Friday, July 28, 2017

नसीहत देना कितना आसान है ?


Related imageहैलो दोस्तों ! जब एक बच्चा बोलता है कि मुझे क्रिकेटर बनना है, तो या तो ज्यादातर पेरेंट्स हंसते हैं या गुस्सा करते हैं | और फिर उसे समझाने की कोशिस करते हैं कि बेटा क्रिकट बेकार की चीज है | इसमें अच्छा फ्यूचर नही बन सकता | उसका बेटा I AS बन गया ,इसकी बेटी DR बन गई | इतना कमा रहे हैं आप भी ऐसा ही करो, ऐसी नसीहत देने लगते हैं | और सोसायटी भी उसके दिमाग में बैठा देती है कि अच्छा पैसा कमाने से ही फ्यूचर सैफ है |  
        
इससे भी बुरा तब होता जब बच्चा भी ये मान लेता है कि क्रिकट खेलना टाइम पास के लिए तो अच्छा है, लेकिन इसमें फ्यूचर अच्छा नही बन सकता | अच्छे फ्यूचर के लिए डाक्टर या I A S बनंना ही उचित है | और उसका दिमाग इतना नेरोमाइड हो जाता है कि वो दुबारा इस फिल्ड के बारे में सोचने की कोशिस ही नही करता |

दुसरो से प्रभावित होकर किसी एक फिल्ड में एडविसन ले लेता है | और वहा वो ऐसे लेक्चर में बैठ कर कई साल बर्बाद कर देता है, जिसमे उसकी कोई रूचि नही होती |  जब रूचि नही होती तो उन क्लास में फॉक्स भी नही कर पाता | और जैसे तैसे कई साल बर्बाद करके डिग्री ले लेता है | इतने विश्वास के साथ में इसलिए कह रही हूं की मेरे बेटा भी ऐसा ही C.A है | 

अगर आप बच्चो को फ़ोर्स करने की बजाय उनकी  जगह खुद को रख कर देखोगे, तो पता चलेगा कि आप उनके साथ कितना अन्याय  कर रहे हो ?  जो आप उनसे अपेक्षा करते हो, उस पर खरा उतरना उनके लिए कितना मुश्किल है ? हर इंसान को भगवान ने अलग टैलंट से नवाजा है और जिस इंसान को भगवान ने जिस टैलंट से नवाजा है वो उसी में बेस्ट कर सकता है | दूसरे कार्य में वो जी जान से मेहनत करने पर भी बेस्ट नही कर पाता | 

मछली पानी में बहुत तेज तैरती है, लेकिन पेड़ पर नही चढ़ सकती | और बंदर पेड़ पर बहुत तेजी से चढ़ता है, लेकिन पानी में नही तैर सकता "  

इसका मतलब ये नही है कि उनके अंदर टेलेंट की कमी है 'नही ' बंदर में पेड़ पर चढ़ने का टेलेंट है और मछली में पानी में  तैरने का टेलेंट है | एक दूसरे के काम में वो कभी निपुण नही बन सकते | और हर कार्य में निपुण बनने की कोशिस भी नही करनी चाहिए | 

" हर कार्य में निपुण बनने की कोशिस करने वाले किसी भी कार्य में निपुण नही बन सकते, हर कार्य में औसत बन कर रह जाते हैं |  हर बीमारी का इलाज करने वाले डॉक्टर एक इस्पेसलिस्ट डॉक्टर से कम कमाते  है "

अगर आप एक्स्ट्रा ओडिनरी बनना चाहते हो तो अपनी पसंद की फिल्ड में इतने अच्छे बनो, उसकी इतनी नालिज रखो ,जितनी किसी और के पास ना हो | जब आप उस फिल्ड की मास्ट्री करने लगोगे तो आप इतने सक्सेस फूल बन जाओगे, जितना की आप ने सोचा भी नही होगा | और लोग आप को एक्स्ट्रा ओडिनरी कहने लगेंगे | 


कई पैरेंट्स को देखा होगा कि वो खुद अपनी फिल्ड में सक्सेस नही होते |लेकिन अपने सपनो को अपने बच्चो पर लांधने की गलती करते हैं कि वो उन्हें पूरा करें उनकी पसंद की फिल्ड में सक्सेस हों | थॉमस मर्टन ने लिखा था कि -

" हममे से हर एक का किसी न किसी तरह का पेशा होता है | ईश्वर हम सभी से उस के जीवन और सम्राज्य का हिस्सा बनने का आवाहन करता है|  इस सम्राज्य में हममे से हर एक के लिए एक खास जगह तय है अगर हम उस जगह को खोज लेते हैं तो हम सुखी हो जाते हैं अगर हम उसे नही खोज पाते हैं तो हम कभी पूरी तरह खुश नही रह सकते "


अब आप बताओ की बच्चे दुसरो की फिल्ड में कैसे सक्सेस हो सकते हैं ?और सक्सेस हो भी गए तो क्या खुश रह सकेंगे ? जब बच्चे उस काम में खुश नही रहेंगे तो वो कार्य बच्चो को बोझ लगने लगेगा ? ऐसी स्थति में पूरी जिंदगी या तो उस बोझ को ढोयेगे या फिर अपनी फिल्ड बदलने की सोचेगे | ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन्होंने सक्सेस होने के बाद फिल्ड बदली हैं जैसे रोमन सैनी डाक्टर थे वे अब भारतीय ऐजुकेशन को मजबूत बना रहे हैं |  कैलाश सत्यार्थी कैलास सत्यार्थी जी ने इंजिनयरिंग छोड़ कर समाज सेवा को अपना लक्ष्य बनाया 

