
इससे भी बुरा तब होता जब बच्चा भी ये मान लेता है कि क्रिकट खेलना टाइम पास के लिए तो अच्छा है, लेकिन इसमें फ्यूचर अच्छा नही बन सकता | अच्छे फ्यूचर के लिए डाक्टर या I A S बनंना ही उचित है | और उसका दिमाग इतना नेरोमाइड हो जाता है कि वो दुबारा इस फिल्ड के बारे में सोचने की कोशिस ही नही करता |
दुसरो से प्रभावित होकर किसी एक फिल्ड में एडविसन ले लेता है | और वहा वो ऐसे लेक्चर में बैठ कर कई साल बर्बाद कर देता है, जिसमे उसकी कोई रूचि नही होती | जब रूचि नही होती तो उन क्लास में फॉक्स भी नही कर पाता | और जैसे तैसे कई साल बर्बाद करके डिग्री ले लेता है | इतने विश्वास के साथ में इसलिए कह रही हूं की मेरे बेटा भी ऐसा ही C.A है |
अगर आप बच्चो को फ़ोर्स करने की बजाय उनकी जगह खुद को रख कर देखोगे, तो पता चलेगा कि आप उनके साथ कितना अन्याय कर रहे हो ? जो आप उनसे अपेक्षा करते हो, उस पर खरा उतरना उनके लिए कितना मुश्किल है ? हर इंसान को भगवान ने अलग टैलंट से नवाजा है और जिस इंसान को भगवान ने जिस टैलंट से नवाजा है वो उसी में बेस्ट कर सकता है | दूसरे कार्य में वो जी जान से मेहनत करने पर भी बेस्ट नही कर पाता |
" मछली पानी में बहुत तेज तैरती है, लेकिन पेड़ पर नही चढ़ सकती | और बंदर पेड़ पर बहुत तेजी से चढ़ता है, लेकिन पानी में नही तैर सकता "
इसका मतलब ये नही है कि उनके अंदर टेलेंट की कमी है 'नही ' बंदर में पेड़ पर चढ़ने का टेलेंट है और मछली में पानी में तैरने का टेलेंट है | एक दूसरे के काम में वो कभी निपुण नही बन सकते | और हर कार्य में निपुण बनने की कोशिस भी नही करनी चाहिए |
इसका मतलब ये नही है कि उनके अंदर टेलेंट की कमी है 'नही ' बंदर में पेड़ पर चढ़ने का टेलेंट है और मछली में पानी में तैरने का टेलेंट है | एक दूसरे के काम में वो कभी निपुण नही बन सकते | और हर कार्य में निपुण बनने की कोशिस भी नही करनी चाहिए |
" हर कार्य में निपुण बनने की कोशिस करने वाले किसी भी कार्य में निपुण नही बन सकते, हर कार्य में औसत बन कर रह जाते हैं | हर बीमारी का इलाज करने वाले डॉक्टर एक इस्पेसलिस्ट डॉक्टर से कम कमाते है "
अगर आप एक्स्ट्रा ओडिनरी बनना चाहते हो तो अपनी पसंद की फिल्ड में इतने अच्छे बनो, उसकी इतनी नालिज रखो ,जितनी किसी और के पास ना हो | जब आप उस फिल्ड की मास्ट्री करने लगोगे तो आप इतने सक्सेस फूल बन जाओगे, जितना की आप ने सोचा भी नही होगा | और लोग आप को एक्स्ट्रा ओडिनरी कहने लगेंगे |
कई पैरेंट्स को देखा होगा कि वो खुद अपनी फिल्ड में सक्सेस नही होते |लेकिन अपने सपनो को अपने बच्चो पर लांधने की गलती करते हैं कि वो उन्हें पूरा करें उनकी पसंद की फिल्ड में सक्सेस हों | थॉमस मर्टन ने लिखा था कि -
" हममे से हर एक का किसी न किसी तरह का पेशा होता है | ईश्वर हम सभी से उस के जीवन और सम्राज्य का हिस्सा बनने का आवाहन करता है| इस सम्राज्य में हममे से हर एक के लिए एक खास जगह तय है अगर हम उस जगह को खोज लेते हैं तो हम सुखी हो जाते हैं अगर हम उसे नही खोज पाते हैं तो हम कभी पूरी तरह खुश नही रह सकते "
