Thursday, April 25, 2019

मनुष्य अपनी नियति स्वयं ही निर्धारित करता है !!!

दोस्तों ! विक्टर ई फ्रैंकल कहते हैं कि यह विडंबना है इंसान का डर उसके सामने उस चीज को लाकर खड़ा कर देता है जिससे वह भयभीत होता है | ठीक उसी तरह जो काम मजबूरी में किए जाते हैं वे हमारे मजबूत इरादों में रूकावट बनते हैं | मनुष्य अपने जीवन को सिर्फ जीता नही है, बल्कि निरंतर तय करता रहता है कि आगे उसका जीवन ,उसका अस्तित्व कैसा होगा और अगले क्षण क्या बनेगा ?


मनुष्य अपनी नियति  स्वयं ही निर्धारित करता है | वह अपने पर्यावरण व अपनी परिस्थतियों के बीच जो भी बनता है स्वयं ही बनता है | मनुष्य के भीतर दोनों ही तरह की सम्भवनाएं उपस्थित हैं| उनमे से कौन सी संभावना साकार होगी ,यह उसकी अवस्थाओं  या परिस्थतियों पर नही बल्कि उसके द्वारा लिए गए निर्णयों पर आधारित है | 



मनुष्य को नकारत्मक पक्षों को सकारत्मक या रचनात्मक रूप देने की पूरी ताकत होती है | ख़ुशी के पीछे भागने से वह हासिल नहीं होगी वह स्वत: ही आपके जीवन में आती है | मनुष्य अपने लिए ख़ुशी की नही ,बल्कि खुश रहने की तलाश में रहता है | इसे पाने के लिए वह किसी भी हालात में छिपे अर्थ की पहंचानकर उसे साकार कर सकता है | 



एक बार जब मनुष्य की अर्थ की तलाश पूरी हो जाती है तो वह ना केवल उसे ख़ुशी देती है बल्कि उसे अपनी पीड़ा से पार पाने की क्षमता भी प्रदान करती है | लेकिन यदि किसी की अर्थ की तलाश पूरी ना  हो सके तो क्या होता है ?  हो सकता है वह स्थति उसके लिए घातक सिद्ध हो जाए |  यह भी सच है कि केवल दूसरों की भलाई करके ही अपना जीवन नही जिया जा सकता | लेकिन ऐसा करने से उनके हालात में सुधार जरूर हुआ है | 



यह मानना अच्छा है कि अनुभव लेना भी उपलब्धि हासिल करने के सामान एक महत्वपूर्ण बात है | क्युकि हम सदा आंतरिक जगत के बजाय ,बाहरी जगत पर अधिक ध्यान देते | इससे हमारी इस क्रिया की भरपाई हो जाती है | 



एक अर्थ पाने के लिए पीड़ा का होना जरूरी है | लेकिन जानबूझकर पीड़ा को सहन करने वाला मनुष्य एक नायक नहीं बल्कि एक आत्मपीड़िक होता है | प्राथमिकता केवल यही है कि हम पीड़ा देने वाली परिस्थति को कितनी रचनात्मकता के साथ बदल सकते हैं |

जिन लोगो को हर कोई आदर सम्मान देता है | वे कोई महान  कलाकार,महान वैज्ञानिक,  महान वक्त या महान खिलाड़ी नहीं बल्कि वे लोग हैं,जिन्होंने अपना सर ऊंचा रखते हुए अपने जीवन के हर कठिन संघर्ष का सामना किया है | जिंदगी को ऐसे जिओ ,मानो आप दूसरी बार जी रहे हो और आपको अपने पिछले जीवन की सारी भुलों को सुधारने का अवसर मिला हो | महान  चीजों को पाना जितना दुर्लभ होता है उनका अहसास होना भी उतना ही कठिन होता है |   









  






Tuesday, April 23, 2019

आप जैसे विचार करेंगे वैसे ही बन जाएंगे !!!





