Thursday, June 27, 2019

आगे बढ़ना है तो साथियों से सलाह लें !!!

कई बार मेरे साथी ऐसी सलाह देते हैं जो मुझे सुनना पसंद नही होता ,लेकिन सुनना जरूरी होता है | अपने आसपास अच्छे सलाहकार  रखने का यही लाभ है कि वे जानते है कि सही निर्णय कैसे लें | अनुनायी आपको वो बताते हैं जो आप सुनना चाहते है और सलाह कार वो बताते हैं जो सुनना जरूरी है |

निर्णय लेने से पहले सलाह लें | निर्णय लेने से पहली ली सलाह बहुत महत्वपूर्ण होती है और निर्णय लेने के बाद की सलाह का कोई महत्व नहीं होता | 

सलाह कार सिर्फ आपकी तरह ही काम नही करते वे आपकी तरह सोचते भी हैं | इससे वे आपका काम हल्का कर देते हैं | निर्णय लेने, विचार मंथन करने और दुसरो को दिशा देने में ये बहुत अमूल्य है | 

जो लोग क्षमतावान  लोगो का  मार्ग दर्शन करते हैं वे अपनी प्रभावकारिता  को कई गुना बड़ा लेते हैं | 

"किसी भी इंसान की सफलता की परिभाषा यह है उसके अधीन काम करने वालो की योग्यता का अधिकतम दोहन " 

जिग जिगलर कहते है 
" सफलता अपनी योग्यता का अधिकतम दोहन करना है |

 एंड्रूय कार्नेगी ने इसे इस  तरह स्पष्ट किया था : " में अपनी कब्र के पत्थर पर यह लिखवाना चाहता हूँ यहाँ वह व्यक्ति लेटा  है  जो इतना बुद्धिमान था कि वह अपने से  दर लोगो को अपनी सेवा में लाया | 

जो लोग हमारी योग्यता में विश्वास दिखाते हैं ,वे हमे प्रेरित करने से भी ज्यादा बड़ा काम करते हैं-वे एक ऐसा माहौल बना देते हैं ,जिसमे हमारे लिए सफल होना ज्यादा आसान हो जाता है | इसका विपरीत भी सच है जब कोई लीडर हमरी क्षमता पर विश्वास नहीं करता , तो हमारे लिए सफल होना बहुत मुश्किल हो जाता है | यह लगभग असंभव हो जाता है | अगर हम अपने संगठन की सफलता चाहते हैं तो लीडर के रूप में हम अपने अनुयायीयों  के साथ ऐसा नही होने दे सकते |  

दोस्तों ! ये समृ जॉन सी.मेक्सवेल की बुक " अपनी टीम के लीडर्स को कैसे विकसित करें" की है | अगर आप अपनी टीम के लीडर को विकसित करना चाहते हैं तो आप को ये बुक बहुत ही हेलफुल रहेगी |  





Sunday, June 23, 2019

मानव जीवन के दस पश्चाताप !!!

सोचो! आपको भी आपके जीवन में ये दस पश्चाताप ना करने पड़ें | 

1 आपका जीवन जो एक बेहद प्रभावशाली गीत गाने के लिए मिला था ,आखरी समय में तुम पाओगे के तुमने निस्तंभ  होकर जीवन गुजारा है | 

2 अपने आखरी समय में महसूस करोगे कि अच्छा काम करने की  और अच्छी चीजें हासिल करने की प्राप्त हुई नैसर्गिक शक्ति का तुमने अनुभव लिया ही नही | 

3 आखरी दिनों में यह महसूस होगा तुमने ऐसा कोई काम नही किया जिससे अन्य लोग प्रोत्साहित हो सकें | 

4 आखरी दिनों में तुम्हे लगेगा कि तुमने जीवन में कोई कठिन काम करने का जोखिम नही उठाया जिससे तुम्हें कोई पुरस्कार नही मिला | 

5 आखरी दिनों में तुम्हें यह समझ आयेगा तुमने जीवन में कई अच्छे मौके गवाएं - जो तुम्हें विशेष स्थान पर ले जाते | तुम झूठी धारना में आकर साधारण योग्यताओ पर संतोष मानते आये हो | 

6 आखरी दिनों में तुम्हे ये सोच कर बुरा लगेगा कि तुमने आपदा को जीत में बदलने की और शीशे को सोने में बदलने का हुनर नही सीखा | 

7 तुम्हें इस बात का खेद रहेगा कि तुमने सिर्फ खुद की मदद की ,लोगो की मदद नही कर सकें | 

8 आखरी दिनों में तुम्हे ये पता चलेगा कि तुमने ऐसा जीवन व्यतीत किया जो तुम्हे समाज ने सिखाया | 

9 आखरी दिनों में तुम्हें इस वास्तविकता का पता चलेगा कि तुम्हारी क्षमता तुम्हे पता ही नही चली | अपनी योग्यता को वास्तविकता में बदलने का प्रयास ही नही किया |  

10  आखरी दिनो में तुम्हें ये अहसास होगा कि तुम एक अच्छे इंसान इंसान बन सकते थे | जीवन में जो पाया उससे अधिक दे कर जा सकते थे | तुमने यह कभी स्वीकार ही नही किया की कि तुम्हारी घबराहट के कारण तुमने चुनौतियों को स्वीकार नही किया और अपना जीवन बर्बाद कर लिया |  

दोस्तों ! ये समरी रॉबिन शर्मा की बुक अपने "अंदर के लीडर को पहचानों " की है | इसमे बहुत ही बेहतरीन तरीके बताये है अपने अंदर के लीडर को पहचानने के | 
   


  







   

ऐसे दोस्तों से दूरी बना कर रखो !!!

