इस कलयुग में सब रावण की जंजीरों में बंधे हुए हैं उन्हें जीवन मुक्त बनाना है।
मुखड़ा देख ले दर्पण में कितना पाप किया जीवन मे। अर्थात कितने विकारों पर जीत हासिल की है।
जीवन मुक्त होगे पुरसार्थ अनुसार धर्म अनुसार नंबर वार।
एक बार लक्ष्य मिल गया तो आप विदेश में रहकर भी पढ़ सकते हो।
कलयुग में सुख थोड़े समय का है शांति यहां मिलनी ही नही है। शांति के लिए मन जुबान कर्म पर कंट्रोल होना बहुत जरूरी है।
जब संकल्प चलता है तो सामने वालो को महसूस हो जाती है इसलिए जितने शुद्ध रहोगे उतनी पॉजिटिव वाई बस फेलेंगी।
इन्सान सिर्फ निमित हो। अब खुद सोचो तुम किस चीज के निमित बनना चाहते हो कुछ अच्छा करना चाहते हो या कुछ और
परमात्मा को पाना है तो परमात्मा को याद करो विक्रम नाश हुए बिना मुक्त नही हो सकते।
कोई भी उलटी चलन नही चलनी है अच्छे गुण धारण करने हैं हमें माता पिता को धारण करना है हमे योग बल से काम क्रोध के हल्के नशे को समापत करना है।
क्या, क्यों, ऐसे और वेसे के सभी प्रसानो से हमे अलग रहना है जो हो रहा है वो मेरे लिए अच्छे के लिए ही हो रहा है। तुम्हारे लिए परमात्मा अच्छा ही करेगा।
स्वयं को मेहमान समझकर कर कर्म करो तो महान और महिमा योग्य बन जाएंगे।
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