Friday, January 22, 2016

सहन शीलता बनाती है इंसान को कामयाब

                         सहन शीलता बनती है इंसान को कामयाब     
 
                                                                     
सहन सील इंसान हर फिल्ड में कामयाब हो जाता है । सहनशील व्यक्ति विपरीत परिस्थति होने पर भी शांत चित रहकर उससे बहार  निकलने का रास्ता खोज लेता है।अधिकतर काम या रिश्ते हमारी सहनशीलता की कमी की वजह से बिगड़ते हैं । धैर्य क्षमा सहिष्णुता से ही आप अपना लक्ष्य पा सकते हो । धैर्यवान व्यक्ति में अद्धभुत सामर्थ्य होता है। वह किसी भी परिस्थति में अपना या दुसरो का नुकसान नही होने देता। सहनशीलता की कमी इंसान को उदंडी व उचखल बनाती है। और सहनशीलता इंसान को बेहतर  बनाती  है ।   
       
अपनी सोच को सीमा में ना बांधे :- जो कार्य आपकी  नजर में सही हैं, ये जरूरी नही है की  वो किसी और की निगाह में भी सही हो । हो सकता दूसरे के पास उस काम को करने का और भी बेहतर आइडिया हो इसलिए आप अपनी सोच का दायरा छोटा ना रखें । ये सोचे की ये बेहतर करने की अंतिम सीमा नही है । बेहतर को भी बेहतर बनाया जा सकता है। दुसरो की बात ध्यान से सुन्नी चाहिए और दुसरो के नजरिया से भी देखना  चाहिए ।  

ऊचा पद यश कीर्त   सुख सुविधा की इच्छा रखना  गलत बात नही है :-  ये तो प्रगति की जननी है । लेकिन सिर्फ इच्छा से काम नही बनता। काम बनता है कड़ी मेहनत से समय का बेहतर प्रयोग से धैर्य से पॉजिटिव सोच से सही प्लानिंग से अगर इनमे से एक की भी कमी रह जाए तो कार्य की  सफलता में संदेह होता है ।  
  
                      "सैम्यूल जॉनसन एक शब्द की खोज में आधा पुस्तकालय खोज डालते थे " 

 "टाल स्टाय एक महान लेखक हैं इनके बारे में कहा जाता है कि वो पांडुलिपि प्रकाशक को देने से पहले छह बार लिखते  थे ।" 

अपने कार्य की गुणवत्ता में सुधार करें । अपने कार्य में धैर्य रखकर काम करते रहें। धैर्य  से कार्य में निखार आएगा और सफलता आपके नजदीक आती जाएगी । आज तक जितने भी लोग कामयाब हुए हैं उन्होंने कडी  मेहनत  की है पसीना बहाया  है और सालो इतजार किया है तब जाकर सफलता का मुंह देखने को मिला है। सफलता विरासत में मिलने वाली चीज नही है । 

             " अक्षर धाम की शिल्पकारी में,  सात शिल्पकारियों को  सात साल लगे थे ''
             " गुफा  अजंता  एलोरा की शिल्पकारी में एक शिल्पकारी की सात पीढ़ी लगी थी "

एक माली को देखो गुठली बोने  के बाद पेड़ उगने और बड़े होने फिर फल लगने में सालो लग जाते हैं ।  और माली धैर्य रख कर ईमानदारी से कार्य करता रहता है । और बासँ के पेड़  में तो सालो बाद अंकुर फूटता है। अगर नतीजा ना भी दिखे तो इस का मतलब ये तो नही है कि उसका असर नही हो रहा है ।  