दोस्तों ! आज में आप लोगो से एक खास टॉपिक शेयर कर रही हूँ जिसका मुख्य बिंदु है ' फ्रेरनेमी,शायद आप लोगो में से कुछ लोगो ने ये शब्द पहली बार ही सुना हो | इसका मतलब है दोस्त होकर दुश्मन का काम करना | अब आप समझ गये होगें कि ये आर्टिकल किस तरह के लोगो के बारे में है |

दोस्त इंसान की पहंचान होते है कहते कि अगर इंसान के बारे में जानना है तो उसके चार मित्रो को मिलो वो वैसा ही होगा जैसे उसके चार मित्र होंगे | जैसा इंसान होता है वैसे ही उसके दोस्त होते हैं | अगर सोच में फर्क मिल भी जाए तो कर्म में फर्क नही मिल सकता  | सोसायटी का असर जरूर पड़ता है | 

आज समज में तेजी से परिवर्तन आ रहा है | समाज व कार्यस्थल में कई लोग देखे जाते हैं जिनकी सत्ता छोटे छोटे कई सिंहासन पर टिकी होती है जिसपर प्रभुत्व जताने के लिए रोज नई नई लड़ाई लड़नी पड़ती हैं | चाहे वह परिवार में खुद को बेहतर साबित करने की  बात हो या कार्य स्थल व दोस्तों को इंप्रेस करने का संघर्ष | 

ऐसी स्थति में लोग सीधी लड़ाई ना लड़ कर बहुत ही चालाकी से सामने मीठा बनकर अपना काम साधते हैं और पीठ पीछे बुराई करते हैं | दोस्तों के वीक पॉइन्ट बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हैं | झूठ बोलकर समाज में उनका आत्म सम्मान छलनी करते हैं | और  उनका ये रवैया नकारत्मक है वे खुद से इतने अभिभूत होते हैं कि दोस्तों को नीचा दिखाकर स्वयं को बेहतर सिद्ध करना चाहते हैं | इसके लिए वे दोस्तों को बैकहैंड कम्प्लीमेंट्स देते है ,जिससे वे ये जता सकें कि उनका स्तर उनके दोस्तों के स्तर से बहुत ऊंचा है | वे हमेशा आपकी उन्ही चीजों को निशाना बनाकर वार करते हैं जो आपके दिल के बहुत करीब हो | 

आप ये तो जानते ही हैं कि जब तक सच घर से बहार निकलता है तब तक झूठ सारे शहर में ढिढोरा पीट आता है | जिसका खामयाजा उस इंसान को भुगतना पड़ता है जिसके बारे में झूठी अफवाह फैलाई गई है | एक तो वो पहले ही अपनी विपरीति परस्थतियों व समस्याओं को झेल रहा होता है दूसरे ऐसे लोग जो खुद अपनी लाइफ में कुछ नही करना चाहते वे लोग उसका श्रेय लेने या ईर्ष्या से झूठे आरोप लगा कर और समस्या खड़ी कर देते हैं | जिसकी वजह से उस इंसान को  बार -बार अपनी सफाई देनी पड़ती है | जिसकी वजह से वो सक्सेस नही पाता जो पा सकता था  | 
सच्चा दोस्त आपके सामने ही सरलता और सचाई से आपकी कमजोरी के बारे में बताएगा ,लेकिन फ़्रेनेमी उसी कमजोरी को डंके की चोट पर बताएगा जिससे ज्यादा लोगो को उसके दोस्त की कमजोरी के बारे में पता चल सकें और उसकी तुलना में वह फ़्रेनेमी बेहतर दिखे 

दोस्तों आप अपने फ़्रेनेमी को अच्छी तरह पहंचान सकते हो | और सावधान हो सकते हो कहि वही दोस्त आपको दोस्ती की आड़ में मानसिक व शारीरिक रूप से चोट ना पहुंचा दे | दोस्त होकर लोग ऐसा काम क्यों करते हैं ? दोस्तों मेंने  कही पढ़ा था -

 " चार शराबी एक साथ रह सकते हैं ,चल सकते हैं, पर चार विद्धवान एक साथ नही रह सकते | क्यों ? क्यों कि शराबी को तिरस्कार मिलता है गालियां मिलती हैं जिन्हे वो दे सकते हैं | विद्वान् को सम्मान मिलता है और विद्वान सम्मान को बाटना नही चाहता | सम्मान की भूख सभी को होती है इसलिए जिसे नही मिला वो जबरदस्ती लेना चाहता है | जिसके चलते मन मुटाव होता इसलिए एक साथ नही रह सकते| 



