Monday, December 28, 2015

सीखें जीवन जीने की कला

                                   
                                                                

जीवन को ऊचा उठाना बेहतर से बेहतर बनाना ही मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए । जो जीवन जीने की कला जानते हैं वो लोग ही जीवन का आनद ले पाते हैं । जीवन जीने की कला ही इंसान को सही मायने में जीने योग्य बनाती है। और ये कला इंसान सीखता है अपनी विवेक बुद्धि से । सत्य ईमानदारी निष्ठा और प्रेम से  ही इंसान सुखी रह सकता है। इसी से घर समाज और देश मे शांति रह  सकती है । जो व्यक्ति अपने कर्तव्य का निर्वाह करे जिसका आचरण पवित्र हो ,जो जीवन को सुखी और नैतिक बनाए और दुसरो के अवगुणो को नजर अंदाज करके सकारात्म चिंतन करे ये  ही सर्वश्रेठ गुण है । किसी को दुख देकर आप सुखी नही हो सकते । बदले की भावना इंसान को हिंसक बना देती है | दुसरो के गुणों को देख कर उन्हें जीवन में उतारना कष्ट के लिए क्षमा करना और कृपा के लिए शुक्रगुजार होना ही जीवन जीने की कला है।किसी को जरूरत पड़ने पर सहयोग करना ही मानव धर्म है। कोई महान नही होता। महान बनाती हैं इंसान की मनोस्थिति उसके हालत। और प्रभु की कृपा जिसे  उसे श्रेय देना होता है वही  महान बन  जाता है ।  

  
हमेशा एक जैसे दिन नही रहते:- कहते हैं कि  "सदा न बुलबुल बाग में सदा ना बाग बहार " जैसे  की दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता ही है उसी तरह असफलता के बाद सफलता भी मिलती ही है । इसलिए सफल होने पर घमंडी और असफल होने पर दुखी होने की जरूरत नही है । वैसे भी सफलता हमे विरासत में मिली हुई जागीर नही है जो ना मिलने पर हम दुखी हो। कोई बात नही अब नही तो दुबारा सही । चाहे इंसान कितना ही कामयाब क्यों ना हो, उसके जीवन में उतार चढ़ाव लगा ही रहता है। क्या हम सफलता और विफलता जैसी दोनों ही परिस्थतियों को एक समान भाव से स्वीकार कर सकते हैं ? क्या हम  अपने अंतर्मन में चल रही  हलचल को बदल सकते हैं ? इससे बदलने के लिए क्या रणनीति बना सकते हैं ? चलो  कुछ कोशिस करते हैं ।   

किसी भी प्रश्न का  सही उत्तर  हमे तभी मिल सकता है जब हम अपने मन में चल रही हल चल को किनारे रख कर हमारा अंतर्मन क्या चाहता है उसे समझने की कोशिश करें :-   क्या हम अलग तरीके  से सोच सकते हैं ? ये जानने के लिए कि हमारा अंतर्मन क्या कह रहा है ? हमे बाहरी रुकावटों को हटाना  होगा । हमे पर्सनल सोच से उपर उठना होगा तभी हम हकीकत की तह तक पहुंच पाएंगे। हमारा अंतर्मन क्या चाहता है इसके लिए सब से पहले अपने मन पर जमी धूल को हटाना होगा और वो हम तब कर सकते है जब हमारी ग़हरी रूचि हो । उसके लिए खुद को समझने की आवश्यकता होती है । तब जाकर सही और गलत का निर्णय कर पाते हैं । वरना हम छोटी छोटी बातो में उलझकर रह जाते हैं। और अपनी मजिल से भटक जाते हैं । 

आत्मविश्वास ना डगमगाए :-  किसी भी फिल्ड की कामयाबी में आत्मविश्वास पहली सीढ़ी है । खुद पर भी और साथियों पर भी।  अगर आप को खुद पर ही विश्वास नही है तो आप औरो से ये उम्मीद  कैसे कर सकते हो? कि और लोग आप पर विश्वास करें ? जब आप को खुद पर भरोसा होगा तभी आप पर और लोग विश्वास कर पाएंगे । वरना आप पर कोई भी भरोसा नही कर पाएगा ।   

