Thursday, December 17, 2015

अभिभवक संभाले जिम्मेदारियां

                             
                                                  
बच्चे बच्चे कच्ची मिटटी की तरह होते हैं उन्हें जिस तरह ढ़ालोगे वो उसी तरह ढल जाएंगे । इन का भविष्य बनाना और बिगाड़ना आपके हाथ में हैं। इन्हें अच्छे संस्कार व माहौल देकर इनके भविष्य को  सफलता की तरफ  इनका कदम बढ़ा सकते हो । माता पिता व अधयापक बच्चो को ऎसे संस्कार दें जो उन्हें आत्म अविलोकन करना सिखाएं आत्म अवलोकन से किसी भी काम  को और बेहतर किया जा सकता है इससे त्रुटियाँ कम होने के चांस रहते हैं । इसलिए हर निर्णय और काम को करने से पहले सोचना अनिवार्य है ।   जो इन  के पद्चरणओ  पर चलते हैं उनके जीवन में कभी भटकाव की नौबत नही आती । उनके जीवन में कभी दोहरा  आता भी है तो भी इनके कदम गलत दिशा में नही बढ़ते। । बस जरुरत है बड़ो से सीख लेने की व अपने जीवन में उतारने की।  जो उन्हें सही मार्ग प्रसस्त करते हैं।अपने जीवन में एक उद्देश्य होना चाहिए। उददेश्य अपनी क्षमताओ का आंकलन करके  के  बनाए। फिर उस  रस्ते पर आगे बढ़ते जाए एक दिन मंजिल जरूर मिल जाती है ।  
   
       
बच्चो को क्वालटी समय दें :- आजकल की व्यस्त लाइफ में हम अक्सर तनाव में घिरे रहते हैं जिस की वजह से हम बच्चो को समय नही दे पाते और ना ही उनकी बातो को ध्यान से सुनते। ये रवैया हमारा गलत है हमे इनकी बात ध्यान से सुननी चाहिए। इससे इन्हें ख़ुशी भी मिलेगी और ये हमारे साथ अपनी हर बात शेयर भी करेंगे। आपको ये अहसास होना जरूरी है की बच्चो के लिए  समय  निकलना अनिवार्य है। कई बार ऐसी परिस्थिति बन जाती हैं कि  हम चाह कर भी बच्चो को पर्याप्त समय नही दे पाते । इसके लिए अपनी दिनचर्या में बदलाव लाएं । आगे चल कर हो सकता है कि आपके बच्चे को अपना भविष्य बनाने के लिए कही बहार  जाना पड़े।  उस समय आपके साथ बिताया गया समय उनके लिए अनमोल  यादें बनकर हमेशा उनके साथ रहेगा । और आप से लिए गए अनुभव विपरीत परिस्थति आने पर सही राह दिखाएंगे । 


अपनी ही ना चलाए बच्चों की सुनें :- कई बार होता है कि अभिभावक बच्चो पर अपनी ही सोच लादे जाते हैं या अपनी पसंद की फिल्ड चुनने का दबाब डालते हैं । ये गलत है आज बच्चे अपना भला बुरा अधिक जानते हैं । बच्चो से अपने अनुभव जरूर शेयर करें इससे उन्हें मूलयवान अनुभव मिलेंगे।  लेकिन उन्हें जिंदगी में अपने डिसीजन लेने की फ्रीडम दें। 


दोस्त जरूरी हैं  लेकिन भरोसे लायक हों :-   बच्चे दोस्तों से खुलकर बातें कर लेते हैं लेकिन उन्हें  ये मालूम होना चाहिये की वो कितने दोस्त हैं और कितने कॉम्पिटिटर । कभी भी देखना की दोस्त कामयाबी पर खुश होते हैं और कॉम्पिटिटर नाकामयाबी पर खुश होते  हैं। दोस्त से शेयरिंग फायदा पहुंचा सकती है और कॉम्पिटिटर उसका फायदा उठा सकता है । अगर दोस्त है तो वो आपकी बात ध्यान से सुनेगा और सही राय भी देगा । 

स्मार्ट बनें नासमझ नही :-  बच्चे सोचते हैं की अभिभावक हमारी  प्रॉब्लम नही समझ सकते लेकिन ये गलत है वे ये नही जानते की जो बड़े कहते हैं उसमे उनका सालों का अनुभव छिपा है । यही ये मात खा जाते हैं । अगर कोई बात अभिभवक की बुरी लगे तो उसे कह दें दिल में  ना रखें लेकिन अपनी समस्याएं शेयर जरूर करें इससे अकेलापन महसूस नही होगा और आपकी समस्या का भी समाधान निकल आएगा। और आप व आपके अभिभावक चिंता मुक्त रहेंगे । 


घर में बेहतर माहौल दें :-  बच्चो के बौद्धिक विकाश के लिए घर में बेहतर माहौल का होना जरूरी हो जाता है । परिवार के किसी भी सदस्य  का बच्चे के लिए उपेछित व्यवहार नही होना चाहिए । इससे उसके मन में कुंठा पैदा होगी जिससे उसके बौद्धिक विकाश में रुकावट होगी । इसलिए बच्चो को हमेशा प्यार करें और उन्हें ये अहसास दिलाये की हम उनके हर फैसले में उनके साथ हैं । कभी भी हम उम्र से उनकी तुलना ना करें इससे उन का मनोबल गिरता  है । बच्चो को सकारात्मक सोच विकसित करें । विकसित सोच इंसान को बहुत आगे लेकर जाती है । 

बच्चो को सही गलत में फर्क करना सिखाएं :-  बच्चो की हर गतिविधियों पर ध्यान दें,  पर अगर बच्चो की कोई बात गलत लगे तो उन पर प्रतिबंध ना लगाएं , बल्कि उसकी अच्छाई व बुराई का उदहारण  देकर समझाए । बच्चे गलत संगत की वजह से मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। वे अपने अस्तित्व और अहम को सही साबित करने के लिए  होड़ में लगे रहते हैं । और ई  बार बच्चे अपने दोस्तो के साथ खड़े  होने के लिए अलग काम करते हैं और वो काम ही कई बार सही व कई बार गलत हो जाता है । किशोर अवस्था की उम्र  बेहद नाजुक अवस्था होती है ये उम्र उस दोहराए पर होती है जहां से दो रस्ते कटते  हैं । कुछ लोग सही राह चुन कर कामयाब हो जाते  हैं और कुछ भटक जाते हैं । और वे गलत दोस्ती की वजह से अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान नही दे पाते । ये मुद्दा आज इतना गंभीर हो चुका है कि इस पर पैरेंट्स व अधयापको को सोचने की जरूरत है । 

बच्चों को अपने फैसले खुद लेने दें :-  बच्चो को ये बताना होगा कि जो आप आज कर रहे हो ये सही है या गलत है इसके लिए पहले आप खुद फैसले करें। इससे धीरे धीरे फैसले लेने की आदत पड़ जाएगी उन्हें  इससे  आत्मविलोकन करने  की आदत विकसित होगी जिससे वे अपनी कमियां  दूर कर सकेंगे । बच्चो को ऐसे संस्कार दें जिससे वे अपने अंदर छिपी योग्यता को पहचान कर काम करें ।   




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