इंसान अपनी पूरी मेहनत पूरी काबिलयत लगाने के बाद भी एक जगह आकर अटक जाता  है, जहां उन्हें एक अच्छे मेन्टर( कोच ) की जरूरत पड़ती | जो उसकी ऊगली पकड़कर उसे चला सके, उसे सही रास्ता दिखा सके, वो गलत सही की पिक्चर दिखा सकें | डॉ उज्व्वल पटनी का कहना है कि -

मेंटोर एक्स्पीरियस होना चाहिए, खुद अचीवर होना चाहिए | अचीवमेंट या शिखर तक पहुंचने का रास्ता वो दिखा सकता है, जिसने कुछ हासिल किया हो |  

अगर आप चाहते हो कि आपके बच्चे अपनी फिल्ड में सक्सेस हों तो पहले खुद को प्रूव करो, खुद को प्रूव करके ही आप बच्चो की लाइफ बदलने में सक्सेस हो सकते हो | पेरेंट्स को पहले अच्छा मेंटोर बनना पड़ता तब आपसे सीख कर बच्चे आगे बढ़ते हैं | जब आप सक्सेस हो तो बच्चो के लिए सक्सेस होना मुश्किल नही होता क्योकि बच्चे पेरेंट्स से हर सिचवेशन डील करना सीखते हैं | आपने देखा भी होगा जिनके पेरेंट्स अपने रिस्ते , कैरियर , या अन्य सिचवेशन को अच्छी तरह डील नही कर पाते, उनके बच्चो को भी ऐसी सिचवेशन डील करने  में दिक्क्त होती है |  

कई लोग बच्चो के फैलियर की वजह सुने बिना, उनकी परिस्थति को जाने बिना तुरंत रिएक्ट करते हैं और उनकी की आलोचना करना शुरू कर देते हैं | जब की आलोचना या उन पर नाराजगी करना उचित नही है | ज्यादातर लोगो को देखते हैं कि वे दुसरो के सामने खुद को कमतर आंकने लगते हैं या दुसरो की सक्सेस से जलने लगते हैं | तब अपने बच्चो से उम्मीद करने लगते हैं कि हमारे बच्चे सक्सेस हो|  जब वो नही हो पाते या उन्हें सक्सेस होने में अधिक समय लगता है तो पेरेंट्स होपलेस होने लगते हैं | उन्हें लगता है कि बच्चे उनकी परस्थति नही समझते इसलिए उन्हें गुस्सा आने लगता है | 

बहुत कम पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चो की मजबूरी समझते हैं |उनके शब्दों के पीछे छिपी मजबूरी को समझ पाते हैं | ज्यादातर पेरेंट्स को यही लगता है कि वे सही हैं और बच्चे गलत हैं | कितनी बार ऐसे मौके आते हैं जब बच्चो को हमारी इमोशनली स्पोट की जरूरत होती है, लेकिन हम रुखा व्यवहार करके झड़क देते हैं | लेकिन जब वे परिस्थतियों के चलते अपनी जिम्मेदारी अच्छी नही संभाल पाते तो हमे दुख होता है |

बच्चो को नसीहत देने से पहले थोडी देर रुककर सोचें, फिर अपनी राय दें | तब आप ठंडे दिमाग से और उसकी परिस्थतियों को समझकर राय देंगे | धैर्य और समझबूझ से जीने वाले ज्यादा अच्छा जीवन जी सकते हैं | हमेशा अपने बच्चो को  ज्यादा अच्छी तरह से अपने अनुभव बाट सकते हैं | जीवन में धैर्य और दुसरो को समझने का बड़ा महत्व है| ये हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं | ये गुण हमें तुरंत किसी को नसीहत देने या बुराई करने से रोकते हैं | दुसरो को समझने की कोशिश करनी चाहिए | उनकी की परस्थतियों को समझने की कोशिस करनी चाहिए | 



Sunday, July 23, 2017

आपकी सफलता में रुकावट आप खुद है !!!



Image result for safaltaहाय दोस्तों ! अगर आप ध्यान दें तो देखेंगे कि आपकी सफलता में रुकावट आप खुद है | अपनी ही कुछ गलत एक्टिविटीज से हम खुद ही अपनी सक्सेस  का रोड़ा बनतें हैं |  आइये जानते हैं कैसे - 

टाइम किलर एक्टिविटीज  :- दोस्तों ! हमअपना कीमती समय अँसेसरी कार्यो  व विचारों में बर्बाद कर देते हैं | जैसे हम सभी कुछ ना कुछ कार्य करते हैं लेकिन उसमे कुछ भूल या गलती हो जाती हैं तो उस भूल या हानि के बारे में हम सोच सोच कर खुद को पीड़ा पहुंचाते हैं और रुक कर खड़े हो जाते हैं | आप कहेगे ऐसा होना स्वाभिक है तो आप तनिक सूर्य की तरफ देखिये वो हर रात अंधकार से लड़ता है फिर भी शुबह नई ऊर्जा व नये तेज के साथ उदित होता है और संसार को नियमित रूप से प्रकाश देता है |  