अब आप बताओ की बच्चे दुसरो की फिल्ड में कैसे सक्सेस हो सकते हैं ?और सक्सेस हो भी गए तो क्या खुश रह सकेंगे ? जब बच्चे उस काम में खुश नही रहेंगे तो वो कार्य बच्चो को बोझ लगने लगेगा ? ऐसी स्थति में पूरी जिंदगी या तो उस बोझ को ढोयेगे या फिर अपनी फिल्ड बदलने की सोचेगे | ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन्होंने सक्सेस होने के बाद फिल्ड बदली हैं जैसे रोमन सैनी डाक्टर थे वे अब भारतीय ऐजुकेशन को मजबूत बना रहे हैं | कैलाश सत्यार्थी कैलास सत्यार्थी जी ने इंजिनयरिंग छोड़ कर समाज सेवा को अपना लक्ष्य बनाया
इंसान अपनी पूरी मेहनत पूरी काबिलयत लगाने के बाद भी एक जगह आकर अटक जाता है, जहां उन्हें एक अच्छे मेन्टर( कोच ) की जरूरत पड़ती | जो उसकी ऊगली पकड़कर उसे चला सके, उसे सही रास्ता दिखा सके, वो गलत सही की पिक्चर दिखा सकें | डॉ उज्व्वल पटनी का कहना है कि -
" मेंटोर एक्स्पीरियस होना चाहिए, खुद अचीवर होना चाहिए | अचीवमेंट या शिखर तक पहुंचने का रास्ता वो दिखा सकता है, जिसने कुछ हासिल किया हो |
अगर आप चाहते हो कि आपके बच्चे अपनी फिल्ड में सक्सेस हों तो पहले खुद को प्रूव करो, खुद को प्रूव करके ही आप बच्चो की लाइफ बदलने में सक्सेस हो सकते हो | पेरेंट्स को पहले अच्छा मेंटोर बनना पड़ता तब आपसे सीख कर बच्चे आगे बढ़ते हैं | जब आप सक्सेस हो तो बच्चो के लिए सक्सेस होना मुश्किल नही होता क्योकि बच्चे पेरेंट्स से हर सिचवेशन डील करना सीखते हैं | आपने देखा भी होगा जिनके पेरेंट्स अपने रिस्ते , कैरियर , या अन्य सिचवेशन को अच्छी तरह डील नही कर पाते, उनके बच्चो को भी ऐसी सिचवेशन डील करने में दिक्क्त होती है |
कई लोग बच्चो के फैलियर की वजह सुने बिना, उनकी परिस्थति को जाने बिना तुरंत रिएक्ट करते हैं और उनकी की आलोचना करना शुरू कर देते हैं | जब की आलोचना या उन पर नाराजगी करना उचित नही है | ज्यादातर लोगो को देखते हैं कि वे दुसरो के सामने खुद को कमतर आंकने लगते हैं या दुसरो की सक्सेस से जलने लगते हैं | तब अपने बच्चो से उम्मीद करने लगते हैं कि हमारे बच्चे सक्सेस हो| जब वो नही हो पाते या उन्हें सक्सेस होने में अधिक समय लगता है तो पेरेंट्स होपलेस होने लगते हैं | उन्हें लगता है कि बच्चे उनकी परस्थति नही समझते इसलिए उन्हें गुस्सा आने लगता है |
बहुत कम पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चो की मजबूरी समझते हैं |उनके शब्दों के पीछे छिपी मजबूरी को समझ पाते हैं | ज्यादातर पेरेंट्स को यही लगता है कि वे सही हैं और बच्चे गलत हैं | कितनी बार ऐसे मौके आते हैं जब बच्चो को हमारी इमोशनली स्पोट की जरूरत होती है, लेकिन हम रुखा व्यवहार करके झड़क देते हैं | लेकिन जब वे परिस्थतियों के चलते अपनी जिम्मेदारी अच्छी नही संभाल पाते तो हमे दुख होता है |
बच्चो को नसीहत देने से पहले थोडी देर रुककर सोचें, फिर अपनी राय दें | तब आप ठंडे दिमाग से और उसकी परिस्थतियों को समझकर राय देंगे | धैर्य और समझबूझ से जीने वाले ज्यादा अच्छा जीवन जी सकते हैं | हमेशा अपने बच्चो को ज्यादा अच्छी तरह से अपने अनुभव बाट सकते हैं | जीवन में धैर्य और दुसरो को समझने का बड़ा महत्व है| ये हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं | ये गुण हमें तुरंत किसी को नसीहत देने या बुराई करने से रोकते हैं | दुसरो को समझने की कोशिश करनी चाहिए | उनकी की परस्थतियों को समझने की कोशिस करनी चाहिए |