दोस्तों ! विक्टर ई फ्रैंकल कहते हैं कि यह विडंबना है इंसान का डर उसके सामने उस चीज को लाकर खड़ा कर देता है जिससे वह भयभीत होता है | ठीक उसी तरह जो काम मजबूरी में किए जाते हैं वे हमारे मजबूत इरादों में रूकावट बनते हैं | मनुष्य अपने जीवन को सिर्फ जीता नही है, बल्कि निरंतर तय करता रहता है कि आगे उसका जीवन ,उसका अस्तित्व कैसा होगा और अगले क्षण क्या बनेगा ?
मनुष्य अपनी नियति स्वयं ही निर्धारित करता है | वह अपने पर्यावरण व अपनी परिस्थतियों के बीच जो भी बनता है स्वयं ही बनता है | मनुष्य के भीतर दोनों ही तरह की सम्भवनाएं उपस्थित हैं| उनमे से कौन सी संभावना साकार होगी ,यह उसकी अवस्थाओं या परिस्थतियों पर नही बल्कि उसके द्वारा लिए गए निर्णयों पर आधारित है |
मनुष्य को नकारत्मक पक्षों को सकारत्मक या रचनात्मक रूप देने की पूरी ताकत होती है | ख़ुशी के पीछे भागने से वह हासिल नहीं होगी वह स्वत: ही आपके जीवन में आती है | मनुष्य अपने लिए ख़ुशी की नही ,बल्कि खुश रहने की तलाश में रहता है | इसे पाने के लिए वह किसी भी हालात में छिपे अर्थ की पहंचानकर उसे साकार कर सकता है |
एक बार जब मनुष्य की अर्थ की तलाश पूरी हो जाती है तो वह ना केवल उसे ख़ुशी देती है बल्कि उसे अपनी पीड़ा से पार पाने की क्षमता भी प्रदान करती है | लेकिन यदि किसी की अर्थ की तलाश पूरी ना हो सके तो क्या होता है ? हो सकता है वह स्थति उसके लिए घातक सिद्ध हो जाए | यह भी सच है कि केवल दूसरों की भलाई करके ही अपना जीवन नही जिया जा सकता | लेकिन ऐसा करने से उनके हालात में सुधार जरूर हुआ है |
यह मानना अच्छा है कि अनुभव लेना भी उपलब्धि हासिल करने के सामान एक महत्वपूर्ण बात है | क्युकि हम सदा आंतरिक जगत के बजाय ,बाहरी जगत पर अधिक ध्यान देते | इससे हमारी इस क्रिया की भरपाई हो जाती है |
एक अर्थ पाने के लिए पीड़ा का होना जरूरी है | लेकिन जानबूझकर पीड़ा को सहन करने वाला मनुष्य एक नायक नहीं बल्कि एक आत्मपीड़िक होता है | प्राथमिकता केवल यही है कि हम पीड़ा देने वाली परिस्थति को कितनी रचनात्मकता के साथ बदल सकते हैं |
जिन लोगो को हर कोई आदर सम्मान देता है | वे कोई महान कलाकार,महान वैज्ञानिक, महान वक्त या महान खिलाड़ी नहीं बल्कि वे लोग हैं,जिन्होंने अपना सर ऊंचा रखते हुए अपने जीवन के हर कठिन संघर्ष का सामना किया है | जिंदगी को ऐसे जिओ ,मानो आप दूसरी बार जी रहे हो और आपको अपने पिछले जीवन की सारी भुलों को सुधारने का अवसर मिला हो | महान चीजों को पाना जितना दुर्लभ होता है उनका अहसास होना भी उतना ही कठिन होता है |