Monday, October 12, 2015

हंकार छोड़े] अहंकार इंसान की सफलता की राह का सबसे बड़ा रोड़ा हैं

अहंकार छोड़े] अहंकार इंसान की सफलता की राह का सबसे बड़ा रोड़ा हैं  
   
अहंकार मनुषय को मिथ्या ज्ञान घमंड और बड़ा ताकतवर समझ कर झुट्टा व् दम्भी बना देता हैं। अहंकार इंसान को अँधेरे की तरफ धकेलता हैं। ये मानव समाज व् देश का घातक  हैं ये मनुष्य का स्वयं पैदा किया गया मनो रोग हैं। जैसे और रोग मनुष्य की प्रक्रिया को ख़राब कर देते  हैं ऐसे ही ये  मनोरोग मानसिक प्रक्रिया को बिगड़ कर रख देते हैं जब इंसान को अहंकार  रूपी मनोरोग पैदा होता है तो इंसान विवेक  हीन हो जाता हैं  और विवेक हीन  इंसान हाथी की तरह मदन्त हो जाता हैं अहंकार मनुष्य का प्राकृतिक गुण नही हैं ये इंसान अपने गलत खयालो की वजह से पैदा करता है। कहते है की सांप बिछु शेर जैसे खतर्नाक जानवर पलो लेकिन अपने मन में अहंकार मत पलने दो  इनसे तो रक्षा हो सकती हैं लेकिन अहंकार से रक्षा नहीं हो सकती।         

अभिअभिमान किन लोगो को होता है :-
           जिन  लोगो को अपनी सोच      

     और इच्छा से कुछ ज़्यादा मिल जाये उन्ही  लोगो को ही घमंड होता है। जैसे  

     कि रावण  का   ही उद्धरण ले लो वो एक ब्राह्मण पुत्र था लेकिन उसने शंकर 

जी से सोने की लंका मांगी और वो मिल गयी तो उसकी वैल्यू से बोहत  ज़्यादा


     था. जो आपको मिल रहा है उस से संतुष्ट होना  अच्छी बात लेकिन  उसका 


     घमंड होना गलत है। संतो का कहना है की जो इंसान अंदर  खाली होता है.


      इस खालीपन को भरने के लिए कभी काम के  माध्यम से तो कभी क्रोध के 


     व् कभी लोभ क माध्यम से अपने गलत अभिमान को प्रदर्शित कर दूसरो के 

    
     बीच अपनी स्वीकृति चाहता है इसका  मतलब है जो आपके पास  नहीं है  

      वैसा होने का आचरण करना। फलो से लधि डाली झुक्की  रहती है लेकिन
    सुखी डाली तन्नी  रहती है। इस सुखी डाली को  भी फल होने का गौरव चाहिए।     
जब की अहंकारी मनुष्य अंदर और बहार दोनों से खाली होता है और वो दुनिया को अपने आपको  भर पूर  दिखाने  की कोशिश करता है। वो ऐसा आचरण करता है की लोग उसे वास्तविक समझे। मनोविज्ञानिक की माने तो यदि व्यक्ति अपनी  आपको  को सफाई दे तो वह निश्चित ही बड़ा नहीं हैं   
  
अहंकार एक ऐसा नशा है।जिसका पता ही नही चलता की यह कब सर चढ़ कर बोलना शुरू कर दें-%&

