Friday, December 29, 2017

खुद को बेहतर बनाने के लिए 2018 में लें कुछ संकल्प !!!


दोस्तों ! खुद  को बेहतर बनाने के लिए नई साल में कुछ संकल्प लेना जरूरी हैं | लोग कई संकल्प लेते हैं जैसे हैल्थ कॉन्सेस होना  ,सुबह जल्दी उठना हार्ड वर्क करना , किसी वीक पॉइंट पर काम करना  आदि | हम कैसे दिखते हैं इसके साथ साथ जरूरी है कि लोग हमे किस रूप में जानते हैं ? हमारे बारे में क्या राय रखते हैं ? हम दुनियां की निगाह में क्या इमेज  बनाना चाहते हैं ?  बच्चो के रोल माडल कैसे बनें  ? इसके लिए जरूरी हैं  हमे कुछ संकल्प लेना - 


1 हार ना मानने का संकल्प :- दोस्तों जीवन में कभी हार कभी जीत कभी सुख कभी दुःख, कभी लाभ तो कभी हानि कभी मान तो कभी अपमान  कभी सफलता तो कभी असफलता मिलती रहती है | जब बार हमारे जीवन में अपडाउन आते हैं तो हम घबरा जाते हैं | असफलता को हम झेल नहीं पाते और हमारी हिम्मत साथ छोड़ने लगती है | असफलता को हम अपनी किस्मत मानकर समझौता कर लेते हैं और आगे बढ़ने की कोशिस करनी छोड़ देते हैं | 

 कभी बच्चो की तरफ  देखना जब उनके पेरेटस या टीचर उन्हें पढ़ना लिखना सिखाते हैं |  तब  वे बार बार  गलती करते हैं एक चीज को कई बार बताने में भी जब उनकी समझ में नहीं आता तो इससे कई बार उन्हें डाट भी मिलती है , सहपाठी बच्चे उनका मजाक भी उड़ाते हैं | लेकिन वे हिम्मत नही हारते |  बार बार सीखने की कोशिस करते रहते हैं | और जब तक लगे रहते हैं जब तक उनकी समझ में नही आ जाता या वे उसे करने नहीं लगते | कभी हम भी तो बच्चे तो हम भी तो ऐसे ही करते थे | और अगर ऐसा नहीं करते तो हम कैसे सीखते ?

 जब हम बच्चपन में सीख सकते हैं या कर सकते हैं तो बड़े होकर क्यो नही ? क्योकि बड़े होने के साथ साथ हमारा ईगो भी बड़ा होने लगता कॉन्फिडेंस डाउन होने लगता है | हम हारने से नहीं डरते  हारने के बाद  समाज को फैंस करने से डरते हैं | इसलिए हम आने वाले सुनहरे मौके को नहीं देख पाते | और असफल होकर पूरी जिंदगी असफलता को बोझ ढोते रहते हैं | 


2 रिश्तों  को मेंटेन करके चलने का संकल्प  :- दोस्तों हमेशा ही जिंदगी में जब आप कुछ बड़ा करोगे,  हार जीत आपके सामने होगी | कुछ लोग आपकी जीत से  जैल्सी करेंगे वो आपसे कटने लगेगे | और अगर आप हार गए तो कुछ लोग आपको कमजोर मानकर पीछे हट जाएंगे | सफलता व असफलता में ही रिस्तो को बारीकियों से समझने का मौका मिलता है| जो लोग आपके सुख व दुःख में दिल से निस्वार्थ होकर साथ हैं वही आपके अपने हैं | मेरी पर्सनल राय तो ये है कि सब से ज्यादा लोग धोखा अपना बनाकर देते है | सब से ज्यादा होशियार रिस्तो में रहो  स्वार्थ पूरा रिश्ते खत्म | लेकिन फिर भी हमे दुनिया में रहना है तो अकेले तो नहीं रह सकते इसलिए इसलिए सबसे तालमेल बिठा कर चलना  | कहावत हैं कि -

