मनुष्य तू स्वार्थी क्यों ?
मै माउंट आबू आई हूं इस वक्त ज्यादातर लोग ऑडिटोरियम देखने गए हैं और मैं आम के पेड़ के नीचे छाया में बैठी हूं आम के पेड़ पर आम लगे हुए हैं जिन्हें देख कर मेरे मन में ये आर्टिकल लिखने की प्रेरणा हुई। मे इस पेड़ को देख सोच रही हूं पुरी सृष्टि सेवा में लगी है और एक हम मानव हैं जो अपने स्वार्थ से ऊपर नही उठते ये धूप सहता गर्मी सहता है पतझड़ सहता है बारिश सहता है और सब कुछ सहने के बाबजूद हम लोगो को धूप से बचाते हैं गर्मी से बचाते हैं बारिश से बचाते हैं खाने के लिए फल देते हैं छाव देते हैं और हम इन्हे अपने स्वार्थ के लिए कटवा देते हैं पुरी श्रष्टि मानव की सेवा करती है और हम मानव अपने स्वार्थ से ऊपर नही उठते😊