Monday, July 3, 2017

जागो हिन्दू, जागो, कही ऐसा ना हो हिन्दू धर्म और हिन्दू सिर्फ किताबो में रह जाएं !!!


Image result for hindu dharmदोस्तों ! आज में मेहंदीपुर( बाला जी ) से आई हुं | मेहँदीपुर  बालाजी  जैसी पवित्र जगहो  पर आप भी जाते होगे  ?  आपने देखा होगा कि वहां के मेन गेट के सामने ही गंदा पानी बहता रहता है | भीड़ हॉल में परेशान होती रहती है, दर्शन करने के लिए कोई सुविधा नही है|  होल में ही इतनी लम्बी लाइन मिलेगी की उन लाइनों को देखकर इंसान घबरा जाए | वहां के कर्मचारी ही लोगो को परेशान करते हैं | जल्दी दर्शन कराने के लिए पैसे लेकर और लोगो को लाइन में आगे लाकर खड़ा कर देते हैं | वहां की गंदगी को देखकर ये लगता है कि मंदिरो में इतना चढ़ावा चढ़ता है फिर भी मंदिरो की देख रेख पर, श्रद्धालुओ की सहूलियत व सुविधा के लिए कोई भी कार्य क्यों नही किये जाते ? सरकार इन जगहों पर ध्यान क्यों नही देती ?

बुजर्गो या दुखी ( अपग ,बीमार ,बच्चे ) लोगो के लिए भी अलग लाइन की सुविधा नही है | जिसकी वजह से बुजर्ग या दुखी लोग तो दर्शन कर ही नही सकते | जबकि  बच्चो में संस्कार के लिए, दुखी लोगो मे  आत्मविश्वास के लिए और बुजर्ग लोगो को भक्ति के लिए मंदिर जाना अनिवार्य है | 

आप चाहे, दिल्ली में कालकाजी जाओ ,गोवर्धन जाओ , मेहंदीपुर बाला जी जाओ ,काली कलकता वाली जाओ  ,तिरुपति बालाजी जाओ | जब भी आप इन मंदिरो में जाओगे वहां आप को सुविधा के नाम पर सिर्फ दिक्क़ते मिलेगी | जो भी प्राचीन मंदिर पंडाओं के अंडर में हैं वहां ना कोई सुविधा है और ना कोई सफाई है | ' में ' जहां भी प्राचीन मंदिर में जाती हूं - वहां की महानता को जानकर बहुत ख़ुशी होती है लेकिन मंदिरो की जर जर हालत और वहां की लुप्त होती संस्कृति को देखकर दुःख होता है |

कई जगह के पंडा अपनी मनमर्जी का चडावा चढ़ाने के लिए इमोशनली ब्लैकमेल करते हैं | और अगर उनके मन मुताबिक चढ़ावा ना चढ़ाए तो दुर्वयवहार करते हैं | भेड़ बकरियों की तरह धक्के मार मार कर बहार कर देते  है | जिससे भगतो की भावनाओ को ठेस पहुंचती है | ज्यादातर प्राचीन मंदिर पंडाओं की विरासत बन कर रह गए हैं |  जो पंडाओं के अंडर में मंदिर हैं उनमे जाओ वहां देखने के लिए सिर्फ खंडर और गंदगी मिलेंगे | और मांगने के लिए पंडा मिलेंगे जो आपसे जबरद्स्ती चढ़ावा चढ़वाएगे |

अगर इन मंदिरो में हम  किसी से चलने के लिए कहें तो वहां की भीड़ और गंदगी को देखकर ज्यादातर लोग ये कहते हैं कि वहां मत चलो बहुत परेशान हो जाते हैं वहां कोई सुविधा नही है | युवा वर्ग तो गंदगी, भीड़ व सुविधा ना होने की वजह से जो मंदिर पंडाओं के अंडर में हैं उनमे जाना ही नही चाहते | 