"जिंदगी के सफर में मुस्कराते रहिये दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते रहिये" 

नई साल में ये देखो कि हम अपनी लापरवाही व बीजी सईदुल के चलते हम उन अपनों से कितने दूर होते जा रहे है  जिनसे हमे तालमेल बिठा कर चलना है उन पर ध्यान दें | उनसे कभी कभी मिलने का व बात करने का समय निकाले | 


3 किसी की पर्सनेल्टी पर नेगेटिव टैग लगाने से बचें :- दोस्तों हम जैसा सोचते हैं वैसा ही कार्य करते हैं और जैसे कार्य करते हैं वैसे ही बन जाते हैं |  इसलिए अपनी थिंकिग पर ध्यान दें हमारे विचार कई बार किसी एक बात को लेकर इतने नेगेटिव चले जाते हैं कि हम सामने वाले के बारे में गलत सोचने लगते हैं |  एक दो बातें पसंद नही आने पर उसकी पर्सनेल्टी पर टैग लगा देते हैं | जैसे भाई महीनों तक फोन नही कर पाया .... टैग लगा दिया बेपरवाह है रिस्तो की फ़िक्र ही नहीं हैं | बिजी सिडुल  के चलते किसी को प्रायटी नही दी ....  टैग लगा दिया घमंडी है | ऐसे टैग लगाने से बचें | पर्स नेअल्टी पर लगे टैग कभी नही मिटते | 







Saturday, November 18, 2017

लोगो को तत्काल आकर्षित कैसे करें ?



Image result for ladke ko impress kaise kare in hindiदोस्तों ! डेल कार्नेगी ने कहा था कि अगर हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि सामने वाले  को बिना कुछ लिए उसे ख़ुशी या तारीफ नही दें सकते तो हमारी आत्मा सड़े हुए सेब की तरह हो चुकी है | हम निश्चित रूपसे असफल हैं | 


जो अपना दुःख सुनाए उसको सहानुभूतिपूर्वक ध्यान से सुन लेना चाहिए | अपनी संवेदना प्रकट करने में भी कृपणता न करनी चाहिए। किसी की वेदना सुनकर उपहास करना अथवा उसकी उपेक्षा कर देना एक नैतिक दोष है। इस से ग्रस्त लोग समाज में अपने विरोधियों तथा आलोचकों की वृद्धि कर लेते हैं | विलियम जेम्स ने कहा है कि - 


"हर इंसान के दिल की गहराई में यह लालसा छुपी होती है कि उसे सराहा जाए " 

बुद्धिमान व्यक्तियों का सहज स्वभाव होता है वे दूसरे लोगो के गुणों को सराहते हैं | किसी की बुराई की अपेक्षा अच्छाई पर अधिक दृष्टि रखते हैं।

मनुष्य के व्यक्तित्व की पहचान उसके बातचीत करने के ढंग से होती है। भले ही कोई व्यक्ति कितना ही सुंदर हो, परंतु वाणी में कर्कशता या रुखापन हो तो वह कभी किसी को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता।

प्रभावशीलता के आधार कुछ गुण और व्यवहार हुआ करते हैं जो मनुष्य के व्यक्तित्व और  आचरण से चमकते  हैं। इस गुण को जब चाहे उन्हें पाया, सीखा और अपने अन्दर उपजाया जा सकता है।

जो व्यक्ति प्रभावशीलता को जितना व्यापक और विस्तृत बना लेता है वह उतनी ही अधिक सद्भावना पाता है।

कोई अपनी सद्भावना देता तो अकेला ही बहुतों को है | पर बदले में पाता बहुत लोगो  की सद्भावना है। इस प्रकार सद्भावना के इस आदान-प्रदान में सद्भावुक के बहुत लाभ में रहता है वह एक अकेला बहुतों का प्रिय पात्र बन जाता है | 

