Saturday, February 9, 2019

प्रेम ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो......

प्रेम ही एकमात्र ऐसा माध्यम है ,जो किसी दूसरे इंसान के भीतरी व्यक्तित्व तक ले जाता है | जब तक आप सामने वाले व्यक्ति से प्रेम नही करते ,तब तक उसके दिल की गहराइयों के पार नही उतर सकते | इंसान अपने प्रेम के बल पर ही अपने प्रियतम की खूबियों व गुणों को जान पाता है | और इतना ही नही वह उसमे छिपी सम्भावनाओ को साकार करने में अपनी ओर से अहम भूमिका निभाता है | 

प्रेम को केवल काम वासना संबंधी प्रवृतियों व आवेगों का निर्माता ही नही माना जाता | प्रेम भी सेक्स की तरह ही एक प्रमुख कारक है | यदि सेक्स प्रेम व्यक्त करने का साधन बने ,तो ही इसे जायज माना जाता है व पवित्र भी मान लिया जाता है | प्रेम को केवल सेक्स के प्रभाव के तौर पर नहीं लेना चाहिए | सेक्स तो उसे व्यक्त करने का माध्यम है | 


प्रेम में ही मुक्ति है | प्रेम ही अंतिम व उच्चतम लक्ष्य है ,जिसकी एक मनुष्य आकांक्षा कर सकता है | जब अवसाद व दुख के कोहरे के बीच मनुष्य खुद को सकारत्मकता से साथ प्रकट न कर सके ,जब अपने कष्टों को अच्छी तरह सहना ही उसकी एकमात्र नियति रह जाए - जो कि एक सम्मान जनक उपाय है -जो ऐसी दशा में वह अपने मन बसी प्रियतम की छवि का मनन करके संपूर्ण संतोष पा सकता है | एक छोटी सी बात भी आनंद का कारण बन सकती है | 



इंसान  इस संसार में अपनी कामनाओं या वासनाओं की पूर्ति से संतुष्ट होने के लिए नहीं आया है और न ही अपने अहं की पुष्टि करने या समाज व पर्यावरण के अनुसार अनुकलन करने आया है बल्कि किसी अर्थ को पूरा करने के लिए संसार में आया है |

जिससे भी मनुष्य प्रेम करता है उसे हासिल कर ही लेता है चाहे वह प्रेम किसी व्यक्ति ,सामान या किसी ओहदे से हो यही लो आफ अट्रेक्शन का नियम है | जिन लोगो को किसी ओहदे या बिजनिस में बड़ा मुकाम हासिल करने की चाह होती है वे लाख परेशानी या रुकावट आने के बाबजूद अपना मुकाम हासिल कर लेते हैं | 


प्रेम और मोह में फर्क है प्रेम मजबूत बनाता है और मोह कमजोर बनाता है | चाहे वो मोह  कुर्सी , सत्ता  इंसान या किसी वास्तु से हो जिस चीज से आपको मोह होगा उसके बारे में आपका मोह सही निर्णय नही लेने देगा |  उसे खोने का डर आप पर हावी होगा | जिसकी वजह से आप सब कुछ जानते हुए भी गलत  का साथ दोगे | 

जब बच्चो को प्रेम करते है तो उन्हें संस्कार सभ्यता ,टेलेंटिड बनाने उनका भविष्य संभालने के लिए उन्हें कठोर दंड़ भी देते हैं | उनकी किसी भी गलती को इग्नोर नही करते | लेकिन जब मनुष्य मोह में अँधा होता है तो सही गालत का निर्णय ना करके उनकी गलतियों को इग्नोर कर देते जो की  आगे चलकर बच्चो के लिए घातक सिद्ध होती है | 

दोस्तों! ये सामरी विक्टर ई फ्रैंकल की ' बुक '  "जीवन के अर्थ की तलाश में मनुष्य "





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