Friday, December 25, 2015

अनुशासन के बिना सफलता असंभव है

                                         

सहायता के बिना मानव जीवन मे सफलता मिलनी नामुमकिन है। जीवन मे सुख शांति व  समृद्धि पाने के लिए कुछ  नियम बनाए गए हैं । इन नियमों को ही अनुशासन कहते हैं । या बनाये गये नियमो के अनुसार नियमित काम करना ही अनुशासित रहना है। अनुशासन किसी भी फिल्ड में कामयाबी पाने के लिए अनिवार्य है। दरसल  अनुशासन के नियम को समझे बिना, उसका पालन किए बिना हम जिंदगी को नही समझ सकते ।अनुशासित रहने वाला इंसान कम बुद्धि होने पर भी कामयाब  हो जाता है और अनुशासन  हीन  व्यक्ति सामर्थ्य वान होते हुए भी असफल हो जाता है।  किसी ने सही कहा है कि अनुशासन सफलता की कुंजी है। अनुशासन एक ऐसा गुण है जिस की आवश्यकता हर फिल्ड में होती है। कहते हैं कि अनुशासन से ही इंसान एक अच्छा व्यक्ति और आदर्श नागरिक बन सकता है। जो इंसान अनुशासन में रहते हुए, नफा नुकसान के बारे मे विचार करते हुए कर्म करता है, वही वांछित मजिल हासिल कर सकता है। अनुशासन में रहना ही जिंदगी में आगे बढ़ने का बेहतरीन फार्मूला है। जिस पर अमल करके आप बड़ी से बड़ी सफलता हासिल कर सकते हो। अनुशासन से ही  व्यक्ति में धैर्य व समझदारी आती है और सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। अनुशासन में रहने वाला इंसान ही अपने लिए सुखद व उज्वल भविष्य का निर्माण कर सकता है। अनुशासन से ही सफलता की सीढ़ी चढ़ा जा सकता है। व्यक्ति का अनुशास्ति रहना और सभी कार्य को व्यवस्थित रूप से करना आवश्यक है। अनुशासन चंचल मन को स्थिर करता है । और स्थिरता से जीवन के सघर्ष में द्रढता से आगे बढ़ने मे मदद मिलती है । अनुशासन वही है जो हमारी दूषित सोच और अपने लालच मे दुसरो को हानि पहुचाने वाली फ़िक़रत से बचें । 
जो लोग अपनी गलत फ़िक़रत को नही बदलते चाहे वो कितनी ही पूजा पाठ करे जाएं, उसका उन्हें कोई फल नही मिल सकता । शास्त्रो मे भी आया कि एक झूठ से  कई दिन की  पूजा का फल नष्ट हो जाता है जैसे कि पकी सरसों की खेती को थोड़े से ओलो की बौछार नष्ट कर देती है। इसी तरह एक गलत आदत आपको बर्बाद कर देती है । चोरी जारी झूट और तिगड़म बाजी की उम्र लंबी नही होती इन चीजो को आप लाख कोशिस करके भी दुनिया से नही छिपा सकते। इसकी सजा खुद को भोगनी ही पड़ती है। अनुशासन हीन व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाता है। अनुशासन हीनता इंसान को असफलता की तरफ धकेलती है। अनुशासन हीन व्यक्ति अपने व अपने परिवार वालो के लिए परेशानियों को आंमत्रित करता है। अनुशासन हीन व दुराचारी इंसान को एक दिन सबके सामने अपमानित होना पड़ता है। अपमानित होने पर लोग भवगवान  को व समय  और  साथियों को  कोसने लगते हैं। जब की हम सुखी होते हैं सकरात्मक कार्य शैली से, और दुखी होते हैं नकरात्मक कार्य शैली से । दुनिया की कोई ऐसी ताकत नही है की वो हमे दुखी या असफल कर सके।  हम जो भी हैं सिर्फ अपने कार्य शैली  से हैं ।समय और प्रकृति सब नियम से ही व्यवस्तिथ  हैं अगर एक मिनट का भी अंतर आ जाए तो सब तहस नहस हो जायेगा । लेकिन दुःख की बात है कि समाज में चारो तरफ अनुशासन हीनता फैली हुई है। जिसकी वजह से समाज मे प्रगति व विकाश अच्छी तरह से नही हो पा रहा है जब प्रगति व विकाश ही सही तरीके से नही होगा तो हमारे देश की क्या स्थिति  होगी ? देश का भविष्य  क्या होगा ?           
  
आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं अगर इनमे अनुशासन की कमी रही तो कल देश का भविष्य क्या होगा ? इसलिए बच्चो के जीवन में अनुशासन अनिवार्य है। बच्चो को बच्पन से ही अनुशसान सिखाना चाहिए। बचपन मे अनुशासन सिखाना अभिभावकों का काम है और स्कुल में शिक्षकों की जिम्मेदारी है। जो बच्चे सुशिक्षित अभिभावक और सुयोग्य व अनुशासित शिक्षक से शिक्षा लेते हैं वे शुद्ध आचरण वाले बनते हैं और उनके शरीर और मष्तिक का पूर्ण रूप से विकाश होता है । कई घरो में देखा गया है कि माता पिता अपने निजी स्वार्थ वश झूट का सहारा लेते हैं। इससे घर में बच्चे मना करने के बाबजूद उन्हीं तौर तरीको को सीख लेते हैं ।      

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