जो लोग अपनी गलत फ़िक़रत को नही बदलते चाहे वो कितनी ही पूजा पाठ करे जाएं, उसका उन्हें कोई फल नही मिल सकता । शास्त्रो मे भी आया कि एक झूठ से कई दिन की पूजा का फल नष्ट हो जाता है जैसे कि पकी सरसों की खेती को थोड़े से ओलो की बौछार नष्ट कर देती है। इसी तरह एक गलत आदत आपको बर्बाद कर देती है । चोरी जारी झूट और तिगड़म बाजी की उम्र लंबी नही होती इन चीजो को आप लाख कोशिस करके भी दुनिया से नही छिपा सकते। इसकी सजा खुद को भोगनी ही पड़ती है। अनुशासन हीन व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाता है। अनुशासन हीनता इंसान को असफलता की तरफ धकेलती है। अनुशासन हीन व्यक्ति अपने व अपने परिवार वालो के लिए परेशानियों को आंमत्रित करता है। अनुशासन हीन व दुराचारी इंसान को एक दिन सबके सामने अपमानित होना पड़ता है। अपमानित होने पर लोग भवगवान को व समय और साथियों को कोसने लगते हैं। जब की हम सुखी होते हैं सकरात्मक कार्य शैली से, और दुखी होते हैं नकरात्मक कार्य शैली से । दुनिया की कोई ऐसी ताकत नही है की वो हमे दुखी या असफल कर सके। हम जो भी हैं सिर्फ अपने कार्य शैली से हैं ।समय और प्रकृति सब नियम से ही व्यवस्तिथ हैं अगर एक मिनट का भी अंतर आ जाए तो सब तहस नहस हो जायेगा । लेकिन दुःख की बात है कि समाज में चारो तरफ अनुशासन हीनता फैली हुई है। जिसकी वजह से समाज मे प्रगति व विकाश अच्छी तरह से नही हो पा रहा है जब प्रगति व विकाश ही सही तरीके से नही होगा तो हमारे देश की क्या स्थिति होगी ? देश का भविष्य क्या होगा ?
आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं अगर इनमे अनुशासन की कमी रही तो कल देश का भविष्य क्या होगा ? इसलिए बच्चो के जीवन में अनुशासन अनिवार्य है। बच्चो को बच्पन से ही अनुशसान सिखाना चाहिए। बचपन मे अनुशासन सिखाना अभिभावकों का काम है और स्कुल में शिक्षकों की जिम्मेदारी है। जो बच्चे सुशिक्षित अभिभावक और सुयोग्य व अनुशासित शिक्षक से शिक्षा लेते हैं वे शुद्ध आचरण वाले बनते हैं और उनके शरीर और मष्तिक का पूर्ण रूप से विकाश होता है । कई घरो में देखा गया है कि माता पिता अपने निजी स्वार्थ वश झूट का सहारा लेते हैं। इससे घर में बच्चे मना करने के बाबजूद उन्हीं तौर तरीको को सीख लेते हैं ।
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