Sunday, December 16, 2018

समृद्धि का रहस्य !!!

दोस्तों ! इसमें कोई दो राय नही कि धन -संपति और वैभव ही समृद्धि को मापने का पैमाना है | लेकिन समृद्धि का रहस्य क्या है- यह जानने की लोग कभी चेष्ठा ही नही करते | समृद्धि का रहस्य है समृद्ध विचार |

समय और सृष्टि का चक्र सदैव चलायमान रहता है | और प्रकृति के भंडार असीमित हैं सृष्टि ने तो सभी को समान अवसर दिए हैं जो इनका दोहन कर लेगा समृद्ध कहलायेगा और अकर्मण्य व्यक्ति सदैव भाग्य को कोसता हुआ मिलेगा | 
  
समृद्धि का रहस्य है समृद्ध विचार कितना सरल उत्तर है | कितना सुनिश्चित भी जिसके विचार समृद्ध हैं निश्चय ही उसका पारिवारिक जीवन भी समृद्ध होगा | 

इधर उधर के अनावश्यक कार्यो में लगकर व्यक्ति अपनी क्षमताओं को  नष्ट करता है | समृद्ध बनने के लिए आवश्यक है कि हमारे मन में निरंतर समृद्ध बनने के विचार बने रहे | यह विचार हमे अपने आदर्श की और बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे | और हम सजग व जागरूक रहकर अपने आदर्श व लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहेंगे | सजग रहने के कारण व्यक्ति अवसर नही चुकता | 

यदि व्यक्ति उत्साही और स्वालंबी हो तो उसके लिए संसार में किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती | समृद्धि उधमी लोगो की दासी है | यह सृष्टि हमारे ही उपयोग के लिए बनाई गई है | जीवन का अर्थ यातना नहीं ,आनंद तथा उसका उपभोग है | आनंद का अर्थ उछ्रखल  क्रीड़ा या अयाशी नही | विलासिता व अयाशी तो जीवन को पतन के गर्त की और ले जाते हैं | आनंद का वास्तविक मतलब है व्यक्ति की सभी शक्तियों का पूर्ण विकास तथा विकसित क्षमताओ  का विश्व कल्याण के लिए प्रयोग | और नैतिक जीवन में एक प्रकार के संतुलन की श्रष्टि करना

आनंद का अर्थ सुख ,समृद्धि शांति और सदभाव का आगमन तथा दुःख ईष्या एवं द्वेष आदि बुराइयों का नाश है | आनंद जीवन का एक स्वार्णिक पहलू है | भ्र्ष्टाचार जीवन की सुख शांति को सदा -सदा के लिए समाप्त कर देता है | 

मनुष्य के जीवन में आनंद का आविर्भाव उस समय तक नहीं होता जब तक कि वह अपने मन से शंकाओं ,संदेहों ईर्ष्या व दुवेष आदि बुराइयों को दूर नहीं कर देता | भय और शंका जीवन रूपी गंगा में विष घोल देते है | 

समृद्धि सृजनशील व्यक्तियों को ही प्राप्त होती है | पोंगापंथियों को नही | सृजनशील व्यक्ति के मन में ही सर्जन शील विचार आते हैं | यही विचार शक्ति को समृद्धि की और ले जाते हैं | सृजनशीलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है | और सर्जन का उद्गम उसी व्यक्ति के मन में होता है जिसका ह्रदय मुक्त स्वछंद और सरल  होता है | निर्धनता और असफलता का सबसे बड़ा कारण मन की स्क्रीणता है | 

समृद्ध होने का मूल मंत्र है कि व्यक्ति मानसिक दिवालियापन से बचें ,हताश होना छोड़ दें और अपने आपको समृद्ध अनुभव करें | जो व्यक्ति दुसरो को समृद्ध बनाने के लिए उनकी सहायता करते हैं वे ही समृद्ध जीवन बिता सकते हैं | 

यदि हमे एक बार ये ज्ञात हो जाए कि शक्ति का स्रोत हमारे भीतर है तो हमे इधर उधर भटकने की जरूरत ही नही रहेगी | अंतर्मुखी प्रेरणा का स्रोत इतना समृद्ध है कि जो उसे एक बार प्राप्त कर लेता है ,वह संसार की समस्त समृद्धियो का स्वामी हो जाता है | 

जो सदैव यही सोचता रहता है कि वह अभागा है ,दुनियां की सुख समृद्धि उसके लिए नही बनी तो उसे समृद्धि प्राप्त कैसे हो सकती है ? स्वास्थ,ईश्वर-विश्वास ,आस्था और उधम में कमी के कारण ही व्यक्ति सदैव पद दलित बना रहता है | 

जो व्यक्ति ये समझता है समृद्धि हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है ,और इसे प्राप्त करने के लिए किया गया कोई भी प्रयत्न कभी निष्फल नहीं होता समृद्धि एक न एक दिन अवश्य उनके चरण चूमती है | 

आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि हम सही ढंग से सोचें | में ऐसे अनेक व्यक्तियों को जानता हूं जो जिंदगी भर प्रसन्ता प्राप्त करने के लिए तरसते रहे ,परंतु प्रसन्न ना हो सकें | उन्होंने अपने जीवन के संबंध में सही दंग से सोचने का प्रयत्न नही किया | वे सोचते कुछ और रहे और करते कुछ और ही रहे | इसका परिणाम ये निकला कि न उन्हें सुख मिला ना समृद्धि ही प्राप्त हुई | 

अपने आपको हीन भावना से मुक्त कीजिए और भली प्रकार समझ लीजिए कि प्रकृति के भंडार अनंत हैं | ईश्वर हम सबकी देखभाल करता है | उस सृष्टि के बनाने वाले के पास किसी चीज की कोई कमी नही है | 

मनुष्य इस सृष्टि का श्रेष्ठतम प्राणी है उसका कर्तव्य है कि वह अपनी पाशविक शक्तियों पर विजय प्राप्त करके उनका प्रयोग मानव जीवन के विकास के लिए करें | सृष्टि निरंतर विकास की और अग्रसर है वह विकास की योजना पर चल रही है | काम करने वाला यहाँ कभी भूखा नही मरता | फिर कर्म करने वाले व्यक्ति को कमी किस बात की ? समृद्धि आपके व्यक्तित्व की देन है भाग्य से उसका कोई संबंध नही | अपने व्यक्तित्व को सुधारिए ,समृद्धि स्वत:आपके पास आकर आपके चरण चूमेगी |   
   
दोस्तों ये समरी  स्वेट मार्डन की बुक "आगे बढ़ो" पार्ट 4 की है | जिसमे समृद्धि का रहस्य बताया गया है | 








   

No comments:

Post a Comment