Wednesday, December 26, 2018

पराजय स्वीकार नही !!!


 दोस्तों ! प्रत्येक व्यक्ति को अपना मार्ग स्वयं चुनना चाहिए है  | तथा ईश्वर ने जो साधन दिये हैं उनके सहारे ही यात्रा शुरू कर देनी चाहिए  है | जो व्यक्ति प्रगति -पथ की फिसलनों की अधिक परवाह ना करके द्र्ढता पूर्वक बढ़ता जाता है वह अवश्य ही सक्सेस हो जाता है |    

जिंदगी में कभी भी पराजय स्वीकार नही करनी चाहिए | सदैव सामने देखते हुए दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ते रहना | अगर कभी फिसल भी जाओ तो उसकी चिंता नही करनी | ये याद रखो कि नियमित व्यायाम और संघर्ष व्यक्ति के शरीर को स्वस्थ को उन्नत कर देता  हैं | 

मन में सहास, परमात्मा पर विश्वास रखकर, कर्म करते रहो | सुख और दुःख तो रात दिन की तरह लगे रहते है एक आता है तो दूसरा चला जाता है | हमेशा बीजी रहो खाली दिमाग शैतान का घर होता है इसमें कुछ ना  अजुल फिजूल के विचार चलते ही रहते हैं | 

आलश्य सफलता का सबसे बड़ा शत्रु है | भवुकता में हम अपना समय व एनर्जी वेस्ट करते हैं इससे कोई लाभ नही है | परमात्मा जानता है की किस के लिए क्या उचित है | 

जीवन में आगे बढ़ना है तो एकदम अहंकार शून्य बनो" में" की जगह तुम का प्रयोग करो | आत्म निर्भर बनो सफलता निश्चित है |  | 


जो व्यक्ति ईमादारी व मेहनत से कार्य करता है उस पर परमात्मा की कृपा होती है | प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का कोई ना कोई प्रयोजन है इसीलिए परमात्मा ने यहां भेजा है | 

जीवन में निराशा को कभी स्थान ना दो, खुद पर विशवास रखो | आप पर कभी भी संसार की विपत्तियां व अशांति प्रभाव नही डालेंगी | तुम्हे घबराहट में डालने की बजाये खुद घबरा जाएगी | 

अपनी नाकामयाबियों की शिकायत ना करो उन बच्चों को देखो जो  बच्चे चलने से पहले लाखों बार गिरते हैं फिर भी हार ना मानकर फिर खड़े हो जाते हैं | परमात्मा उनकी सहायता करते है जो खुद की मदद करते है जो जीवन में हार नहीं मानते | किसान को पसीने में लतपत देख बादल भी बर्षा करता हैं |

जब भी ये लगे कि आप हार रहे हो ,आपको किसी की मदद की जरूरत है  तो प्रभु के चित्र के सामने सच्चे मन से ऐसे प्रार्थना करो जैसे वो आपके सामने सच मुच में खड़े हैं तब देखना परमात्मा किसी ना किसी के रूप में आकर आपकी सहायता जरूर करेंगे | 

प्रेम शारीरिक की बजाय मानसिक अधिक होता है | तुम्हारे अंदर अनंत शक्ति छिपी हुई है अत: अपने अंदर झांको खुद पर विश्वास करो | तुम जिस फिल्ड में हो अवश्य सफल होगें | अपने मन के सभी दुर्बल विचारो को निकाल फेंको | अच्छी आदतों का विकास करो | 


ईश्वर हमारे सामने अज्ञानी के रूप में आभाव ग्रस्त के रूप में ,रोगी के रूप में अनाथों के रूप में आते हैं जिससे की उनकी मदद कर हम खुद उन्नत बन सकें |

जिस प्रकार बालक सदैव सहायता के लिए अपने माता पिता की और ही जाता है ,उसी प्रकार सदैव अपने मन को प्रभु की ओर ही मोड़ना तथा जिस भी परिस्थति में श्रीकृष्ण भगवान ने तुम्हें रखा है उसी में संतुष्ट रहना -यह सफलता का सर्वश्रेष्ठ उपाय है | सच्चा मनुष्य -सदैव ऊचे से ऊंचा उठने का प्रयत्न करता है | उच्च आदर्शो के लिए निरंतर प्रयत्न सच्चे आदमी का लक्षण है | 




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