Monday, December 28, 2015

सीखें जीवन जीने की कला

                                   
                                                                

जीवन को ऊचा उठाना बेहतर से बेहतर बनाना ही मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए । जो जीवन जीने की कला जानते हैं वो लोग ही जीवन का आनद ले पाते हैं । जीवन जीने की कला ही इंसान को सही मायने में जीने योग्य बनाती है। और ये कला इंसान सीखता है अपनी विवेक बुद्धि से । सत्य ईमानदारी निष्ठा और प्रेम से  ही इंसान सुखी रह सकता है। इसी से घर समाज और देश मे शांति रह  सकती है । जो व्यक्ति अपने कर्तव्य का निर्वाह करे जिसका आचरण पवित्र हो ,जो जीवन को सुखी और नैतिक बनाए और दुसरो के अवगुणो को नजर अंदाज करके सकारात्म चिंतन करे ये  ही सर्वश्रेठ गुण है । किसी को दुख देकर आप सुखी नही हो सकते । बदले की भावना इंसान को हिंसक बना देती है | दुसरो के गुणों को देख कर उन्हें जीवन में उतारना कष्ट के लिए क्षमा करना और कृपा के लिए शुक्रगुजार होना ही जीवन जीने की कला है।किसी को जरूरत पड़ने पर सहयोग करना ही मानव धर्म है। कोई महान नही होता। महान बनाती हैं इंसान की मनोस्थिति उसके हालत। और प्रभु की कृपा जिसे  उसे श्रेय देना होता है वही  महान बन  जाता है ।  

  
हमेशा एक जैसे दिन नही रहते:- कहते हैं कि  "सदा न बुलबुल बाग में सदा ना बाग बहार " जैसे  की दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता ही है उसी तरह असफलता के बाद सफलता भी मिलती ही है । इसलिए सफल होने पर घमंडी और असफल होने पर दुखी होने की जरूरत नही है । वैसे भी सफलता हमे विरासत में मिली हुई जागीर नही है जो ना मिलने पर हम दुखी हो। कोई बात नही अब नही तो दुबारा सही । चाहे इंसान कितना ही कामयाब क्यों ना हो, उसके जीवन में उतार चढ़ाव लगा ही रहता है। क्या हम सफलता और विफलता जैसी दोनों ही परिस्थतियों को एक समान भाव से स्वीकार कर सकते हैं ? क्या हम  अपने अंतर्मन में चल रही  हलचल को बदल सकते हैं ? इससे बदलने के लिए क्या रणनीति बना सकते हैं ? चलो  कुछ कोशिस करते हैं ।   

किसी भी प्रश्न का  सही उत्तर  हमे तभी मिल सकता है जब हम अपने मन में चल रही हल चल को किनारे रख कर हमारा अंतर्मन क्या चाहता है उसे समझने की कोशिश करें :-   क्या हम अलग तरीके  से सोच सकते हैं ? ये जानने के लिए कि हमारा अंतर्मन क्या कह रहा है ? हमे बाहरी रुकावटों को हटाना  होगा । हमे पर्सनल सोच से उपर उठना होगा तभी हम हकीकत की तह तक पहुंच पाएंगे। हमारा अंतर्मन क्या चाहता है इसके लिए सब से पहले अपने मन पर जमी धूल को हटाना होगा और वो हम तब कर सकते है जब हमारी ग़हरी रूचि हो । उसके लिए खुद को समझने की आवश्यकता होती है । तब जाकर सही और गलत का निर्णय कर पाते हैं । वरना हम छोटी छोटी बातो में उलझकर रह जाते हैं। और अपनी मजिल से भटक जाते हैं । 

आत्मविश्वास ना डगमगाए :-  किसी भी फिल्ड की कामयाबी में आत्मविश्वास पहली सीढ़ी है । खुद पर भी और साथियों पर भी।  अगर आप को खुद पर ही विश्वास नही है तो आप औरो से ये उम्मीद  कैसे कर सकते हो? कि और लोग आप पर विश्वास करें ? जब आप को खुद पर भरोसा होगा तभी आप पर और लोग विश्वास कर पाएंगे । वरना आप पर कोई भी भरोसा नही कर पाएगा ।   

नाकामयाबी से ना घबराएं :-  जीवन में सफलता और विफलता तो लगी ही रहती है । हाँ ये कम जयादा हो सकती हैं जहां विफलता इंसान के अंतर्मन को तोड़ देती है वही सफलता इंसान के मनोबल को बड़ा देती है। अगर आप का मनोबल टूटता हुआ नजर आ रहा है तो अपनी पुरानी उपलब्धियों  को याद करें और  महान लोगो की जीवनी पढ़े इससे आप को प्रेरणा मिलेगी और आप को पता चलेगा की कोई भी उपलब्धि  आसानी से नही मिली है। महान लोगो को तमाम तरह के उतार  - चढाव से गुजरना पड़ा है । तब जाकर महानता का मुकाम पाया है।   

सशक्त बनें सशक्त बनने के बाद ही आप दुसरो के लिए कुछ कर सकते हो :-धर्म ग्रंथो में अाया है की मनुष्य को स्वय निरक्षण करना चाहिए कि वो  सद मार्ग पर चल रहा है या नही । गीता में भी लिखा है कि मनुष्य स्वय को देखे और स्वय का उद्धार करे । क्योकि मनुष्य स्वय ही अपना मित्र और दुश्मन है । स्वय में संतुष्ट हुए बिना मनुष्य ना तो उदार हो सकता और न नही किसी और के लिए कुछ कर सकता  मौजूदा हाल में यही बात अनिवार्य है कि इंसान स्वय में तृप्त कैसे हो ? मनुष्य जब स्वय तृप्त होगा  तभी वह खुश रह सकेगा । और ये तभी हो सकता है जब सोच सकारात्मक हो। सकारात्मक सोच से ही इंसान आशावादी बनता है। आशावादी सोच से मन एकाग्र होता है और एकाग्र मन से उचित लक्ष्य को पा  सकता  है सकारात्मक सोच से मन तृप्त हो जाता है । और स्वय तृप्त इंसान ही  महान तपस्वी दूरदर्शी  और बुद्धिमान बनता हैं । इसलिए स्वय कल्याण से ही इंसान परिवार समाज  व देश का कल्याण कर सकता है ।    





Friday, December 25, 2015

अनुशासन के बिना सफलता असंभव है

                                         

सहायता के बिना मानव जीवन मे सफलता मिलनी नामुमकिन है। जीवन मे सुख शांति व  समृद्धि पाने के लिए कुछ  नियम बनाए गए हैं । इन नियमों को ही अनुशासन कहते हैं । या बनाये गये नियमो के अनुसार नियमित काम करना ही अनुशासित रहना है। अनुशासन किसी भी फिल्ड में कामयाबी पाने के लिए अनिवार्य है। दरसल  अनुशासन के नियम को समझे बिना, उसका पालन किए बिना हम जिंदगी को नही समझ सकते ।अनुशासित रहने वाला इंसान कम बुद्धि होने पर भी कामयाब  हो जाता है और अनुशासन  हीन  व्यक्ति सामर्थ्य वान होते हुए भी असफल हो जाता है।  किसी ने सही कहा है कि अनुशासन सफलता की कुंजी है। अनुशासन एक ऐसा गुण है जिस की आवश्यकता हर फिल्ड में होती है। कहते हैं कि अनुशासन से ही इंसान एक अच्छा व्यक्ति और आदर्श नागरिक बन सकता है। जो इंसान अनुशासन में रहते हुए, नफा नुकसान के बारे मे विचार करते हुए कर्म करता है, वही वांछित मजिल हासिल कर सकता है। अनुशासन में रहना ही जिंदगी में आगे बढ़ने का बेहतरीन फार्मूला है। जिस पर अमल करके आप बड़ी से बड़ी सफलता हासिल कर सकते हो। अनुशासन से ही  व्यक्ति में धैर्य व समझदारी आती है और सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। अनुशासन में रहने वाला इंसान ही अपने लिए सुखद व उज्वल भविष्य का निर्माण कर सकता है। अनुशासन से ही सफलता की सीढ़ी चढ़ा जा सकता है। व्यक्ति का अनुशास्ति रहना और सभी कार्य को व्यवस्थित रूप से करना आवश्यक है। अनुशासन चंचल मन को स्थिर करता है । और स्थिरता से जीवन के सघर्ष में द्रढता से आगे बढ़ने मे मदद मिलती है । अनुशासन वही है जो हमारी दूषित सोच और अपने लालच मे दुसरो को हानि पहुचाने वाली फ़िक़रत से बचें । 
जो लोग अपनी गलत फ़िक़रत को नही बदलते चाहे वो कितनी ही पूजा पाठ करे जाएं, उसका उन्हें कोई फल नही मिल सकता । शास्त्रो मे भी आया कि एक झूठ से  कई दिन की  पूजा का फल नष्ट हो जाता है जैसे कि पकी सरसों की खेती को थोड़े से ओलो की बौछार नष्ट कर देती है। इसी तरह एक गलत आदत आपको बर्बाद कर देती है । चोरी जारी झूट और तिगड़म बाजी की उम्र लंबी नही होती इन चीजो को आप लाख कोशिस करके भी दुनिया से नही छिपा सकते। इसकी सजा खुद को भोगनी ही पड़ती है। अनुशासन हीन व्यक्ति जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाता है। अनुशासन हीनता इंसान को असफलता की तरफ धकेलती है। अनुशासन हीन व्यक्ति अपने व अपने परिवार वालो के लिए परेशानियों को आंमत्रित करता है। अनुशासन हीन व दुराचारी इंसान को एक दिन सबके सामने अपमानित होना पड़ता है। अपमानित होने पर लोग भवगवान  को व समय  और  साथियों को  कोसने लगते हैं। जब की हम सुखी होते हैं सकरात्मक कार्य शैली से, और दुखी होते हैं नकरात्मक कार्य शैली से । दुनिया की कोई ऐसी ताकत नही है की वो हमे दुखी या असफल कर सके।  हम जो भी हैं सिर्फ अपने कार्य शैली  से हैं ।समय और प्रकृति सब नियम से ही व्यवस्तिथ  हैं अगर एक मिनट का भी अंतर आ जाए तो सब तहस नहस हो जायेगा । लेकिन दुःख की बात है कि समाज में चारो तरफ अनुशासन हीनता फैली हुई है। जिसकी वजह से समाज मे प्रगति व विकाश अच्छी तरह से नही हो पा रहा है जब प्रगति व विकाश ही सही तरीके से नही होगा तो हमारे देश की क्या स्थिति  होगी ? देश का भविष्य  क्या होगा ?           
  
आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं अगर इनमे अनुशासन की कमी रही तो कल देश का भविष्य क्या होगा ? इसलिए बच्चो के जीवन में अनुशासन अनिवार्य है। बच्चो को बच्पन से ही अनुशसान सिखाना चाहिए। बचपन मे अनुशासन सिखाना अभिभावकों का काम है और स्कुल में शिक्षकों की जिम्मेदारी है। जो बच्चे सुशिक्षित अभिभावक और सुयोग्य व अनुशासित शिक्षक से शिक्षा लेते हैं वे शुद्ध आचरण वाले बनते हैं और उनके शरीर और मष्तिक का पूर्ण रूप से विकाश होता है । कई घरो में देखा गया है कि माता पिता अपने निजी स्वार्थ वश झूट का सहारा लेते हैं। इससे घर में बच्चे मना करने के बाबजूद उन्हीं तौर तरीको को सीख लेते हैं ।      

Thursday, December 17, 2015

अभिभवक संभाले जिम्मेदारियां

                             
                                                  
बच्चे बच्चे कच्ची मिटटी की तरह होते हैं उन्हें जिस तरह ढ़ालोगे वो उसी तरह ढल जाएंगे । इन का भविष्य बनाना और बिगाड़ना आपके हाथ में हैं। इन्हें अच्छे संस्कार व माहौल देकर इनके भविष्य को  सफलता की तरफ  इनका कदम बढ़ा सकते हो । माता पिता व अधयापक बच्चो को ऎसे संस्कार दें जो उन्हें आत्म अविलोकन करना सिखाएं आत्म अवलोकन से किसी भी काम  को और बेहतर किया जा सकता है इससे त्रुटियाँ कम होने के चांस रहते हैं । इसलिए हर निर्णय और काम को करने से पहले सोचना अनिवार्य है ।   जो इन  के पद्चरणओ  पर चलते हैं उनके जीवन में कभी भटकाव की नौबत नही आती । उनके जीवन में कभी दोहरा  आता भी है तो भी इनके कदम गलत दिशा में नही बढ़ते। । बस जरुरत है बड़ो से सीख लेने की व अपने जीवन में उतारने की।  जो उन्हें सही मार्ग प्रसस्त करते हैं।अपने जीवन में एक उद्देश्य होना चाहिए। उददेश्य अपनी क्षमताओ का आंकलन करके  के  बनाए। फिर उस  रस्ते पर आगे बढ़ते जाए एक दिन मंजिल जरूर मिल जाती है ।  
   
       
बच्चो को क्वालटी समय दें :- आजकल की व्यस्त लाइफ में हम अक्सर तनाव में घिरे रहते हैं जिस की वजह से हम बच्चो को समय नही दे पाते और ना ही उनकी बातो को ध्यान से सुनते। ये रवैया हमारा गलत है हमे इनकी बात ध्यान से सुननी चाहिए। इससे इन्हें ख़ुशी भी मिलेगी और ये हमारे साथ अपनी हर बात शेयर भी करेंगे। आपको ये अहसास होना जरूरी है की बच्चो के लिए  समय  निकलना अनिवार्य है। कई बार ऐसी परिस्थिति बन जाती हैं कि  हम चाह कर भी बच्चो को पर्याप्त समय नही दे पाते । इसके लिए अपनी दिनचर्या में बदलाव लाएं । आगे चल कर हो सकता है कि आपके बच्चे को अपना भविष्य बनाने के लिए कही बहार  जाना पड़े।  उस समय आपके साथ बिताया गया समय उनके लिए अनमोल  यादें बनकर हमेशा उनके साथ रहेगा । और आप से लिए गए अनुभव विपरीत परिस्थति आने पर सही राह दिखाएंगे । 


अपनी ही ना चलाए बच्चों की सुनें :- कई बार होता है कि अभिभावक बच्चो पर अपनी ही सोच लादे जाते हैं या अपनी पसंद की फिल्ड चुनने का दबाब डालते हैं । ये गलत है आज बच्चे अपना भला बुरा अधिक जानते हैं । बच्चो से अपने अनुभव जरूर शेयर करें इससे उन्हें मूलयवान अनुभव मिलेंगे।  लेकिन उन्हें जिंदगी में अपने डिसीजन लेने की फ्रीडम दें। 


दोस्त जरूरी हैं  लेकिन भरोसे लायक हों :-   बच्चे दोस्तों से खुलकर बातें कर लेते हैं लेकिन उन्हें  ये मालूम होना चाहिये की वो कितने दोस्त हैं और कितने कॉम्पिटिटर । कभी भी देखना की दोस्त कामयाबी पर खुश होते हैं और कॉम्पिटिटर नाकामयाबी पर खुश होते  हैं। दोस्त से शेयरिंग फायदा पहुंचा सकती है और कॉम्पिटिटर उसका फायदा उठा सकता है । अगर दोस्त है तो वो आपकी बात ध्यान से सुनेगा और सही राय भी देगा । 

स्मार्ट बनें नासमझ नही :-  बच्चे सोचते हैं की अभिभावक हमारी  प्रॉब्लम नही समझ सकते लेकिन ये गलत है वे ये नही जानते की जो बड़े कहते हैं उसमे उनका सालों का अनुभव छिपा है । यही ये मात खा जाते हैं । अगर कोई बात अभिभवक की बुरी लगे तो उसे कह दें दिल में  ना रखें लेकिन अपनी समस्याएं शेयर जरूर करें इससे अकेलापन महसूस नही होगा और आपकी समस्या का भी समाधान निकल आएगा। और आप व आपके अभिभावक चिंता मुक्त रहेंगे । 


घर में बेहतर माहौल दें :-  बच्चो के बौद्धिक विकाश के लिए घर में बेहतर माहौल का होना जरूरी हो जाता है । परिवार के किसी भी सदस्य  का बच्चे के लिए उपेछित व्यवहार नही होना चाहिए । इससे उसके मन में कुंठा पैदा होगी जिससे उसके बौद्धिक विकाश में रुकावट होगी । इसलिए बच्चो को हमेशा प्यार करें और उन्हें ये अहसास दिलाये की हम उनके हर फैसले में उनके साथ हैं । कभी भी हम उम्र से उनकी तुलना ना करें इससे उन का मनोबल गिरता  है । बच्चो को सकारात्मक सोच विकसित करें । विकसित सोच इंसान को बहुत आगे लेकर जाती है । 

बच्चो को सही गलत में फर्क करना सिखाएं :-  बच्चो की हर गतिविधियों पर ध्यान दें,  पर अगर बच्चो की कोई बात गलत लगे तो उन पर प्रतिबंध ना लगाएं , बल्कि उसकी अच्छाई व बुराई का उदहारण  देकर समझाए । बच्चे गलत संगत की वजह से मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। वे अपने अस्तित्व और अहम को सही साबित करने के लिए  होड़ में लगे रहते हैं । और ई  बार बच्चे अपने दोस्तो के साथ खड़े  होने के लिए अलग काम करते हैं और वो काम ही कई बार सही व कई बार गलत हो जाता है । किशोर अवस्था की उम्र  बेहद नाजुक अवस्था होती है ये उम्र उस दोहराए पर होती है जहां से दो रस्ते कटते  हैं । कुछ लोग सही राह चुन कर कामयाब हो जाते  हैं और कुछ भटक जाते हैं । और वे गलत दोस्ती की वजह से अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान नही दे पाते । ये मुद्दा आज इतना गंभीर हो चुका है कि इस पर पैरेंट्स व अधयापको को सोचने की जरूरत है । 

बच्चों को अपने फैसले खुद लेने दें :-  बच्चो को ये बताना होगा कि जो आप आज कर रहे हो ये सही है या गलत है इसके लिए पहले आप खुद फैसले करें। इससे धीरे धीरे फैसले लेने की आदत पड़ जाएगी उन्हें  इससे  आत्मविलोकन करने  की आदत विकसित होगी जिससे वे अपनी कमियां  दूर कर सकेंगे । बच्चो को ऐसे संस्कार दें जिससे वे अपने अंदर छिपी योग्यता को पहचान कर काम करें ।   




Saturday, December 12, 2015

अगर आप अपने जीवन में बड़ी उपलब्धियां चाहते हो तो बड़ा सोचो !!!