Image result for जैसे विचारमनुष्य के विचार ही उसके भाग्य का निर्माण करते हैं | व्यक्ति के विचार कोई अमूर्त या अशक्त भावनाएं नहीं हैं | विचार बड़े शक्तिमान ,जीवंत और गतिशील धाराएं हैं जो एक बार प्रकट होने के बाद दबाए नही जा सकते | शुभ विचार व्यक्ति को देवदूतों के सामान सुख समृद्धि और सफलता की और ले जाते हैं | और अशुभ व गंदे विचार व्यक्ति को अवनति और पतन के गर्त की और धकेलते हैं | 

विचारो की अवहेलना अथवा उनकी उपेक्षा करना उचित नही है  | शुभ विचारो के महत्व को समझकर उन्हें ग्रहण करना तथा अशुभ विचारो को त्याग देना ही श्रेयकर है | यदि आपके विचार स्वस्थ होंगे तो आपका स्वास्थ भी स्वस्थ रहेगा | 

विचारो को सिर्फ विचार समझकर अवॉइड ना करें | एक विचार हमे हंसाता है और एक रुलाता है आपने अनुभव भी किया होगा जब हमारे मन में एक नेगेटिव विचार आता है तो उसके बाद नैगेटिव विचारो की एक श्रखला बन जाती है और एक बाद एक नेगेटिव विचार आता जाता जिससे हम बिना किसी ठोस वजह  के ही हम परेशान हो जाता है | 

ऐसे ही कभी आपने अनुभव किया होगा कि बिना किसी वजह  के हम बहुत खुश रहते हैं | किसी भी कार्य का सर्जन विचार के रूप में ही होता है | जब कोई क्रिएटिव विचार आए तो थोड़ा रुकर उसका मंथन जरूर कर लेना चाहिए | हो सकता है वो विचार आपकी लाइफ चेंज करने की पावर रखता हो | एक विचार में ही संभावना होती है कि वह किसी को डॉक्टर ,इंजीनियर ,वकील या जज बना देता है | 



Friday, April 12, 2019

इंसान अपनी जिभ्या से अपनी कवर खोदता है !!!


जीभ को संभालकर रखें शब्द बिगडे या हैल्थ बिगड़े दोनों ही हार्मफुल हैं | 
इंसान को पहंचान ने के लिए प्रमाण पत्र की जरूरत नही है उसकी बोली से ही पता चल जाता है |  

जो धर्म से भृष्ट हो गया हो जिसने पाप करने का दृढ निष्चय कर लिया हो ऐसे व्यक्ति का त्याग करने से व्यक्ति ऐसे निर्भय हो जाता जैसे व्यक्ति हाथ पर बैठे सांप को त्याग देने 
                                 -विभीषण ( रामयण )

जो परिवार से विमुख हो जाता है उसका परमात्मा भी आदर नही करता - मेघनाथ (रामायण )

कोई भी महत्वपूर्ण कार्य बिना सोचे समझे नही करना चाहिए जिसके लिए बाद में पछताना पड़े इसलिए उचित ,अनुचित व परिणाम के बारे में सोच कर ही कार्य करें |  

पुत्र का कर्तव्य है जीते जी पिता की सेवा करना मृत्यु के बाद सुगति दिलाना | 

ये विश्वास रखो सपने पुरे होने में देर नही लगती | 
- तिरजटा राक्षसी  

अपने शरीर को स्वस्थ रखना पहला धर्म है -हनुमान जी 

जिसके पास सत्य है धर्म है ईश्वर भी उसकी रक्षा करता है | 

रामायण में हर संशय का समाधान है | 

देव -देव आलसी लोग करते हैं जिनमे संघर्ष करने की शक्ति नही है | 
-लक्ष्मण 

ईश्वर पर भरोषा करना कायरता नही है | मनुष्य के पास शक्ति केवल काम करने की है उसका फल विधाता के हाथ है | 

सुख और दुःख तो केवल मन की स्थति का नाम है | किसी को दोष देने से किस्मत नही बदल जाती मनुष्य अपने ही कर्मो का फल पाता है | 


महाभारत में लिखा है कि - " जो इंसान अपने कार्य से आशाए व इच्छाएं नही रखता उसी व्यक्ति के कार्य पूर्ण होते हैं | एक असफलता से दुखी होकर जिसका मन नही डोलता ,एक सफलता से आनंदित होकर खुद को श्रेष्ठ नही मानता ऐसा व्यक्ति जीवन में बार - बार सफल होता है "  

Monday, April 8, 2019

सफलता की गारंटी !!!