दोस्तो ! में आप से पूछती हूँ ?क्या हमारे प्राचीन मंदिरो की रख रखाव के लिए कोई ध्यान दिया जाता है ? क्या हमारे  प्राचीन चिन्ह  लोप नही होते जा रहे ? क्या उन्हें  बनाये रखने के लिए ठोस कदम उठाना  जरूरी नही   है ? क्या हिन्दू धर्म को बचाने के लिए, इसकी गरिमा को बनाये रखने के लिए  हमारे प्राचीन मंदिरो का दुबारा  उदरीन होना अनिवार्य नही है ? क्या हमारे धर्म के ठेकेदारों  और सरकार की ये जिम्मेदारी नही बनती की इन जगहों को और इन यादो को सहेज कर रखे ? जिससे हम आने वाली जनरेशन को बुराई पर अच्छाई की जीत का सबक सीखा सकें | हिन्दू धर्म की महानता के चिन्ह दिखा सकें ? क्या सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत नही है ?  अगर जरूरत है तो फिर इस तरफ कोई भी ध्यान क्यों नही दे रहा ?

जितने भी धर्म के बड़े ठेकेदार हैं वे सब अलग -अलग संस्था बनाए बैठे हैं | उनके नाम से अलग मंदिर हैं उनकी संस्थाओ में  आप जहां भी जाओ वहां अच्छी तरह रहने के लिए जगह मिलेगी, खाना मिलेगा, साफ सफाई मिलेगी और अच्छी तरह से उनके गुरु के दर्शन कराये जायेगे | और भी बहुत कुछ देखने के लिए मिलेगा | सब अपने बजट के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं  चाचा हरि एक भजन गाते है -

" धर्म दुकाने खुली हुई हैं कोई छोटी कोई बहुत बड़ी "

'में ' हस्तिनापुर गई थी - मैने सोचा था कि वहां भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी का चीर  बढ़ाया था, विदुर घर साग खाया था, कर्ण जैसे दानी थे और भी कई चीजें द्वापर में रही हैं तो वहां बहुत अच्छे अच्छे विशाल मंदिर देखने को मिलेंगे |लेकिन वहां ऐसा कुछ भी देखने को नही मिला| छोटे मोठे नामोनिशान रह गए हैं जो जानता है वही उन्हें बता सकता है | अगर कोई अनजान व्यक्ति वहां जाये तो उसे कुछ भी पता नही चलेगा कि यहां कभी महाभारत के योद्धा रहते थे | अगर इसी तरह चलता रहा तो एक दिन हमारी सबसे बड़ी धरोहर हैं |सभी प्राचीन मंदिर लुप्त हो जायेगे |

हिन्दुओ को हिन्दू धर्म की कोई परवाह नहीं हैं | कुछ लोग सिर्फ वोट बैक के लिए और धर्म के ठेकेदार अपनी दुकान चलाने के लिए हिन्दू धर्म के नाम का इस्तेमाल करते है | कुछ लोग धर्म पर नेगेटिव टिपणी करते हैं, धर्म के नाम पर लोगो को बाटते हैं, ऊंच नीच का भेद करके आपस मे लड़वाते हैं | में मेरी की आग फैलाते हैं|  भोली भाली जनता उसे सच मानकर उनके पीछे हो लेती हैं | कोई इनसे पूछे कि अपने लालच में ये ऐसा क्यों करते हैं ? सही कहा था शायर राज इन्दोरी जी ने -


हिन्दू मुश्लिम सिख ईशाई सभी का खून है शामिल, यहां की मट्टी में , किसी के बाप का हिदुस्तान थोड़ी है " 

अगर यही होता रहा तो एक दिन हम सब आपस में लड़ झगड़ के खत्म हो जायेगे | प्राचीन मंदिर और हिन्दू धर्म सिर्फ किताबो में रह जायेगा | अगर ऐसा नही है तो आप बताइये की धर्म के नाम पर ये लोग क्या कर रहे हैं ? ऐसा क्या किया है जिससे हिंदू धर्म का पचम लहराए ?  

दोस्तों ! अगर हिन्दू धर्म को बचाना चाहते हो तो सबसे पहले प्राचीन देव स्थानों को बचाईये इनके उद्धार के लिए इन्हे पंडा मुक्त कर ट्रष्ट बनाकर माँ वैष्णो देवी की तरह ही इनकी देखभाल कीजिये | धर्म  पर हमे लड़ने की नही जागरूक होकर इसे बचाने की व आगे बढ़ाने की जरूरत है |   

      




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