                                

Image result for positive thinkingये कोई नही बता सकता है कि आप क्या कर सकते हो। क्यों कि आपके सोचने की शक्ति असीमित है।सोच ही आपकी उपलब्धि तय करती है। इंसान की सफलता उसकी डिग्री या पारिवारिक पृष्टभूमि से नही मापी जाती उसकी सोच के आधार  पर मापी जाती है । मनुष्य के कर्मो में उसकी भावनाओं के  साथ विचार शक्ति का गहरा संबंध है । तभी  वह क्रिया शील रहता है। दुनिया में जो भी महान पुरुष  हुए हैं उनके पीछे विचार शक्ति रही है। चाहे वो गौतम बुद्ध ,स्वामी विवेकानन्द जी या कोई भी और रहे हो ।   


विचारो की शक्ति को पहचानें:- हम पॉजिटिव व बड़ी सोच से ही उन्नति कर जीवन में उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हमारा जीवन वैसा ही होता है जैसे हमारे विचार  होते हैं। क्यों कि जीवन विचारो का दर्पण  है। अगर आपके  पास सब कुछ है और फिर भी आप को कमी लगे जाती है तो आप से बढ़कर कोई  गरीब नही है। और अगर आपके पास मे थोड़ा है और आप उस में संतुष्ट हैं तो आप सुखी जीवन जी सकते हैं । 
   
इंसान अपने कर्मों के अधीन है, अपने हालात बदलने के लिए अपनी सोच बदलें :-पॉजिटिव सोच वाले इंसान को पूरी दुनियां जन्नत लगती है । जीवन में सफल होना चाहते हो तो छोटी सोच वाले इंसानो से बचें। जैसे खराब खाने से हमारी सेहत खराब हो जाती है उसी तरह से छोटी सोच वाला इंसान हमारा मष्तिक को खराब कर देता है । इसलिए  नेगेटिव सोच वाले इंसान की ना सलाह लेनी चाहिए और न ही इनका संग करना चाहिए। जीवन में कई लोग ऎसे होते हैं जिनकी सोच नेगेटिव होती है वो लोग हमेशा आगे बढ़ने से रोकते हैं । इनकी सोच हमेशा आत्महीनता निराशावादी या भाग्यवादी बनी रहती है ऎसे  लोगो की सोच अपने पर हावी ना होने दें। पॉजिटिव सोच से इंसान क्रिया शील बनता है व  हौसला बढ़ता है । और नेगेटिव सोच  से निराशा बढ़ती है ।


पॉजिटिव सोच बहुमूल्य सम्पति है:- अच्छे खाने के साथ अच्छे विचारो की भी जरूरत है।शरीर व दिमाग दोनों ही स्वस्थ रहने जरूरी हैं। हम अपनी छोटी सोच की वजह से जोखिम लेने से डरते हैं । इसलिए अपनी क्षमता से बढ़कर प्रयास नही करते जिसकी वजह से हम विकाश नही कर पाते। सफलता पाने के लिए बिना सोचे समझे लगे रहने की जरूरत नही है।  बल्कि अपनी क्षमता का सही तरीके से उपयोग करने की जरूरत है। और पॉजिटिव सोच वाला इंसान ही अपनी क्षमता का सही नियोजन करता है ।  

 " अगर आप  बड़े काम करेंगे तो आपकी तरफ बड़े लोग आकर्षित होगे " 

पॉजिटिव सोच आपको वहां ले जा सकती है जहां अन्य लोग नही पहुंच पाते। पॉजिटिव सोच से ही हम वर्तमान को आनद दायक और भविष्य को उज्वल बना सकते हैं । अगर आप समस्याओ के बजाए सम्भावनाओ पर जोर देंगे तो बड़ा सोचना शुरू कर देगें । जब अपनी समस्याओ को अलग रख कर बेहतर उपयो के लिए सोचते हैं तो हमे नई दिशा मिलती है । जिस से हम अपनी कमियां देख पाते  हैं, इससे हम समस्याओ के  बारे मे ना सोच कर समाधान की तरफ बढ़ते हैं ।


नेगेटिव सोच वाला इंसान बहुत मेहनत करने के बाबजूद सफलता पर आशंकित रहता है:- नेगेटिव  सोच ही सफलता की राह में रोड़े अटकती है, जिसे इंसान चाह कर भी नही बदल पाता और वह निराश होकर अपना रास्ता बदल देता है। नेगेटिव सोच इंसान को महत्वपूर्ण कार्य नही करने देती। ऐसा कोई भी कार्य नही है जिसे आप नही कर सकते । जब आप कमर कस कर काम करने के लिए तैयार हैं तो ईश्वर भी आपके साथ है। सोच को महत्वपूर्ण बनाओ। अगर किसी इंसान का तेज दिमाग पॉजिटिव सोच और समस्या सुलझाने का शौक है तो वो इंसान वाकई चमत्कार कर सकता है ।


हमारी सोच आस पास के महौल से प्रभावित होती है:- जब हमारे चारो तरफ छोटी सोच के लोग होते हैं तो हमे भी प्रभावित करते हैं और जब बड़ी सोच वालो के बीच रहते हैं तो हमारी सोच विकसित होने लगती है। अगर आप अपने जीवन में बड़ी उपलब्धियां चाहते हो तो बड़ा सोचो बड़ी सोच से ही आप बड़े बनोगे।  जिंदगी इतनी बड़ी नही है कि आप इसे छोटी सोच में काट दो । हर इंसान सुख खुशी व सफलता चाहता है कोई भी इंसान ऐसा नही देखा होगा जो दुःख गरीबी तंगी व बीमारी चाहता हो। आप सोचो की कही आप पिछड़ तो नही रहे ? अगर ऐसा हो रहा है तो ऐसा क्यों हो रहा है ? इस का क्या कारण है ? जब आप ऐसा सोचोगे तो पता चलेगा कि आप में आत्म विश्वास की कमी है या आप का मष्तिक विरोधी बन गया है जिस की वजह से आप कोई भी फैसला सही नही ले पा रहे हो। जब भी कोई  समस्या आए तो सोचो कि  में  इस का समाधान निकाल लूगा  तो आप देखोगे की कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा । आप सिर्फ अच्छा सोचो इससे लोग आप को पसंद भी करेंगे और साथ भी देंगे । 

पॉजिटिव सोचने की आदत डालें :- अगर आप ने पॉजिटिव सोचने की आदत डाल ली तो कोई भी इंसान दुःख नही पहुंचा सकता । और ना ही कोई आप को सफल होने से रोक सकता । पॉजिटिव सोचने से  कुंठा तनाव व परेशानियां जाती रहेंगी। अपने चिंतन को नियत्रण करें। नेगेटिव चिंतन दुसरो की कमियां दिखाता है और नेगेटिव सोच ही दुःख का कारण बन जाता है । क्यों कि अधिकतर चिंता हमारी नेगेटिव सोच की वजह से होती हैं। हीन भावना ये सदेश देती है कि आप असफल, लापरवाह व अयोग्य व्यक्ति हैं। जबकि सकारत्मक सोचने से रचनात्मक शक्ति जाग्रत होती है। इसलिए समझदार लोग सोच समझ कर ही कोई कार्य शुरू करते हैं, बोलते हैं ।  जो लोग अपनी सोच विकसित कर लेते हैं वो सफल हो जाते हैं।  सुख शांति आपके हाथ में है बस अपना ध्यान अपनी सोच पर रखें।अपनी गलतियों व कमियों पर ध्यान ना दें अपनी असफलता पर ध्यान ना दें । आपके विचार ही आपके भाग्य को बना और बिगाड़ सकते हैं। शुभ विचार आपको सुख समृद्धि देते हैं और अशुभ विचार पतन की तरफ ले जाते हैं।
    
इतना बड़ा सोचो की आपको कोई छोटा न लगे:-कोई दीन हीन ना दिखे सब आपकी ही तरह हैं।  किसी के स्वाभिमान को ठेस ना पहुंचाए । इंसान काम से ही नौकर या मालिक बनता है। इतना अच्छा सोचो की कोई छोटी सोच वाला इंसान आपका दिल ना दुखा सके, आप लड़ाई झगड़ो से बच सको, अपनी मजिल तक पहुंचने के लिए हर व्यसन से बच सको। जो सोच बचपन में  बन जाती हैं वो उम्र भर चलती है इसे बदलना मुश्किल हो जाता है । अगर  आप की सोच बचपन से अच्छी  है तो ठीक है । अगर किसी वजह से नेगेटिव बन गई है तो क्या पूरी जिंदगी दुखी व परेशान रहेंगे ? या अपनी सोच की वजह से अपने आसपास के लोगो को दुखी करते रहेंगे ? या अपनी सोच को बदल कर खुशहाल जिंदगी जीना चाहेंगे ? आप अपनी नेगेटिव सोच होने के कारण  खुद हैं ।   

    
  
   




Monday, November 30, 2015

अकेलापन व अवसाद इंसान को कमजोर बनता है

                                    

