Friday, October 30, 2015

दोहरा माप दण्ड क्यों \


              

सुख दुःख जीवन में आते जाते रहते हैं। कभी अधेरा तो कभी उजाला। ये सभी जानते हैं फिर भी हम दोहरे माप  दड क्यों बनाते हैं \ ये हमारा नजरिया है या हमारी फितरत \   


दोहरा माप दड सिर्फ नजरिया का फर्क है %&हम जैसा चश्मा पहने रखते हैं वैसा ही हमें दिखाई देता है मै एनसीआर में रहती हुँ हम लोगो ने पांच साल पहले भागवत करवानी शुरू की और ये काम हम लोगो ने मंदिर पर किया । इसमें और लोग भी हमारे साथ जुड़ गए और ये काम बहुत ही अछी तरह से सम्पन हुआ  हुआ। इससे मेरे ही कई साथियो को जेल्सी हुई इससे मुझ पर तो कोई फर्क नही पड़ा लेकिन उन लोगो ने मुझे ही निकाल  कर अलग समिति बना ली और भागवत करने लगे। हमने जुड़ना चाहा व्  सेवा देनी चाही तो नही ली। तो फिर हमने रामकथा व् उसमे गरीब लड़कियों की शादी करवानी शुरु कर दी । जब भागवत कराई गई तो हमारी तरफ से या किसी और की तरफ से कोई विरोध नही हुआ और हम गए भी और जो सहयोग दे सकते थे वो दिया भी। लेकिन जब हम रामकथा करते है तो उसका कुछ लोग विरोध करते है। ऐसा क्यों \ ये दोहरा माप  दड क्यों \ ये मेरी समझ में आज तक नही आया। क्यु कि भगवान का नाम ये भी था और वो भी ये भी सभी के सहयोग से है और वो भी फिर हमारे और उनके करवाने में फर्क क्या है \ अगर मेरे प्रतिस्पर्धियों में काबिलियत है तो कुछ करके दिखाए हमारे काम में रुकावट पैदा करने की क्या जरूरत पड़।   

बिना जाने किसी भी कार्य में हस्तछेप क्यों करते हो \ देखो दोस्तों जब भी कोई नए काम की सरुआत होती है तो उस काम में पहले ही हेल्प की जरूरत होती है चाहे मोरल हो फाइनेन्सल  हो या फिजिकली हो। लेकिन हेल्प की बजाए हस्तछेप  होता है ऐसा क्यों \ अगर हेल्प पचास से मांगो तो एक से मिलनी मुस्किल है।और हस्तछेप बिना जाने करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसा क्यों \ अरे भाई करनी है तो हेल्प  करो वरना पीछे हटो। टेंसन क्यू क्रेट करते हो \ बिना वजह की एडवाइज क्यों देते हो \ जो एडवाइज लाइक लगेगा उससे एडवाइज ले ली जाएगी और इंटरफेयर की तो कोई जरूरत ही नही है। aअगर इंटर फेयर ना हो तो अपने अनुभव के आघार पर अपने काम को लेकर स्वतत्र सोच विकसित होने का मौका मिलता है। 


इंसान सहज जीवन क्यों नही जीता \ अपने घर में ही  पति पत्नी के रिश्ते को देख लो देख लो! पति को कभी किसी काम के लिए जस्टिफेक्सन नही देना पड़ेगा और पत्नी को सिमित आजादी मिलती है। उन्हें अपने हर शोक या काम के लिए पति के सामने  अपनी योगयता साबित करनी पड़ती है। लाइफ में कई बार तो ऐसे मौके  आते हैं कि जब हमे कई बातो को नजर अंदाज करना पड़ता है। और ऐसी हालत में घुटन व् निराशा होती है कि जो स्त्री  परिवार समाज की हर जिमेदारी ईमानदारी से निभाती है जो परिवार की रीढ़ है उसी के लिए दोहरा माप  दड क्यों \ सबसे पहले तो माँ बाप को ही समझना होगा कि बेटा बेटी में भेदभाव न करें ।  
            

कांफिडेंस की कमी व् माहोल से सह मिलना %&साफ्टवियर रीना मल्होत्रा का कहना है कि  जहां आत्मविस्वास की कमी होती है ऐसी स्थति में आप खुद  के साथ इंसाफ करने की बजाए दुसरो की आलोचनाओ में लिप्त हो जाते है । दोहरे मानको  से आपको आत्मस्तुस्टी नही मिल सकती । बेहतर होगा की आप सकारत्मक  सोच बनाने में व्यक्तित्व को निखारने में और आत्मविस्वास बढ़ाने का प्रयास करें। देखो थोड़ा बहुत तो हर इंसान स्वार्थी होता है लेकिन जब अपने चारो तरफ देखता है कि सामने वाला खुद गलत है और मुझे झुकाने की कोशिस कर रहा है। तो विचारो में स्क्रीनता आती ही है । सही इंसान को अगर गलत बातो पर झुकना पड़े या झुकाने की कोसिश की जाएं  तो उसमे आत्मग्लानि आएगी ही क्यों की कोई भी सच्चा इंसान गलत बातो के आगे  झुकना नही चाहेगा ।   
  
