Monday, January 30, 2017

सफलता के 8 सूत्र !!!


Image result for safalta ke sutraदोस्तों ! जिंदगी में कुछ पाने के लिए कुछ छोड़ना पड़ता है। तभी जाकर लाइफ में सक्सेस होते हैं। छोड़ने का मतलब ये नही है कि आप अपनी खुशियों से किनारा कर जाओ। छोड़ने का मतलब है कि हर काम करते हुए फॉक्स अपने काम पर रखें । खाना, घूमना , दोस्त, परिवार इन सब को प्रायटी दो। लेकिन आप को कहा जाना है ? क्या करना है ? आपकी लाइफ का मकसद  क्या  है ? आपका गोल क्या है ? हमेशा इस बात  का  ध्यान रखें । 

1 रिस्तो में फॉर्मेल्टी ना निभाए :-किसी ने सही कहा है कि -

"ऐसे ढेरो लोगो से अच्छे हैं जिनके सामने आपको बनावटी होना पड़े, आपकी लाइफ में बहुत थोड़े लोग हों, जिनके सामने आप खुल कर जी सकें " 

हर इंसान को अपना बनाने की कोशिस ना करें । और जिन लोगो  से आप खुश हो, जिनको आप  खुश रख सकते हो, जिनसे आप मदद ले सकते हो , जिनकी आप मदद करना चाहते हो ,उन्हीं को अपनी लाइफ में रखिये उन्हें खुश रखने की कोशिस कीजिये। बिना मतलब के दोस्त व रिलेटिव आपका समय बर्बाद करेंगे ,आपको पीछे धकेलेंगे । जार्ज वाशिगं ने कहा था  -

" सभी के साथ विन्रम रहें ,पर कुछ ही के साथ अंतरंग हो ,और इन कुछ को अपना विश्वास देने से पहले अच्छी तरह परख लें "

हर कार्य में परफेक्ट दिखने की कोशिस ना  :- क्योंकि हर इंसान हर काम में परफेक्ट नही हो सकता । अगर आप हर कार्य मे परफेक्ट बनने की कोशिस करेंगे तो आप किसी भी कार्य में परफेक्ट नही हो पाएंगे। क्युकी आप कोई कार्य बहुत अच्छा कर सकते हो और कोई कार्य आप बिलकुल भी नही कर सकते । 


3 जिन से मिलकर आप डाउन फील करते हो, ऐसे लोगो से दूर रहें :- जिनसे आप खुद को कम आंकते हो,जिनसे मिलकर आपके मन में नेगेटिव थोट आते हो, जिनसे मिलकर आपकी मानसिक शांति भंग होती हो, ऐसे लोगो से मिलना अवॉयड करें। और अगर अगर ऐसे लोगो से मिलना जरूरी है और आपको नीचा दिखाते हैं तो  ऐसे लोगो की बातें इग्नोर करें ।  

4 जो नही चाहते वो सोचना बंद करें :- वो सोचो जो लाइफ में  चाहते हो , वो नही जो नही चाहते। अगर आप अपनी कमियों के बारे में सोचोगे, तो आपकी ये सोच कमियों को ही अपनी तरफ अट्रेक्ट करेंगी। आप जैसा भविष्य मे चाहते हो वैसी ही कल्पना करो ।  b k शिवानी का कहना है कि -

" भविष्य मनुष्य की स्वयं की रचना है ''

 और किसी अज्ञात व्यक्ति ने कहा है कि -


" भुत काल व्याकुल करे ,या भविष्य भरमाए जो वर्तमान विचरण करे तो जीना आ जाये "

5 दुसरो को खुश करने के चक्कर में अपने असूलों से समझौता ना करें :-आप किसी को कितना ही खुश करने की कोशिस करें, आप हर किसी को खुश नही कर  सकते । क्यों कि खुश होना सामने वाले के नैचर पर डिपेंड करता है। और हर  इंसान का नेचर अलग है, आप किसी के नैचर को नही बदल  सकते।  


6 पास्ट में ज्यादा ताका झांकी ना करें : - जो पास्ट में दुःखद हुआ है उसे सीख लें और आगे बढ़ जाए ।  जावेद अख्तर जी ने कहा है कि - 



" पास्ट के उन्ही पलों को याद करो जो तुम्हें शकुन देते हो ,या जिनसे कुछ सबक लें सको   "

जयललिता ने कहा था -


" अगर आप लगातार पीछे ही देखते रहेंगे और जो हो चूका है उसी का राग अलापते रहेंगे ,तो आप आगे नही बढ़ पायेंगे "