कई  बार लगता है कि हमारे के जीवन में कुछ कमी है। जीवन बे मकसद है । अवसाद और अकेलेपन की वजह से हमारे मन में नेगेटिव थॉट आते हैं। ऐसा सोचने से ही जीवन में नीरसता आने लगती है ।मन पर काबू न होने की वजह से हमारे मन पर काबू नही रहता और हम नेगेटिव सोचते चले जाते हैं। जिसकी वजह से सब कुछ ठीक होते हुए भी हम दुखी या अवसाद से घिर जाते हैं । इसलिए नेगेटिव थॉट आते ही वही रोक दें । कुछ लोग  ये नही जानते कि उनके जीवन में क्या कमी है ? उसे कैसे दूर करें ?  दरसल उनके जीवन में खालीपन है। और ये दौर कभी न कभी सभी के जीवन में आता है। और इससे बचने का एक ही रास्ता है पॉजिटिव सोच और पॉजिटिव माहौल । जब भी आप को ऎसा लगे तभी आप अपनी सोच और माहौल बदल दें । कमी की बजाए आप के पास जो है उसके बारे में सोचना शुरू कर दें। तो आप को  बहुत कुछ ऐसा मिलेगा जो आप को खुशी देगा । जैसे अच्छे दोस्त अच्छी सेहत अच्छे रिश्ते दार अच्छे बच्चे या समझदार जीवन साथी ।  दोस्तों से मिलते झूलते रहे अपने आप से प्रेम करें ,आप जैसे भी हो उसी रूप में स्वीकारे ज्यादातर लोगो की आदत होती है कि अपने आप को ही कम आंकते है अपने अंदर ही कमियां ढूढे जाते है जब की ये गलत है अगर आप अपने अंदर दिखने वाली कमियों को दूर कर सकते हो तो कर लो अगर नही तो जैसे भी हो उसे स्वीकार करो।

जिंदगी सघर्ष  का नाम है:-  ज्यादातर तो सभी के जीवन में सघर्ष आता है सभी को सघर्ष से जूझना पड़ता है। जिंदगी में परीक्षा सभी को कभी ना कभी देनी ही  पड़ती है। इस में पास होने के लिए कोई शास्त्रों का सहारा लेता हैं कोई बुजर्गो के अनुभव का। परेशनियों  से निकलना आसान तो नही है लेकिन परेशनियों से हार भी तो नही मान सकते। आपका परेशनियों से मुकाबला ही जीत तय करता है। इसलिए सफलता की राह में खुद को निखारना जरूरी है। इसमें समस्याए तो आएगी लेकिन जितनी मेहनत करोगे जितना सोचने के लिए समय निकलोगे उतना ही सघर्ष का रास्ता आसान होता जाता है। 

 "दुनिया की सभी समस्याए आसानी से सुलझाई जा सकती हैं अगर इंसान सोचने के लिए तैयार हो, दिक्क्त ही ये है कि इंसान सोचना ही नही चाहता क्यों की सोचना कठिन काम है" 
                                       - थॉमस जे वाटसन 

सकारात्मक द्रष्टिकोण रखें:- सकारात्मक द्रष्टिकोण सिर्फ हमारी उपलब्धियां नही बढ़ाता बल्कि ख़ुशी भी देता है।वास्तव में तो हमारा जीवन कितना अनमोल है हम इस बात को नही समझ पाते अपनी वेलू को नही जानते। अपने लिए कोई लक्ष्य नही बनाते। जो लोग अपने जीवन में लक्ष्य बनाते हैं उन्हें अपनी वेलु पता होती है । उन्हें पता होता है की उन्हें कहा जाना है। और अपनी मजिल की तरफ बढ़ते जाते हैं वे नेगेटिव सोचने में अपना कीमती समय बर्बाद नही करते। और जिन लोगो के जीवन में कोई लक्ष्य ही नही है वे लोग थोड़ा सा अपडाउन होते ही नेगेटिव सोचने लगते हैं इसलिए अवसाद में चले जाते हैं या अकेले हो जाते हैं ।अगर किसी ने झूठा इल्जाम लगाया है तो उन लोगो ने भी उपकार ही किया है क्यों कि उन लोगो की वजह से आप के पास से वो लोग दूर हो जाएंगे जो कान के कच्चे है। जो दुसरो के कहने सुनने से अपनी जिंदगी के फैसले लेते हैं। इसलिए परेशान होने की तो जरूरत ही नही है उन लोगो में जो गुण  हैं उन्हें अपने आचरण में उतारो और आगे बढ़ जाओ। अगर कुछ नुकसान हुआ है तो सोच  भगवान आप को कुछ अधिक देना चाहता है और मेहनत करो इससे आगे बढ़ने का रास्ता मिलेगा ।और अगर  किसी ने आप को धोखा दिया है तो भी उसने आप को खोया है आप का उसमे भी कुछ नुकसान नही है। आप को उससे भी अच्छे लोग मिल जाएंगे । ऐसा  है कि जब लगता है कि अब सब कुछ खत्म हो गया तब समय हमारे लिए कुछ और अच्छा और अधिक लिए मिलता है। सोच कर देखो हर बुरा समय कुछ अच्छा देकर जाता है। जब आप की सोच बन जाएंगी तो आप की परेशानी दूर होने लगेगी और आप अपने अंदर अलग बदलाव महसूस करने लगेंगे । वैसे भी हम पीछे लौटकर जिंदगी को समझ सकते है जीने के लिए तो आगे बढ़ना ही पड़ेगा ।  

हर बात में ढुढ़े ख़ुशी :-   हर बात के दो पहलू होते हैं एक अच्छा और एक बुरा जो आप देखना चाहोगे वो आप को दिख जायेगा। और आप जो देखोगे वही पहलू आप को कारगर सिद्ध होगा। अगर आपके जीवन में परेशानी बहुत आ रही हैं तो सोच लो कि आप को सीखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा जो आप सफलता की सीढ़ी बनेगा और  आप बीमार हैं तो आप को आराम करने का मौका मिला है। एक रिसर्च में भी आया है कि जो लोग जितने बीमार होते हैं वे उतना ही अधिक जीते हैं । और ये मेरे जीवन का भी अनुभव है जब मेरे दोस्तों ने धोखा दिया तो मुझे लगा की मेरी जिंदगी सुनी हो गई है। लेकिन आज समझ में आता है कि अगर में उनके साथ रहती तो  जिंदगी के हर इम्तहान मे फ़ैल  रहती । 



Saturday, November 28, 2015

मेहनत असंभव को संभव बना देती है!!!

      मेहनत असंभव को संभव बना देती है   

मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तवा चाहे दाना खाक में मिलकर गुले गलजार होता है]] 

जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए सतत प्रयास जरूरी है। श्रम के बिना कुछ भी हासिल नही किया जा सकता। इसलिए सभी महापुरुष कर्म पर बल देते हैं। कर्म प्रधान इंसान अपने कर्म से हर समस्या का हल निकाल लेता। अवरोध व प्रतिरोध उस समय बोने हो जाते है जिस समय इंसान काम में डूब जाता है। काम में डूबने का मतलब है अपने अंतस की खोज करना। यहां आप ऐसे आदमी से मिलते हो जो कामयाबी की अधिक सम्भावनाओ से भरा होता है। थोमस  ऐ . एडिसन का कहना है कि 

कुछ  हांसिल  करने  के  लिए  जो  तीन  प्रमुख  चीजें  चाहियें,  वो  हैं कड़ी  मेहनत , दृढ़ता  , और  सामान्य   सूझ -बूझ .इसलिए  कड़ी मेहनत दृढ़ता और सूझ बुझ  के साथ खुद को काम में डुबो दें।

''अपने काम से प्यार करें। पैसे को कभी लक्ष्य न बनाएं। आप जिस काम को करते हैं, उसमे इतना डूब जाएं कि लोग आप से आखें ना हटा पाएं ''   
                                     & माया एंजोल अमरीकी लेखिका व अभिनेता           

अधिकतर असफलता के तीन कारण बनते हैं% & 

१ योग्यता की कमी & किसी भी लक्ष्य को तय करने से पहले अपनी योग्यता देखें परखें। अगर इन का मेल नही है तो कार्य में सफलता मिलनी मुस्किल है। इसलिए अपनी योग्यता को जरूरत के अनुसार बढ़ाये । 
  

२ आत्म अनुशासन की कमी &  अधिकतर लोगो का स्वभाव होता है की अपनी कमियां देखने की बजाए दुसरो में  कमियां देखता रहता है अगर उन्हें कोई समझाएं तो भी वे अपनी बात को  ही उप्र रखेगें खुद का अवलोकन करना ही नही चाहेंगे इसलिए योग्य होते हुए भी आत्मनिरक्षण की कमी की वजह से असफल हो जाते हैं। इसलिए अगर आप को कोई राय दे तो ध्यान से सुनें अगर बात आप के काम की है तो अपने स्वभाव में जरूर उतारे ।  

३ आत्मविश्वास की कमी -  अगर आपको खुद पर भरोसा है उस परमात्मा पर भरोसा है तो आपको असफल होने का डर नही घेरेगा। और जो परेशानीयां आएंगी उनका स्लूसन  द्रढ विस्वास के बल पर खोज लोगे। अगर आप के मन में ही सफलता को लेकर शंका बनी हुई है तो आप सफल कैसे हो सकते हो ? जो हमारा मन कहता है वही सही होता है। इसलिए अपनी टैलेंट पर शक न करें ।  


"आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत असफलता नामक बीमारी को मारने की सबसे बढ़िया दवा है । ये आपको सफल व्यक्ति बनाते है 
                                                                        - कलाम जी 

भट्टी में पड़कर ही सोना निखरता है  :-   विपरीत परिस्थति आने पर भी काम में जुटा रहना तपस्या है। इंसान जितना तपता है उतना ही निखर कर सामने आता है । उतनी ही उसकी वर्क कैपिसिटी बढ़ती जाती है । फिजिकली भी और मेंटली भी । जब आप फिजिकली और मेंटली तौर पर मजबूत रहोगे तभी आप सफल हो सकोगे। इसलिए कभी समस्याओ से न घबराएं और न ही काम की क्वालटी से समझौता करें । 

 "यदि हम काम में लगे रहें तो जो चाहें उसे हासिल कर सकते हैं  "
                                        - हेलन केलर 
लेकिन हमारे मन में इच्छा तो बहुत होती हैं बड़ी कोठी हो बगला हो बहुत सी कम्पनियां हो में बड़ा अफसर बनु मुख्यमंत्री बनु लेकिन हम लोग उस के हिसाब से मेहनत  नही करते किसी भी काम के प्रति ईमानदारी नही बरतते इसलिए अपने लक्ष्य तक नही पहुँचते। किसी का भी इतिहास उठकर देख लो बिना मेहनत को कुछ नही मिला। चाहे वो प्रधान मंत्री मोदी रहे हों या बराक ओबामा । 


"कड़ी  मेहनत  के  बिना  जीवन  हम  मनुष्यों  को  कुछ  भी  नहीं  देता ."
                                                                                      --होरेस 

संयमित रहें%& सयंमित इंसान ही सोच समझ कर बोलता व कार्य करता है उसे ये ध्यान रहता है कि कौन सा काम कब करना है \ कितना करना है \ जो काम हम करने जा रहे है ये आवश्यक है या नही और करना है तो कैसे करना है \ इस काम का क्या परिणाम निकलेगा किसी का नुकसान तो नही होगा । चार्ल्स   एवैंस  ह्युगेज ने भी कहा है कि -

" मै कड़ी मेहनत और लम्बे समय तक काम करने में यकीन रखता हूँ ,इंसान अधिक काम करने से नहीं टूटता बल्कि चिंता और असयंम से टूटता है " 
       -अज्ञात व्यक्ति 

मेहनत करने वाले लोग नेगेटिव टिप्पणी से नहीं घबराते । वह लोगो पर ध्यान नही देते की वो क्या बोलते हैं क्या सोचते हैं। लोगो की  क्या है \
 ]]पहले वो आप पर ध्यान नही देंगे ] फिर आप पर हसेंगे फिर आप से लड़ेंगे तब आप जीत जायेंगे]] 
                              - महात्मा गाँधी 

हर गलती पर कई बार सोचें  %& कुछ लोग छोटी सी गलती होने पर अवसाद में घिर जाते हैं। जब की गलती स्वीकार करके उसे सुधारने की जरूरत होती और गलती स्वीकार वही इंसान कर सकता है जो अपने कर्म में निष्ठा रखता हो। जो इंसान हर गलती से सीखता है वही अगले पड़ाव पर पहुँचता है। वरना लक्ष्य तक हर इंसान नही पहुंच पाता। इसलिए हर गलती पर रुके सोचे जो गलती हुई है उसे स्वीकार कर के सुधारें और आगे बढ़ जाएं। जब आप ऐसा करना शुरू कर दोगे तो जिंदगी में आने वाली कई समस्याओ को सुलझा सकोगे । 

 पिछे लौटकर जिंदगी को समझा जा सकता है] लेकिन जिंदगी जीने के लिए आगे जाना जरूरी है 
            -सोरेन अबाये किकेगाडर् 

इंसान के अंदर असाधारण कार्य करने के सारे गुण हैं। बस इन गुणों को अपने अंदर उतारने की जरूरत है। और ये गुण हैं सहनशीलता क्षमा संयम और नम्रता। जब आप के अंदर ये गुण आ जाएंगे तब आप दूसरों की गलतियो को माफ़ दोगे इससे आप हर इंसान को अपने नजदीक पाओगे।  
"असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श उदेश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं" 
       - जवाहर लाल नेहरू   

मौका हा.थ से ना जानें दें %&खुद को योग्य बनाने और महेनत के साथ ये जरूरी है की आप की निगाहें मौके पर टिकी हो क्यु की जंदगी  मौका बार बार नही देती । इसलिए मौका मिलते ही चौका मर दो। नही तो आप ने खड्गोश और कछवा वाली कहानी सुनी होगी आप भी खडग़ोश की तरह योग्य होते हुए भी हार जाओगे ।  
  
 "हर दो मिनट की  शोहरत पीछे आठ घंटे की कड़ी मेहनत होती है "
                                     -  जेसिका सेेविच
   

Thursday, November 19, 2015

अपनी योग्यता पहचानें

                                                                       
                                                      
 कोई भी फिल्ड हो उसमें व्यवस्था बनाए रखने के लिए पतिभा की जरूरत होती है। समाजिक हो राजनितिक हो या धार्मिक ही क्यों न हो सभी के  सुचलन के लिए एक कुशल व्यक्ति की जरूरत होती है। एक ऎसे व्यक्ति की जरूरत होती है जिसमे अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए समझदारी सहास और ईमानदारी से कार्य करने की क्षमता हो।प्रतिभा अपनी अनुभव कुशलता और नैसिगरता से अनेक रचनात्मक व् कल्याणकारी विचारों को जन्म देती है और अपनी अनोखी योजना से की व्यवस्था एक अलग पहँचान देती है।प्रतिभावान व्यक्ति की लाइफ की डिक्सनरी में असंभव श्ब्द नही होता। जहां प्रतिभा होती है वहा व्यवस्था का तो कोई मतलब ही नही बनता। व्यवस्था खुद पर खुद बन जाती है।प्रतिभा किसी इंसान को नही कहा गया प्रतिभा का मतलब है सहास] शौर्य] समझदारी]ईमानदारी और जिम्मेदारी।जहां ये पांच हैं वहा व्यवस्था चरम पर होगी।  


सोच व्यवहारिक हो%& दूसरो की कामयाबी देखकर उस जैसा बनने का सपना ठीक नही है। आप किसी की कामयाबी को देखकर प्रेरित जरूर हो पर उसके सघर्षो से सीखना का प्रयास जरूरी है अपने लिए कोई लक्ष्य या मजिल तय करने से पहले  योग्यता व क्षमता को आंके । अगर आपको लगता है कि आपने अपना लक्ष्य अपनी योग्यता व क्षमता से बड़ा तय किया है तो एक  बार पुनः विचार करें ।

सुने सब की करें अपने मन की%&  जब भी आप अपनी लाइफ में कुछ करना चाओगे तो कुछ लोग उसमे कई कमियां व गलतियां बता कर पीछे हटने के लिए कहते हैं। परंतु आप ये  ध्यान रखना कि जब तक आप नैगेटिव लोगों की सुनते रहोंगे या उन की बातों पर ध्यान देते रहोगे तब तक आप किसी भी  फिल्ड में सक्सेस नही हो सकते।आप किसी भी कामयाब इंसान की बातें  करो उनमे एक बात कॉमन मिलेंगी की उन्होंने अपने मन की सुनी मन की करी। उन्होंने सब का विरोध झेला। लेकिन दुसरो के मुताबिक नही चले सामने वालों को मनाया या उनके विरोध करने के बाबजूद अपनी राह पर चलने की हिम्मत जुटाई। और एक दिन कामयाब हुए और फिर विरोधी भी साथ हो लिए ।
अलग बनाएं अपनी राह %&हर इंसान अपनी अलग पहंचान बनाना चाहता है। और ये जरूरी भी नही है कि जो कार्य दुनिया करती आई है वो हम भी करें। जिस कार्य में अपनी रूचि हो वो कार्य निसंकोच करना चाहिए। और जो लोग अपनी प्रवर्ति को जानते व् समझते हुए उसके मुताबिक कैरियर चुनते हैं और ओरो की  परवाह किये बिना अपनी मंजिल की राह पर चलते हैं वे एक दिन अपनी मजिल पा लेते हैं। लेकिन ये इच्छा तभी पूरी हो सकती है जब हम उसके सभी मानकों को पूरा करते हुए बेजोड़ प्रयास करें। दुसरो की नकल से तो पहचान मिलनी मुशिकल है। किसी दिक्क्त में जरूर आ सकते हो इसलिए दुसरो की कॉपी करने की बजाए अपनी क्वालटी पहचानें और उसे निखारे। जिस काम को करते हुए आप उसमे डूब जाएं] थके ना उसे करते हुए आप और सब कुछ भूल जाए आप को दुनिया की प्रवाह न रहे। कमको एन्जॉय करो तो  सोच लो यही आपका टैलेंट है इसी में आपकी पहचान बनेगी अगर आप दुसरो की देखा देखी कर रहे हो तो इसका मतलब है कि आप अपनी पसंद को नही पहंचान पा रहे। इसके लिए खुद के साथ वक्त बिताए। देखे की आप किस काम को इंजॉय करते हो इससे आपको अपनी पसंद एक दो हफ्ते में पता चल जाएगी। अगर तब भी निर्णय नही ले पा रहे हो तो किसी काउंसलर से  मिलें। 

