धार्मिक कार्य क्रम होने क्यों जरूरी है ? ( शास्त्रों का अध्यन क्यों जरूरी है )

लेकिन कलयुग में एक गुण है। सतयुग त्रेता और दुापर में जो गति पूजा यज्ञ और योग से प्राप्त होती है वही गति कलयुग में नाम जप से हैं ।
जीव का कल्याण केवल भक्ति मार्ग से होता है और भक्ति की कोई उम्र नहीं होती जो प्रभु के नाम को जपता है उसे कोई परास्त नहीं कर सकता । हजारो मुसीबत आने पर भी भगवान का ध्यान व भजन नहीं छोड़ना चहिए। भगवान नाम सुनने से या लेने से जीव पवित्र हो जाता है ।
" जहां हवन यज्ञ नहीं होते वहां देवता रुष्ट हो जाते हैं वहां सिर्फ अनहोनी ही होती हैं, जहां देवताओं का सम्मान नहीं होता वे उस जगह को छोड़ कर हमेशा के लिए चले जाते हैं "
इंसान की दो जिम्मेदारी हैं एक घर और दुसरी समाज की :- घर की जिम्मेदारी तो हर इंसान पूरी कर लेता है। लेकिन समाज की जिम्मेदारी को पूरा करने की जरूरत पड़ती है । जैसे बबूल का पेड़ अपने आप बड़ा हो जाता है, लेकिन गुलाब के पेड़ को खाद पानी व निराई समय समय पर देनी पड़ती है। लेकिन ये देखो की बबूल के पेड़ से सिर्फ काटे मिलते हैं । लेकिन अच्छाईयों और सामाजिक कार्यो से इंसान का व्यक्तित्व विकसित होता है उसी से भविष्य में सफलता मिलती है ।
संस्कृति को बचाना हमारा कर्तव्य है और इसे निभाना जरूरी हैं ?:- आज इंसान इतना सेलफिश हो चुका है की वह खुद से अधिक सोचता ही नहीं है। धन के पीछे इतना भाग रहा है कि उसे कुछ और दिखाई ही नहीं देता। धन कमाने की ही शिक्षा बच्चों को दे रहा है । संस्कार सभ्यता संस्कृति जैसी बहुमूल्य रीतियों को भूल गया है। जब खुद ही इन बातो को भूल गया है तो बच्चों को क्या सिखाएगा ? जब आप खुद ही घर परिवार समाज में मिलकर नहीं चलते, आपको ही किसी की परवाह नहीं है, आप के बच्चों को किस की परवाह होगी ? कल आप के बच्चे आप से अधिक लापरवाह और गैर जिम्मेदार होंगे। जब आज आप अपने पैरेंट्स परिवार व समाज की परवाह नहीं करते तो कल ये भी आप की परवाह नहीं करेंगे । बच्चों के लिए धन जोड़ने से ज्यादा संस्कार डालने की कोशिस करो तभी आप लाइफ में खुश रह सकोगे । कहते हैं कि -
गीता भागवत में भगवान श्री कृष्ण ने बहुत अच्छी बात कही है -
" जीवन के उद्धार लिए केवल मित्र ,प्रेम और परिवार चाहिए "
अब आप ही बताइये की क्या आपने मित्र ,प्रेम और परिवार को अहमियत दी है ? नहीं आप का ध्यान रहा है सिर्फ पैसे कमाने पर या मैक्सिमम अपने बच्चों पर लाइफ पाटनर पर। जब आप अपनी संस्कृति ही भूल गए हैं, तो क्या कल आप के बच्चे किसी की परवाह करेंगे? क्या वो आपको पूछेंगे ? कल वो अपने भाई बहनो का साथ देंगे ? नहीं जो आप कर रहे हो वो आप से सीख रहें हैं ।
शस्त्रों का पाठ क्यों जरूरी हैं :- आप ये जानते ही हो की आज रामायण, भागवत जैसे शास्त्रों के पाठ घरों में बहुत कम लोग करते है। जो लोग खुद इन्हे नहीं पढ़ते, अपने जीवन में उन्हें नहीं उतारते वो अपने बच्चों को क्या सिखाएंगे? अगर उन्हें पढ़ने के लिए कहा जाए तो एक ही बात सुनने को मिलेगी मुझे तो उसकी सारी कहानीयां याद हैं। कहानी तो आप जितनी बार पढोगे वो ही मिलेगी। लेकिन जो उनमे शिक्षा मिलती वो याद नहीं रहती, जो मानव की मर्यादा बताई गई है वो याद नहीं रहती, जो असुल जीवन मे बताए हैं वो नहीं याद रहते इसके लिए जरूरी हैं की हम बार बार इन्हे पढ़े, ऐसे प्रोग्राम करवाए जिससे बच्चों में ये संस्कार आएं। अगर हम बच्चों को सिर्फ इन्हे सुनाए तो बच्चे बोर होंगे ये प्रोग्राम रोचक लगते है इसलिए बच्चे इंजॉय के साथ साथ इनमे दिए आदेश को भी मानते हैं। इसीलिए हमारे बुजर्गो ने रामलीला कृष्ण कथा करवाने का सिलसिला शुरू किया था । ये हमे सीखते हैं कामयाब कैसे बनें, रिस्ते कैसे निभाएं, दोस्ती कैसे निभाएं,सही व गलत की पहचान कैसे करें , हमारे उसूल क्या होने चाहिए, कौन सी गलत आदत हमे लाइफ मे सक्सेस रूप से जीना सिखाती है ये सिखाती है जिंदगी में कौन सी गलत आदतें इंसान को बर्बाद कर देती हैं आदि । आज ये कार्य क्रम कम हो गए हैं जिसकी वजह से बच्चों में संस्कारो की कमी, सभ्यता की कमी,सहनशीलता की कमी, चरित्र हीनता बढ़ती जा रही है । मनुष्य के उद्धार के लिए शास्त्रों की पूजा पाठ जरूरी है।