नाकामयाबी से ना घबराएं :-  जीवन में सफलता और विफलता तो लगी ही रहती है । हाँ ये कम जयादा हो सकती हैं जहां विफलता इंसान के अंतर्मन को तोड़ देती है वही सफलता इंसान के मनोबल को बड़ा देती है। अगर आप का मनोबल टूटता हुआ नजर आ रहा है तो अपनी पुरानी उपलब्धियों  को याद करें और  महान लोगो की जीवनी पढ़े इससे आप को प्रेरणा मिलेगी और आप को पता चलेगा की कोई भी उपलब्धि  आसानी से नही मिली है। महान लोगो को तमाम तरह के उतार  - चढाव से गुजरना पड़ा है । तब जाकर महानता का मुकाम पाया है।   

सशक्त बनें सशक्त बनने के बाद ही आप दुसरो के लिए कुछ कर सकते हो :-धर्म ग्रंथो में अाया है की मनुष्य को स्वय निरक्षण करना चाहिए कि वो  सद मार्ग पर चल रहा है या नही । गीता में भी लिखा है कि मनुष्य स्वय को देखे और स्वय का उद्धार करे । क्योकि मनुष्य स्वय ही अपना मित्र और दुश्मन है । स्वय में संतुष्ट हुए बिना मनुष्य ना तो उदार हो सकता और न नही किसी और के लिए कुछ कर सकता  मौजूदा हाल में यही बात अनिवार्य है कि इंसान स्वय में तृप्त कैसे हो ? मनुष्य जब स्वय तृप्त होगा  तभी वह खुश रह सकेगा । और ये तभी हो सकता है जब सोच सकारात्मक हो। सकारात्मक सोच से ही इंसान आशावादी बनता है। आशावादी सोच से मन एकाग्र होता है और एकाग्र मन से उचित लक्ष्य को पा  सकता  है सकारात्मक सोच से मन तृप्त हो जाता है । और स्वय तृप्त इंसान ही  महान तपस्वी दूरदर्शी  और बुद्धिमान बनता हैं । इसलिए स्वय कल्याण से ही इंसान परिवार समाज  व देश का कल्याण कर सकता है ।    





Friday, December 25, 2015

अनुशासन के बिना सफलता असंभव है

                                         