अपनी प्रतिभा को निखारें %& कामयाबी पाने लिए अपनी योग्यता को बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। अपने टैलेंट को पहंचान कर उसे तराशना व निखरना जरूरी है। आज हर तरफ अपडेट स्किल की मांग है तो ऐसे में कोर्स करना या डिग्री लेना ही काफी नही है । इसके लिए जरूरी है की आप अपने क्षेत्र में एंट्री के लिए स्किल को सीखते व अपडेट करते रहें। आप सोचो  कि  क्या आप अपने पद से जुडी सभी जिम्मेदारियो को ईमान दारी से निभाते हो \ आने वाली चुनौतियों को हँसते हुए स्वीकार करते हो \ क्या वक्त के साथ बदलने में बिलीव करते हो \ क्या अपनी योग्यता व क्षमता बढ़ाने के लिए नई टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए तैयार हो अगर आपके अंदर ये सारी क्वालटी हैं तो आपको नया काम हाथ में लेने में डरने की जरूरत नही है। अगर आपके अंदर टैलेंट की कमी है तो आप स्किल बढ़ाने पर ध्यान दें ।  
  
प्रतिभा को निखारने के लिए ये ६ गुण जरूरी हैं :- ईमानदारी अखंडता आत्मानुशासन सीखने की क्षमता विश्वनीयता लग्न अछा चरित्र जब तक ये गुण नही हैं तब तक आप अपने टैलेंट को नही निखार सकते । आप किसी भी इंसान के गुणो व् योग्यताओं की प्रसंसा तो कर सकते हो लेकिन अच्छे चरित्र के बिना विश्वास नही कर सकते। किसी भी नए काम को करने में परेशानी तो आती हैं कुछ गलतियां भी होती हैं लेकिन सफल रिकॉड वही बनाते हैं जो गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ते हैं । 

पॉजिटिव एटीट्यूट जरूरी है :-स्किल डेवलप की राह पर चलते समय इतना ध्यान  जरूर रखें कि दुसरो से सिखने के लिए विन्रम व्यवहार जरूरी है । नम्र व्यवहार रखकर ही आप कुछ सीख सकते हो । नम्र व्यवहार से ही आपको एंट्री मिल सकती है । आप ये घमंड न करें की आप को  सब कुछ आता है सीखने की प्रक्रिया तो उम्र भर चलती है । आशा वादी रहें आशा वादी लोग ही वास्तविक उनत्ति करते हैं ।  आशावादी लोग ही मन लगाकर काम करते हैं। कठिन मेहनत से ही सफल होना संभव है। इसलिए जो भी काम करो  प्रसन्ता से करो पूजा मानकर करो     
       
     ]]वर्क इज वर्शिप]]  
                                         
 कृतम सुख के पीछे भागने की बजाए] उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहें   "
   & ए पी जे अब्दुल कलाम   
कर्म के बिना आस्था एक भटकाव बन जाती है , आस्था चम्त्कारो का इंतजार नही करती , बल्कि चमत्कारो को जन्म देती है 
                                                               - हेनरी फोर्ड 
                     
डर व् संकोच को दिल से निकाल फेंके%& आप का डर व संकोच आपको कुछ भी नही करने देगा। दुसरो की कामयाबी देखकर आप प्रेरित तो हो जाते हो लेकिन जब उसे पाने की डगर पर चलते हैं तो फैल होने का डर लगा रहता है। अगर आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए जरूरी क्वालटी को समझते हैं और सामर्थ्य पर भरोसा करते हैं तो आप जरूरत के अनुसार अपनी क्षमता को बढ़ा कर अपने डर पर काबू पा सकते हो। ऐसा करने के लिए सबसे पहले अपने टैलेंट को जानें। हो सकता है की आप को इस फिल्ड की जानकारी ज्यादा न हो लेकिन ये सोचना छोड़ कर अपनी योग्यता को निखारने का प्रयास करें। ऐसा करने से आपकी योग्यता निखरने लगेगी जिससे आपका मनोबल बढ़ेगा।जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाए ये विश्वास जरूर रखें कि उसमें कामयाबी जरूर हासिल करेंगे इसके लिए हाथ पर हाथ रख कर ना बैठे स्ट्रेटेजी बनाकर विश्वास के साथ काम करें। 






    


Monday, November 16, 2015

स्पर्द्धा करें, ईर्ष्या से बचें

                                    स्पर्द्धा करें, ईर्ष्या  से बचें    

मनुष्य में पर्द्शन की भावना बुद्धि से जुडी हुई है । पर्द्शन तो बहारी है लेकिन ये समस्या मानसिक है।इसलिए विकाश के लिए स्पर्द्धा  जरूरी हो गई है । जब आपके सामने किसी और की जय जयकार होती है या किसी के काम की प्रसंसा होती है  तब आपके मन में भी ये आता होगा कि आपके दुवारा भी कोई देश व् समाज के उथान के लिए कोई कार्य हो आप भी समाज के लिए कुछ करके दिखाएं आप को भी लोग सम्मान की नजर से देखें आप की भी लोग प्रसंसा करें । लेकिन इसके लिए आपने कभी कोई प्रयास किया है ? क्या आप देश के लिए भगत सिंह की तरह फांसी चढ़ने के लिए तैयार हो ? मान स्वाभिमान के लिए के लिए गुरु तेगबहादुर सहाब की तरह सब कुछ कुर्बान कर  सकते हो ? अपनी कमाई का कुछ हिस्सा किसी समाजिक कार्य  में लगा सकते हो ?  चलो ये भी छोड़ो  क्या अपना खाली समय  किसी की मदद में लगाने के लिए तैयार हो ? अगर नही तो खाली सोचने से काम नही चलता करने से चलता है । जो लोग समाज के लिए कुछ करते हैं समाज को कुछ देकर जाते हैं उन्हीं लोगो को समाज या दुनिया याद करती है। जब ऐसे लोगो को याद करते हैं उनकी प्रसंसा सुनते हैं तभी समाज के और लोगो को कुछ करने की प्रेरणा मिलती है और तभी कुछ करने के लिए तैयार होते हैं। और जब भी हम कोई नया कार्य करते हैं तो मन में आता है की में इस कार्य  को इतनी अछी तरह करू की और कोई इसकी बराबरी न कर सकें। जब किसी प्रतियोगिता में बैठते हैं तो एक ही भाव मन में आता  है की में अवल आऊ । स्पर्द्धा से हमारे मन में एक अनूठे जोश का संचार होने लगता है । और फिर हम पर एक जनून सवार  हो जाता है और हम जब तक काम में लगे रहते हैं तब  तक हमारा वो कार्य पूरा न हो जाएं । स्पर्द्धा का भाव सिर्फ अच्छे  कार्य के लिए होना चाहिए न की गलत कार्य के लिए। जब स्पर्द्धा देश सेवा समाज सेवा या जनहित के लिए हो तभी इसका फायदा हैं । अगर आप बच्चो का पालने या घर खरीदने में लगे हो तो कुछ नया नही कर रहे हो ।  ये तो चिड़िया चुहिया भी करती हैं ? आप किस बात पर इतराते हो ?  हमे भी अपने समाज या देश के उथान के कार्य में सहयोग देना चाहिए जो लोग उसमे सहयोग करें  उनसे ईर्ष्या  नही करनी चाहिए सहयोग करना चाहिए । हमेशा दुसरो के गुण  देखने की कोशिस करनी चाहिए। इससे अपने अंदर सद्गुण बढ़ते हैं। जब आप दुसरो में  गुण  देखना शुरू करोगे तो कोई ना कोई गुण  आप को जरूर मिल जायेगा।  हर इंसान में कोई ना गुण जरूर होता है उस इंसान में क्या गुण है ये  आप को  अपनी पारखी नजरो से  परखना है । वो गुण आप को अपने जीवन में उतारना है ये ही खुद को श्रेष्ठतम बनाने की पद्धति है । हमे स्पर्द्धा करनी चाहिए स्पर्द्धा इंसान को आगे बढ़ाती है । लेकिन इंसान अपने जीवन का सबसे बड़ा शत्रु है कोई भी जानवर ऐसा नही है जो खुद को नुकसान पहुँचता हो लेकिन इंसान ईष्या दुवेश व् घृणा में फंस  कर खुद को नुकसान पहुंचाता  है । हम लोग गाँधी जयंती, बाल दिवस मनाते हैं क्या ये  सिर्फ याद करने की बातें हैं ? नही मेरी सोच से तो नही  मेरी सोच में तो उन लोगो के गुणों को अपने जीवन में उतारने  की बातें होनी चाहिए कुछ सकल्प लेने चाहिए । कुछ चिंतन करना चाहिए ।  चिंतन और व्यवस्था जीवन में विकास का कारण बनते हैं। और चिंता  व् व्यथा हमेशा विरोध पैदा करते हैं । इसलिए व्यथा और शिकायतों को छोड़ कर व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए । क्युकि इंसान का ध्यान काम पर कम व्यथा पर ज्यादा होता है इसलिए वह मजिल से भटक जाता है ।   