7 दुसरो में कमी देखना बंद करें  :-  दुसरो को जज करना हमारी सबसे बड़ी भूल हैं। क्यों कि पूरी तरह हम किसी को नही जानते और बिना जाने किसी पर टिपणी करना या गॉसिप करना सबसे बड़ी बेकुफी है। इससे आप सिर्फ अपना समय बर्बाद कर रहे हो जिससे आपके हाथ कुछ नही लगेगा। सँदीप महेश्वरी का कहना है कि -

" जिस नजर से आप दुनियां को देखेंगे ,ये दुनियां आपको वैसी ही दिखेगी "

8 दूसरों से तुलना करना छोड़े :- दोस्तों ! परमात्मा ने हर इंसान को यूनिक बनाया है। इसलिए दुसरो के जैसे बनने की बजाए अपनी क्वालटी पहंचानो। और अगर आप अपनी क्वालटी नही पहंचान पा रहे हो तो किसी कांउसलर से सलाह लो। जिससे आप तुलना कर रहे हो,  हो सकता है आप अपनी फिल्ड में उससे भी बेहतर हो। आप अपनी फिल्ड में उससे आगे जा सकते हो। फर्क सिर्फ ये है की आपका कॉम्पिटिटर आप पर ध्यान ना देकर अपनी क्वालटी को निखार रहा है, अपनी क्वालटी बढ़ा रहा है।  और आप उससे तुलना करके अपना समय व एनर्जी  बर्बाद कर रहे हो  ।




                                   



  







Saturday, January 21, 2017

क्यों आ जाती है रिस्तो में खटास ?



Image result for risto me dararदोस्तों ! इंसान के दिलों में प्रेम भगवान का सबसे अच्छा उपहार है । ये उपहार जिसके पास जितना अधिक है उतना ही वो इंसान खुश नसीब है । और जितना जिसके जीवन में प्रेम का अभाव है सोच लो वो उतना ही निर्भाग है । 

दोस्तों भगवान ने तो हर इंसान के दिल में प्रेम दिया है। लेकिन इंसान ने अपने कर्मो से किसी ने उस को ठुकरा दिया है।  और किसी ने अपने कर्मो से और अधिक प्राप्त किया है । क्यों आ  जाती है रिस्तो में  खटास  ? 

1 ईर्ष्या :- दोस्तों हर इंसान अपने कर्म , बुद्धि , योग्यता  व भाग्य के अनुसार जीवन में सक्सेस या अनसक्सेस होता है।लेकिन अन्सक्सेस इंसान, सक्सेस इंसान से ईर्ष्या वश कटने लगता है अपने फैलियर व दुःख की वजह दुसरो को मानने लगता है । जिसकी वजह से रिस्तो में कड़वाहट आने लगती है । रामदेव बाबा ने कहा है कि -

" हमारे सुख दुःख का कारण दूसरे व्यक्ति या विपरीत परिस्थितियां नही हैं अपितु हमारे अच्छे या बुरे विचार होते हैं "


2 लालच :- कुछ लोग कच्चे लालच में आकर रिस्तो को बखेर कर रख देते हैं । जब की किसी का हिस्सा मार कर या बेईमानी से जीवन में आगे नही बढा जा सकता। आपने देखा भी होगा कि जो लोग अपने पार्टन  के साथ चीटिंग करते हैं वे उस समय तो खुश हो जाते हैं लेकिन बाद में जीवन भर दुःख पाते हैं । 

3 घमंड :-  कई लोग घमंड के चलते रिस्तो को वैल्यू नही देते इसलिए रिस्तो में दरार आ जाती है।  " डाउन टू अर्थ बनो "

मतलब जमीन से जुड़े रहो। क्यों कि अगर जीवन में कभी गिरे तो जमीन पर चोट कम लेगी। और अगर आकाश से गिरे तो कही के नही रह पाओगे । कहते हैं कि -

" घमंड को आने मत दो, स्वाभिमान को जाने मत दो ,अभिमान तुम्हें उठने नही देगा और स्वाभिमान गिरने नही देगा''

4 गलत फेमियां :- दोस्तों ! ज्यादातर रिस्तो के टूटने की वजह गलत फेमियां बनती हैं । इसलिए हमेशा रिस्तो में खुल कर बातें करें । कहते हैं कि -

" सबको उसी तराजू में तोलिए जिसमे खुद को तोलते हो ,फिर देखना लोग उतने भी बुरे नही हैं जितना हम समझते हैं "

5 अविश्वास :- दोस्तों ! घरो में बच्चो को पैरेंट्स पर विश्वास नही होता और कई पैरेंट्स को अपने बच्चो पर विश्वास नही रहता । कई लोगो को देखा है कि बच्चे पैरेंट्स से बातें छिपाते हैं और कई पेरेंट्स अपने बच्चो से ही अपनी जमा पूंजी छिपाते हैं जब की एक दूसरे के पूरक हैं ना पैरेंट्स बच्चो के बिना रह सकते हैं और ना बच्चे पेरेंट्स को छोड़  खुश रह सकते हैं । 

6  अज्ञानता :- कई लोग दुसरो के कहने में आकर अपने परिवार से अलग हो जाते हैं । कई घरो में तो बड़े ही घर को तोड़ने का कारण बन जाते हैं । 





Thursday, January 19, 2017

कुछ समय खुद को दें,एक मोटिवेशनल कहानी !!!




