अब ' असफलता की ' कल्पना कीजिये, जीवन में हर तरह का आभाव , थका हारा इंसान, लटका मायूस चेहरा , अकेला, तन्हा ,आंखों में हार का डर, सब कुछ खो देने का पश्च्याताप , अपनों से अलगाव , सबसे शिकायत, दीन- हीन, लाचार, सबसे से ना उम्मीद , अविश्वास, घर रिस्ते पुरी दुनियां ही उजड़ी हुई नजर आती है ।
असफलता शब्द की कल्पना कितनी डरावनी है ना ? सोच कर भी रूह काँपती हैं । तो जो लोग असफल हैं, असफलता से समझौता कर चुके हैं उन पर क्या बीतती होगी ? सफलता की कल्पना से भी सुकून मिलता है और असफलता के बारे में सोच कर भी डर लगता है । तो फिर आप बताइये कि - जिंदगी में असफल क्यों रहें ? संदीप महेश्वरी ने कहा है -
- अब्दुलकलाम जी ने कहा था -
" अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो ,पहले सूरज की तरह जलो "
जब आप बार बार कोशिस करते रहोगे लगे रहोगे तो आखिर में कामयाब हो ही जाओगे ।
" नाकाम होने पर कई लोग इस तरह व्यवहार करते हैं ,जिससे वे खुद को बहुत हानि पहुंचाते हैं, खुद पर तरस खाने लगते हैं और सभी को दोषी ठहराते हैं"
" डरे और असफल लोग अल्फाजो के पीछे छिपते हैं "
-फिल्म असफल होने पर भाग्य को, समय को, रिस्ते नाते को और तो क्या भगवान तक को कोसने लगते हैं :- लेकिन ये भूल जाते हैं कि जो हमारे साथ जो गलत हो रहा है ये हमारे ही कर्मो का दोष है । याद कीजिये जीवन में जब आपको कभी थोड़ी सी सफलता मिली, तब आप घमंड से भर गए । उस सफलता को आपने कर्मठता और योग्यता का परिणाम माना । जब की वहा आपको सावधान होने की आवश्यकता थी । जब भी कोई सफलता मिलती है तो वो सिर्फ इंसान की योग्यता या कर्मठता से नही मिलती उसमे प्रकृति से लेकर परिवार दोस्त व अन्य लोगो के सहयोग से मिलती है । किसी ने कहा भी है कि -
" अहंकार रहित मन ही एक दिन जीवन में बड़ी सफलता की नीव डालती है "
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