Saturday, November 14, 2015

सपने सिर्फ सपने नही होते

                                               

 मै बचपन से ही महत्वाकांशी थी हमेशा बड़े बड़े  सपने देखती । लेकिन हालत  कुछ ऐसे थे कि जिंदगी की हकीकत बिलकुल अपोजिट थी जो चाहा वो मिलना संभव ही नही था । लेकिन मुझे सपनों में डूबा रहना ही अच्छा लगता था । उन्हीं के बारे में सोचती और जो इंसान जैसे सपने देखता है जैसा सोचता है वैसे ही कर्म करने लगता है ये बात बिलकुल सही है मेरा भी यही हाल  था । मै सबकी मदद करना चाहती थी लेकिन मेरा बजट कम था फिर भी मै जरूरत मदों की मदद करती । पढ़ने का शोक था तो पढ़ाई तो स्कूल टाइम में छूट गई लेकिन पढ़ने का शोक अब तक नही छूटा । जो भी मिलता उसे पढ़ती रहती । शास्त्रों के पढ़ने का शोक था पढ़ती रहती।  हैल्प करते करते ये आदत बन गई की अगर अपने पास नही है या कम था तो दोस्तों से भी मदद कराने लगी । ऐसा करते करते अब तक हमारे साथ और बहुत लोग जुड़ गए ।  हम लोगो ने एक समिति बना ली  ''श्री स्याम सेवा समिति '' और अब तक हम  कई  भागवत, व् राम कथा करा चुके हैं और उसमें व् उससे अलग कई लड़कियों की शादी करा चुके हैं । और जो पढ़ने का शौक था उसमे मै हमेशा अपनी राय व् अपने विचार अपने बच्चो को सुनाती। एक दिन मेरी बेटी ने एडवाइज दी की आप अपने विचार लिखने शुरू कर दो । मैने यही किया । और ये करते करते आज बिलॉगिग करने लगी हू । आज मेरे दोनों ही सपने पुरे हो गए है। आज मै लेखक भी हू और सोसल वर्कर भी ।  

 जो भी सपने देखते हो उन्हें जियो उन् पर  अपनी कैपिसिटी के अनुसार काम करते रहो एक दिन मजिल जरूर मिल जाएगी । 

डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि - आकाश की तरफ देखिये हम अकेले नही हैं । सारा ब्रह्मांड हमारे लिए अनुकूल है । जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं वह उन्हें प्रतिफल देता है । 

              

Monday, November 2, 2015

विरोध क्यों करते हैं लोग \

          
               

मै आप से पूछती हूँ कि जब कोई कुछ करना चाहता है तो उस का विरोध क्यों करते है \ अगर आप कुछ करना चाहे जिससे किसी का कोई नुकसान नही है और फिर आपके परिवार वाले दोस्त या रिलेटिव या अन्य कोई आप को रोकें तो आपको कैसा लगेगा \ अछा नही लगेगा ना । तो फिर आप दुसरो को क्यों रोकते हो या अपनी क्यों थोपते हो  ये जेल्सी है \ फितरत या उनकी चिंता है \ देखिए अगर फितरत है तो इसे बदल दीजिए और अगर चिंता है तो सही से आत्मविलोकन कीजिए और साथ दीजिए। किसी ने सही कहा है कि  

**हर किसी को मुकमल जहाँ नही मिलता किसी को  जमीं किसी को आसमा नही मिलता]]  

 कही ना कही ये जेलसी ही है। चलों में आप को एक छोटी सी कहानी सुनती हूँ &

एक बार कोई इंसान शिप के अंदर एक खुले ड्रिम में केकड़ों चढ़ा रहा था एक बजुर्ग से ये देखकर रहा ना गया और बोला भाई आप ये क्या कर रहे हो ये डर्म में से निकल कर सारे में फेल जायेगे। वह इंसान बोला कि अंकल इनसे घबराने की आवश्कता नही है जब भी एक केकड़ा बहार निकलने की कोशिस करेगा तो दस केकड़े मिलकर उसे पीछे खींच लेगें ।  

हम भारतीयों की तुलना भी केकड़ों से की जाती है जब एक आगे बढ़कर कुछ करना चाहता है तो और दस लोग मिलकर उसे पीछे खीचने लग जाते है। कुछ तो ऐसे लोग होते हैं जिन का उस काम से कुछ लेना देना नही होता । आप जानते हो कि ऐसा काम कौन  से  लोग करते हैं ? जिन लोगो में कुछ कर दिखने का जज्बा नही होता । जिन लोगो में कुछ करने का जज्बा होता है वे लोग ओरो को आगे बढ़ाने में हमेशा सहयोग करते हैं और खुद आगे कैसे बढ़ा जाए ये सीखने की कोशिस में रहते हैं । लेकिन एक बात कहु  जो लोग पीछे खींचने की कोशिस करते हैं इनसे  भी हमे अनुभव मिलते हैं । और कहते कि -
" हमारे शत्रु हमारा विरोध इसलिये करते हैं क्युकि वे हमसे शत्रुता रखते हैं जब कि शुभचिंतक हमारा विरोध इसलिए करते हैं क्यु कि वे चाहते हैं कि हम असफल या बर्बाद ना हो "

कड़वे अनुभवों से क्यों घबराते हो \ कोई भी पढ़ने की बजाए प्रक्टिकल से अधिक सीखता है। कड़वे अनुभवों से जीवन में काम आने वाली सीख मिलती है।अनीता कहती है कि       
]]अगर आपने अपने जीवन में कड़वे अनुभवों का स्वाद चखा है तो इससे आप में परिपक्ता आती है । आप का सामना जब दोबारा किसी विस्म परिस्थिति से होता है तो पहले की भाति डर का भाव नही रहता। निडर हो कर उसका मुकाबला करने के लिए तैयार हो जाते हो]]   
      
''जिंदगी सबसे अछी अध्यापक है ज्यादतर वक्त जिंदगी से बातें नही करती ये आपको धक्का देती है। हर धक्के के जरिए जिंदगी आपसे कहती है ,जाग जाओ । में तुम्हे कुछ सीखना चाहती हू " 

जिंदगी हर इंसान को धक्का देती है जो कमजोर प्रवर्ति के होते हैं , वो हार जाते हैं और जो मजबूत प्रवर्ति के लोग हैं वो सीख लेकर आगे बढ़ जाते हैं। जो लोग हिम्मत हार जाते हैं  वे लोग जिंदगी के थपेड़ो के सामने घुटने टेक देते है और समय बदलने का इंतजार करते हैं। आप को एक बात माननी होगी कि आप किसी भी परिस्थति या इंसान को नही बदल सकते आप खुद को बदल कर ही उन्हें फेस कर सकते हो।

कड़वे अनुभव अवरोधों को पार करने की छमता बढ़ाते हैं %& कई बार हम जीवन में कर्तव्यविमूढ़ होते हैं तो ये कड़वे अनुभव हमे उस परिस्थिति से उबार लेते हैं और सही निर्णय लेने के लिए प्रेरित करते हैं । जब हमारे साथ कुछ गलत घटना घटती है तो वो हमे अछी नही लगती लेकिन धीरे धीरे हमारी समझ में आ जाती है कि इसमें भी हमारी भलाई थी। जे न यु में मनोविज्ञान के प्रोफेसर अरविंद मिश्रा कहते हैं कि
]]अगर आप कठनाईओं की दौर से गुजरते हो तो ये अनुभव आपको कठनाईओं से मुकाबला करना सीखा देता है आप में विरोध करने की क्षमता विकसित कर देता है जो जीवन में बहुत काम आती है**       

ठोकर लगने पर चलना न छोड़ें] ठोकर को सीढ़ी बना लें %&ज्यादातर लोग क्या करते हैं कि एक बार ठोकर लगते ही या एक बार असफल होते ही रास्ता बदल देते हैं। और किस्मत को दोष देना शुरू कर देते हैं या किसी और के सिर दोष मड़ देते हैं। जब की विश्लेषन करने की जरूरत होती है की असफल क्यों हुआ \ मनोवांछित फल क्यों नही मिला \ उससे एक एक कमी नजर आने लगेगी। उस कमी का सुधर करते जाएं । 

" हर इंसान सफल तो होना चाहता है लेकिन सफलता के लीए जो तैयारी की जाती है ,उसकी कीमत देने के लिए हर इंसान तैयार नही होता" 

ठोकरे ही इंसान को सफल व् मजबूत बनतीं  है। आप ने देखा भी होगा की जिन लोगो का जीवन साधारण होता है] अधिक उतार चढ़ाव नही आते वे लोग साधारण इंसान बन कर ही रह जाते हैं। और जिन लोगो के जीवन में जितनी अधिक समस्याऐ आती हैं वो इतना ही मजबूत व् कामयाब हो कर निकलता है। कहते हैं कि इंसान की जिम्मेदरी ही इंसान को लायक बनती है। जिन लोगो पर जिम्मेदारी नही पड़ती व् बुढ़ापे तक भी कमा कर नही खाह पाते। और जिन पर जिम्मेदरी पड़ती है वे छोटी सी उम्र में कामयाब हो जाते हैं। जब हमारे साथ कुछ गलत होता है तो शुरू शुरू में गलत लगता है लेकिन बाद में समझ आ जाता है की इसमें भी हमारी ही भलाई छिपी थी। इसलिए ठोकर लगनी भी जरूरी हैं।      
                                                          
