं | अगर सिर्फ पढ़े लिखे लोग ही सक्सेस होते तो कभी भी अनपढ़ या काम पढ़े लिखे लोग अपनी फिल्ड में सक्सेस नही हो पाते |  बिलगेट्स ,अंबानी ,मार्क जुगलबर्क्स जैसे लोगो को उनकी सक्सेस से कोई नही जानता |