Wednesday, November 28, 2018

मन के हारे हार है , मन के जीते जीत !!!

दोस्तों ! स्वेट मार्डन "आगे बढ़ो " बुक के अध्याय 3" मन के हारे हार है मन के जीते जीत " में कहते हैं - हमारा मन अपरिमित शक्तियों का भंडार है तन का संचालन मन ही है , और मन की शक्ति अजय है, उसे कोई नही जीत सकता | आज विश्व तथा मानव - सभ्यता का जो स्वरूप है ,वह मन की इसी अपरिमित शक्ति की देन है | मन में जब कुछ आता है ,विचार जागते है ,तभी तन उसे करने को प्रेरित होता है | और कार्य को लक्ष्य तक पहुंचाता है मनुष्य यदि पशु से श्रेष्ठ कहलाया है तो केवल अपनी इसी मानसिक शक्ति के कारण  |

इमर्सन एक बहुत अच्छे लेखक एवं विचारक हुए है | एक बार विधार्थियों की सभा मे भाषण देते हुए उन्होंने कहा था " मनुष्य की हार -जीत का दामोदार मनुष्य के मन पर है " मन के हारे हार है मन के जीता जीत " यह केवल कहावत ही नही है | वरन इस वाक्य में अनंत शक्ति व प्रेरणा भी भरी हुई है | जो व्यक्ति इस कहावत का वास्तविक अर्थ समझ लेता है उसके लिए संसार में कोई भी कार्य असंभव नही है | कठिन से कठिन कार्य  भी संभव व सरल बन जाता है | मनुष्य की इन सभी सफलताओं का रहस्य उसके मन की संकल्प शक्ति में छिपा है |    

मनुष्य जिस बात का चिंतन और मनन करता है और बाद में जिन उद्देशयों की पूर्ति का संकल्प  करता है उनमे मानसिक निश्चय दुवरा सफलता प्राप्त होती है | 

एक बार सनफ्रासोर्सिको नगर में बड़ा भयंकर  तूफान आया | इस संबंध में प्रसिद्ध है कि उस समय लकवे के अनेक भयंकर रोगी रोग से छुटकारा पा गए | वस्तुत : ये कोई चमत्कार की बात नही थी ऐसा होने का कारण रोगियों की मानसिक शक्तियों का एकत्र होना था | 

बात वस्तुत: यह है कि व्यक्ति अपनी क्षमताओं के प्रति सजग नहीं रहता वह यह भूल जाता है कि उसके व्यक्तित्व में शक्ति व प्रेरणा का कितना अथाह समुन्द्र हिलोरे मार रहा है किंतु जब कोई अवसर आता है तो यह सोया हुआ शक्ति का अथाह सागर जाग उठता है |सत्य ही कहा है आने वाली भयंकर चुनौतियां ही मनुष्य को अपनी असीमित शक्तियों के पीछे जागरूक बना देती हैं | 

महापुरषों के ही नही सामान्य व्यक्तियों का जीवन भी कठनाइयों से घिरा रहता है उन्हें भी जीवन में पग पग पर कठनाइयों और बाधाओं  का सामना करना पड़ता है, परंतु कठिन से कठिन परिस्थति में भी यदि व्यक्ति में ये विश्वास स्थिर रहे कि परिस्थतियां बदलेंगी और एक ना एक दिन संकट के दिन पुरे होंगे तो वह अपनी परिस्थतियों पर शीघ्र ही विजय पाने में समर्थ हो जाता है | 

अपने कार्य को पूरा करने का  द्रढ़ संकल्प ही शरीर में उत्साह भरने की सबसे बड़ी कुंजी है |संकल्प का ही दूसरा नाम सफलता है | और व्यक्ति का मन ही इन संकल्पों का स्रोत्र है अत :आपको चाहिए कि अपने मन को कुछ ना होने दें उसमे किसी प्रकार की कमजोरी ना आने दें | उसमे ज़ंग ना लगने दें  | यदि आपका मन प्रफुलित रहेगा तो आप निर्बल शरीर द्वारा भी कठिन से कठिन कार्य करने मे समर्थ हो सकेगें |      




















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