Image result for samay ki value samjheएक युवक कई सालों से नौकरी कर रहा था। युवक बहुत मेहनती था वह बिना एक भी छुटटी लिए लगातार काम करता रहता था। 

बाकि के साथी हर हफ्ते छुटी लेते महीने दो महीने में अपने घर वालो से मिलने गांव जाते और साल में एक बार कही दूर घूमने जाते । ये देखकर युवक सोचता था कि वे समय और पैसे की बर्बादी कर रहे हैं ।  


जैसे जैसे साल बीतते गए उस ने महसूस किया कि बाकि और लोग उसकी तुलना में अधिक खुश हैं और अधिक प्रोग्रेस कर रहे हैं । में क्यों नही ?

जब कि ये बीच बीच मे  काफी छुटटी लेते हैं, बाहर घूमने जाते हैं, अपने परिवार के साथ पिक्चर  देखने जाते हैं बाहर खाना खाते हैं फिर भी ये मुझसे अच्छी तरह काम कैसे कर लेते हैं।  इन के बीबी बच्चे भी इनसे खुश हैं और पैसे भी मुझसे ज्यादा बचा लेते हैं ऐसा क्यों ? 

युवा की मनोस्थिति को एक बुजर्ग साथी समझ गया । वो बुजर्ग लंच समय में युवा के  साथ बैठ कर लंच करने लगा । 

बुजर्ग ने युवक से मुस्कराते हुए कहा " कुछ समय खुद को  दो " खुद को कुछ समय दिए बिना काम किये जा रहे हो इससे आपकी महेनत बेकार जा रही है। कुछ समय बाद रिटायर्ड हो जाओगें और आपके पास कुछ नही होगा। 

युवक ने महसूस किया कि और साथी छुटटी लेने के बाद दुगनी एनर्जी से काम करते हैं और ये खुद भी खुश रहते हैं और इनके बीबी बच्चे भी इनसे खुश रहते हैं । 

बुजर्ग व्यक्ति ने हिदायत दी कि कुछ छुटटी लेकर हमे शरीर को रेष्ट देना चाहिए, परिवार को समय देना चाहिए, रिलेक्स होने के लिए कही बाहर घूमना चाहिए। और फ्री माइड होकर अपने लक्ष्य  की तरफ बढ़ने की प्लांनिग करनी चाहिए ।

इससे घर परिवार वाले भी खुश रहेगे और आगे बढ़ने के लिए सही सलाह भी देगे । अपना लक्ष्य आप तभी प्राप्त कर सकते हो जब आप समय सीमा तय करोगे , कार्य के महत्व को समझोगे और टाइम मैनेज कर के चलोगे । खुद के कार्य का निरक्षण करोगे। अन्धे होकर काम में लगे रहने से आपका समय व एनर्जी दोनों वैस्ट जाएगी ।   

पर्याप्त  रेष्ट किये बिना आप अपने  कार्य की क्वालटी व क्वांटिटी अच्छी नही कर नही सकते । रेष्ट करने से  खर्च हुई एनर्जी वापिस मिल जाती है और प्लांनिग  के लिए प्रयाप्त समय मिल जाता हैं । और जितनी अच्छी प्लांनिग होती है उतना ही अच्छा कार्य होता है ।  




Sunday, January 15, 2017

असफलता त्यागिए !!!


   
Image result for asafalta ka tyagदोस्तों ! आँखें बंद कीजिये! और कुछ पल के लिए  ' सफलता  की '  कल्पना कीजिये क्या कल्पना की ?  जीवन में सुख, शांति ,  सम्रद्धि ,आकाश को छूने वाले आंखों में सपने ? दुनियां को अपनी मुठी में लेने का साहस और मंजिल पा लेने का अटूट आत्मविश्वास। एक हँसता मुस्कराता चहरा ? रिस्तो में आत्मीयता  , दिल में सबके लिए ढेरो प्यार ।   


अब  ' असफलता की  ' कल्पना  कीजिये, जीवन में हर तरह का आभाव ,  थका हारा इंसान,  लटका मायूस चेहरा ,  अकेला, तन्हा ,आंखों में हार का डर, सब कुछ खो देने का पश्च्याताप , अपनों से अलगाव , सबसे शिकायत, दीन- हीन, लाचार, सबसे  से ना उम्मीद ,  अविश्वास, घर रिस्ते पुरी दुनियां ही उजड़ी हुई नजर आती है ।  