सहायता के बिना मानव जीवन मे सफलता मिलनी नामुमकिन है। जीवन मे सुख शांति व  समृद्धि पाने के लिए कुछ  नियम बनाए गए हैं । इन नियमों को ही अनुशासन कहते हैं । या बनाये गये नियमो के अनुसार नियमित काम करना ही अनुशासित रहना है। अनुशासन किसी भी फिल्ड में कामयाबी पाने के लिए अनिवार्य है। दरसल  अनुशासन के नियम को समझे बिना, उसका पालन किए बिना हम जिंदगी को नही समझ सकते ।अनुशासित रहने वाला इंसान कम बुद्धि होने पर भी कामयाब  हो जाता है और अनुशासन  हीन  व्यक्ति सामर्थ्य वान होते हुए भी असफल हो जाता है।  किसी ने सही कहा है कि अनुशासन सफलता की कुंजी है। अनुशासन एक ऐसा गुण है जिस की आवश्यकता हर फिल्ड में होती है। कहते हैं कि अनुशासन से ही इंसान एक अच्छा व्यक्ति और आदर्श नागरिक बन सकता है। जो इंसान अनुशासन में रहते हुए, नफा नुकसान के बारे मे विचार करते हुए कर्म करता है, वही वांछित मजिल हासिल कर सकता है। अनुशासन में रहना ही जिंदगी में आगे बढ़ने का बेहतरीन फार्मूला है। जिस पर अमल करके आप बड़ी से बड़ी सफलता हासिल कर सकते हो। अनुशासन से ही  व्यक्ति में धैर्य व समझदारी आती है और सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। अनुशासन में रहने वाला इंसान ही अपने लिए सुखद व उज्वल भविष्य का निर्माण कर सकता है। अनुशासन से ही सफलता की सीढ़ी चढ़ा जा सकता है। व्यक्ति का अनुशास्ति रहना और सभी कार्य को व्यवस्थित रूप से करना आवश्यक है। अनुशासन चंचल मन को स्थिर करता है । और स्थिरता से जीवन के सघर्ष में द्रढता से आगे बढ़ने मे मदद मिलती है । अनुशासन वही है जो हमारी दूषित सोच और अपने लालच मे दुसरो को हानि पहुचाने वाली फ़िक़रत से बचें । 
जो लोग अपनी गलत फ़िक़रत को नही बदलते चाहे वो कितनी ही पूजा पाठ करे जाएं, उसका उन्हें कोई फल नही मिल सकता । शास्त्रो मे भी आया कि एक झूठ से  कई दिन की  पूजा का फल नष्ट हो जाता है जैसे कि पकी सरसों की खेती को थोड़े से ओलो की बौछार नष्ट कर देती है। इसी तरह एक गलत आदत आपको बर्बाद कर देती है । चोरी जारी झूट और तिगड़म बाजी की उम्र लंबी नही होती इन चीजो को आप लाख कोशिस करके भी दुनिया से नही छिपा सकते। इसकी सजा खुद को भोगनी ही पड़ती है। अनुशासन हीन व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाता है। अनुशासन हीनता इंसान को असफलता की तरफ धकेलती है। अनुशासन हीन व्यक्ति अपने व अपने परिवार वालो के लिए परेशानियों को आंमत्रित करता है। अनुशासन हीन व दुराचारी इंसान को एक दिन सबके सामने अपमानित होना पड़ता है। अपमानित होने पर लोग भवगवान  को व समय  और  साथियों को  कोसने लगते हैं। जब की हम सुखी होते हैं सकरात्मक कार्य शैली से, और दुखी होते हैं नकरात्मक कार्य शैली से । दुनिया की कोई ऐसी ताकत नही है की वो हमे दुखी या असफल कर सके।  हम जो भी हैं सिर्फ अपने कार्य शैली  से हैं ।समय और प्रकृति सब नियम से ही व्यवस्तिथ  हैं अगर एक मिनट का भी अंतर आ जाए तो सब तहस नहस हो जायेगा । लेकिन दुःख की बात है कि समाज में चारो तरफ अनुशासन हीनता फैली हुई है। जिसकी वजह से समाज मे प्रगति व विकाश अच्छी तरह से नही हो पा रहा है जब प्रगति व विकाश ही सही तरीके से नही होगा तो हमारे देश की क्या स्थिति  होगी ? देश का भविष्य  क्या होगा ?           
  
आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं अगर इनमे अनुशासन की कमी रही तो कल देश का भविष्य क्या होगा ? इसलिए बच्चो के जीवन में अनुशासन अनिवार्य है। बच्चो को बच्पन से ही अनुशसान सिखाना चाहिए। बचपन मे अनुशासन सिखाना अभिभावकों का काम है और स्कुल में शिक्षकों की जिम्मेदारी है। जो बच्चे सुशिक्षित अभिभावक और सुयोग्य व अनुशासित शिक्षक से शिक्षा लेते हैं वे शुद्ध आचरण वाले बनते हैं और उनके शरीर और मष्तिक का पूर्ण रूप से विकाश होता है । कई घरो में देखा गया है कि माता पिता अपने निजी स्वार्थ वश झूट का सहारा लेते हैं। इससे घर में बच्चे मना करने के बाबजूद उन्हीं तौर तरीको को सीख लेते हैं ।      

Thursday, December 17, 2015

अभिभवक संभाले जिम्मेदारियां

                             
                                                  
