Friday, February 17, 2017

आदमी जो करना चाहता है और जो करता है, उसके बीच इतना बड़ा अंतर क्यों होता है ?

Image result for lakshya kaise banayeदोस्तों ! ऐसा लगता है जैसे कुछ लोगो का जन्म ऐसो आराम के लिए होता है। और कुछ लोग सिर्फ जीवन निर्वाह करने के लिए ही दुनियां में पैदा हुए हैं ऐसा क्यों ? अल्बर्ट से किसी ने पूछा कि - 

"आज आदमी के साथ सबसे दुखद बात क्या है ? अल्बर्ट कुछ मिनट मौन रहे और फिर बोले कि आदमी सोचता नही है "

दोस्तों ! अधिकतर देखा जाता हैं कि जब लोग कैरियर शुरू करते हैं । तब सभी के मन में सक्सेस होने का द्रढ़ विश्वास होता है। अगर उनसे उस समय पर पूछोगे की आप कामयाब होंगे ? तो अधिकतर लोगो का यही जवाब मिलेगा कि निशिचित तौर पर कामयाब होगे। आपने महसूस भी किया होगा कि उस समय उनकी आखों में चमक,जीवन के प्रति एक उत्सुकता ,जिज्ञासा व  आशा रहती है। 

लेकिन 65 वर्ष की आयु तक आते आते 100 में से सिर्फ1 व्यक्ति धनी  बनता है और चार आत्मनिर्भर होंते हैं। बाकि 95 जीवन में हार मान कर बैठ  जाते हैं । अब आप सोचिये की 100  में से सिर्फ 5 कामयाब क्यों रहे ? और इतने ज्यादा असफल क्यों रहे ? आदमी जो करना चाहता है और जो करता है, उसके बीच इतना बड़ा अंतर क्यों होता है ? 

जो आदमी पहले लक्ष्य निर्धारित करता है, लक्ष्य निर्धारित करके उसे पाने के लिए सोच समझकर आगे बढ़ता है। जो जानता है कि वह कहा जा रहा है ? और  उसे कहा जाना है ? वही आदमी सफल होता है। लेकिन 100  में से 5 लोग ही ऐसा करते हैं। लक्ष्य निर्धारित रने वाले व्यक्ति सफल होते हैं क्यों की उन्हें मालूम होता है कि किस दिशा में आगे बढ़ना है।  


आप ये देखते भी हो कि बहुत से लोग कड़ी मेहनत व ईमानदारी से काम करते हैं। फिर भी कोई खास मुकाम हासिल नही कर पाते। और कई लोग थोड़ी सी मेहनत से ही ऊचाइयों को छू लेते हैं। आपने गौर किया होगा कि जो आदमी सफल हुआ वो सफलता की दिशा में ही अग्रसर रहा और असफल व्यक्ति हमेशा असफलता की दिशा में ही काम करता रहा। 

ऐसा सिर्फ लक्ष्य निर्धारित ना करने की वजह से ही हुआ। बिना लक्ष्य के आप कही पहुचँ ही नही सकते। लक्ष्य विहीन लोग असफल हो जाते हैं । इसलिए ठोस व सार्थक लक्ष्य बनाए और उसी तरफ अग्रसर हों अनेको लक्ष्य बना कर मन को उसमे ना भटकाए। कार्य शील रहें । वैसे भी  - 

" हम अपनी क्षमता का 10 वा हिस्सा ही प्रयोग करते हैं'' 

जीवन को नियंत्रण करने के लिए अपनी सोच व विचारो पर नियंत्रण रखना चाहिए। हमारी सोच व विचार ही हमे सफलता सम्रद्धि की तरफ ले जाते हैं और विचार ही हमे असफलता और दरिद्रता की तरफ आकर्षति करते हैं । इसलिए सकरात्मक सोचने की आदत डालें । 

" आदमी के लिए सकारत्मक सोचने की बजाए नकारत्मक सोचना ज्यादा आसान होता है "


" नई आदतें आसानी से नही बनती और जब बन जाती हैं तो उम्र भर साथ चलती हैं "

में  the secret हिंदी में देख रही थी उसमे एक बहुत अच्छी बात कही कि -आदमी को अपनी जिदगी जिन्दादिली से जीना चाहिए। मूल्य चुकाए बिना हम कुछ भी हासिल नही कर सकते। हमे अपने मन से सभी अड़चनों व बेड़ियों को काट फेकना होगा और ये सोच कर  काम को आगे बढ़ाना होगा कि-

  "यही काम हमारे लिए दैवीय रूपसे निर्धारित है "

सभी सीमाएं, रेखाएं हमारी खुद की बनाई हुई हैं।  हमारे सामने कल्पनाओं से भी ज्यादा अवसर मौजूद हैं । हमे तमाम सक्रिनता व पूर्वग्राहों से ऊपर उठना होगा। अपनी कल्पना को खुली छूट दें अपने मस्तिक को ऊंची उड़ान भरने दे।  




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