बिना प्लानिंग के कार्य करना  :- दोस्तों !  मेरी एक बात याद रखना, ऐसे लोग जीवन में कभी सक्सेस नही हो सकते, जो सही से प्लानिंग नही करते | सक्सेस की पहली सीढ़ी सही प्लानिंग है | जिसने सही प्लानिंग कर ली सोच लो वो सक्सेस की पहली सीढ़ी चढ़ गया | सक्सेस होने के लिए हर कार्य को करने से पहले उसकी अच्छी तरह से  सोच समझकर प्लानिंग करें, तभी उस कार्य में सक्सेस मिल सकती है | लेकिन हम सोचने के लिए वक्त नही निकालते किसी ने सही कहा है कि -

"संसार की सभी समस्याएं आसानी से हल हो सकती हैं यदि इंसान सोचने को तैयार हो ,लेकिन दिक्क्त यह है कि अक्सर मनुष्य यह कोशिश करता है कि उसे कुछ सोचना ना पड़े क्युकि सोचना कठिन  लगता है "

 हार मान लेना  :- दोस्तों! में एक आर्टिकल पढ़ रही थी  उसमे एक बहुत अच्छी बात लिखी थी -

"लाख मुश्किलें आए ,बार -बार असफलता सामने आए, लेकिन जिंदगी का मुकाम वही होता है, जो आप तय करते हैं"

इसलिए जुट जाइये | जी - जान से लक्ष्य का पीछा कीजिए सफलता जरूर मिलेगी | ए पी जे अब्दुलकलाम जी ने अपने भाषण में एक बात कही थी -

" कोई इंसान कितना भी छोटा क्यों ना हो उसे  हौसला नही छोड़ना चाहिए | मुश्किलें मुशीबतें जिंदगी का हिस्सा हैं और तकलीफें कामयाबी की सच्चाइयां हैं | जैसे किसी ने कहा है  - खुदा ने ये वादा नही किया आसमान हमेशा नीला ही रहेगा ,जिंदगी भर फूलों से भरी राहें मिलेंगी | खुदा ने ये वादा नही किया कि सूरज है तो बादल नही होगें ,ख़ुशी है तो गम नही होगा , सकूंन है तो दर्द नही होगा "

मुझे ये गरूर नही कि मेरी जिंदगी सबके के लिए मिसाल बनेगी | मगर ये  हो सकता है कि कोई मायूस बच्चा किसी गुमनाम जगह पर जो समाज की किसी नामजूर हिस्से से हो, वो पढ़े उसे चेन मिले ,ये पढ़े उसकी उम्मीद रोशन हो जाएं| हो सकता है कुछ बच्चों को ना उम्मीदी से बाहर ले आए और जिसे वो मजबूरी समझते हैं वो मजबूरी ना लगे उन्हें यकीन रहे कि वे जहां भी हैं खुदा उनके साथ है | 

पेशेंस की कमी :- सक्सेस योग्यता,कड़ी मेहनत के साथ साथ समय मांगती है | कार्य को सफल बनाने के लिए जितनी एनर्जी की जरूरत होती है उतनी लगानी ही पड़ती है | आपने दुनियां के जितने भी महान लोगो के बारे में सूना है या देखा है- उन्हें सक्सेस रातो - रात  व आसानी से नही मिली | उन्होंने 16 से 18 घंटे सालों काम किया है | मुसीबतों का सामना किया है तब जाकर वे सक्सेस हुए हैं | महाभारत में लिखा है कि -

" जो इंसान अपने कार्य से आशाए व इच्छाएं नही रखता उसी व्यक्ति के कार्य पूर्ण होते हैं | एक असफलता से दुखी होकर जिसका मन नही डोलता ,एक सफलता से आनंदित होकर खुद को श्रेष्ठ नही मानता ऐसा व्यक्ति जीवन में बार - बार सफल होता है "  
  


    


Sunday, July 16, 2017

सपना और सफलता के संबंध में, सफल लोगो के 21 अनमोल विचार !!!

  

1 जिंदगी में ऊचा मुकाम हासिल करने के लिए बड़े सपने देखना अनिवार्य है | जो व्यक्ति ख्वाब देखता है वही व्यक्ति उपलब्धि हासिल करता है | 

2 सपने ऐसे देखो जो आपके अंदर बेचैनी पैदा कर दें आपको सोने ना दें |

3  आपको अपने सपने पर विश्वास होना चाहिए अगर आपको अपने सपने पर विश्वास नही है अगर आपको उसके पूरा होने पर थोड़ा सा भी संदेह है तो आपका मन डामाडोल रहेगा | ऐसी स्थति में आपका मन आपके सपने को पूरी तरह से ग्रहण नही करेगा |

4 सपने देखो तो उन पर यकीन करो | जो आँखे सपना देखती हैं वे उन्हें पुरा करने का रस्ता भी खोज लेती हैं |

5  जिन लोगो ने दुनियां को बदला है उन्होंने दुनियां को बदलने का सपना देखा था | 


6 इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि सपना देखते समय आपकी आर्थिक स्थति कैसी है ,आपकी शिक्षा कितनी है, आपकी उम्र कितनी है, आप किस पद पर काम करते हैं | फर्क तो इस बात से पड़ता है कि आप कितना बड़ा सपना देख रहे हैं अगर आपका सपना पर्याप्त बड़ा है तो वास्तविकता से कोई फर्क नही पड़ता है | 



