सपने सिर्फ सपने नही होते
मै बचपन से ही महत्वाकांशी थी हमेशा बड़े बड़े सपने देखती । लेकिन हालत कुछ ऐसे थे कि जिंदगी की हकीकत बिलकुल अपोजिट थी जो चाहा वो मिलना संभव ही नही था । लेकिन मुझे सपनों में डूबा रहना ही अच्छा लगता था । उन्हीं के बारे में सोचती और जो इंसान जैसे सपने देखता है जैसा सोचता है वैसे ही कर्म करने लगता है ये बात बिलकुल सही है मेरा भी यही हाल था । मै सबकी मदद करना चाहती थी लेकिन मेरा बजट कम था फिर भी मै जरूरत मदों की मदद करती । पढ़ने का शोक था तो पढ़ाई तो स्कूल टाइम में छूट गई लेकिन पढ़ने का शोक अब तक नही छूटा । जो भी मिलता उसे पढ़ती रहती । शास्त्रों के पढ़ने का शोक था पढ़ती रहती। हैल्प करते करते ये आदत बन गई की अगर अपने पास नही है या कम था तो दोस्तों से भी मदद कराने लगी । ऐसा करते करते अब तक हमारे साथ और बहुत लोग जुड़ गए । हम लोगो ने एक समिति बना ली ''श्री स्याम सेवा समिति '' और अब तक हम कई भागवत, व् राम कथा करा चुके हैं और उसमें व् उससे अलग कई लड़कियों की शादी करा चुके हैं । और जो पढ़ने का शौक था उसमे मै हमेशा अपनी राय व् अपने विचार अपने बच्चो को सुनाती। एक दिन मेरी बेटी ने एडवाइज दी की आप अपने विचार लिखने शुरू कर दो । मैने यही किया । और ये करते करते आज बिलॉगिग करने लगी हू । आज मेरे दोनों ही सपने पुरे हो गए है। आज मै लेखक भी हू और सोसल वर्कर भी ।
जो भी सपने देखते हो उन्हें जियो उन् पर अपनी कैपिसिटी के अनुसार काम करते रहो एक दिन मजिल जरूर मिल जाएगी ।
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि - आकाश की तरफ देखिये हम अकेले नही हैं । सारा ब्रह्मांड हमारे लिए अनुकूल है । जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं वह उन्हें प्रतिफल देता है ।
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