नशीले पदार्थो का नशा तो कुछ घंटो में उत्तर जाता है। लेकिन अहंकार का नशा तो सब कछ बर्बाद करके ही उतरता है। आपने नारद जी की कथा सुनी होगी अहंकार वष भगवन को भी शऱाप  दे दिया था।   इसने राजा महाराजा तो  चले क्या एक आम इंसान को भी नहीं छोड़ा जिसकी खुद की कोई  पावर नहीं हैं।  असल में अहंकार एक  है जो इंसान क दिल में चुपके से घुस जाता है और सब कछ  चलता बनता है।  इसके आने का पता चलता है तब तक बोहत देर हो चुकी होती है। फिर उसके पास पछताने क सिवाए कुछ भी  नहीं रहता। आज  रिश्तो में तनाव क्यों है।  समाज में तनाव क्यों है।  दो देशो  के बीच में तनाव क्यों है।  सिर्फ अहंकार की वजह से अहंकार में इंसान भूल जाता है की उसकी अपनी कोई पावर नहीं है जिसके बल पर वह कूद रहा है। वह तो सिर्फ उस परमात्मा की ही सत्ता है जिसके कारन आपका अस्तित्व है। 
अभिमान के नुक्सान क्या +२ है %&अहंकार बुद्धि के लिए विष  का काम करता है। वह गलती और अपराध कराता  है अहंकारी व्यक्ति दूसरो से सर्फ ले सकता है किसी को कुछ दे नहीं सकता। अहंकार की वजह से ही कलह पनपती है। इसका सबसे बड़ा नुक्सान तो ये है की ये अपनों से दूर कर  देता है। ये खुद के लिए और दूसरो के लिए सर्फ चिंता क्रिएट करता है। 
जिन्होंने अहंकार किया मिट गए उनके वंश।  तीन कुल जान लो रावण कोरव कंश। 
                & आचार्य हरिदेव भूषण 

अभिमान इंसान को कभी भी ऊपर नही उठने देता  बल्कि नीचे ही गिराता है। अहंकार हमारे दुश्मनो को बढ़ता है और जिंदगी में  देता है। अभिमानी इंसान भीड़ में होते हुए भी अकेला ही रहता है। 

अहंकार रिश्तो में दरार डालता सकता है%&रिश्तो में अहंकार के लिए कोई जगह नहीं है। ये नहीं है की  आप सबकी सुनते रहो लेकिन बोलने  पहले ये ज़रूर सोचो की किसी के स्वाभिमान को तो ठेस नई पोहचा रहे। बोलने से पहले ये ज़रूर सोचे की ज़्यादा तर रिश्ते इसी कारन से टूट ते है।  अहंकार वष  इंसान सामने वाले  के अस्तित्व  नकारने लगता है तो सामने वाला चाह  कर भी प्रायोरिटी नहीं दे पाता। जिसकी वजह से रिश्ते कमजोर हो जाते है।   
    
अहंकार से कैसे बचें%&अगर परमात्मा ने आपको सब कछ दे भी दिया है तो उस से आप घमंडी ना बनें। आपने देखा होगा कि  आपसे अधिक बुद्धिमान पढ़े लिखे और योग्य इंसान असफल हैं।अगर आप सक्सेसफुल है तो सर्फ अपनी वजह से नही है बल्कि अपने माँ बाप गुरु और दोस्तों की वजह से है।   
स्वयं को बदले दुनिया बदल जाएगी:- आज हर इंसान में ईगो प्रॉब्लम है। इसी वजह से इंसान और इंसानियत के बीच गहरी खाई बानी हुई है। अधिकतर लोग भट ज़्यादा बोलते है  लेकिन खुद से कभी बात ही नहीं करते। 

स्वाभमानी  बनें  अभिमानी  नही :-स्वाभिमान व् अभिमान मिलते झूलते शब्द है लेकिन इनके अर्थ बिलकुल अलग है। स्वाभिमान शब्द आत्म गौरव और सम्मान का प्रतीक है। ये हमारे विश्वास को बढ़ाता है। 

योग्यता इंसान के अपने जीवन के लिए उपयोगी है। झुटे प्रदर्सन के लिए नही %&रामायण में तुलसी दास जी कहते है कि  
सुर समर करनी कहि न जनावहि आपू। विद्धमान रन पाई रिपु कायर कथहि प्रतापु।  
    
तुलसी दास जी कहते है कि इंसान को अपने कर्म पर विस्वास करना चाहिए।  ये नही जताना चाहिए कि वह बहुत काबिल है। जब इंसान के मन में ये आने लगता है तब उसके इस अंहकार कार से उसका ध्यान कर्म से हटने लगता है। अपनी काबिलियत की डींग हांकने इंसान दरसल काबिल नही होता।  अपनी काबिलियत दिखनी है तो अपने काम से दिखनी चाहिए बातों से नही।    
            

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