Saturday, November 24, 2018

मन को वश में कैसे करें ?




दोस्तों ! स्वेट मार्डन ने अपनी बुक "आगे बढो " अध्याय 2 में लिखा है - जिसने अपने मन को वश में कर लिया समझो जग जीत लिया | ऐसा व्यक्ति कभी असफल नही हो सकता | परिस्थतियां स्वत: उसके अनुकूल हो जाती हैं | उसमे शक्ति का अपार भंडार जमा हो जाता है | और इसी शक्ति के बल पर वह ऐसे आश्चर्यजनक कारनामे को अंजाम दे देता है | जिनकी पहले उसमे कभी कल्पना भी नहीं की होती | अपने विचारो पर अटल रहें | फिर देखें कैसे आपकी विजय पताका नही फहराती | 

एक सुप्रसिद्ध व्यक्ति ने कहा है - " चरित्रवान व्यक्ति वह है ,जिसे यह मालूम है कि वह क्या चाहता है तथा जो मन के भावावेशपूर्ण आवेगों में नही बह जाता बल्कि  एक निशिचत सिद्धांत के अनुरूप आचरण करता है "

मन की शक्तियों को नष्ट करने वाले नकारत्मक भाव दैत्य हैं | ये केवल आपके मन को विक्षुब्ध ही नही करते  बल्कि शरीर में विषययुक्त रसायनो का उत्पादन करके उसे विषाक्त भी बनाते हैं | आपको दृढ़निश्चिय कर लेना चाहिए कि आप क्रोध ,चिड़चिड़ापन ईर्ष्या निराशा ,खिन्नता और चिंता को अपना भंयकर शत्रु समझकर अपने जीवन से बहार निकाल देंगे | जो व्यक्ति इन पर विजय प्राप्त कर अपनी इच्छा शक्ति को दृढ़ बना सकता है ,वह अपने सामान्य कार्य सहज में ही संपन कर लेता है |   

आलस्य से बढ़कर मनुष्य का कोई दुश्मन नही है | आलस्य आपको समूल नष्ट करने की क्षमता रखता है | रदरफोर्ड ने कहा है -" आलश्य का एक मात्र इलाज केवल काम करना |स्वार्थ भावना का इलाज है त्याग | अविश्वास का इलाज है दृढ़विश्वास | कायरता का इलाज है -जोखिम भरे काम का बीड़ा उठाना और तन मन धन से उसमे जुट जाना | 


अपने मन में ये दृढ़ विश्वास रखे कि आपका भविष्य बहुत आशापूर्ण उज्ज्वल और सफल है | अपने चारो ओर से प्रश्नताप्रद विचारो को आकर्षित करने का प्रयत्न कीजिय | सदा कष्टों की अपेक्षा कीजिये उनका मजाक उड़ाइये | 

जो मनुष्य प्रातकाल उठकर मूड की बात सोचता है वह चाहे कितना कुशल कार्यकर्ता क्यों ना हो बहुत उत्कृष्ट कार्य नही कर सकेगा क्युकि वह तो मूड का गुलाम है| जो प्रातकाल उठते ही शर्दी व गर्मी को मापने लगते हैं और देखने लगते हैं कि पारा चढ़ रहा या उतर रहा है वह भी दास ही है वह भी कभी सफलता या ख़ुशी प्राप्त करने में सफल नही हो सकता | 


आत्मनियंत्रण और आत्मसंयम प्राप्त किये बिना कोई भी व्यक्ति किसी भी महान कार्य को कभी पूरा नही कर सकता | जिस व्यक्ति ने अपनी चित्तवृतियों को वश में कर लिया है वही सुसंस्कृत है महान उपलब्धियों ,अपूर्व सफलताओं और उच्च पद की प्राप्ति के लिए मन की व्रतियों को वश में करना (आत्मसंयम ) पहली शर्त है | 


जब मनुष्य अपने मानसिक विचारो को वश में कर लेता है ,तब  व्यक्तियों से ईर्ष्या करना छोड़ देता है जिनके महान कार्यो को देखकर वह पहले कभी चकित हो जाया करता था | कारण यही है कि उसमे स्वयं शक्तियों का इतना अपूर्व भंडार जमा हो जाता है कि वह शांत होकर आत्मविश्वास से भरपूर रहता हुआ निरंतर अपने लक्ष्य की और बढ़ता चला जाता है | 


जो व्यक्ति सही ढंग से विचार करते हैं जिन्हें कर्तव्य पालन तथा अकर्तव्य की विवेक -बुद्धि प्राप्त हो चुकी है जिन्होंने अपनी चित्तवृतियों को संयम करके अपने वश में कर लिया है लोग उनके सहायक हो जाते | परिस्थतियां भी उनके अनुकूल हो जाती हैं यदि हममे भी ऐसी ही दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो निष्चय ही हम भी ऐसे बन सकते हैं | 

विपत्तियों में अपने मन को सुधारकर उनका मुकाबला करने की शक्ति पैदा करना एक उत्तम गुण है जब आप जानते हैं कि आपको क्या करना चाहिए तो आपका कर्तव्य हो जाता है कि उसे कठिन समझते हुए भी आप अवश्य करें |

अत :अपने मन को वश में करने की शक्ति प्राप्त कीजिये | ऐसी शक्ति प्राप्त कीजिये कि हीन चित्तवृत्तियां आपको अपने लक्ष्य से भृष्ट न कर सकें | कितनी भी कठनाईयां हो आप अपने विचारों पर दृढ़ रहें | आपकी विजय पताका फहराएंगी और आप अपने उद्देश्य में सफल होंगे | प्रेय को छोड़ कर जो श्रेयमार्ग को पकड़ता है ,वह अपने जीवन का उत्थान करने में सफल हो जाता है | 












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