Friday, January 1, 2016

जीतना है खुद को

                        
                                     जीतना है खुद को     
   
"हजारों लड़ाईयां जितने से बेहतर है कि आप खुद को जीत लें ,फिर वो जीत आपकी होगी जिसे कोई आपसे नही छीन सकता "

                                                                     -  गौतम बुद्ध 


अधिकतर हार का कारण हमारी अपनी कमियां बनती हैं।  बाहर तो हम हर किसी से जीतने की कोशिस करतें हैं लेकिन अपनी ही कमियों को नही जीत पाते या जितने की कोशिश नही करते।जो अपनी कमियों को जानकर उन पर काबू पाकर सफलता की तरफ अपने कदम बढाते हैं वे लोग सफलता का पचम लहराते हैं । हर इंसान के अंदर कमियां रहती हैं। जैसे डर गुस्सा दृढ़ इच्छा की कमी आत्मस्विभमान की कमी आदि । इंसान को अपनी कमजोरी से लड़ना पड़ता है तब जाकर वह सफलता का मार्ग प्रसस्त करता है । कैसे लड़ें खुद की कमजोरियों से आइए जानते है  .......   
               
खुद को  जितने के लिए द्रढ इच्छा रखें :-  खुद से जीतने के लिए द्रढ इच्छा अनिवार्य है। कई  बार  शरीर की कमजोरी या आत्म शक्ति की कमी इंसान को कमजोर बना देती है। इससे इंसान अपने आप को कमजोर व अहसाय महसूस करने लगता है। जिन लोगो मे सहनशीलता की कमी  होती है वे हार मन कर बैठ जाते हैं । और दृढ़ इच्छा वाले  अपनी कमियों को जीत लेते हैं  इसलिए मजबूत बनकर औरो  की बातो को नजर अंदाज करदें  ओरो की सोच खुद पर हावी ना  होंने दें। ऐसे में हम खुद की शक्तियों को जगाए  और  खुद को जाने खुद की शक्तियों को पहचान कर स्वय का निरक्षण करें  अपनी प्रतिभा को पहचान कर उसका निरंतर विकाश करें । तभी जाकर आप  सफल हो सकते हो  । द्रढ़  इच्छा शक्ति वाले लोग दृढ़ इच्छा से डर, उदासीनता, शंका  आदि  जैसी कमियों को  जीत लेते  हैं ।     
       
नकारात्मक विचारो को  बदलें :-    हम अपने विचारों को रोक तो नही सकते हाँ बदल सकते हैं इसलिए नकारात्मक विचार आते ही बदल दें ।  कई  बार ऐसा होता है कि इंसान कुछ करना चाहता है  लेकिन मन में कई तरह के नकरात्मक  विचार आकर खड़े हो जाते हैं ।  में ये कर पाउगा या नही ?  मुझे सफलता मिलेगी  या नही ?  ये काम करने की योग्यता मुझमे है  या नही ?  नही शब्द ही आपके मन में हलचल मचाये  रखता  है । ये आपके  मन में छिपा डर या आंशका  ही तो  है।  इसे खत्म कर दें  नही तो ये डर आपको आगे नही बढ़ने देगा। अपनी सोच को परिष्कृत करने  का मार्ग हमेशा खुला रखें  । अपने ईगो को आड़े ना आने दें  , विचारो के विरोध या समर्थन को व्यक्ति विशेष का समर्थन या विरोध नही बनने दें । क्यु कि  गलती तो कभी भी किसी से भी हो सकती है । इसलिए मतभेद को मन भेद ना बनाएं  । 


हमारा जीवन इस स्रष्टि के लिए महत्वपूर्ण है :- ये हमारे  लिए अनिवार्य है कि हम अपना महत्व  व मूल्य कम ना आंके। हमरे अंदर अपरिमित विकाश और संभावनाओं के बीज है। हमारे जीवन के पीछे जरूर कोई विशेष प्रयोजन है । हम चाहे तो अपने और ओरो के जीवन मे खुशियां ला कर जीवन में परिवर्तन ला सकते है। लेकिन हमारे जीवन मे कुछ रुकावटे आ जाती है और उनकी वजह है, अस्वास्वयथ कर आदतें,  मिथ्याअभिमान , अदूरदर्शितापूर्ण उदेद्श्य, विलाषिता ,रिश्तो मे छिछला पन अतीत की दुखपूर्ण घटनाएं । जिसकी वजह से हमारा जीवन अवरुद्ध हो जाता है । 

समझे अपनी जिम्मेदारियां :-    कोई भी जन्म से छोटा बड़ा नही होता।  छोटा बाडा होता है इंसान अपने कर्म से। जो लोग अपनी जिम्मेदारी को समझ कर, राह पर आगे बड़े है वे ही महान बने हैं । वरना इंसान तो सिर्फ इंसान है एक अपने कर्म से अपना ही पेट नही भर पता और दूसरा समाज और दुनिया के लिए बहुत कुछ कर जाता है । जो  देश के लिए कुछ कर जाते हैं उनकी हम बड़ाई करते नही थकते । और कहते हैं कि ये किस्मत का धनी है या गॉड गिफ्ट है । और ये प्रवृति हमे अपने प्रयासों पर यकीन ही नही करने देती । अनुपम खेर  ने हाल ही ट्वीट पर कहा था   कि

                   " अगर आप किस्मत को आजमाते हुए थक गए हो  तो खुद को आजमाना शुरू  कर दो " 

  कामयाब लोगो की लाइफ कुछ अलग नही होती आम आदमी ही जैसी ही होती कुछ की तो और भी जटिल होती  है। और वो कोई काम ये सोच कर भी नहीं करते की लोग उन्हें महान कहे या महान बनना है ।बस वो अपने प्रति व अपनी जिम्मेदारी के प्रति इमानदार रहे। जिम्मेदारी और  ईमानदारी से ही वे महानता की तरफ बढ़ते गए । जहां ईमानदारी से जिम्मेदारी संभाली जाती है वहां मानवता ,शिष्टाचार, सहास , व सहिष्णुता जैसे गुण स्वतः आ जाते हैं ।     






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