असफलता शब्द की कल्पना कितनी  डरावनी  है ना ? सोच कर भी रूह काँपती हैं । तो जो लोग असफल  हैं, असफलता से समझौता कर चुके हैं उन पर क्या बीतती होगी ? सफलता की कल्पना से भी सुकून मिलता है और असफलता के बारे में सोच कर भी डर लगता है । तो  फिर आप बताइये कि - जिंदगी में असफल क्यों  रहें ? संदीप महेश्वरी ने कहा है - 

" न मैदान छोड़ो ,न इंतजार करो ...  बस चलते रहो "

 - अब्दुलकलाम जी ने कहा था -
     
" अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो ,पहले सूरज की तरह जलो "


जब आप बार बार कोशिस करते रहोगे  लगे रहोगे तो आखिर में कामयाब हो ही जाओगे । 

असफल  लोग सभी को टेंशन देते हैं :-  असफल  लोग खुद जिंदगी में असफलता  से समझौता करते हैं अपनी लापरवाही  की आदत की वजह से  असफल  बनते हैं और हमेशा ऐसी बातें करेगे की वे अपनी वजह से नही दुसरो की वजह से असफल हुए हैं। लेखक मोरली कालाघन का कहना है कि -

" नाकाम होने पर कई लोग इस तरह व्यवहार करते हैं ,जिससे वे खुद को बहुत हानि पहुंचाते हैं, खुद पर तरस खाने लगते हैं और सभी को दोषी ठहराते हैं" 


" डरे  और असफल  लोग अल्फाजो के पीछे छिपते हैं "
                                                          -फिल्म 

असफल होने पर भाग्य को,  समय को, रिस्ते नाते को और तो क्या भगवान  तक को  कोसने लगते हैं :-  लेकिन ये भूल जाते हैं कि जो हमारे साथ  जो गलत हो रहा है ये हमारे ही कर्मो का दोष है । याद कीजिये जीवन में जब आपको कभी थोड़ी सी सफलता मिली,  तब आप घमंड से भर गए । उस सफलता  को आपने कर्मठता और योग्यता का परिणाम माना । जब की वहा आपको सावधान होने की आवश्यकता थी । जब भी कोई सफलता मिलती है तो वो सिर्फ इंसान की योग्यता या कर्मठता से नही मिलती उसमे प्रकृति से लेकर परिवार दोस्त व अन्य लोगो के सहयोग से मिलती है । किसी ने कहा भी है कि -

 " अहंकार रहित मन ही एक दिन जीवन में बड़ी सफलता की नीव डालती है "




Friday, January 13, 2017

हमारी आदतें ही सक्सेस और फैलियर बनाती हैं !!!


Related imageदोस्तों ! आज सुबह में एक वीडियो देख रही थी 'समय की वेल्यु' समझें । हम बोलते, देखते , पढ़ते बहुत कुछ हैं लेकिन उन को follow नही करते | अगर हम  १ % 2 % भी अच्छी बातो को follow करें,  तो हमारी लाइफ चेंज हो सकती है। अतुल राठौर ने अपने आर्टिकल 'जरा सोचें' की क्यों हम अच्छी बातों को  follow नही कर पाते में लिखा था --

" रोज अच्छी post पढ़ने से जिंदगी change नही होगी ,जिंदगी change करने के लिए एक post  को follow करना काफी है "

 और हम  ये जानते हुए भी अच्छी बातो को follow  नही करते। हमारी सक्सेस और फैलियर में सबसे बड़ा हाथ हमारी आदतों का होता है । लेकिन हमे पता ही नही चलता की हमारी एक गलत आदत कब फैलियर की वजह बन जाती है ।  

हम दुसरो पर कमेंट्स करते हैं, दुसरो को जज करते हैं, दुसरो की निंदा या कमी देखते हैं। जब कि सबसे ज्यादा खुद का निरक्षण करना जरूरी है । तभी आप जिंदगी  में कुछ कर सकते हैं। 

हम सोचते  कुछ और हैं, कहते कुछ और हैं, और करते कुछ और ही हैं । सोच कर देखो क्या हम ऐसा ही नही कर रहे ? जब तक हम किसी अच्छी आदत  को follow  नही करेंगे, तब  तक इन सब बातो का कोई फायदा नही है । चाहे हम कितनी ही किताबे पढे ,वीडियो देखे कुछ भी करें । और आप ये तो जानते ही हो कि संपादन के  बिना ज्ञान खोकला है । 

दुसरो की कमी देखने की बजाए खुद का हर पल निरक्षण करो। खुद की गलत आदतों को बदलो। नही तो आपकी जिदगी बिना मकसद के  गुजर जाएगी । ना अब तक कुछ कर पाए और ना ही आगे कुछ कर पाओगे ।  