दुसरो के विचारो को सम्मान दें :- कई लोग जबर्दस्ती अपने विचारो को सामने वालो पर थोपते हैं । ये जानते हुए कि ये गलत है ये जरूरी तो नही है कि  जिसे  हम सही मानते हो वह और लोगो को भी सही लगे । हर इंसान का एक अलग नजरिया होता है । इसलिए दुसरो  के  विचारो को सुनो उनका  सम्मान करो और जो सही लगे उसे मानो  जब हम किसी के विचारो  को आदर देते हैं  तो इससे हमारे अंदर  उदारता विकसित होती है । और यह  उदारता है  कि जो समाज में परिवर्तन हो रहे हैं  उन्हें समाज की जरूरत मानकर उन्हें स्वीकार करें दुसरो की जीवन सैली व् संस्कृति का सम्मान करें ।    

खुद को अत्यधिक  प्रथमिकता ना दें :- हर इंसान चाहता है कि मेरे साथ सब उदार व् मधुर वयवहार करें, रिस्पेक्ट करें और मेरे कहे अनुसार चलें मुझे समझें । परन्तु हम ये भुल जाते हैं कि दूसरे लोग भी हमसे यही उम्मीद करते हैं। हम अपनी खुशियों  व् अपनी परेशानियों को अधिक  महत्व देते हैं।  यही से शुरू होती  है गड़बड़ी जब हम दुसरो  की ना  खुशी का ध्यान रखते हैं और ना परेशानियों का ऎसे वयवहार और दोहरे रवैया से हमारा मन और माहौल अशांत हो जाता  है । तो आप ही बताये की ऐसे हालातो में  तरक्की व् विकाश कैसे संभव है। कही न कही प्रॉब्लम हमारी इगो से शुरू होती है हम झुकना ही भूल चुके हैं। हमारा ईगो हमारी प्राथमिकताओ पर ध्यान नही टिकने देता । 80 % से लेकर 95 % लोगो का चिंतन व्यर्थ  का चल रहा होता है और जिन लोगो का चिंतन सही पटरी पर होता है वो जीवन में कुछ कर लेते हैं । 



अगर आप लाइफ में कोई बड़ा काम करते हो तो समस्याएं तो आएगी और जितना बड़ा काम होगा उतनी ही बड़ी समस्या आएगी :- अगर आप लाइफ में सफल होना चाहते हो तो सम्भावनाओ को देखो । मुसिक्लो  आलोचनाओ और विरोधो की परवाह करनी छोड़ दो। आप का फॉक्स सिर्फ अपने लक्ष्य् पर होना चाहिए । सफलता इतफ़ाक से नही मिलती ये कुछ बुनयादी असूलों  को जीवन में उतरने से मिलती है। जीवन में ये मायने नही रखता की आप के साथ क्या हुआ। ये मायने रखता है  की आप उस समस्या को समाधान  निकलते हो या उस के आगे घुटने टेक देते हो। 














 

Saturday, October 24, 2015

मांगते क्यों हो , जिंदगी में देना सीखो !!!

                                                                 

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जीवन की सबसे सुखद अनुभूति देने में है।  दुनिया  महात्मा गांधी मदरटरेसा , ए  पी  जे अब्दुल कलाम जैसे देश को कुछ  देने वालो को याद करती है। ना की लेने वालो को  कुछ देने वाले ही समाज को कुछ देकर जाते हैं , जिस से समाज व दुनिया का कुछ भला होता है।  जब हम किसी को निस्वार्थ कुछ देते हैं  या मद्त करते हैं, तो  लेने वाले का  ह्रदय प्रसन्न होता है और वह उसे अंतिरक करण से उसे दुआ देता है । और जो दुआ उसे मिलती है वो उसे यश्स्वी बना देती है।  देने  का मतलब सिर्फ ये नही है की आप किसी की रूपये पैसे से ही मद्त करें। जिसे फाइनेंसियल स्पॉट की जरूरत है तो  करें  जिसे मॉरल स्पॉट की जरूरत है उसे मोरल स्पॉट करें और जिसे फिजिकली  हेल्प चहिए उसे फिजिकली हेल्प करें। देनें का सबसे बड़ा महत्व तो ये है कि जब हम किसी और की मदद करते हैं तो उस से पहले खुद की मद्त हो जाती है।  लेकिन किसी की मदद करते हुए ये जरूर सोचें कि  ये मदद आप क्यों कर रहे हो। मद्त सिर्फ इंसानियत के नाते करें इसे किसी लालच वस या अहसान जताने के लिए ना करें। वरना आप दोस्त से ज्यादा दुश्मन बन जाओगे। एक बात का धयान रहे कि एक हाथ से मदद करते हो तो दूसरे को पता भी नही लगना  चाहिए। वरना आप किसी की मदद कम करोगे और उसे कह अधिक दोगे। और आप का दूसरे लोगो से कहना ही मदद लेने वाले इंसान को अछा नही लगेगा। 

