दोस्तों ! कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक दिन में साठ हजार विचार आते हैं | जिन्हें रोका तो नही जा सकता लेकिन उन पर ध्यान देकर बदला जरूर जा सकता है| इसलिए अपने विचारो पर ध्यान दें और जब भी मन में व्यर्थ के विचार आए तो उन्हें तुरंत बदल दें | व्यर्थ के विचारो में ना उलझें अगर आप व्यर्थ के विचारो में उलझे रहे तो मन को एकाग्र कभी नही कर पाओगे | आइये जानते हैं कि मन को लक्ष्य पर एकाग्र कैसे करें ?
ऐम डिसाइड करते समय सिर्फ अपने दिल की सुने :- जिस कार्य में आपकी रूचि है वही कार्य करें किसी के देखा देख या कहने में आकर अपना ऐम निर्धारित ना करें | जब आप अपनी च्वाइस का कार्य करोगे तो आपका मन उस कार्य पर अपने आप केंद्रित होने लगेगा | इससे आपके अंदर आत्मिक शक्ति पैदा होगी| इससे आप जिस भी चीज पर ध्यान केंद्रित करोगे वह आपको जरूर मिल जाएगी | और अगर आप दुसरो के अनुसार ऐम डिसाइड करते हो तो आपका मन उस कार्य में पूरी तरह नहीं लग पायेगा
"हर कार्य का दो बार सम्पादन होता है एक बार मस्तिक में और दूसरी बार तह पर "
द्रढ़ इच्छा शक्ति रखेँ, द्र्ढ इच्छा से एकाग्रता संभव है :- सफलता और विफलता दोनों ही इच्छा शक्ति पर निर्भर करती हैं | प्रबल इच्छा शक्ति से मनुष्य असंभव को संभव बना लेता है | और इच्छा शक्ति के आभाव में हमेशा विफलताओं का रोना रोते हैं | दुनियां में जो भी अविष्कार हो रहे हैं ये सब इच्छा शक्ति का चमत्कार है | जितने भी द्रढ़ इच्छा शक्ति सम्पन व्यक्ति हुए हैं वे सब कर्म प्रधान हुए हैं | चंचलता मन का स्वभाव है | क्यु कि मन कभी एक जगह केंद्रित नही रह सकता | इसको विराम देना है तो इसके लिए एक लक्ष्य निर्धारित कीजिये | उसके बाद मन चाहे कितना भी उछल कूद करे | उसे बार बार अपने लक्ष्य पर एकाग्र करने की कोशिस करें | आपको अपने जीवन में त्याग समर्पण स्वयं नियंत्रण की कीमत चुकाए बिना कुछ भी नही मिल सकता | मन को एकाग्र करने के लिए धीरे धीरे प्रयास करें इससे मन एकाग्र होने लगेगा | अगर इतने पर भी मन उचखलता बरतता है तो उस पर ध्यान ना दें | अपने कार्य में लगे रहे तभी सफलता मिल सकती है | ऐम डिसाइड करते समय सिर्फ अपने दिल की सुने :- जिस कार्य में आपकी रूचि है वही कार्य करें किसी के देखा देख या कहने में आकर अपना ऐम निर्धारित ना करें | जब आप अपनी च्वाइस का कार्य करोगे तो आपका मन उस कार्य पर अपने आप केंद्रित होने लगेगा | इससे आपके अंदर आत्मिक शक्ति पैदा होगी| इससे आप जिस भी चीज पर ध्यान केंद्रित करोगे वह आपको जरूर मिल जाएगी | और अगर आप दुसरो के अनुसार ऐम डिसाइड करते हो तो आपका मन उस कार्य में पूरी तरह नहीं लग पायेगा
किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले दिमाग में उसकी पूरी पिक्चर बनाए | जब तक मन में पूरी पिक्चर ना बन जाए तब तक कार्य शुरू ना करें :-जब तक आपके मन में पूरी तरह से पिक्चर नही बन जाएगी तब तक आप उस कार्य को अच्छी तरह से नही कर पाओगे | किसी ने सही कहा है कि -
"हर कार्य का दो बार सम्पादन होता है एक बार मस्तिक में और दूसरी बार तह पर "
एक बार काम शुरू कर दिया तो बीच में ना रुके | क्यों कि बीच में कार्य रोकने का मतलब है कि आपको खुद पर भरोसा नही है | कार्य करते वक्त परेशानी भी आएगी रुकावटें भी आएगी आपका विश्वास भी डगमगा सकता है लेकिन जो शुरू कर दिया उसमे पीछे मुड़कर मत देखना | हो सकता है पीछे मुड़कर देखने के चककर में आपका फोक्स टूट जाये |
लाभ पर नही काम पर फ़ोकस करें :- जब आपका फोक्स काम पर होता है तो काम बेहतर होता है | और हर कार्य बेहतर करने के लिए जरूरी है कि आप एकाग्र होकर कार्य करें | लेकिन एकाग्र होना इतना आसान नही है | इसके लिए निरंतर अभ्यास करें | अभ्यास से ही एकाग्रता आती है |
" पूर्ण एकाग्रता से कार्य करने पर हम उसे शीघ्रता और गुणवत्ता से करते हैं और अभ्यास से ये सब संभव है "
किसी भी क्षेत्र में बेहतरीन नतीजा पाने के लिए प्रतिदिन अभ्यास करना जरूरी है | जब आप काम पर फोक्स करोगे तो आपको बिना मांगे सब कुछ मिल जाएगा | इसलिए जो भी कार्य करते हो उसमे ख़ुशी ढूढो और उसे एन्जॉय करो | जब आपको कार्य में मजा आने लगेगा तो आपकी उसमे आत्मशकित इतनी बढ़ जाएगी कि आप उसे निपुणता से करने लगोगे इससे फिर आपको लाभ भी होने लगेगा |
" जो अपने कार्य को सौ प्रतिशत एकाग्र होकर करते हैं वे ही जीवन के अगले स्तर पर पहुंचते हैं ''
एकाग्रता सफलता के लिए अनिवार्य है | हमारी मंजिल अलग होती है और हमारे रास्ते अलग | जब तक हम रास्ता सही नहीं चुनेंगे तब तक चाहे कितना भी चल लें हम मंजिल पर नही पहुंच सकते | मंजिल पर पहुंचने के लिए सही रास्ता चुनना जरूरी है |
मन को एकाग्र होने में समय लगता है धैर्य रखें :- ये नही है कि आप किसी कार्य में लगे और मन ना लगा तो आप थोड़ी ही देर में काम को छोड़ कर अलग हो गए | गौड़पाद जी का कहना है कि -
" इतना धैर्य रखें जितना की तिनके से समुंद्र,का पानी बूंद बूद निकालने मे धैर्य रखना पडे "
दुसरी तरफ बताया गया है कि मन के दरवाजे खुले हो तो एक पल में काम हो सकता है | बस सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए | अगर आप सीखने के लिए तैयार नही है तो आप कुछ नही कर सकते |
एकाग्रता के लिए मौन रहें :-एकाग्रता में मौन संजीवनी का कार्य करता है| एकाग्रचित व्यक्ति हर निर्णय सोच समझकर लेता है |
" जहां हम ध्यान से अलग हुए वही हम से चूक हो जाती है | हम हाथ में आये अवसर को भी खो देते हैं | इसलिए किसी भी कार्य को करते हुए हमारा ध्यान केंद्रित होना अति आवश्यक है "
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