बच्चे बच्चे कच्ची मिटटी की तरह होते हैं उन्हें जिस तरह ढ़ालोगे वो उसी तरह ढल जाएंगे । इन का भविष्य बनाना और बिगाड़ना आपके हाथ में हैं। इन्हें अच्छे संस्कार व माहौल देकर इनके भविष्य को  सफलता की तरफ  इनका कदम बढ़ा सकते हो । माता पिता व अधयापक बच्चो को ऎसे संस्कार दें जो उन्हें आत्म अविलोकन करना सिखाएं आत्म अवलोकन से किसी भी काम  को और बेहतर किया जा सकता है इससे त्रुटियाँ कम होने के चांस रहते हैं । इसलिए हर निर्णय और काम को करने से पहले सोचना अनिवार्य है ।   जो इन  के पद्चरणओ  पर चलते हैं उनके जीवन में कभी भटकाव की नौबत नही आती । उनके जीवन में कभी दोहरा  आता भी है तो भी इनके कदम गलत दिशा में नही बढ़ते। । बस जरुरत है बड़ो से सीख लेने की व अपने जीवन में उतारने की।  जो उन्हें सही मार्ग प्रसस्त करते हैं।अपने जीवन में एक उद्देश्य होना चाहिए। उददेश्य अपनी क्षमताओ का आंकलन करके  के  बनाए। फिर उस  रस्ते पर आगे बढ़ते जाए एक दिन मंजिल जरूर मिल जाती है ।  
   
       
बच्चो को क्वालटी समय दें :- आजकल की व्यस्त लाइफ में हम अक्सर तनाव में घिरे रहते हैं जिस की वजह से हम बच्चो को समय नही दे पाते और ना ही उनकी बातो को ध्यान से सुनते। ये रवैया हमारा गलत है हमे इनकी बात ध्यान से सुननी चाहिए। इससे इन्हें ख़ुशी भी मिलेगी और ये हमारे साथ अपनी हर बात शेयर भी करेंगे। आपको ये अहसास होना जरूरी है की बच्चो के लिए  समय  निकलना अनिवार्य है। कई बार ऐसी परिस्थिति बन जाती हैं कि  हम चाह कर भी बच्चो को पर्याप्त समय नही दे पाते । इसके लिए अपनी दिनचर्या में बदलाव लाएं । आगे चल कर हो सकता है कि आपके बच्चे को अपना भविष्य बनाने के लिए कही बहार  जाना पड़े।  उस समय आपके साथ बिताया गया समय उनके लिए अनमोल  यादें बनकर हमेशा उनके साथ रहेगा । और आप से लिए गए अनुभव विपरीत परिस्थति आने पर सही राह दिखाएंगे । 


अपनी ही ना चलाए बच्चों की सुनें :- कई बार होता है कि अभिभावक बच्चो पर अपनी ही सोच लादे जाते हैं या अपनी पसंद की फिल्ड चुनने का दबाब डालते हैं । ये गलत है आज बच्चे अपना भला बुरा अधिक जानते हैं । बच्चो से अपने अनुभव जरूर शेयर करें इससे उन्हें मूलयवान अनुभव मिलेंगे।  लेकिन उन्हें जिंदगी में अपने डिसीजन लेने की फ्रीडम दें। 


दोस्त जरूरी हैं  लेकिन भरोसे लायक हों :-   बच्चे दोस्तों से खुलकर बातें कर लेते हैं लेकिन उन्हें  ये मालूम होना चाहिये की वो कितने दोस्त हैं और कितने कॉम्पिटिटर । कभी भी देखना की दोस्त कामयाबी पर खुश होते हैं और कॉम्पिटिटर नाकामयाबी पर खुश होते  हैं। दोस्त से शेयरिंग फायदा पहुंचा सकती है और कॉम्पिटिटर उसका फायदा उठा सकता है । अगर दोस्त है तो वो आपकी बात ध्यान से सुनेगा और सही राय भी देगा । 