अब आपके हाथ में है कि आप क्या सोचते  हो ? जो सोचते हो, वो बोलो, जो बोलते हो, वो करो और जो करोगे वही तुम बनोगे ।  इसलिए सब से पहले अपनी सोच को सुधारो जब सोच सुधरेगी तो आप सुधर जाओगे ।अब आप खुद सोचो कि आप खुद को कहा देखना चाहते हो ? क्या बनना चाहते हो ?जहां देखना चाहते हो, जो बनना चाहते हो  वो सोचो, वो करो ।  

दोस्तों ! मुझे फैलियर लोग पसंद नही हैं । फैलियर लोग हमेशा ही अपने नजदीकी लोगो के लिए टेशन क्रियेट करते हैं ।एक सक्सेस इंसान अपने से जुड़े सैकड़ो को सकूंन देता है और एक फैलियर अपने से जुड़े सैकड़ो को टेंशन देता है । a to z किसी भी फैलियर या सक्सेस को देख लो । 




Tuesday, January 10, 2017

मदद की उम्मीद भगवान से करो ,दुनियां से नही !!!

Image result for help me god in hindi दोस्तों ! 'में' आपको आप बीती सुनाती हूँ - हमारा ट्रांसपोर्ट का काम है , एक समय ऐसा आया जब हमारी गाड़ी बार बार एक्सीडेंट हो रही थीं । एक गाड़ी ठीक नही हो पाती थी, तब तक दूसरी गाड़ी एक्सीडेंट हो जाती थी ।

कई गाड़ियों के एक्सीडेंट से हमारी स्थिति ऐसी हो गई कि- गाड़ियों की क़िस्त भरनी भी हमारे लिए मुश्किल हो गई।गाड़ी की तीसरी क़िस्त डीयू हो चुकी थी। मेरे हसबेंड हाथ उठा चुके थे  कि अब में किसी से मांग कर क़िस्त नही भर सकता, अब मुझे कोई उधार नही देगा, गाड़ी को रिकवरी एजेंट उठा लेगें । 

ये  बात सोच - सोच  कर  मुझे बहुत दुख हो रहा था। और में ये सोच रही थी कि अब में क्या करू ? ये मांग मांग के थक चुके हैं, अब ये किसी से नही मांगेगे । 

बार बार एक्सीडेंट की वजह से बहुत  नुकसान हो चूका था जिसकी वजह से अधिक कर्जा चढ़ चूका था। और हम अपने हर रिलेटिव से  उधार मांग चूके थे । अब किसी से मदद की उम्मीद भी नही कर सकते थे। हमारी कोई मदद करने के लिए तैयार नही था  लोग कहते हैं कि -

" ईश्वर नजर नही आता, लेकिन सच तो ये है कि दुख के समय जब कोई दोस्त सम्बंधी साथ नही देता, उस समय सिर्फ ईश्वर ही नजर आता है "  

मुझे अपनी मामी की एक बात याद आई।  वो हमेशा कहती थी -मांगना है तो उस ईश्वर से मांगो जो सब को देता हैं जो सबकी मदद करता है दुनियां से क्या मांगना ? दुनियां थोड़ा सा देगी, ज्यादा जताएंगी और कई गुना दुनियां को सुनाएंगी । मेरे हसबेंड कहते हैं कि -

"  किसी का अहसान मत लो, क्या पता उस अहसान की आपको कितनी बड़ी कीमत अदा करनी पड़े। वैसे भी कर्ज उतारना आसान है लेकिन अहसान उतारना मुश्किल है " 

हम  उधार मांग - मांग कर थक चुके थे। और अब हमे कोई रास्ता नही सूझ रहा था। कोई रिलेटिव ऐसा नही दीख रहा था कि कोई हमारी मदद कर सकें , अब करें तो क्या करें ? 

मैंने अपने घर के मंदिर में शाम के समय ज्योत जगाई। और मंदिर के सामने ही दुखी होकर बैठ गई। भगवान से ही  मदद मांगने लगी । बार बार भगवान से ही ये दुआ मांग रही थी कि हे भगवान मेरी मदद करो कैसे भी करके हमारी गाड़ी बचा लो । 

दोस्तों ! मुझे 18 साल बाद भी बहुत अच्छी तरह से याद है की उसी समय मेरा भाई उतने ही पैसे लेकर मेरे सामने आ खड़ा हुआ कि आपको इनकी जरूरत है आप लो और मुझे मेरी छोटी बहन की शादी में दे देना । 

ये सोचने वाली बात हैं! मेरा भाई उस समय मुरादाबाद में था और में दिल्ली में। मेरे भाई को तो इस बात का पता भी नही था कि में किस मुसीबत में हुं ? आप इसे इतफाक कहोगे ? मेरा भाई अपनी मर्जी से आया था ? या कोई शक्ति थी जिसे हम ईश्वर,अल्हा ,पैगम्बर जिस भी नाम से पुकारते हैं ये वो  ही शक्ति थी ।  

' मै ' तो दोस्तों ! इससे ईश्वर  की तरफ से मदद ही मानती हूं -कि जब कोई सहारा मुझे नही था तो उस ईश्वर ने मेरी मदद के लिए वो भेजा । जब हम ईश्वर से मदद मांगते हैं तो वो किसी ना किसी रूप में आकर हमारी मदद जरूर करता है । 

Thursday, January 5, 2017

असफलता से समझौता क्यों करें ? जब कि लगातार कोशिस करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं !!!