अपने स्टेट ऑफ़ माइंड से बहार निकले :-अगर आपको किसी की निंदा करने पर या सुझाव देने पर बुरा लगता है तो इसका मतलब है की आप अपने स्टेट ऑफ़ माइड से बहार नही निकलना चाहते ।जिस की वजह से आपको बेहतर करने में मुश्किल होती है । अगर आप ध्यान बात ध्यान से सुनोगे तो आप किसी बात पर असहमत  होने पर सामने वाले इंसान को समझा सकते हो । अगर आप अपनी ही बात पर अड़े रहे तो आप किसी सही निर्णय पर नही पहुंच पाओगे।  जो इंसान सहनशील नही होता वो एक दिन अपने परिवार वालो के लिए भी क्रूर हो जाता है  जिसकी वजह से उसका जीवन कष्टदायी  हो  जाता है । किसी की बात नजर अंदाज करना अच्छी बात नही है जब हम आलोचनाओं का सामना करेंगे तभी तो बेहतर इंसान बन सकेंगे। अगर आपका निदा सुनने से मुड़ खराब हो जाता है। तो सही से काम नही कर पाओगे   आप काम में गलती करोगे और बिना मन के काम करोगे। और बिना मन के काम करने से आपको सफलता कभी  नही मिल सकती । 


मानव व्यक्तित्व कुछ ऐसा है जब तक ये परेशानियों में ना घिरे तब तक इसकी क्षमताए निखर कर बहार नही आती :-  जैसे सोना अग्नि में पड़कर निखरता है, चंदन घिसने पर खुसबू देता है उसी तरह इंसान की क्षमता परेशानियों और आत्मनिरक्षण से बहार निकलती हैं । इसमे धैर्य रखना पड़ता है  भगवान श्री राम ने भी पहले सहन शीलता का परिचय देते हुए रावण को एक मौका दिया था । और भगवान श्री कृष्ण ने भी पहले कौरवो से पांच गांव ही पांडवो को देने के लिए कहा था जिससे कि विवाद टल सके । उन्ही लोगो को याद किया जाता जो सहनशीलता की राह अपनाकर आगे बढ़ते हैं जिनका ह्रदय समुद्र की तरह गहरा है| समाज को उत्तम  और आदर्शवादी बनाने के लिए धनी होने की जरूरत नही है बल्कि सुस्कारित होना जरूरी है। अगर आप इतिहास पर नजर डालोगे तो पाओगे कि मदन मोहन मालवीय , गांधी ,ए पी जे अब्दुल कलाम जी सभी सुस्कारित थे । 


सहनशील इंसान परेशानियों का असर कार्यो पर नही पड़ने देता :- सहन शील इंसान बिना घबराए अपने कार्य पर ध्यान देता है । और आसानी से बहार  निकलने का  रास्ता खोज लेता है । अगर कोई परेशानी आती भी है तो वो विचलित नही होता क्यों की वो जनता कोई भी परेशानी स्थाई  नही है । इस लिए  वह अपना फोकस काम पर रखता है, शांत रह कर समस्या का समाधान ढूढता है। सहन शीलता से  मन की शक्ति बढ़ती है साथ  में सघर्ष  से लड़ने  की क्षमता बढ़ती  है । 
         
सहन शील व्यक्ति में सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता अधिक होती है :- सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता तो इंसान में होनी ही चाहिए। जो इंसान सही समय पर सही निर्णय नही लेते उनकी ग्रोथ रुक जाती है । अगर आपके अंदर  भी ये कमी है तो आप इस कमी को दूर कर सकते हो। बस थोड़े से धैर्य और सोचने की आवश्कता है। आप सोचिये की आप को क्या डिसीजन लेने की जरूरत है । आपको इससे क्या फायदा है क्या नुकसान है जब आप ऐसा सोचोगे तो आप को सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी। आप अपने सीनियर से भी सलाह ले सकते हो ।  
   
               "सहन शीलता को श्री मद भागवत में भी देवी सम्पदा बताया गया है" 

जिस इंसान के पास सहन शीलता नाम की  संपदा है वह कभी अपने मार्ग से विचलित नही होता । इसलिए हमेशा ही सयमित रहें।  कभी भी अपनी सीमा ना लांघे।जो व्यवहार आप को अच्छा नही लगता वह व्यवहार किसी और के साथ ना करें। अपना व्यवहार ना बिगड़ने दें । कई  बार हम अपनी छोटी सी कमी निकालने पर इतना चिड़ जाते हैं कि सामने वाले को गलत ठहरा ने पर तुल जाते हैं। जिसका पछतावा हमे बाद में होता है  और फिर इतनी देर हो चुकी होती है  कि प्रायश्चित  करने  का मौका भी  नही मिलता।  






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