Tuesday, August 7, 2018

क्यों बिखरते हैं रिश्ते ?


Related imageहाय दोस्तों ! में कई दिन रिलेटिव्स के साथ रही | मेरे मन में बार बार एक ही विचार आ रहा था कि रिस्तो में खटास क्यों आ जाती है | जो रिश्ते परिवेश हमे परमात्मा ने दिये, हम उन्ही से क्यों दुर रहना चाहते  हैं ? उन्हें क्यों अवॉइड करने लगते हैं ? क्यों उनसे मिलकर टेशन होती हैं ?  बहुत सोचा, ओरो के नजरिये से भी देखा, मुझे इसके कई कारण नजर आए - 

1 अशिकक्षता :- दोस्तों अशिक्षक लोगो को ज्यादातर लड़ते झगड़ते पाया जाता है | ऐसे लोग अपने फर्ज पर ध्यान ना देकर अपने हक के लिए लड़ते झगड़ते रहते हैं | झगड़ो की वजह क्या है ? ये सोचने की बजाय उनका सलूशन ढूढ़ने की बजाए एक दूसरे की कमी निकाले जाते हैं | कई बार तो गाली गलोच तक  पहुंच जाते हैं | जब कि गाली गलौच के बारे में कबीर दास जी कहते हैं -

"आवत गाली एक है, उलटत होये अनेक , कह कबीर मत उलटिये रहे एक की एक "

अगर ये सोच कर सामने वाले की गलती अवॉइड कर दी जाये तो | रिश्ते बिखरने से बच सकते हैं | लेकिन जब भी लड़ाई झगड़े होते हैं तो इंसान गुस्से में अपने दिल की भड़ास निकालने के चककर मे बहुत ज्यादा कड़वा बोल जाते हैं | वो कड़वे शब्द जिंदगी भर सूल की तरह चुभते हैं | इसलिए रिश्तो में कभी भी कडवे शब्दों का इस्तेमाल ना करें | रहीम जी ने कहा था -

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए ,टूटे फिर ना मिले मिले गांठ पड़ जाए "

2 अपेक्षाएं :- दोस्तों ! रिस्तो में अपेक्षाएं ना रखें, ज्यादा अपेक्षा रखने वाले लोगो के रिस्तो में खटास आ जाती है | कामयाब लोग आगे बढ़ने के लिए सोचते रहते है जिसकी वजह से जितनी अपेक्षा परिवार वाले या रिलेटिव उससे करते हैं, उन पर वह खरा नही उतर पाता जिससे परिवार वाले कटने लगते हैं | जिसके पास पैसा होता है वो सोचता है कि आगे कैसे बढ़ा जाए ,और जिसके पास  नही होते या कम होता है  वो सोचता है मुझे मदद मिल  जाए | दोनों अपने नजरिये से सही होते हैं और अपने नजरिये के चलते एक दूसरे से दूर  होते जाते हैं |  जबकि अगर एक दूसरे के नजरिये से देखें तो एक दूसरे में प्रेम बना रह सकता है | जिसके पास ज्यादा हैं वो बडी जिम्मेदारियां या खर्चे खुद उठाकर परिवार की टेशन कम कर सकता है, और जिनके पास पैसा नही है वो ये सोच कर तसल्ली कर सकते हैं कि चलो बड़ा खर्चा ये संभाल लेते हैं हमे अपना घर ही चलाना हैं | लेकिन ये होता नही है आप उन लोगो की जितनी मदद करो उन लोगो की उतनी अपेक्षाएं बढ़ने  लगती हैं | वो ये नहीं सोचते कि आप पर अपना घर खर्च चलाना मुश्किल है तो ये इतना कैसे कर सकता है | 

3 ईर्ष्या :- दोस्तों हर इंसान अपने कर्म , बुद्धि , योग्यता  व भाग्य के अनुसार जीवन में सक्सेस या अनसक्सेस होता है।लेकिन अन्सक्सेस इंसान, सक्सेस इंसान से ईर्ष्या वश कटने लगता है अपने फैलियर व दुःख की वजह दुसरो को मानने लगता है । जिसकी वजह से रिस्तो में कड़वाहट आने लगती है । रामदेव बाबा ने कहा है कि -

" हमारे सुख दुःख का कारण दूसरे व्यक्ति या विपरीत परिस्थितियां नही हैं अपितु हमारे अच्छे या बुरे विचार होते हैं "

4 घमंड :- दोस्तों लाइफ में जब दुःख आता है तो अपने याद आते हैं| और जब सुख आता है, पैसा बढ़ता है तो इंसान में घमंड आने लगता है | वो ये भूल जाता है सुख दुःख दोनों भाई -भाई हैं जो जीवन में साथ चलते हैं | अगर आज गरीबी है तो कल अमीरी भी आएगी और आज बहुत पैसा है तो कल तंगी भी आयेगी | लेकिन इंसान थोड़ा सा पैसा आते ही ये भूल जाता है कि आपको पहले भी दुसरो की हेल्फ की जरूरत पड़ी थी और आगे भी पड़ सकती है | बुजर्ग कहते हैं -

"तीन पीढ़ी में इतिहास बदल जाता है | पहली अगर बहुत रहीस है तो बच्चे इतने कामयाब नही होंगे नार्मल बन कर रह जायेगे और तीसरी पीढ़ी गरीबी में जिंदगी व्यतीत करेगी| और अगर पहली पीढ़ी गरीब है तो दूसरी पीढ़ी बहुत मेहनत करेगी और तीसरी पीढ़ी रहीस बन जाएगी "













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