" परमात्मा ने सब के अंदर कोई ना कोई काबिलियत दी है । जिस दिन आप अपनी योग्यता को पहंचान कर एक कदम उसकी तरफ बढ़ा दोंगे, लोग उस दिन आपको एक्स्ट्रा ओडरी कहने लगेंगे "
हम खुद से डर कर आगे कदम बढ़ाने की कोशिस नही करते। हारने से पहले ही अपने हथियार डाल देते हैं। असफलता से समझौता कर लेते हैं। फिर पूरी जिदगी गरीबी, बदहाल , उदासी भरा जीवन जीते हैं। और अपने अंतर्मन की आवाज नही सुनते । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -
" सबसे बड़ा मोटिवेटर आप खुद हैं जिस दिन आपकी अंतर आत्मा उस लक्ष्य के लिए जाग जाएंगी , उस दिन आपको कोई नही रोक सकता "
हम लोगो की प्रॉब्लम ही ये है कि - हम खुद पर विश्वास ना करके ,अपने अंतर्मन की आवाज ना सुनकर दुसरो की नेगेटिव बातें सुनने लगते हैं।और ओर लोगो की आलोचना सुनकर घबरा जाते हैं । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -
" जब भी लाइफ में कुछ अच्छा करने चलते हैं ,तो कुछ लोग हमारा साथ देते हैं और कुछ लोग हमे वापिस खीच कर , अपने पास खड़ा करना चाहते हैं । आलोचनाओं को नेगेटिव लेना है या पोजेटिव ये आप पर निर्भर है ।मैने हमेशा आलोचनाओं को चेलेंज के रूप में लिया है "
दोस्तों! हमे असफल होने पर भी प्रयास जारी रखना चाहिए। अपनी असफलता के कारण जानने की कोशिस करनी चाहिए कि - हम सफल क्यों नही हुए ? हमारी कहा गलती या कमी रही ? उन कारणों को जानकर असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। असफलता जीवन का एक हिस्सा है जीवन नही । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -
" अगर आप में जीतने का जज्बा है तो आप परस्थितियों को इतना मजबूर कर देते हो, कि परस्थितियों को आपके हक में आना ही पड़ता है ।और सच में वही साहसी है जो परिस्थितियों में से निकल कर आगे जाने का रास्ता खोज ले "
असफलता से समझौता ना करें, क्यों कि आप लगातार कोशिस करके सफलता प्राप्त कर सकते हो । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -
" अपना लक्ष्य तय कीजिये ,और उस पर इतना फॉक्स कीजिये। इतनी मेहनत कीजिये की परमात्मा भी आपको सफलता देने के लिए मजबूर हो जाए "
आपने किसान को खेत में बीज बोते देखा होगा, कुछ बीज तीसरे दिन ही उग जाते हैं और बाँस का पौधा उगने में चार पांच साल लगते है । बाँस का पेड़ अपनी नींव मजबूत करने में चार पांच साल लगा देता हैं । और फिर थोड़े ही दिनों में सात आठ फुट लम्बा हो जाता है ।
असफलता में लगे समय को बर्बाद मत जानो या उससे निराश मत हो,असफलता से व विपरित परस्थितियों से आपकी नीव मजबूत होती है । जितनी आपकी नीव मजबूत होती है ,उससे आप परिपक बनते हो,और परिपक इंसान सब समस्याओं का हल ढूढ़ लेता है।
" बिहार के दशरथ माझी के बारे में आपने सुना होगा कि -उन्होंने अकेले अपने दम पर ही 25 फीट ऊंचे पहाड़ का सीना चीर कर उसमे से 360 फीट लंबा और 30 फीट चोडा रास्ता बनाकर आश्चर्य जनक कारनामा कर दिखाया "
ये सब द्रढ़ इच्छा शक्ति , संकल्प , लगातार कोशिश व २२ साल की कठोर मेहनत का फल है । इस बीच अनेक परेशानी व समस्याएं आई लेकिन उन्होंने हर समस्या हर परेशानियों का डट कर सामना किया। हर दर्द को बर्दास किया । अरुणिमा सिन्हा का कहना है कि -
" जिसके अंदर दर्द सहन करने की क्षमता है वो कुछ भी कर सकता है "
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