Image result for asafalta ki kahaniदोस्तों! अपनी पहली असफलता के कारण या बार -बार कोशिस करने पर भी सफल नही हो पाने के कारण, हमारे मन में ये बात बैठ जाती है कि - हम सफल नही हो सकते, हमारे अंदर वो काबिलियत ही नही है।ये सोच कर कोशिस करनी छोड़ देते हैं । जब कि अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -  

" परमात्मा ने सब के अंदर कोई ना कोई काबिलियत दी है । जिस दिन आप अपनी योग्यता को पहंचान कर एक कदम उसकी तरफ बढ़ा दोंगे, लोग उस दिन आपको  एक्स्ट्रा ओडरी कहने लगेंगे "  

हम खुद से डर कर आगे कदम बढ़ाने की कोशिस नही करते। हारने से पहले ही अपने हथियार डाल देते हैं।  असफलता से समझौता कर लेते हैं। फिर पूरी जिदगी गरीबी, बदहाल , उदासी भरा जीवन जीते हैं। और अपने अंतर्मन की आवाज नही सुनते । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -

" सबसे बड़ा मोटिवेटर आप खुद हैं जिस दिन आपकी अंतर आत्मा  उस लक्ष्य के लिए जाग जाएंगी ,  उस दिन आपको कोई नही रोक सकता " 

हम लोगो की प्रॉब्लम ही ये है कि - हम  खुद पर विश्वास ना करके ,अपने अंतर्मन की आवाज ना सुनकर दुसरो की  नेगेटिव बातें सुनने लगते हैं।और ओर लोगो की आलोचना सुनकर घबरा जाते हैं । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि - 

" जब भी लाइफ में कुछ अच्छा करने चलते हैं ,तो कुछ लोग हमारा साथ देते हैं और कुछ लोग हमे वापिस खीच कर , अपने पास खड़ा करना चाहते हैं । आलोचनाओं को नेगेटिव लेना है या पोजेटिव ये आप पर निर्भर है ।मैने हमेशा आलोचनाओं को चेलेंज के रूप में लिया है  " 


दोस्तों! हमे  असफल होने पर भी प्रयास जारी रखना चाहिए। अपनी असफलता के कारण जानने की कोशिस करनी चाहिए कि - हम सफल क्यों नही हुए ?  हमारी कहा गलती या कमी रही ?  उन कारणों को जानकर असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। असफलता जीवन का एक हिस्सा है जीवन नही । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -

" अगर आप में जीतने का जज्बा है तो आप परस्थितियों को इतना मजबूर कर देते हो, कि परस्थितियों को आपके हक में आना ही पड़ता है ।और सच में वही साहसी है जो परिस्थितियों में से निकल कर आगे जाने का रास्ता खोज ले " 

असफलता से समझौता ना करें, क्यों कि आप लगातार कोशिस करके सफलता  प्राप्त कर  सकते हो । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -

" अपना लक्ष्य तय कीजिये ,और उस पर इतना फॉक्स कीजिये। इतनी मेहनत कीजिये की परमात्मा  भी आपको सफलता देने के लिए मजबूर हो जाए "

आपने किसान को खेत में बीज बोते देखा होगा, कुछ बीज तीसरे दिन ही उग जाते हैं और बाँस का पौधा उगने में चार पांच साल लगते है । बाँस का पेड़ अपनी नींव मजबूत करने में चार पांच साल लगा देता हैं । और फिर थोड़े ही दिनों में सात आठ फुट लम्बा हो जाता है ।  

असफलता में लगे समय को बर्बाद मत जानो या उससे निराश मत हो,असफलता से व विपरित परस्थितियों से आपकी नीव मजबूत होती है । जितनी आपकी नीव मजबूत होती है ,उससे आप परिपक बनते हो,और परिपक इंसान सब समस्याओं का हल ढूढ़ लेता है। 

" बिहार के दशरथ माझी के बारे में आपने सुना होगा कि -उन्होंने अकेले अपने  दम पर ही 25 फीट ऊंचे पहाड़ का सीना चीर कर उसमे से 360 फीट लंबा और 30 फीट चोडा रास्ता बनाकर आश्चर्य जनक कारनामा कर दिखाया "  

ये सब द्रढ़ इच्छा शक्ति , संकल्प , लगातार कोशिश  व २२ साल की कठोर मेहनत का फल है । इस बीच अनेक परेशानी व समस्याएं आई लेकिन उन्होंने हर समस्या हर परेशानियों का डट कर सामना किया। हर दर्द को बर्दास किया । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -

" जिसके अंदर दर्द सहन करने की क्षमता है वो कुछ  भी कर सकता है "





Monday, January 2, 2017

सक्सेस की सीढ़ी चढ़ना चाहते हो ?