7 अगर सपने के साथ प्रबल विश्वास ,संकल्प , लग्न और कड़ी मेहनत है तो वह हकीकत में बदल सकता है | मन आपको वही देता है जो आप सपना देखते हैं | 

8  बड़ी सफलता पाने वाले लोग बड़े सपने देखते हैं बड़े सपने की वजह से ही उन्हें बड़ी सफलता मिलती है

9  अपना सपना पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दे दो तन ,मन ,धन, समय अपनी हर ख़ुशी | तो आपका सपना पूरा होकर रहेगा | 


10  सफलता की राह में कई मुश्किलें आएंगी, लेकिन अगर आप अपने  सपने पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो आपको मुश्किल दिखती ही नही हैं सिर्फ अपना सपना  दिखता है | सपना एक लक्ष्य की तरह हमेशा आप की आखों के सामने रहता है |

 11 विपरीत परिस्थति में भी अपने सपने को मरने नही देना चाहिए उसे पाने की हर संभव कोशिस करनी चाहिए | सफलता अवश्य मिलती है |


12 आप थक गए हो, हार गए हो तो भी अपने सपने को साकार करने की सकरात्मकता होनी चाहिए |


13  संसार में जिन व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की वे पहले केवल एक स्वप्न के रूप में थीं | पता नही इन सपनो को कितने दिन तक इन विचारको और महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने अपने मस्तिक में बैठाए रखा अंधकारपूर्ण घनी रातें ,निराशा की उबड़ खाबड़ घाटियां ,मुर्ख मित्रो और साथियों के ताने ना जाने इन विश्व विजेताओं को काटों के समान चुभते रहे होंगे, किन्तु बैठकर देखते रहने से ही रास्ता पुरा नही होता मंजिल नही मिलती है | 

14  हर इंसान के कुछ सपने होते हैं कुछ लोग उन्हें पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और सफल हो जाते हैं | और  कुछ केवल सपने देखते रह जाते हैं |

15 सपने देखना ही काफी नही होता उन्हें साकार करने के लिए मेहनत भी करनी पड़ती है | और सौभाग्य से मेहनत करने की क्षमता शारीरिक नही बल्कि मानसिक होती है | 

16 अगर सपना हो और मेहनत करने का जज्बा हो तो सफलता की यात्रा मुश्किल नही होती | 

17 अपने समय का हर मिनट सिर्फ उसी कार्य में लगाओ जो तुम्हें तुम्हारे सपने के पास लेकर जा रहा हो |


18 सफल व्यक्ति असफल व्यक्ति से ज्यादा मेहनत करते हैं | कामचोर व्यक्ति काम से तो बच सकते है लेकिन वह अपने सपने को साकार नही कर सकते |


19  वैज्ञानिको का दवा है कि इंसान अपनी क्षमता का 15 % उपयोग करता है अगर पुरे विश्वास और लग्न के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो सपना अतिरिक्त मानसिक क्षमता का ताला खोल देता है और आपको उसे साकार करने की ऊर्जा शक्ति और समाधान अपने आप मिल जाता है|  



20 ज्यादातर लोगो के पास सपने ही नही होते | और अगर होते भी हैं तो उन्हें साकार करने का भरोषा नही होता | और अधिकांश लोग अपने सपने को साकार करने के लिए मेहनत नही करते | 



21 जो लोग सुख पाने के सपने तो देखते हैं लेकिन उसके लिए अपने आपको कस कर काम करने के लिए तैयार नही करते | अपने काम की कीमत कितनी हो सकती है यह जाने बगैर, उन्हें काम के बदले पैसे ज्यादा चाहिए तो उनके सपने अधूरे रह जाते हैं | 

Monday, July 10, 2017

बेटीयों के बिना कल की कल्पना असंभव है !!!






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दोस्तों !  हमारे समाज में  बेटो के जन्म लेने से लोगो के दिल में ख़ुशी होती हैं,और बेटीयों के पैदा होने पर ख़ुशी नही होती | ऐसा क्यों ? क्या ये बेटीयों का अपमान नही है ? घरो  में देवी की पूजा करते हैं ,लक्ष्मी को मनाते हैं और घर आई लक्ष्मी को देखकर माथा ठिनकता है | श्रष्टि की धुरी है नारी, फिर नारी जन्म का दुख मनाकर अपमान क्यों करते हो ? जब बेटी नही होगी तो माँ बहन व पत्नी कहा से आएंगी | एक बेटी ही किसी की बहन किसी की पत्नी फिर माँ बनती है | और अगर माँ नही होगी तो बेटा कहा से होगा ? ये सृस्टि आगे कैसे  बढेगी ? 


 "जब माँ चाहिए पत्नी चाहिए, बहन चाहिए फिर  बेटी क्यों नही चाहिए  ?