मै आपको अपने एक दोस्त की  आप बीती सुनती हू  मेरे दोस्त ने एक कंपनी डाली । उसे हेल्प की जरूरत थी उसने वो हेल्प अपने किसी बेस्ट फ्रेंड  से ली।  कुछ साल बाद उन दोनों के बीच में किसी तीसरे इंसान की वजह से कुछ दूरिया आ गईं ।  उसने सबके सामने  उसे नीचा दिखाना शुरू कर दिया और लोगो से बोलना शुरु किया  कि हमने इसे बसाया है, हमारे बिना ये कुछ नही कर सकता था।  इस बात से उसे  इतना दुःख हुआ की  वह यही सोचता की इससे अछा था की में उसकी मदद ना लेता  हमेशा उस दिन को कोसता है कि मैने उससे हेल्प क्यों ली  ?ऐसा तो नही था की उसके बिना वो काम न होता। उसने करके, सबसे कहकर कर, करे  कराए पर पानी फेर दिया। जबकि  मेरा   दोस्त उसका  दिल से अहसान मानता था।  और आपस में कोई बात भी नही थी लेकिन उसने  अहसान जता कर  अपनी सारी वेलू खत्म कर दी और कही न कही दोस्ती मे खटास आ गईं । और वह खुद को साबित करने के लिए  वह मदद करने वालो को इग्नोर करके खुद अपना रास्ता चुन कर आगे बढ़ गया । आज उन्हें लगता है कि वो उन्हें अहमियत नही देता ।  इस लिए कहते कि नेकी कर दरया मे फेंक।  अगर आप किसी की हेल्प करते हो तो  उसे बार  बार मत दोहराओ  । 

समाज के लिए तभी कुछ किया जा सकता है जब हमारी सोच  पॉजिटिव होगी :- जब इंसान की सोच पॉजिटिव होती है तभी वह किसी को कुछ देने की सोचता है । और पॉजिटिव सोच में ही ये आता है की हर इंसान को बराबरी का अधिकार मिले । इस अधिकार में सबसे पहले आती हैं  महिलाएं । समाज के निर्माण में महिलाएं कधे से कधा मिलकर पुरषो   के साथ हर काम में  सहयोग दे रही हैं । घर हो आफिस या राजनीती वे हर जगह अपना कर्तव्य निभा रही हैं । सरकार की तरफ से तो बराबरी का दर्जा मिला है  लेकिन   घर में  अभी भी सोच छोटी ही हो जाती है । जेंट्स आफिस से आते ही सोफे पर लेटकर आराम से टी वी देखते हैं और लेडीज़ किचन व् घर की जिम्मेदारियां संभालती हैं । अगर माँ बेटी के साथ साथ बेटे से भी थोड़ी बहुत काम में मदद ले और बहन बेटियों की  वेलु समझाए तो महिलाएं कमजोर नही सस्कत बन कर जी सकती हैं  । इंद्रागाँधी प्रतिभा पाटिल कल्पनाचावला की तरह से  समाज के लिए योगदान  कर सकती हैं । इनकी योग्यता निखारने के लिए सिर्फ आपके स्पॉट की जरूरत है । अगर इन्हे घर में सहयोग मिले तो हो सकता है की आप की माँ बहन  बीबी या बेटी की योग्यता आप से भी अधिक हो एक बार बराबरी का मौका देकर तो देखें । 

हमारे कार्य से अगर एक इंसान को भी फायदा होता है तो वो कार्य हमे जरूर करना चाहिए :- आज का इंसान इतना सेलफिश हो चुका है कि सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचता है वह जो भी कार्य करता है वह उन्हें खुश करने के लिए करता है  जिनसे उसे फायदा हो । लेकिन महान लोग वो होते है जो गरीब लाचार लोगो के लिए कुछ करते हो । जब आप गरीब व् लाचार लोगो के लिए कुछ करते हो तो इससे  आप को आत्मस्तुस्टी मिलेगी जिससे आप जीवन में सदा खुश रहोगे । एक 

चीनी कहावत है की अगर आप कुछ घंटो की शांति चाहते हो तो एक झपकी लेलो और अगर एक सपताह की शांति चाहिए तो पिकनिक पर चले जाए और अगर उम्र भर कुछ रहना चाहते हो तो किसी अनजान जरूरत मद की मदद कर दो ।
 एक कबीर जी का दोहा है 

    ,, जब हम जगत में जगत में जगत हँसा हम रोये, ऐसी करनी कर चलो हम हँसे जग रोए ,, 

और विन्सेंट ने कहा है की जो लोग खुद के लिए जीते है वे ही असफल हैं ।