 दुसरो के जैसा दिखने या बनने का लालच ही दोस्तों में ईर्ष्या पैदा करता है | जिसकी वजह से वह खुद को कमतर आंकता है | बेहतर दिखने या कहलाने के कारण ही ऐसा करता है | जबकि  कभी भी दुसरो के आदर्श रूप को प्रस्तुत नही करना चाहिए | 

हर एक इंसान को भगवान ने एक अलग हुनर से नवाजा है फिर कोई भी इंसान किसी दूसरे जैसा कैसे बन सकता है ? किसी भी काम को सीख कर या डिग्री लेकर तुम नौकरी पा सकते हो लेकिन सक्सेस तो आपको हुनर से ही मिलेगी | और उस हुनर को देने वाला सिर्फ परमात्मा है | इसलिए जैसे हो वैसे ही खुद को स्वीकार करो खुद से प्रेम करो | जो हुनर परमात्मा ने आपको दिया है उस हुनर को तरासो  |


Monday, June 3, 2019

आपकी सफलता के स्तर को आपके सबसे करीबी लोग तय करते हैं !!!

आपके आसपास लीडर्स रहे यह सुनिश्चित करने की कुंजी यह है कि आप अच्छे से अच्छे लोगो को खोज कर उन्हें अपनी टीम में शामिल करें और फिर उनकी सर्वोच्च क्षमता के अनुसार उन्हें लीडर्स के रूप में तैयार करें | महान लीडर्स ही दूसरे लीडर्स तैयार करते हैं | आपको ये बता दू कि ऐसा क्यों करते हैं-  लीडर के आस पास के लोग ही उसकी  सफलता के स्तर को तय करते हैं |  




इस कथन का नकारत्मक पहलू भी सच है : लीडर के करीबी लोग ही उसकी असफलता के स्तर को भी तय करते हैं | दूसरे शब्दों में " जो लोग मेरे करीब हैं वे या मुझे बना देंगे या मुझे मिटा देंगे "मेरी लीडर शिप का सकारत्मक या नकारात्मक परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि मुझमे अपने सबसे करीबी लोगो को लीडर के रूप में विकसित करने की कितनी योग्यता है | यह मेरे इस मूल्यांकन की योग्यता पर निर्भर करता है कि मेरे संगठन में आने वाले लोग मुझे और मेरे संगठन को क्या दे सकते हैं | मेरा लक्ष्य अनुयायियों की भीड़ इकटठा करना नही है | मेरा लक्ष्य तो ऐसा लीडर्स का विकाश करना है जो बहुत कुछ परिवर्तन कर दे | 

एक पल के लिए रुकें और अपने संगठन में अपने करीबी पॉच छ :लोगो को देखें क्या आप उनका विकाश कर रहे हैं ?उनके लिए आपकी योजना क्या है ? क्या वे विकाश कर रहे हैं ? क्या वे आपका बोझ उठाने में समर्थ हैं ? 





जब भी कोई समस्या सामने आती है यानि संगठन में 'आग' लग जाती है तो लीडर के रूप में आप ही अक्सर सबसे पहले घटना स्थल पर पहुंचते हैं | उस समय आपके हाथ में दो बाल्टीयां होती है | एक में पानी होता है और दूसरे में पैट्रोल अगर आप उस 'आग' में पेट्रोल की बाल्टी डाल दें तो आग और भड़क सकती है और दूसरी और अगर आप उस पर पानी की बाल्टी दाल दें तो वह बुझ सकती है



लीडर का विकाश होगा ,तो संगठन अपने आप विकाश करेगा | कोई भी कंपनी या संगठन तब तक विकाश नही कर सकता तब तक उसके लीडर्स खुद विकाश न करें | लीडर्स खुद में सकारत्मक परिवर्तन कर लेंगे ,तो विकास अपने आप हो जाएगा | 



आम तौर पर लीडर्स दूसरे लीडर्स को विकसित करने में इसलिए असफल होते हैं ,क्युकि या तो उनमे प्रशिक्षण की कमी होती है या फिर दुसरो को अपने साथ जोड़ने और प्रोत्साहित करने के उनके नजरिए दोषपूर्ण होते हैं | अक्सर लीडर्स की मानसिकता अलग होती है कि उन्हें अपने करीबी लोगों के साथ मिलकर काम करने के बजाय उनसे पर्तिस्पर्धा करना है | 


महान लीडर्स की मानसिकता अलग होती है |प्रोफाइल्स इन क्रेज में राष्टपति जॉन एफ.कैनेडी ने लिखा है ," आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका दुसरो के साथ मिलकर आगे बढ़ना है | इस तरह की बात सिर्फ तभी हो सकती है, जब लीडर में परस्पर -निर्भरता का नजरिया हो और वह जीत -जीत वाले संबंधो के लिए समर्पित हो |  


दोस्तों ये समरी जॉन सी मैक्सवेल की लिखी। "अपनी टीम के लीडर्स को विकसित कैसे करें " की है |