स्मार्ट बनें नासमझ नही :-  बच्चे सोचते हैं की अभिभावक हमारी  प्रॉब्लम नही समझ सकते लेकिन ये गलत है वे ये नही जानते की जो बड़े कहते हैं उसमे उनका सालों का अनुभव छिपा है । यही ये मात खा जाते हैं । अगर कोई बात अभिभवक की बुरी लगे तो उसे कह दें दिल में  ना रखें लेकिन अपनी समस्याएं शेयर जरूर करें इससे अकेलापन महसूस नही होगा और आपकी समस्या का भी समाधान निकल आएगा। और आप व आपके अभिभावक चिंता मुक्त रहेंगे । 


घर में बेहतर माहौल दें :-  बच्चो के बौद्धिक विकाश के लिए घर में बेहतर माहौल का होना जरूरी हो जाता है । परिवार के किसी भी सदस्य  का बच्चे के लिए उपेछित व्यवहार नही होना चाहिए । इससे उसके मन में कुंठा पैदा होगी जिससे उसके बौद्धिक विकाश में रुकावट होगी । इसलिए बच्चो को हमेशा प्यार करें और उन्हें ये अहसास दिलाये की हम उनके हर फैसले में उनके साथ हैं । कभी भी हम उम्र से उनकी तुलना ना करें इससे उन का मनोबल गिरता  है । बच्चो को सकारात्मक सोच विकसित करें । विकसित सोच इंसान को बहुत आगे लेकर जाती है । 

बच्चो को सही गलत में फर्क करना सिखाएं :-  बच्चो की हर गतिविधियों पर ध्यान दें,  पर अगर बच्चो की कोई बात गलत लगे तो उन पर प्रतिबंध ना लगाएं , बल्कि उसकी अच्छाई व बुराई का उदहारण  देकर समझाए । बच्चे गलत संगत की वजह से मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। वे अपने अस्तित्व और अहम को सही साबित करने के लिए  होड़ में लगे रहते हैं । और ई  बार बच्चे अपने दोस्तो के साथ खड़े  होने के लिए अलग काम करते हैं और वो काम ही कई बार सही व कई बार गलत हो जाता है । किशोर अवस्था की उम्र  बेहद नाजुक अवस्था होती है ये उम्र उस दोहराए पर होती है जहां से दो रस्ते कटते  हैं । कुछ लोग सही राह चुन कर कामयाब हो जाते  हैं और कुछ भटक जाते हैं । और वे गलत दोस्ती की वजह से अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान नही दे पाते । ये मुद्दा आज इतना गंभीर हो चुका है कि इस पर पैरेंट्स व अधयापको को सोचने की जरूरत है । 

बच्चों को अपने फैसले खुद लेने दें :-  बच्चो को ये बताना होगा कि जो आप आज कर रहे हो ये सही है या गलत है इसके लिए पहले आप खुद फैसले करें। इससे धीरे धीरे फैसले लेने की आदत पड़ जाएगी उन्हें  इससे  आत्मविलोकन करने  की आदत विकसित होगी जिससे वे अपनी कमियां  दूर कर सकेंगे । बच्चो को ऐसे संस्कार दें जिससे वे अपने अंदर छिपी योग्यता को पहचान कर काम करें ।   




Saturday, December 12, 2015

अगर आप अपने जीवन में बड़ी उपलब्धियां चाहते हो तो बड़ा सोचो !!!

                                

Image result for positive thinkingये कोई नही बता सकता है कि आप क्या कर सकते हो। क्यों कि आपके सोचने की शक्ति असीमित है।सोच ही आपकी उपलब्धि तय करती है। इंसान की सफलता उसकी डिग्री या पारिवारिक पृष्टभूमि से नही मापी जाती उसकी सोच के आधार  पर मापी जाती है । मनुष्य के कर्मो में उसकी भावनाओं के  साथ विचार शक्ति का गहरा संबंध है । तभी  वह क्रिया शील रहता है। दुनिया में जो भी महान पुरुष  हुए हैं उनके पीछे विचार शक्ति रही है। चाहे वो गौतम बुद्ध ,स्वामी विवेकानन्द जी या कोई भी और रहे हो ।   