बेटियों की दिन पर दिन घटती समस्या विकट रूप धारण करती जा रही है | महिलाओं के खिलाप बढ़ते अपराधों के कारण जैसे -दहेज के लिए हत्या ,बलात्कार ,गरीबी, अशिक्षा व लिंग भेद के कारण कन्या भ्रूण हत्या हो रही है | इसी की वजह से  कुछ सालों से पुरषो के मुकाबले महिलाओं की संख्या में काफी गिरावट आई है | समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए, समाज को सशक्त बनाने के लिए लड़कियां भी लड़को की जितनी ही महत्वपूर्ण हैं | बेटियों को बराबर का हक दीजिये | किसी  ने  सही कहा  है कि - 


"राष्ट्र को अगर प्रगति के रस्ते ले जाना है ,तो नारी को बराबरी का दर्जा देना होगा "  

ये समाजिक मुद्दा है जिसे गंभीरता से लेना जरूरी है | लड़कियां देश व समाज के विकाश और वृद्धि के लिए अनिवार्य हैं | इसलिए बेटी को पढाना और बढ़ाना जरूरी है | पढ़ी लिखी बेटी घर व समाज के हित के बारे ज्यादा अच्छा सोच सकती है | किसी ने सही लिखा है कि -

 " विकसित राष्ट्र की करनी है कल्पना ,बेटियों को होगा आगे पढ़ना "

आज कल थोड़ी सी सोच बदली है, बेटी अब चार दीवारों में बंद ना रहकर बेटे की बराबर में खड़ी हुई हैं | लेकिन आज भी नारी मोहताज है, नारी के  हर मार्मिक डिसीजन शादी से पहले पिता और भाई लेता है | और शादी के बाद पति व ससुराल वाले लेते हैं |  बेटी को कॅरियर क्या चुनना है, शादी किस से करनी है , कहा रहना है ये डिसीजन आज भी ज्यादातर नारी खुद नही लेतीं  | जिस समाज में नारी मोहताज है समझ लो कि उस समाज का पतन निश्चित है |


"स्त्री पुरुष जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं , जो एक दूसरे के पूरक हैं एक दूसरे के बिना नही चल सकते | अगर एक पहिया भी कमजोर पड़  जाये तो जीवन रूपी गाड़ी डगमगा जाती है | फिर स्त्री रूपी पहिया को कमजोर क्यों कर रहे हो ? "

बेटियों का नाम लेते  ही दिल में ख़ुशी होती | कोई भी त्यौहार हो अगर घर में  बहन बेटी ना हो तो घर सूना सूना लगता है | घर की रौनक हैं बेटी | फिर भी घर में एक बेटी हुई तो ठीक है लेकिन घर में अगर दूसरी बेटी पैदा हो जाये तो कही ना कही दिल में अनकहा दुख जरूर होता देखा जाता  है | और ताजुब की बात तो ये है कि महिलाओ को ही दुख सब से ज्यादा होता है | हर किसी के दिल में यही इच्छा रहती है कि उनके घर में एक बेटी है तो दूसरा बेटा जन्म ले | जब कि अगर एक बेटा है और दूसरा भी बेटा हुआ तो खुश होंगे | 

जिस दिन से घर में बेटी  जन्म लेती है, उस दिन से ही ये कहा जाता है कि बेटी किसी और की अमानत है | ये कुछ दिन की मेहमान है  बेटी दो कुलों को संभालती है | कुलीन संस्कारो की बेटी घर को स्वर्ग बना देती है | इसलिए बेटी की परवरिश पर पेरेंट्स बेटे से भी ज्यादा ध्यान देते हैं| लेकिन -

"बेटी को चाँद की तरह मत पालो, कि जो भी आये उसे घूर के चला जाये | सूरज की तरह पालो जो भी देखे सिर झुक जाये "


इसके लिए बचपन से ही बच्चों को लिंग समानता की सीख दें | लड़कियों को नाजुक बनाकर ना पालें | ये ना सोचें की लड़कियां पुरुषो वाले कार्य नही कर सकती या पुरषो से किसी भी चीज में कमजोर हैं , ये सिर्फ विकृत सोच है | लड़कियों के लिए शुरू से ही घर परिवार की प्राथमिकता ज्यादा महत्वपूर्ण बताई  जाती थी इसलिए उनकी जिंदगी घर तक सीमित थी | सही कहा है किसी ने - 

" महिलाएं हमेशा महिलाए नही होती उन्हें महिलाएं बनाया जाता है | माँ परिवार समाज सिखाने लगता है कि उन्हें क्या करना चाहिए व क्या नही करना चाहिए "

अब किसी भी फिल्ड में लड़कियां लड़को से कंधा मिलाकर चलती हैं  | चाहें लीडर हो , फ़ोर्स हो , डॉक्टर, इंजीनियर या कोई अन्य फिल्ड हो लड़कीयां हर फिल्ड में आगे हैं |  किसी भी क्षेत्र में बेटी बेटो से कम नही हैं इसलिए हर बेटी को बेटे का बराबर हक दो उन्हें पढ़ने का ,आत्म निर्भर होने का स्पेस दो उन पर विश्वास करो |  फिर देखो बेटी बेटे से भी आगे दिखेंगी | अब समय आ गया है कि हमारे समाज को जागरूक होकर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर ध्यान देने की जरूरत है |


















Friday, July 7, 2017

डेली रूटीन ही हमे सक्सेसफुल या फैलियर बनाता है !!!





