Monday, May 2, 2022

सफलता के अध्यात्मिक नियम

किसी को दुख नही देना। क्रोध नही करना पाप गति को जानते हुए कोन सा कर्म नही करना। 

दान भी पात्र को देना है। इस पाप की दुनिया को पुन्य की दुनिया बनाना है। श्रेष्ठ मत से विकारो से बचे रहोगे और श्रेष्ठ बनोगे अपनी मन मत पर मत चलो।

पाप क्यू करते हो अपना खर्चा कम कर दो। कर्जा लेकर भी शादी में लगाते हैं उन्हे पतित बनाते हैं। फिर सहन भी करना पड़ता है।

 मीरा ने भी कृष्ण जी के लिए सहा ना। ऐसा पुरषार्थ करो जो बाप दादा से उच्च जाओ। माया से हारे हार माया से जीते जीत। मन संकल्प करेगा पर कर्म बुद्धि विवेक से करना।

घर में रहो पर पवित्र रहो। तुम्हारी लाइफ में रॉयल्टी झलकनी चाहिए। दान करने से पुण्य नही है दान वो है जो पुण्य कार्य में लगाया जाए।

रेगुलर पढ़े बिना उच्च पद पर नही जा सकते

मान शान का त्याग करने से सब के माननीय बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

No comments:

Post a Comment