विचारो की शक्ति को पहचानें:- हम पॉजिटिव व बड़ी सोच से ही उन्नति कर जीवन में उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हमारा जीवन वैसा ही होता है जैसे हमारे विचार  होते हैं। क्यों कि जीवन विचारो का दर्पण  है। अगर आपके  पास सब कुछ है और फिर भी आप को कमी लगे जाती है तो आप से बढ़कर कोई  गरीब नही है। और अगर आपके पास मे थोड़ा है और आप उस में संतुष्ट हैं तो आप सुखी जीवन जी सकते हैं । 
   
इंसान अपने कर्मों के अधीन है, अपने हालात बदलने के लिए अपनी सोच बदलें :-पॉजिटिव सोच वाले इंसान को पूरी दुनियां जन्नत लगती है । जीवन में सफल होना चाहते हो तो छोटी सोच वाले इंसानो से बचें। जैसे खराब खाने से हमारी सेहत खराब हो जाती है उसी तरह से छोटी सोच वाला इंसान हमारा मष्तिक को खराब कर देता है । इसलिए  नेगेटिव सोच वाले इंसान की ना सलाह लेनी चाहिए और न ही इनका संग करना चाहिए। जीवन में कई लोग ऎसे होते हैं जिनकी सोच नेगेटिव होती है वो लोग हमेशा आगे बढ़ने से रोकते हैं । इनकी सोच हमेशा आत्महीनता निराशावादी या भाग्यवादी बनी रहती है ऎसे  लोगो की सोच अपने पर हावी ना होने दें। पॉजिटिव सोच से इंसान क्रिया शील बनता है व  हौसला बढ़ता है । और नेगेटिव सोच  से निराशा बढ़ती है ।


पॉजिटिव सोच बहुमूल्य सम्पति है:- अच्छे खाने के साथ अच्छे विचारो की भी जरूरत है।शरीर व दिमाग दोनों ही स्वस्थ रहने जरूरी हैं। हम अपनी छोटी सोच की वजह से जोखिम लेने से डरते हैं । इसलिए अपनी क्षमता से बढ़कर प्रयास नही करते जिसकी वजह से हम विकाश नही कर पाते। सफलता पाने के लिए बिना सोचे समझे लगे रहने की जरूरत नही है।  बल्कि अपनी क्षमता का सही तरीके से उपयोग करने की जरूरत है। और पॉजिटिव सोच वाला इंसान ही अपनी क्षमता का सही नियोजन करता है ।  

 " अगर आप  बड़े काम करेंगे तो आपकी तरफ बड़े लोग आकर्षित होगे " 

पॉजिटिव सोच आपको वहां ले जा सकती है जहां अन्य लोग नही पहुंच पाते। पॉजिटिव सोच से ही हम वर्तमान को आनद दायक और भविष्य को उज्वल बना सकते हैं । अगर आप समस्याओ के बजाए सम्भावनाओ पर जोर देंगे तो बड़ा सोचना शुरू कर देगें । जब अपनी समस्याओ को अलग रख कर बेहतर उपयो के लिए सोचते हैं तो हमे नई दिशा मिलती है । जिस से हम अपनी कमियां देख पाते  हैं, इससे हम समस्याओ के  बारे मे ना सोच कर समाधान की तरफ बढ़ते हैं ।


नेगेटिव सोच वाला इंसान बहुत मेहनत करने के बाबजूद सफलता पर आशंकित रहता है:- नेगेटिव  सोच ही सफलता की राह में रोड़े अटकती है, जिसे इंसान चाह कर भी नही बदल पाता और वह निराश होकर अपना रास्ता बदल देता है। नेगेटिव सोच इंसान को महत्वपूर्ण कार्य नही करने देती। ऐसा कोई भी कार्य नही है जिसे आप नही कर सकते । जब आप कमर कस कर काम करने के लिए तैयार हैं तो ईश्वर भी आपके साथ है। सोच को महत्वपूर्ण बनाओ। अगर किसी इंसान का तेज दिमाग पॉजिटिव सोच और समस्या सुलझाने का शौक है तो वो इंसान वाकई चमत्कार कर सकता है ।