परिस्थति चाहे जो भी हो] नजरिया पॉजिटिव होना चाहिए %& कई बार ऐसे हादसे होते हैं कि इंसान कुछ दुबारा करने की सोच ही नही पता। अगर पॉजिटिव नजरिया हो तो हादसों से उभरने में मदद मिलती है। नेगेटिवटी हावी नही हो पाती जिसकी वजह से बिना दिक्क्त के आगे बढ़ा जा सकता है तभी तो कहते है कि उम्मीद का दामन थामे रखना चाहिए ।


हमेशा खुश रहने की कोशिस करें %& हमेशा खुश रहना सम्भव नही है लेकिन खुश रहने की कोशिस तो कर सकते हैं। जो लोग हमेशा दुखी रहते हैं ऐसे लोगो को कोई भी पसंद नही करता। अगर आपकी लाइफ में कोई दिक्क्त है तो उसका स्लूसन ढूढे उसे पकड़ कर ना बैठे । अगर आप ऐसा नही करोगे तो आप रुक कर खड़े हो जाओगे और अपनी जिंदगी में कभी भी आगे नही बढ़ पाओगे ।    

 



Friday, October 30, 2015

दोहरा माप दण्ड क्यों \


              

सुख दुःख जीवन में आते जाते रहते हैं। कभी अधेरा तो कभी उजाला। ये सभी जानते हैं फिर भी हम दोहरे माप  दड क्यों बनाते हैं \ ये हमारा नजरिया है या हमारी फितरत \   


दोहरा माप दड सिर्फ नजरिया का फर्क है %&हम जैसा चश्मा पहने रखते हैं वैसा ही हमें दिखाई देता है मै एनसीआर में रहती हुँ हम लोगो ने पांच साल पहले भागवत करवानी शुरू की और ये काम हम लोगो ने मंदिर पर किया । इसमें और लोग भी हमारे साथ जुड़ गए और ये काम बहुत ही अछी तरह से सम्पन हुआ  हुआ। इससे मेरे ही कई साथियो को जेल्सी हुई इससे मुझ पर तो कोई फर्क नही पड़ा लेकिन उन लोगो ने मुझे ही निकाल  कर अलग समिति बना ली और भागवत करने लगे। हमने जुड़ना चाहा व्  सेवा देनी चाही तो नही ली। तो फिर हमने रामकथा व् उसमे गरीब लड़कियों की शादी करवानी शुरु कर दी । जब भागवत कराई गई तो हमारी तरफ से या किसी और की तरफ से कोई विरोध नही हुआ और हम गए भी और जो सहयोग दे सकते थे वो दिया भी। लेकिन जब हम रामकथा करते है तो उसका कुछ लोग विरोध करते है। ऐसा क्यों \ ये दोहरा माप  दड क्यों \ ये मेरी समझ में आज तक नही आया। क्यु कि भगवान का नाम ये भी था और वो भी ये भी सभी के सहयोग से है और वो भी फिर हमारे और उनके करवाने में फर्क क्या है \ अगर मेरे प्रतिस्पर्धियों में काबिलियत है तो कुछ करके दिखाए हमारे काम में रुकावट पैदा करने की क्या जरूरत पड़।   

बिना जाने किसी भी कार्य में हस्तछेप क्यों करते हो \ देखो दोस्तों जब भी कोई नए काम की सरुआत होती है तो उस काम में पहले ही हेल्प की जरूरत होती है चाहे मोरल हो फाइनेन्सल  हो या फिजिकली हो। लेकिन हेल्प की बजाए हस्तछेप  होता है ऐसा क्यों \ अगर हेल्प पचास से मांगो तो एक से मिलनी मुस्किल है।और हस्तछेप बिना जाने करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसा क्यों \ अरे भाई करनी है तो हेल्प  करो वरना पीछे हटो। टेंसन क्यू क्रेट करते हो \ बिना वजह की एडवाइज क्यों देते हो \ जो एडवाइज लाइक लगेगा उससे एडवाइज ले ली जाएगी और इंटरफेयर की तो कोई जरूरत ही नही है। aअगर इंटर फेयर ना हो तो अपने अनुभव के आघार पर अपने काम को लेकर स्वतत्र सोच विकसित होने का मौका मिलता है। 


इंसान सहज जीवन क्यों नही जीता \ अपने घर में ही  पति पत्नी के रिश्ते को देख लो देख लो! पति को कभी किसी काम के लिए जस्टिफेक्सन नही देना पड़ेगा और पत्नी को सिमित आजादी मिलती है। उन्हें अपने हर शोक या काम के लिए पति के सामने  अपनी योगयता साबित करनी पड़ती है। लाइफ में कई बार तो ऐसे मौके  आते हैं कि जब हमे कई बातो को नजर अंदाज करना पड़ता है। और ऐसी हालत में घुटन व् निराशा होती है कि जो स्त्री  परिवार समाज की हर जिमेदारी ईमानदारी से निभाती है जो परिवार की रीढ़ है उसी के लिए दोहरा माप  दड क्यों \ सबसे पहले तो माँ बाप को ही समझना होगा कि बेटा बेटी में भेदभाव न करें ।  
            

कांफिडेंस की कमी व् माहोल से सह मिलना %&साफ्टवियर रीना मल्होत्रा का कहना है कि  जहां आत्मविस्वास की कमी होती है ऐसी स्थति में आप खुद  के साथ इंसाफ करने की बजाए दुसरो की आलोचनाओ में लिप्त हो जाते है । दोहरे मानको  से आपको आत्मस्तुस्टी नही मिल सकती । बेहतर होगा की आप सकारत्मक  सोच बनाने में व्यक्तित्व को निखारने में और आत्मविस्वास बढ़ाने का प्रयास करें। देखो थोड़ा बहुत तो हर इंसान स्वार्थी होता है लेकिन जब अपने चारो तरफ देखता है कि सामने वाला खुद गलत है और मुझे झुकाने की कोशिस कर रहा है। तो विचारो में स्क्रीनता आती ही है । सही इंसान को अगर गलत बातो पर झुकना पड़े या झुकाने की कोसिश की जाएं  तो उसमे आत्मग्लानि आएगी ही क्यों की कोई भी सच्चा इंसान गलत बातो के आगे  झुकना नही चाहेगा ।   
  
दुसरो के विचारो को सम्मान दें :- कई लोग जबर्दस्ती अपने विचारो को सामने वालो पर थोपते हैं । ये जानते हुए कि ये गलत है ये जरूरी तो नही है कि  जिसे  हम सही मानते हो वह और लोगो को भी सही लगे । हर इंसान का एक अलग नजरिया होता है । इसलिए दुसरो  के  विचारो को सुनो उनका  सम्मान करो और जो सही लगे उसे मानो  जब हम किसी के विचारो  को आदर देते हैं  तो इससे हमारे अंदर  उदारता विकसित होती है । और यह  उदारता है  कि जो समाज में परिवर्तन हो रहे हैं  उन्हें समाज की जरूरत मानकर उन्हें स्वीकार करें दुसरो की जीवन सैली व् संस्कृति का सम्मान करें ।    

खुद को अत्यधिक  प्रथमिकता ना दें :- हर इंसान चाहता है कि मेरे साथ सब उदार व् मधुर वयवहार करें, रिस्पेक्ट करें और मेरे कहे अनुसार चलें मुझे समझें । परन्तु हम ये भुल जाते हैं कि दूसरे लोग भी हमसे यही उम्मीद करते हैं। हम अपनी खुशियों  व् अपनी परेशानियों को अधिक  महत्व देते हैं।  यही से शुरू होती  है गड़बड़ी जब हम दुसरो  की ना  खुशी का ध्यान रखते हैं और ना परेशानियों का ऎसे वयवहार और दोहरे रवैया से हमारा मन और माहौल अशांत हो जाता  है । तो आप ही बताये की ऐसे हालातो में  तरक्की व् विकाश कैसे संभव है। कही न कही प्रॉब्लम हमारी इगो से शुरू होती है हम झुकना ही भूल चुके हैं। हमारा ईगो हमारी प्राथमिकताओ पर ध्यान नही टिकने देता । 80 % से लेकर 95 % लोगो का चिंतन व्यर्थ  का चल रहा होता है और जिन लोगो का चिंतन सही पटरी पर होता है वो जीवन में कुछ कर लेते हैं । 



अगर आप लाइफ में कोई बड़ा काम करते हो तो समस्याएं तो आएगी और जितना बड़ा काम होगा उतनी ही बड़ी समस्या आएगी :- अगर आप लाइफ में सफल होना चाहते हो तो सम्भावनाओ को देखो । मुसिक्लो  आलोचनाओ और विरोधो की परवाह करनी छोड़ दो। आप का फॉक्स सिर्फ अपने लक्ष्य् पर होना चाहिए । सफलता इतफ़ाक से नही मिलती ये कुछ बुनयादी असूलों  को जीवन में उतरने से मिलती है। जीवन में ये मायने नही रखता की आप के साथ क्या हुआ। ये मायने रखता है  की आप उस समस्या को समाधान  निकलते हो या उस के आगे घुटने टेक देते हो।