Image result for skses ladderदोस्तों ! हर इंसान सक्सेस चाहता है ,लेकिन सक्सेस के लिए कुछ कार्य करने अनिवार्य हैं। अगर उन कार्यो को करें  तो सक्सेस की सीढ़ी जरूर चढ़ सकते हैं । और अगर नही किये तो सक्सेस नही हो सकते । आइये जानते हैं सक्सेस होने के लिए क्या - क्या करना  अनिवार्य है   - 


अपना जनून पहंचाने  :- दोस्तों! कहते है कि बिना जनून के आपके अंदर ऊर्जा नही रहती , बिना ऊर्जा के आप कुछ नही कर सकते । अपने जनून को पहंचानो अपने महत्व एव सार को जानो । कहते हैं कि -

" जो अपने जीवन के महत्व एव सार को पहंचान लेते हैं वे ही सही फैसला लेते हैं "

इसके लिए अपने दिल की सुने और वो ही फैसला लें जो आपका दिल कहता है। ज्यादातर हम दुसरो से कंपेयर करते हैं, दुसरो के देखा देखी कैरियर चुनते हैं। हम ये नही देखते की हमे क्या पसंद है हमारी रूचि किस में है। इसलिए हम टेलेंटिड होते हुए भी सक्सेस नही हो पाते । 

खुद को झूठी दिलासा ना दें :-  दोस्तों ! जब काम अच्छा होता है तो इससे सम्मान व  पहंचान दोनों मिलते हैं । लेकिन अच्छा काम अनुभव से होता है।इसलिए कभी खुद को झूठी दिलासा ना दें। अगर आप अच्छा पढ़ना,चाहते हो या लाइफ में अलग पहंचान बनाना चाहते हो तो इसके लिए आप व्यवहारिक कदम उठाये और उन्हें धरातल पर रख कर देखें। किसी अज्ञात व्यक्ति ने कहा था -

" सिर्फ सोच सोच कर  आप कभी अपने लक्ष्य की और नही पहुंच सकते ना ही सुन सुनकर लक्ष्य प्राप्त कर सकते। सिर्फ सोच कर कही कोई पहुंचता है ? कोई कितना ही सोचे हाथो में केवल राख ही मिलती है "

जीतने की जिद और सकरात्मक सोच रखें :- सिर्फ सपने देखने या सोचने से सक्सेस नही मिल जाती । आप जीतने की जिद्द कर लो तो मंजिल तक पहुंच ही जाओगें । इसके लिए ये देखना अनिवार्य है कि आप में कितनी सामर्थ्य है ? कितने प्रयासों की जरूरत है ? आप कर्मठता से कर सकते हैं या नही ? शुरुआत करने के बाद हो सकता है कि आपकी राह में ऐसे रोड आएं जो आपको निरुत्साहित कर दें। ऐसी परिस्थिति में आप नकरात्मकता को हावी ना होने दें।परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने की बजाए उसे पार करने का सलूशन ढूढें  कहते है कि -

" सम्पनता दिमाग को जंग लगा देती है और कठनाई उसे पैना करती है "

  कार्य को रुचिकर बनाएं  :-  हो सकता है कि आपकी पढ़ाई या कार्य बोरींग हो, आप उससे ऊब गए हो, कार्य करने में मन नही लगता हो । तो ऐसे में कार्य को रुचिकर बनाने का उपाय सोचें । अगर आपने अपना कार्य रुचिकर बना लिया तो आप निश्चय ही कार्य को इंजॉय करने लगोगे । डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि -

" अगर आप काम और सुख में बेलेंस बनाने में रूचि रखते हैं तो उन्हें बैलेंस करने का प्रयास छोड़ दीजिये इसके बजाए अपने काम को और सुखद बनाये "

मेंटली स्ट्रॉग बनें  :-  जब भी हम समाज में कुछ नया करने चलते हैं तो दस बातें होती ही हैं कुछ फेवर में कुछ अपोजिट । घर परिवार समाज वाले ही आपका मनोबल तोड़ने लगते हैं कई बार आपको डिमोटिवेट कर देते है । इससे निपटने के लिए मेंटली स्ट्रॉग बनों । किसी ने कहा है कि -

" रूढ़िवादी सोच से लड़ने का एक ही तरीका है कि आप मेंटली स्ट्रॉग बनें "

जब आप मेंटली स्ट्रॉग होते हैं तो शरीर भी मजबूत बन सकता है । बड़ा लक्ष्य बनाएं। जब लक्ष्य बड़ा होता है तो छोटी छोटी बातें असर नही करती। मन को सुंदर बनाएं। शरीरिक सुंदरता आखों को आकर्षित करती है और अच्छाई दिमाग को आकर्षित करती है । इसलिए सुंदरता मन से है इसे शरीर से क्यों जोड़े ?
 
