Saturday, October 24, 2015

मांगते क्यों हो , जिंदगी में देना सीखो !!!

                                                                 

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जीवन की सबसे सुखद अनुभूति देने में है।  दुनिया  महात्मा गांधी मदरटरेसा , ए  पी  जे अब्दुल कलाम जैसे देश को कुछ  देने वालो को याद करती है। ना की लेने वालो को  कुछ देने वाले ही समाज को कुछ देकर जाते हैं , जिस से समाज व दुनिया का कुछ भला होता है।  जब हम किसी को निस्वार्थ कुछ देते हैं  या मद्त करते हैं, तो  लेने वाले का  ह्रदय प्रसन्न होता है और वह उसे अंतिरक करण से उसे दुआ देता है । और जो दुआ उसे मिलती है वो उसे यश्स्वी बना देती है।  देने  का मतलब सिर्फ ये नही है की आप किसी की रूपये पैसे से ही मद्त करें। जिसे फाइनेंसियल स्पॉट की जरूरत है तो  करें  जिसे मॉरल स्पॉट की जरूरत है उसे मोरल स्पॉट करें और जिसे फिजिकली  हेल्प चहिए उसे फिजिकली हेल्प करें। देनें का सबसे बड़ा महत्व तो ये है कि जब हम किसी और की मदद करते हैं तो उस से पहले खुद की मद्त हो जाती है।  लेकिन किसी की मदद करते हुए ये जरूर सोचें कि  ये मदद आप क्यों कर रहे हो। मद्त सिर्फ इंसानियत के नाते करें इसे किसी लालच वस या अहसान जताने के लिए ना करें। वरना आप दोस्त से ज्यादा दुश्मन बन जाओगे। एक बात का धयान रहे कि एक हाथ से मदद करते हो तो दूसरे को पता भी नही लगना  चाहिए। वरना आप किसी की मदद कम करोगे और उसे कह अधिक दोगे। और आप का दूसरे लोगो से कहना ही मदद लेने वाले इंसान को अछा नही लगेगा। 

मै आपको अपने एक दोस्त की  आप बीती सुनती हू  मेरे दोस्त ने एक कंपनी डाली । उसे हेल्प की जरूरत थी उसने वो हेल्प अपने किसी बेस्ट फ्रेंड  से ली।  कुछ साल बाद उन दोनों के बीच में किसी तीसरे इंसान की वजह से कुछ दूरिया आ गईं ।  उसने सबके सामने  उसे नीचा दिखाना शुरू कर दिया और लोगो से बोलना शुरु किया  कि हमने इसे बसाया है, हमारे बिना ये कुछ नही कर सकता था।  इस बात से उसे  इतना दुःख हुआ की  वह यही सोचता की इससे अछा था की में उसकी मदद ना लेता  हमेशा उस दिन को कोसता है कि मैने उससे हेल्प क्यों ली  ?ऐसा तो नही था की उसके बिना वो काम न होता। उसने करके, सबसे कहकर कर, करे  कराए पर पानी फेर दिया। जबकि  मेरा   दोस्त उसका  दिल से अहसान मानता था।  और आपस में कोई बात भी नही थी लेकिन उसने  अहसान जता कर  अपनी सारी वेलू खत्म कर दी और कही न कही दोस्ती मे खटास आ गईं । और वह खुद को साबित करने के लिए  वह मदद करने वालो को इग्नोर करके खुद अपना रास्ता चुन कर आगे बढ़ गया । आज उन्हें लगता है कि वो उन्हें अहमियत नही देता ।  इस लिए कहते कि नेकी कर दरया मे फेंक।  अगर आप किसी की हेल्प करते हो तो  उसे बार  बार मत दोहराओ  । 

समाज के लिए तभी कुछ किया जा सकता है जब हमारी सोच  पॉजिटिव होगी :- जब इंसान की सोच पॉजिटिव होती है तभी वह किसी को कुछ देने की सोचता है । और पॉजिटिव सोच में ही ये आता है की हर इंसान को बराबरी का अधिकार मिले । इस अधिकार में सबसे पहले आती हैं  महिलाएं । समाज के निर्माण में महिलाएं कधे से कधा मिलकर पुरषो   के साथ हर काम में  सहयोग दे रही हैं । घर हो आफिस या राजनीती वे हर जगह अपना कर्तव्य निभा रही हैं । सरकार की तरफ से तो बराबरी का दर्जा मिला है  लेकिन   घर में  अभी भी सोच छोटी ही हो जाती है । जेंट्स आफिस से आते ही सोफे पर लेटकर आराम से टी वी देखते हैं और लेडीज़ किचन व् घर की जिम्मेदारियां संभालती हैं । अगर माँ बेटी के साथ साथ बेटे से भी थोड़ी बहुत काम में मदद ले और बहन बेटियों की  वेलु समझाए तो महिलाएं कमजोर नही सस्कत बन कर जी सकती हैं  । इंद्रागाँधी प्रतिभा पाटिल कल्पनाचावला की तरह से  समाज के लिए योगदान  कर सकती हैं । इनकी योग्यता निखारने के लिए सिर्फ आपके स्पॉट की जरूरत है । अगर इन्हे घर में सहयोग मिले तो हो सकता है की आप की माँ बहन  बीबी या बेटी की योग्यता आप से भी अधिक हो एक बार बराबरी का मौका देकर तो देखें । 

हमारे कार्य से अगर एक इंसान को भी फायदा होता है तो वो कार्य हमे जरूर करना चाहिए :- आज का इंसान इतना सेलफिश हो चुका है कि सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचता है वह जो भी कार्य करता है वह उन्हें खुश करने के लिए करता है  जिनसे उसे फायदा हो । लेकिन महान लोग वो होते है जो गरीब लाचार लोगो के लिए कुछ करते हो । जब आप गरीब व् लाचार लोगो के लिए कुछ करते हो तो इससे  आप को आत्मस्तुस्टी मिलेगी जिससे आप जीवन में सदा खुश रहोगे । एक 

चीनी कहावत है की अगर आप कुछ घंटो की शांति चाहते हो तो एक झपकी लेलो और अगर एक सपताह की शांति चाहिए तो पिकनिक पर चले जाए और अगर उम्र भर कुछ रहना चाहते हो तो किसी अनजान जरूरत मद की मदद कर दो ।
 एक कबीर जी का दोहा है 

    ,, जब हम जगत में जगत में जगत हँसा हम रोये, ऐसी करनी कर चलो हम हँसे जग रोए ,, 

और विन्सेंट ने कहा है की जो लोग खुद के लिए जीते है वे ही असफल हैं । 
                                                                                                                                                                                           







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