हाय दोस्तों में ललतेश यादव ! दोस्तों आप क्या मानते हो कि सफलता हमारी मेहनत, प्लानिंग, जनून से मिलती है ? या इसका कोई और कारण है ? में ऐसा नहीं मानती मेरा मानना है कि परमात्मा ने हर इंसान को कोई ना कोई टैलेंट दिया है किस्मत में कुछ विशेष लिखा है और जो जिसके जीवन में लिखा है वैसा ही उसके जीवन में होकर रहता है | मम्मी कहती थी कि -

" देश ,काल और पात्र का जब मिलता संयोग ,करता को ढूढे कर्म" 


जो होना होता है वैसी  ही परिस्थति वैसे ही संयोग वैसा ही माहौल बनता चला जाता है वैसे लोग तुम से जुड़ते चले जाते हैं | आपने देखा होगा कि कई बार छोटी सी बात से परिस्थति बिगड जाती है और तब इंसान लाख कोशिस करने के बाबजूद भी उसे नही संभाल पाता | और कई बार बड़ी से बड़ी परेशानी को भी चुटकियों मे हल कर लेते हैं| 

कई लोगों के साथ हमारा काफी मनमुटाव होने के बाबजूद भी रिश्ते बने रहते है कई बार बिना किसी ठोस वजह के भी  हमारे रिश्ते बिगड़  जाते हैं | इन सभी बातों का क्या मतलब है ? में तो यही मानती हूँ इंसान सिर्फ एक कठपुतली है वह सिर्फ परमात्मा के नचाये नाचता  है | जैसे परमात्मा को नचाना होता है वैसे ही उसकी बुद्धि ,परिस्थति, संयोग, और तो ओर दोस्त भी वैसे ही मिला देता है |  

अगर ऐसा ना होता तो आप देखते हो कि एक घर में एक बच्चा पेरेंट्स का नाम रोशन करता है और दूसरा उनकी बदनामी का कारण बन जाता है | एक बच्चा हर सुख देने की कोशिस करता है और एक टेशन के सिवाय कुछ देता ही नहीं है | 

जो सुख दे रहा है उसके साथ हमारे अच्छे कर्मो का संयोग  है और जो दुःख दे रहा है उसके साथ हमारा दुःख का ही संयोग है | इस लिए लाइफ में जो भी हो रहा है अच्छा या बुरा उसे अपने ही कर्म का फल मानकर स्वीकार कर लो | इसका मतलब ये नही है कि उसे सुधारने की कोशिस ना की जाए इसका मतलब ये है की अगर लाख कोशिस  करने से भी नही संभल पा रहा  हो तो उसे स्वीकार कर लो  समय के अनुसार सब ठीक हो जाता है | मेरी मम्मी कहती थी -

" मौन रहो धैर्य रखो ,समय आने पर सब ठीक  जायेगा "

ऐसे ही अगर आपकी हर कोशिस करने पर भी आप कामयाब नहीं हो रहे तो आप बारीकी से चिंतन करो उसका सलूशन निकालो और फिर भी आप को रास्ता नजर नही आ रहा तो आप उसे समय पर छोड़ दो समय उसका रास्ता निकल ही देगा | परमात्मा में आस्था रखो | आस्था से आज भी चमत्कार होते हैं |  

एक बात और आप लोगो से कहना चाहुगी की सफलता या असफ़लत के बारे में ज्यादा मत सोचो बस जिस काम को कर रहे हो उसे करते जाओ उसे इंजॉय करो उस पर डटे रहो परिस्थतियों के बिगड़ने या निदा से घबराकर अपने लक्ष्य को ना छोड़े क्यों कि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालो की राय बदल जाती है |