 

उदास दिनचर्य से कैसे बचें !!!





Image result for udas in hindiदोस्तों ! जो लोग हमेशा उदास रहते हैं वे किसी भी कार्य में रूचि नही लेते, किसी भी कार्य से खुश नही होते। ऐसे लोग जहां भी जाते हैं वहां दुःख पीड़ा व क्लेश ही लेकर जाते हैं। हर चीज के नेगेटिव पहलू को देखते हैं। उदासीन व्यक्ति खुद तो कभी खुश नही रह सकते, बल्कि दुसरो की खुशियो पर भी ग्रहण लगा देते हैं । जब की स्वेट मार्डन का कहना है  -   

" संसार में कोई भी व्यक्ति दुखी और दरिद्र होने के लिए नही आया।  किसी का जन्म इसलिए नही हुआ कि वह उदासी फैलाकर दुसरो को भी दुखी करे। जब कि उदासी , दुःख क्लेश के विचार पैदा करने वाले लोग चारो ओर एक जहर सा फैलाते हैं " 


उदास लोगो के सामने आप कितने ही प्रसन्न व उल्लास से जाएं ,आपको उनके सामने हंसते व बोलते हुए संकोच होगा । आपके चेहरें से ख़ुशी गायब हो जाएगी ।  आपको ऐसा लगेगा कि आप कहा नर्क में आ घुसे हैं।आपका मन खीनता से भर जायेगा। उदास रहने वाले व्यक्ति के पास कोई भी खुश नही रह सकता । उदास व्यक्ति दुसरो के जीवन में भी कष्ट व चिंता भर देता है । स्वेट मार्डन का कहना है कि  -

" सचाई ये है कि सबसे भयंकर रोग उदासी है । उदासी व उदासीनता जैसी भयंकर बीमारी शायद ही कोई और संसार में होती होगी। ये अच्छे भले लोगो को भी परेशान कर सकती है " 

अगर आप किसी घटना या समस्या के कारण दुखी हैं, तो आप उस समस्या दुःख व घटना से हुई उदासी को टाल सकते हो । आपको सोचना होगा कि जो घटना घट चुकी है उस को उदासी दूर नही कर सकती । उदासी केवल दुःख का प्रदर्शन करती है । और दुखी दिखने वाला इंसान किसी को पसंद नही आता । स्वेटमार्डन ने भी कहा है कि -

" मनहूस शकलों से सभी लोग घृणा करते हैं, क्यों की ऐसे लोग ना तो कुछ कर सकते हैं, और न दुसरो को करने दे सकते हैं । आप ऐसे मत बनिए , आप समस्त रोग उदासी और भय का त्याग करके अपने कर्म करते रहिये  " 

उदासीन व्यक्ति का चित डामाडोल रहता उसके मन में संदेह व  भय बना रहता है। जिसकी वजह से सही समय पर सही डिशिजन नही ले पाता। और गलत डिशिजन की वजह से वो असफल हो जाता है। इसलिए हमेशा मुस्कराते रहिये, और विपति के समय अपने मन मष्तिक को शांत रखने की कोशिस कीजिये । अशांत मन से महत्वपूर्ण निर्णय मत लीजिये । 

दुनियां में जिन लोगो ने महान कार्य किये  हैं, वो शांत मन से निर्णय लेकर ही किये हैं। मनोविकार से ग्रस्त मन शांत नही रहता और अशांत मन से किया कार्य आपको महान नही बना सकता । आपने देखा भी होगा की जब आपके मन में कोई चिंता या भय बना होता है तो आप कोई भी कार्य अच्छी तरह  से  समय पर नही कर पाते । किसी ने सही कहा है कि -

" आखिर में आप इससे नही मापे जाते कि आपने कितना काम लिया है ,बल्कि इससे मापे जाते हैं कि आपने कितना काम सही से और समय से किया है "

कुछ कर गुजरने की साध मन में रखने वाले इंसान को, एकाग्रचित होकर ,हर समस्या, हर परेशानी को भूलकर अपना मन उस कार्य में लगाना चाहिए, जिसे कर रहे हो। नही तो दुखी व विचलित मन से कार्य को बिगाड़ बैठोंगे ।