Saturday, December 24, 2016

दुविधा में ना फंसे, दुविधा की स्थिति में फंसे रहने से हाथ में आया सुअवसर छूट जाता है !!!


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दोस्तों !  सभी के  जीवन में  कई पल ऐसे आते हैं, जब आपको दो रास्तो में से एक को चुनना पड़ता है । ऐसी स्थिति में कई लोग किंकर्तव्यविमूढ़ होकर बैठ जाते हैं । और वे कार्य को करने से पूर्व व्यर्थ के तर्क वितर्क में पड़ कर समय व्यर्थ करने लगते हैं। इससे मानसिक शक्तियों का नाश होने लगता है । और सही समय पर सही निर्णय ना ले पाने की वजह से हाथ में आया सुअवसर छुट जाता है ।


परिस्थितियों का दास नही दाता बनिये :- कई बार आपको सही -गलत, सत्य -झूठ , बुराई - भलाई ,व उचित अनुचित में से एक को चुनना पड़ता है। मजबूत निर्णय शक्ति वाला इंसान तो तुरंत निर्णय लेकर काम जुट जाता है, लेकिन  दुविधा की वजह से  निर्बल निर्णय शक्ति वाला इंसान जल्दी फैसला नही ले पाता । जिसकी वजह से आया अवसर हाथ से फिसल जाता है और समय गुजर जाने पर इससे पश्च्याताप होता है ।   

सचाई के लिए संघर्ष करें :- उचित रास्ता चुनिए और फिर चाहे कितनी ही समस्या आये  उचित रस्ते को मत छोड़िये। निर्बल निर्णय शक्ति वाले इंसान साहस की कमी व दुविधा में फंसकर काम शुरू करने से पहले ही अंधेरे पक्ष को देखने लगते हैं । जिसकी वजह से काबिल होते हुए भी कुछ नही कर पाते । 


अपने जीवन का कोई  उद्देश्य बनाएं :- जीवन में कोई ना कोई धेय होना अनिवार्य है।  नही तो  इंसान बिना पतवार की नाव की तरह बन जाता है और जैसे बिना पतवार की नाव को लहर कही  भी बहा कर ले जाती हैं। वैसे ही बिना लक्ष्य व उद्देश्य के इंसान का जीवन होता है ।  जहां हालात ले जाना चाहते हैं वहां चला जाता है । मानव जीवन कोई पानी में पड़ा लकड़ी का टुकड़ा नही है, जिधर पानी  का बहाव ले जाये उधर चले जाएं।  मानव जीवन का कोई उद्देश्य व लक्ष्य होता है वह अपनी सारी शक्ति लगाकर अपने प्रयोजन को सिद्ध करने का प्रयास करता है । और एक दिन अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाता है ।  


सफलता व असफलता का कारण खुद को मानें दैविक शक्तियों को नही :- हमारा खुद का मन ही दैविक शक्तियां है । जिसका मन भृमित है, व्यर्थ के विचारो में उलझा रहता है मष्तिक में व्यर्थ के विचारो का ढेर लगाता रहता है, उन्हें कार्यनिवित करने का प्रयास नही करता  वो असफल हो जाता है। और जिसका जीवन कर्म प्रधान हैं कर्म को ही पूजा मानता है  एक बार निर्णय लेकर तब तक लगा रहता है जब तक वो पूरा ना हो जाये वो सफल हो जाता है । फैलियर लोग  अपनी असफलता छिपाने के लिए दैविक शक्तियों पर ब्लेम डाल देते हैं । जैसे मेरे लक ने साथ नही दिया , परमात्मा को यही मंजूर था, हालात सही नही थे आदि । 


समय रहते सही निर्णय लें, अधिक दुविधा इच्छा शक्ति को कमजोर कर देती हैं  :- जो इंसान समय रहते सही डिशिजन लेते हैं समय भी उनके हाथ में रहता है । जो लोग झिझकते हैं या दुविधा में फंसे रहते हैं उनके हाथो से सुअवसर निकल जाता है । इसलिए अवसर पहंचान कर  तुरंत काम में जुट जाएं । तुरंत डिशिजन का मतलब ये नही है की आप गलत डिशिजन ले लें । बल्कि सोच समझकर सही समय पर सही निर्णय लें । स्वेट मार्डन जी ने कहा है कि -  

" कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब हमे तुरंत डिशिजन लेने पड़ते हैं । ऐसे समय में अपने ज्ञान बुद्धि और मष्तिक की सारी शक्ति केंद्रित करके तुरंत निर्णय लेना चाहिए "  

जो निर्णय लो उसे बार बार मत बदलो :- बार बार निर्णय बदलने का मतलब है आपको खुद पर विश्वास नही है । जो इंसान अपना बार बार निर्णय बदलता है वो कभी कामयाब नही हो पाता । आपने देखा भी होगा जो लोग बार बार अपना काम बदलते हैं वे कभी अपनी जिंदगी में कामयाबी का रस नही चख पाते।ऐसे इंसानो को यही माना जाता है की उनके पास ज्ञान ,बुद्धि व विवेक की कमी है । या वो बिजनिस माइड नही हैं । लिए हुए निर्णय को पूरा करने की आदत डालो । 






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