
ऐसा क्यों हो रहा है ? यूं तो दिमाग में कुछ ना कुछ चलता रहता है लेकिन अगर ये अत्यधिक चलता है तो ठीक नही है | दोस्तों ! जब मैने ओरो से अपनी प्रॉब्लम शैयर की तो मैने अपनी जैसी स्थति और कई लोगो की पाई | और इसका एक ही कारण मुझे नजर आता है और वो है -अत्यधिक सोचना ( over thinking)
कोई भी इंसान अत्यधिक क्यों सोचने लगता है ?
आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम सब व्यस्त होते जा रहे हैं | अधिक काम की वजह से अधिक सोचने लगे हैं | अधिक सोचना गलत नही है | लेकिन जरूरत से ज्यादा सोचना ( ovr thinking) गलत है | एनोनिमस का कहना है कि -
" अति विचार आपको बर्बाद करता है, स्थति बर्बाद करता है , बात उलझाता ,आपको चिंता में डाल देता है और जितना मुश्किल है नही उससे अधिक मुश्किल कर देता है "
इससे हमारे दिमाग पर कंट्रोल नही रहता और कई तरह के और भी नुकसान उठाने पड़ते हैं |
" अति विचार आपको बर्बाद करता है, स्थति बर्बाद करता है , बात उलझाता ,आपको चिंता में डाल देता है और जितना मुश्किल है नही उससे अधिक मुश्किल कर देता है "
इससे हमारे दिमाग पर कंट्रोल नही रहता और कई तरह के और भी नुकसान उठाने पड़ते हैं |
सब के बीच में रहते हुए भी अकेला फील करना :- दोस्तों हम लोग ऐसा माहौल क्रीएट कर चुके हैं कि सब के बीच में रहते हुए भी अकेले हैं | अगर हम चार लोग दस मिनट के लिए साथ बैठते हैं तो भी अपने अपने फोनों में लग जाते हैं | दोस्तों या रिलेटिव से अपने सुख दुःख शेयर करने की बजाए वट्सऐप पर इमेजेस भेजकर फ़ॉर्मेल्टी निभाते हैं | इस लिए हर छोटी बड़ी समस्या का खुद ही सलूशन ढूढ़ते हैं इसलिए ज्यादा सोचने लगे हैं |
एक साथ कई लक्ष्य बनाना :- इससे एक काम निपटता नही है और हम दूसरे काम की प्लानिंग करने लगते हैं | या दूसरे कार्य को करने की जल्दी रहती है | जिसकी वजह से हम सोचते रहते हैं और हमेशा जल्दबाजी रहती है |
पर्तिस्पर्धा :- दुसरो से आगे निकलने की होड़ ने इंसान का दिन का चैन और रात की नीद गायब कर रखी है | ये इतना कमाता है तो में इससे ज्यादा कमाऊ इसके पास इतनी प्रॉपटी है तो मेरे पास इससे ज्यादा होनी चाहिए | इसी अंधी दौड़ में इंसान अत्यधिक सोचने लगा है | जब की किसी ने सही कहा है कि -
" केवल खुद से पर्तिस्पर्धा करने वाला व्यक्ति ही सर्वश्रेष्ठ दे पाता है | दुसरो से पर्तिस्पर्धा करने वाले व्यक्ति दुसरो से तो आगे निकल जाते हैं पर खुद के सर्वश्रेष्ठ से पीछे रह जाते हैं "
" केवल खुद से पर्तिस्पर्धा करने वाला व्यक्ति ही सर्वश्रेष्ठ दे पाता है | दुसरो से पर्तिस्पर्धा करने वाले व्यक्ति दुसरो से तो आगे निकल जाते हैं पर खुद के सर्वश्रेष्ठ से पीछे रह जाते हैं "
अत्यधिक सोचने की वजह से कई परेशानियां खड़ी होती जा रही हैं जैसे - भूलने की बीमारी ,भूख ना लगना ,नकारत्मक सोच ,चिड़ड़ापन , रूडली व्यवहार |
अत्यधिक सोचने से कैसे बचें ?
वर्तमान में जियें :- अत्यधिक सोचने वाला व्यक्ति कभी अतीत के बारे में सोचता है तो कभी वर्तमान और कभी भूतकाल में विचरण करने लगता है | इससे बचने के लिए वर्तमान में रहें ज्यादा आगे पीछे सोचने की कोशिस ना करें |
जो है उसमे खुश रहें और आगे बढ़ने की कोशिस करें :- और और के चककर में आकर अपने पास जो भी रहता है उसका भी लुफ्त हम नही उठा पाते | इसलिए जो है उससे खुश रहे और जीने का आनदं लें | खुश रहने वाला व्यक्ति ही आगे बढ़ सकता है |
कार्य को एन्जॉय करें :- जिस कार्य में आपकी रूचि है उसी कार्य को करें | और अगर आपकी पसंद का कार्य नहीं है तो आप जो करते हो उसे इंजॉय करना सीखें | हमेशा बीजी ना रहें कुछ समय खुद के लिए निकाले | उज्व्वल पाटनी ने कहा है कि -
" बीजी नही प्रोडक्टीव बनिये "
अच्छे लोगो के साथ रहें :- अच्छे लोगो का मतलब है जिन लोगो के साथ आप खुश रहते हो अच्छा फील करते हो ऐसे लोगो के साथ रहो ऐसा करने से आप अच्छा सोचोगे और अच्छा सोचने से आप पोजेटिव रहोगे |
समस्याओं से ना घबराएं :- अपने सामने आने वाली विपरीत परिस्थतियों को स्वीकार करें जब आप उन्हें स्वीकार करगे तभी तो आप उन्हें सुधारने की कोशिस करेंगे | जब उसमे कुछ सुधार करोगे तो विपरीत परिस्थति भी आपको कुछ अच्छा ही देकर कर जाएगी |
ज्यादा देर अकेले ना रहे और खुद से बातें ना करें :- अगर आप फ्री हैं तो दोस्तों से मिले या उन्हें बुलाले लेकिन ज्यादा देर तक अकेला ना रहें अकेला इंसान खुद से बातें करने लगता है और जल्दी ही लाइफ के नेगेटिव पहलू देखने लगता है | इसलिए वट्सऐप या फेसबुक पर रहने की बजाए दोस्तो से मिले और थोड़े सामाजिक बनें |
Super...good article.
ReplyDeleteEep it up everyday👍
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