हमारी सोच आस पास के महौल से प्रभावित होती है:- जब हमारे चारो तरफ छोटी सोच के लोग होते हैं तो हमे भी प्रभावित करते हैं और जब बड़ी सोच वालो के बीच रहते हैं तो हमारी सोच विकसित होने लगती है। अगर आप अपने जीवन में बड़ी उपलब्धियां चाहते हो तो बड़ा सोचो बड़ी सोच से ही आप बड़े बनोगे।  जिंदगी इतनी बड़ी नही है कि आप इसे छोटी सोच में काट दो । हर इंसान सुख खुशी व सफलता चाहता है कोई भी इंसान ऐसा नही देखा होगा जो दुःख गरीबी तंगी व बीमारी चाहता हो। आप सोचो की कही आप पिछड़ तो नही रहे ? अगर ऐसा हो रहा है तो ऐसा क्यों हो रहा है ? इस का क्या कारण है ? जब आप ऐसा सोचोगे तो पता चलेगा कि आप में आत्म विश्वास की कमी है या आप का मष्तिक विरोधी बन गया है जिस की वजह से आप कोई भी फैसला सही नही ले पा रहे हो। जब भी कोई  समस्या आए तो सोचो कि  में  इस का समाधान निकाल लूगा  तो आप देखोगे की कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा । आप सिर्फ अच्छा सोचो इससे लोग आप को पसंद भी करेंगे और साथ भी देंगे । 

पॉजिटिव सोचने की आदत डालें :- अगर आप ने पॉजिटिव सोचने की आदत डाल ली तो कोई भी इंसान दुःख नही पहुंचा सकता । और ना ही कोई आप को सफल होने से रोक सकता । पॉजिटिव सोचने से  कुंठा तनाव व परेशानियां जाती रहेंगी। अपने चिंतन को नियत्रण करें। नेगेटिव चिंतन दुसरो की कमियां दिखाता है और नेगेटिव सोच ही दुःख का कारण बन जाता है । क्यों कि अधिकतर चिंता हमारी नेगेटिव सोच की वजह से होती हैं। हीन भावना ये सदेश देती है कि आप असफल, लापरवाह व अयोग्य व्यक्ति हैं। जबकि सकारत्मक सोचने से रचनात्मक शक्ति जाग्रत होती है। इसलिए समझदार लोग सोच समझ कर ही कोई कार्य शुरू करते हैं, बोलते हैं ।  जो लोग अपनी सोच विकसित कर लेते हैं वो सफल हो जाते हैं।  सुख शांति आपके हाथ में है बस अपना ध्यान अपनी सोच पर रखें।अपनी गलतियों व कमियों पर ध्यान ना दें अपनी असफलता पर ध्यान ना दें । आपके विचार ही आपके भाग्य को बना और बिगाड़ सकते हैं। शुभ विचार आपको सुख समृद्धि देते हैं और अशुभ विचार पतन की तरफ ले जाते हैं।
    
इतना बड़ा सोचो की आपको कोई छोटा न लगे:-कोई दीन हीन ना दिखे सब आपकी ही तरह हैं।  किसी के स्वाभिमान को ठेस ना पहुंचाए । इंसान काम से ही नौकर या मालिक बनता है। इतना अच्छा सोचो की कोई छोटी सोच वाला इंसान आपका दिल ना दुखा सके, आप लड़ाई झगड़ो से बच सको, अपनी मजिल तक पहुंचने के लिए हर व्यसन से बच सको। जो सोच बचपन में  बन जाती हैं वो उम्र भर चलती है इसे बदलना मुश्किल हो जाता है । अगर  आप की सोच बचपन से अच्छी  है तो ठीक है । अगर किसी वजह से नेगेटिव बन गई है तो क्या पूरी जिंदगी दुखी व परेशान रहेंगे ? या अपनी सोच की वजह से अपने आसपास के लोगो को दुखी करते रहेंगे ? या अपनी सोच को बदल कर खुशहाल जिंदगी जीना चाहेंगे ? आप अपनी नेगेटिव सोच होने के कारण  खुद हैं ।