Image result for daily routineदोस्तों ! चौबीस घंटो पर ही हमारी सक्सेस या फैलियर टिकी हुई है | चाहे तो आप चौबीस घंटो को सही से युटिलाइज करके, लाइफ में सक्सेसफुल  हो जाओ, या चौबीस घंटे आप  मौज मस्ती में बर्बाद कर के फैलियर बन जाओ | हम सोचते तो बहुत ज्यादा हैं, लेकिन  उतना कर नही पाते | इसी वजह से ह्म लक्ष्य तक नही पहुंच पाते या देर से पहुंते हैं जैसे साईकिल के दोनों पहिए साथ -साथ चलते हैं तभी जा कर मंजिल तक पहुंच पाते हैं | ऐसे ही हमारी बॉडी व दिमाग का साथ साथ व सही चलना अविवार्य है | डेली रूटीन ही हमे सक्सेसफुल या फैलियर बनाता है | हम गलत रूटीन के चलते काफी समय व एनर्जी बर्बाद कर देते हैं | सक्सेसफुल होने के लिए डेली रूटीन का  सही होना जरूरी है | डेली रूटीन कैसे बनाए आइये जानते हैं -

सुबह जल्दी उठें :- दोस्तों ! दिन की शुरआत के लिए एनर्जी की जरूरत होती है और एनर्जी आपको एक्सरसाइज, जीम, योगा व हेल्दी डाइट से मिलती है| ज्यादातर सक्सेस लोगो को आपने जल्दी उठते देखा होगा | वे लोग जल्दी उठते हैं और जल्दी उठ कर अक्सर साइज ,जीम या योगा करते और हेल्दी डाइट लेते हैं जिससे उनका शरीर फिट व सुंदर दिखता हैं | और इससे पूरा दिन गुड़ फील करते हैं | 

कुछ समय खुद को दें :- अपने लुक पर ध्यान दें, बेहतर तरीके से रहें , कुछ अच्छी किताबे पढ़ें, मोटिवेशनल वीडियो सुने, इससे आप मोटिवेट रहेंगे और अधिक से अधिक इन्फर्मेशन इकठी कर सकेंगे | कहते हैं कि- 

       "जितनी अधिक इन्फर्मेशन उतनी बड़ी इनकम "

हमेशा अपने से सीनियर  लोगो के साथ कार्य करें आपको उनसे सीखने के लिए उनका अनुभव मिलेगा | इंसान हर समस्या का समाधान निकाल सकता है अगर वो कुछ समय कुछ शांत दिमाग से बैठकर सोचें | लेकिन  हमारी समस्या ही ये है कि हम समस्याओं का रोना तो रोते रहते हैं लेकिन कुछ समय सोचने के लिए नही निकालते |  

जरुरी कार्य पहले करें  :-  दोस्तों  डेली रूटीन मे ऐसे कार्यो की लिस्ट नंबर 1 पर हो जो आपको आपके टारगेट तक पहुंचा सके | प्लानिंग करते समय अपने कार्यो को जरूरत के हिसाब से रखें जो ज्यादा जरूरी है उसे पहले करें | जैसे आज आपको ५ कार्य करने जरूरी हैं तो सबसे ज्यादा जरूरी पहले नंबर पर फिर दूसरे व तीसरे नंबर पर रखें | इससे आप ज्यादा काम सही समय व सही तरीके से कर पाओगे |

जो भी करें प्लानिंग के साथ करें  :-  हर कार्य की प्रायटी पर ध्यान दें | जैसे फिजिकली ,मेंटली ,सोशली , रिलेशनशिप व अपना ऐम | ऐसा उचित नही है कि सक्सेसफुल होने के लिए आप सब कुछ छोड़ दो | और पता चले की जब आप सक्सेसफुल हुए तो सक्सेस को सेलीब्रेट करने के लिए ना आप फिजिकली फिट हैं और ना आपके साथ आपका परिवार ,दोस्त व रिलेटिव  है | अपने समय को अपने हिसाब से कम या ज्यादा लगा कर अपने कार्य को समय रहते क्वालटी के साथ पूरा करें | जब आप अपने कार्य को समय दोगे तो आप उस कार्य के मास्टर बन जाओगे | और आपकी ये योग्यता ही आपको आपके कार्य में  सक्सेसफुल बनाएगी | 

कार्य करते वक्त कार्य की क्वांटिटी से ज्यादा क्वालटी पर ध्यान दें :- अगर आपके कार्य की क्वालटी अच्छी होगी तभी लोग आपके कार्यो को पसंद करेंगे | आपके अच्छे कार्य ही आपको सक्सेस बनाएंगे | इसलिए कार्य करते वक्त ये मत देखो कि आपने कितने घंटे कार्य किया है या कितना कार्य किया है | ये देखो की आपने कितने समय में कितना अच्छा कार्य किया है| अगर आप पुरे दिन लगे रहे और बहुत कार्य किये लेकिन क्वालटी डाउन रही तो आपका करा कराया काम बेकार  हो जायेगा | लोग समय को नही अच्छे कार्य को याद रखते हैं | और अगर आपने थोड़े ही समय में अच्छा कार्य किया है वो कार्य ही सक्सेसफुल बनाने के लिए पर्याप्त होगा | किसी ने सही कहा है कि -

" सफलता केवल घंटे नही मांगती बल्कि , परफेक्ट काम के घंटे  मांगती है " 

