
दोस्तों ! बच्चो को समझाने की बजाए बच्चो को समझने की जरूरत है | पैरेंट्स को अपने बच्चों की सिचवेशन समझने की जरूरत है | कही ना कही आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में बच्चे अपने आपको अकेला फील कर रहे हैं | इन्हें सुख सुविधा से ज्यादा टाइम देने की जरूरत है | इनके दिल के नजदीक रहो इनके दिल में चल रही हर बात को समझने की कोशिस करो | इनके सुख दुःख पूछो और अपने अनुभव बताओं | इससे इन्हे हर परिस्थति को संभालने में मदद मिलेंगी | आज कही ना कही पेरेंट्स के बीच जनरेशन गेप की वजह से बच्चे दिल में घुटते हैं | पहले बच्चे दादा दादी की कहानी सुनकर बड़े होते थे परिवार वालो के बीच में रहकर खुद सुरक्षित मानते थे |
आज के बच्चे बचपन से ही कामयाब होना है, बड़ा आदमी बनना है ये सुनकर बड़े होते हैं | ये कोई नही सिखाता कि तुम्हे मेंटली स्टॉग बनना है ,फिजकली स्टॉग बनना है , इमोशनली स्ट्रॉग बनना है | इसलिए छोटी सी विपरीत परिस्थति आते ही बच्चे डामाडोल हो जाते हैं | पेरेंट्स अपनी सोच बदले | कामयाब बनाने से ज्यादा स्ट्रॉग बनाने की शिक्षा दें | तभी इस समस्या से उभरा जा सकता है |
सुसाइड करने की सोचने वालो से मेरा एक ही सवाल है कि - जो इंसान खुद से हारा है तो उसे खुद को ही सजा देनी चाहिए ? या किसी दूसरे को ? उसने खुद को सजा क्यों नही दी ? सुसाइड करके उसने खुद को सजा कहा दी ? उसने तो अपने पेरेंट्स अपने भाई बहन व रिलेटिव को सजा दी | क्या उसने सही किया ? 'नही ' ऐसे इंसान का मरणा ही अच्छा है जो अपनी गलती पर दुसरो को सजा देता हो | अगर वो जिंदा रहता तो पूरी जिंदगी लाइफ की हर फिल्ड में खुद फैल होता और सजा ओरो को देता जैसे फैलियर लोग देते हैं | अपनी हार की सजा उसे खुद को देनी चाहिए थी और वो सजा थी कि जो लोग उससे उम्मीद करते थे उन पर खरा उतरता | जी तोड़ मेहनत करके पढ़ाई में अच्छे नंबर लाता अपने मन को मार कर सब के लिए कुछ करता तब थी उसकी सजा, ये सजा देनी चाहिए थी खुद को |
में जानती हूँ खुद को मार कर जिन्दा रहना बहुत मुश्किल है लेकिन होना तो ऐसा ही चाहिए | खुद को मार कर ही इंसान आगे बढ़ सकता है लाइफ की हर फिल्ड में कामयाब हो सकता है | ये क्या हुआ फैल अपनी लापरवाही की वजह से खुद हुआ और सजा पेरेंट्स को दी | पैरेंट्स की क्या गलती थी अच्छा पाला पोसा अच्छा खर्च किया अपनी जिंदगी बच्चो पर न्यौछावर की और उसके बदले बच्चे ने जीवन भर का रोना दे दिया |
में जानती हूँ खुद को मार कर जिन्दा रहना बहुत मुश्किल है लेकिन होना तो ऐसा ही चाहिए | खुद को मार कर ही इंसान आगे बढ़ सकता है लाइफ की हर फिल्ड में कामयाब हो सकता है | ये क्या हुआ फैल अपनी लापरवाही की वजह से खुद हुआ और सजा पेरेंट्स को दी | पैरेंट्स की क्या गलती थी अच्छा पाला पोसा अच्छा खर्च किया अपनी जिंदगी बच्चो पर न्यौछावर की और उसके बदले बच्चे ने जीवन भर का रोना दे दिया |
ऐसी हीन भावना मन में लाने वालो से मेरा एक ही सवाल है कि क्या परमात्मा ने संसार में आपको इसलिए भेजा है कि आप अपने से हार कर ही मौत को गले लगा लो ? क्या इतनी सुंदर दुनियां इसलिए बनाई गई है कि आप उसे पूरी तरह देखे बिना ही चले जाओ ? क्या आपकी माँ ने आपको जन्म इसिलए दिया है कि आप एक दिन उन्हें खून के आंसू रुवाओँ ? क्या आपका परिवार एक बुझदिल इंसान को प्यार करता रहा ? नही दोस्तों आपको हर इंसान ने दिल से ज्यादा चाहा है | अगर आप उनके थोड़े से गुस्से या डॉट से ऐसे डिसीजन ले रहे हो तो गलत है | वे आपकी भलाई के लिए ऐसा कर रहे हैं | ये जीनव अनमोल है इसका अपमान ना करो | आपके पैरेंट्स व परिवार वालो का विश्वास मत तोड़ो | इससे वो टूट जायेगे जिंदगी में कभी इस सदमे से बाहर नही निकल पाएंगे |
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