दोस्तों ! मेरा बर्थ प्लेस दिल्ली है। मेरे पेरेंट्स उत्तर प्रदेश ( सिकन्द्राबाद ) से रहे हैं और में कापासेहड़ा में रह रही हूं इस लिए "मैने " दिल्ली , u.p , और हरियाणा के लोगो को करीब से जाना है । मैने हर जगह के इंसान में ज्यादातर एक ही खामी पाई है कि ये मंदिर मस्जिद ,गुरुद्वारा और मस्जिद में तो भगवान को देखते हैं लेकिन मानवता में भगवान को नही देख पाते ।
लेकिन हम करते क्या हैं ? मंदिर में पुजा करते हैं और इंसान की अवेहलना करते हैं। ऊँच नीच का फर्क करके इंसान को बाटते हैं पैसे से व जाति से इंसान की तुलना करते हैं । मंदिर मे चढ़ावा चढ़ाएंगे, कमरे बनवायेगे , आडंबर रचने वालो को पैसे देगें और किसी जरूरत मंद की मदद करने में मना कर देगें। ज्यातर लोगो से किसी की मदद करने के लिए कहे तो एक जवाब मिलेगा कि दुनियां गरीब है किस - किस की मदद करोगे ।
आप एक बात बताइये ? कि क्या भगवान आपके चढावे का भूखा है ? क्या वास्तव में भगवान को आपके छपन भोग चाहिए ? क्या भगवान को आपके मंदिर की जरूरत है ? या क्या जो आप इन आडंबर रचने वालो को हजारो लाखो देते हो इन्हें आपके पैसे की जरूरत है ? या उन गरीबो को आपकी जरूरत है, जिन्हें तीनो टाइम का खाना भी नही मिलता , उन गरीब बच्चो को आपके पैसे जरूरत है जो जिंदगी में पढ़ना चाहते है, उन गरीब माँ बाप को पैसे की जरूरत है जिनके कई बेटियां हैं और वे उनकी शादी नही कर सकते ?
दोस्तों ! मुझे नये नये मंदिर देखने का बहुत शौक है। और मैने ज्यादातर मंदिर में बैठे पंड़ावों को एक बिजनिस मैने से भी ज्यादा कमाता या ये कहो की लुटता पाया है । चाहे आप गोवर्धन , तिरुपति बाला जी या काली कलकत्ता वाली आप कही भी चले जाओ। आपको दर्शन भी वही अच्छी तरह करने देगे जहाँ आप को बहुत अच्छी तरह से प्रसाद व चढ़ावा चढ़ाते देखेंगे ।
वाह रे हमारी सोच मंदिर मे भगवान की पथर की मूर्ति के दर्शन करने के लिए हम हजारो रूपये खर्च कर देगे। और एक गरीब के रूप में भगवान हमारे सामने हैं हम उन्हें रोटी नही खिला सकते । गरीब कुछ बच्चो की पढ़ाई की जिम्मेदारी नही ले सकते, किसी गरीब की बेटी की शादी की जिम्मेदारी नही ले सकते। मंदिर में कमरा बनवाते हैं लेकिन किसी गरीब के एक कमरे का किराया माफ़ नही कर सकते ।
आज के दौर में ज्यादातर गुरुवो और तांत्रिको की लपेट में आकर अन्धविश्वासी बनते जा रहे हैं। हमारे धर्म शास्त्रो मे हर समस्या का समाधान मिलेगा। लेकिन इन्होंने हमे अपनी संस्क्रति से, धर्म शास्त्रों से दूर कर दिया है। इसी लिए हमारे जीवन की शांति भंग हो गई है ।
कोई इंसान जब सन्यास लेता है तो हरि भगति के लिए लेता है। लेकिन हम उसे भगवान बना देते हैं और सोचते हैं कि इसे दान देने से हमारी सारी समस्या खत्म हो जाएंगी। पर क्या ये हमारी समस्याओं को कम कर सकते हैं ? जो अपने बारे में नही जानते वो हमारा भविष्य बता सकते हैं ?क्या दुनियां में हम लोग ही परेशान हैं ? ' नही ' हमारी इस सोच का ये लोग फायदा उठाते हैं। इससे हमारी समस्या तो खत्म नही होती लेकिन हमारा अधिक दान उन्हें पूरा भोगी बना देते हैं। और फिर इससे हमारे समाज में आसाराम जैसे पैदा होते हैं ।
आज के दौर में ज्यादातर गुरुवो और तांत्रिको की लपेट में आकर अन्धविश्वासी बनते जा रहे हैं। हमारे धर्म शास्त्रो मे हर समस्या का समाधान मिलेगा। लेकिन इन्होंने हमे अपनी संस्क्रति से, धर्म शास्त्रों से दूर कर दिया है। इसी लिए हमारे जीवन की शांति भंग हो गई है ।
कोई इंसान जब सन्यास लेता है तो हरि भगति के लिए लेता है। लेकिन हम उसे भगवान बना देते हैं और सोचते हैं कि इसे दान देने से हमारी सारी समस्या खत्म हो जाएंगी। पर क्या ये हमारी समस्याओं को कम कर सकते हैं ? जो अपने बारे में नही जानते वो हमारा भविष्य बता सकते हैं ?क्या दुनियां में हम लोग ही परेशान हैं ? ' नही ' हमारी इस सोच का ये लोग फायदा उठाते हैं। इससे हमारी समस्या तो खत्म नही होती लेकिन हमारा अधिक दान उन्हें पूरा भोगी बना देते हैं। और फिर इससे हमारे समाज में आसाराम जैसे पैदा होते हैं ।
दोस्तों ! ऐसे लोगो से प्रेरित होकर हम लोगो ने " श्याम सेवा समिति" का गठन किया है । 9 साल मे अब तक हम 4 भागवत , 5 राम कथा , कई जरूरत मंद बच्चो की एजुकेशन व 16 गरीब लड़कियों की शादी करवा चुके हैं । इस कार्य में सैकड़ो लोग हमारे सहयोगी बन चुके हैं। और आपसे भी हम यही अपील करते हैं कि आप सभी मानवता में भगवान देखें , हर जरूरत मंद की मदद करें , शास्त्रों का अध्यन करें , अपनी सस्कृति को बचाए ।
No comments:
Post a Comment