ऐसे कार्यो को अवॉइड करें जो आपका समय बर्बाद करते हैं :-  Time killer activities  को हमे अपने डेली रूटीन से अवॉइड  करना चाहिए | जैसे T .V  whatsapp , fecboke  और अँसेसरी कार्यो में समय बर्बाद ना करें | या जो कार्य आपकी सक्सेस की राह मे रुकावट डालते हैं ऐसे कार्यो को हमे छोड़ देना चाहिए | ऐसा करने से आपका टाइम बर्बाद होने से बचेगा और आप अपने कार्य पर ज्यादा फॉक्स कर पाओगे | 

डेली सात आठ घंटे कार्य करें :- जो लोग दस पंद्रह घंटे काम करते हैं उन लोगो का जल्दी ही उस काम से मन भर जाता है और फिर वो दिल लगाकर काम नही कर पाते | जिससे काम की क्वांटिटी व क्वालटी दोनों डाउन हो जाती है | इसके लिए डेली 7 , 8  घंटे की नीद लें , हफ्ते में 6 ,7 दिन कार्य करें व हफ्ते में १,2 छुटटी जरूर लें  | परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जाये प्रकृति का आनदं लें | इससे शरीर व दिमाग दोनों स्वस्थ रहेंगे जिससे  कार्य की क्वालटी व क्वांटिटी दोनों बढेगी  | जो आपको सक्सेस फूल का बनाएगी  |

दूसरे लोगो की उसमे हेल्फ करें जो वो अचीव करना चाहते हैं :- हेल्फ करने वालो को वो सब कुछ मिलता है जो वो चाहते है| जिग जिगर ने कहा था कि जो दुसरो की मदद करते है उनकी आटोमैटिक ही तरक्की होने लगती है| और महाभारत में लिखा है कि -

 " दान करने का वास्तविक लाभ दानी को होता है,  दान लेने वाले को नही| ईश्वर दुवारा दी गई संभावनाओ को आपने जाना ही नही है, ये सत्य जान लीजिये जो व्यक्ति समाज के लिए जीता है उसे स्वयं को लाभ होता है और जो व्यक्ति स्वयं के लिए जीता है वो स्वयं को व समाज को दोनों को नुकसान पहुंचाता है "  






 


Monday, July 3, 2017

जागो हिन्दू, जागो, कही ऐसा ना हो हिन्दू धर्म और हिन्दू सिर्फ किताबो में रह जाएं !!!


Image result for hindu dharmदोस्तों ! आज में मेहंदीपुर( बाला जी ) से आई हुं | मेहँदीपुर  बालाजी  जैसी पवित्र जगहो  पर आप भी जाते होगे  ?  आपने देखा होगा कि वहां के मेन गेट के सामने ही गंदा पानी बहता रहता है | भीड़ हॉल में परेशान होती रहती है, दर्शन करने के लिए कोई सुविधा नही है|  होल में ही इतनी लम्बी लाइन मिलेगी की उन लाइनों को देखकर इंसान घबरा जाए | वहां के कर्मचारी ही लोगो को परेशान करते हैं | जल्दी दर्शन कराने के लिए पैसे लेकर और लोगो को लाइन में आगे लाकर खड़ा कर देते हैं | वहां की गंदगी को देखकर ये लगता है कि मंदिरो में इतना चढ़ावा चढ़ता है फिर भी मंदिरो की देख रेख पर, श्रद्धालुओ की सहूलियत व सुविधा के लिए कोई भी कार्य क्यों नही किये जाते ? सरकार इन जगहों पर ध्यान क्यों नही देती ?

बुजर्गो या दुखी ( अपग ,बीमार ,बच्चे ) लोगो के लिए भी अलग लाइन की सुविधा नही है | जिसकी वजह से बुजर्ग या दुखी लोग तो दर्शन कर ही नही सकते | जबकि  बच्चो में संस्कार के लिए, दुखी लोगो मे  आत्मविश्वास के लिए और बुजर्ग लोगो को भक्ति के लिए मंदिर जाना अनिवार्य है | 

आप चाहे, दिल्ली में कालकाजी जाओ ,गोवर्धन जाओ , मेहंदीपुर बाला जी जाओ ,काली कलकता वाली जाओ  ,तिरुपति बालाजी जाओ | जब भी आप इन मंदिरो में जाओगे वहां आप को सुविधा के नाम पर सिर्फ दिक्क़ते मिलेगी | जो भी प्राचीन मंदिर पंडाओं के अंडर में हैं वहां ना कोई सुविधा है और ना कोई सफाई है | ' में ' जहां भी प्राचीन मंदिर में जाती हूं - वहां की महानता को जानकर बहुत ख़ुशी होती है लेकिन मंदिरो की जर जर हालत और वहां की लुप्त होती संस्कृति को देखकर दुःख होता है |

कई जगह के पंडा अपनी मनमर्जी का चडावा चढ़ाने के लिए इमोशनली ब्लैकमेल करते हैं | और अगर उनके मन मुताबिक चढ़ावा ना चढ़ाए तो दुर्वयवहार करते हैं | भेड़ बकरियों की तरह धक्के मार मार कर बहार कर देते  है | जिससे भगतो की भावनाओ को ठेस पहुंचती है | ज्यादातर प्राचीन मंदिर पंडाओं की विरासत बन कर रह गए हैं |  जो पंडाओं के अंडर में मंदिर हैं उनमे जाओ वहां देखने के लिए सिर्फ खंडर और गंदगी मिलेंगे | और मांगने के लिए पंडा मिलेंगे जो आपसे जबरद्स्ती चढ़ावा चढ़वाएगे |

