तुम हो कर्म योगी तुम्हें चलते फिरते प्रमात्मा को याद का अभ्यास करना है।
एक बाप के सिमरन में रह नर से नारायण बनने का पुरसार्थ करो।
रात गवाई सो कर दिन गवाया खा कर हीरा जैसा अनमोल जीवन कोड़ी बदला जाए।
सिर पर पाप का बोझ है इसलिए रात में जाग कर प्रभु को याद करो।
निश्चय बुद्धि बन परमात्मा से प्रेम करना है बाबा के फ्रमान पर चल माया पर विजय पाना है। याद का चार्ट 8घंटे का बनाना है।
सारे दिन में व्यर्थसंकल्प व्यर्थ बोल व्यर्थ संबंध संपर्क होता है उस व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन कर दो ।व्यर्थ को अपनी बुद्धि में स्वीकार नही करो अगर एक व्यर्थ को भी स्वीकार किया तो अनेक व्यर्थ का अनुभव करायेगा
साधना के बीज को प्रत्यक्ष करने का साधन है बेहद की विराग्य वृति।
बिगड़ी हुई तकदीर को बनाने वाला परमात्मा है
जब तकदीर को बनाने वाले को भूलते हैं तब तकदीर बिगड़ती है।
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