अगर इन मंदिरो में हम  किसी से चलने के लिए कहें तो वहां की भीड़ और गंदगी को देखकर ज्यादातर लोग ये कहते हैं कि वहां मत चलो बहुत परेशान हो जाते हैं वहां कोई सुविधा नही है | युवा वर्ग तो गंदगी, भीड़ व सुविधा ना होने की वजह से जो मंदिर पंडाओं के अंडर में हैं उनमे जाना ही नही चाहते | 

दोस्तो ! में आप से पूछती हूँ ?क्या हमारे प्राचीन मंदिरो की रख रखाव के लिए कोई ध्यान दिया जाता है ? क्या हमारे  प्राचीन चिन्ह  लोप नही होते जा रहे ? क्या उन्हें  बनाये रखने के लिए ठोस कदम उठाना  जरूरी नही   है ? क्या हिन्दू धर्म को बचाने के लिए, इसकी गरिमा को बनाये रखने के लिए  हमारे प्राचीन मंदिरो का दुबारा  उदरीन होना अनिवार्य नही है ? क्या हमारे धर्म के ठेकेदारों  और सरकार की ये जिम्मेदारी नही बनती की इन जगहों को और इन यादो को सहेज कर रखे ? जिससे हम आने वाली जनरेशन को बुराई पर अच्छाई की जीत का सबक सीखा सकें | हिन्दू धर्म की महानता के चिन्ह दिखा सकें ? क्या सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत नही है ?  अगर जरूरत है तो फिर इस तरफ कोई भी ध्यान क्यों नही दे रहा ?

जितने भी धर्म के बड़े ठेकेदार हैं वे सब अलग -अलग संस्था बनाए बैठे हैं | उनके नाम से अलग मंदिर हैं उनकी संस्थाओ में  आप जहां भी जाओ वहां अच्छी तरह रहने के लिए जगह मिलेगी, खाना मिलेगा, साफ सफाई मिलेगी और अच्छी तरह से उनके गुरु के दर्शन कराये जायेगे | और भी बहुत कुछ देखने के लिए मिलेगा | सब अपने बजट के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं  चाचा हरि एक भजन गाते है -

" धर्म दुकाने खुली हुई हैं कोई छोटी कोई बहुत बड़ी "

'में ' हस्तिनापुर गई थी - मैने सोचा था कि वहां भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी का चीर  बढ़ाया था, विदुर घर साग खाया था, कर्ण जैसे दानी थे और भी कई चीजें द्वापर में रही हैं तो वहां बहुत अच्छे अच्छे विशाल मंदिर देखने को मिलेंगे |लेकिन वहां ऐसा कुछ भी देखने को नही मिला| छोटे मोठे नामोनिशान रह गए हैं जो जानता है वही उन्हें बता सकता है | अगर कोई अनजान व्यक्ति वहां जाये तो उसे कुछ भी पता नही चलेगा कि यहां कभी महाभारत के योद्धा रहते थे | अगर इसी तरह चलता रहा तो एक दिन हमारी सबसे बड़ी धरोहर हैं |सभी प्राचीन मंदिर लुप्त हो जायेगे |

हिन्दुओ को हिन्दू धर्म की कोई परवाह नहीं हैं | कुछ लोग सिर्फ वोट बैक के लिए और धर्म के ठेकेदार अपनी दुकान चलाने के लिए हिन्दू धर्म के नाम का इस्तेमाल करते है | कुछ लोग धर्म पर नेगेटिव टिपणी करते हैं, धर्म के नाम पर लोगो को बाटते हैं, ऊंच नीच का भेद करके आपस मे लड़वाते हैं | में मेरी की आग फैलाते हैं|  भोली भाली जनता उसे सच मानकर उनके पीछे हो लेती हैं | कोई इनसे पूछे कि अपने लालच में ये ऐसा क्यों करते हैं ? सही कहा था शायर राज इन्दोरी जी ने -


हिन्दू मुश्लिम सिख ईशाई सभी का खून है शामिल, यहां की मट्टी में , किसी के बाप का हिदुस्तान थोड़ी है " 

अगर यही होता रहा तो एक दिन हम सब आपस में लड़ झगड़ के खत्म हो जायेगे | प्राचीन मंदिर और हिन्दू धर्म सिर्फ किताबो में रह जायेगा | अगर ऐसा नही है तो आप बताइये की धर्म के नाम पर ये लोग क्या कर रहे हैं ? ऐसा क्या किया है जिससे हिंदू धर्म का पचम लहराए ?  

दोस्तों ! अगर हिन्दू धर्म को बचाना चाहते हो तो सबसे पहले प्राचीन देव स्थानों को बचाईये इनके उद्धार के लिए इन्हे पंडा मुक्त कर ट्रष्ट बनाकर माँ वैष्णो देवी की तरह ही इनकी देखभाल कीजिये | धर्म  पर हमे लड़ने की नही जागरूक होकर इसे बचाने की व आगे बढ़ाने की जरूरत है |