ऐसे एक अकेले व्यक्ति को उठाने में सैकड़ों हजारों हाथ लग जाते हैं। इस प्रभाव से किसी का ऊँचे से ऊँचा उठ जाना स्वाभाविक ही है। जिसको बहुत से लोग चाहें और प्यार करें उसका प्रभाव एक बड़ी सीमा तक फैल जाता है उसका व्यक्तित्व चुम्बक की तरह आकर्षक और सोने की तरह चमक उठता है।

अपने पद की गरिमा बनाए रखें, एवं ऐसी स्थिति से बचें कि आपसे छोटा व्यक्ति आपको जवाब दे जाए। बच्चों के सामने उनके टीचर्स व रिश्तेदारों के लिए अपशब्द न कहें।


सेवक या किसी भी बाहरी व्यक्ति से अपने घर की बातें न करें, न ही उनके सामने बहस व गाली-गलौज करें।


अपनी गलत बात को सही सिद्ध करने के लिए बहस न करें। न ही चिल्ला-चिल्लाकर उसे सही सिद्ध करने की कोशिश करें।

अगर आप चाहते हैं कि आपसे मिलने जुलने वाले लोग आपकी तारीफ करें | आप चाहते हैं की आपकी प्रतिभा को पहंचाना जाए | आप चाहते है की आप छोटी सी दुनियां में महत्वपूर्ण बने | आप सस्ती चप्लुसी या झूठी तारीफ तो नही सुन्ना चाहेंगे |लेकिन जैसा चालर्स श्वाब ने कहा है कि 


-आप मित्र व सहयोगीयो से जरूर चाहोगे कि वे आपकी दिल खोलकर तारीफ करें और मुक्त कंठ से सराहना करें हम सभी ये चाहते हैं | 


हम सभी खुद को महत्वपूर्ण नही ,बहुत महत्वपूर्ण समझते हैं | लोगो से उनके बारे में बात कीजिए , वे घंटो तक आपकी बात सुनते रहेंगे | सामने वाले व्यक्ति को महत्वपूर्ण अनुभव कराएं -और ईमानदारी से कराएं | 


Saturday, November 4, 2017

इंसान जिंदगी में कितनी सारी गलतियां कर देता है !!!




दोस्तों ! किसी भी फिल्ड में सक्सेस होने के लिए सबसे पहले प्रभावी ढंग से बोलने की कला आना अनिवार्य है | बोलने के साथ -साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि रोजमर्रा के बिजनेस और सामाजिक जीवन में लोगो के साथ किस तरह व्यवहार करें | 

समझदारी की कमी व अज्ञानता की वजह से इंसान जिंदगी में कितनी सारी गलतियां कर देता है | काश उस समय ये समझ सकें कि  क्या करना हैं या कैसा व्यवहार करना है तो लाइफ में काफी परेशानियों से बच सकता  है | 

जो लोग बिजनेस में हैं उनके सामने लोगो को प्रभावित करना सबसे बड़ी चुनौती होती होगी | और जो गृहणी या अन्य क्षेत्र में हैं वे भी लोगो को प्रभावित करना चाहते होंगे | 

कारनेगी फाउंडेशन फॉर द एडवांसमेन्ट ऑफ टीचिंग के तत्वधान में एक रिसर्च की गई | इससे एक बेहद महत्वपूर्ण तथ्य पता चला - एक ऐसा तथ्य जिसे कार्नेगी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुए अतिरिक्त अध्यनों  ने सही ठहराया | इस शोध में पता चला कि किसी की आर्थिक सफलता का केवल 15 प्रतिशत ही तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करता है | जबकि 85 प्रतिशत उसके व्यवहार की कला पर निर्भर करता है | यानी की उसका व्यक्तित्व और लोगो को नेतृत्व करने की उसकी कला उसे 85 प्रतिशत सफलता दिलवाती है | 

किसी भी फिल्ड में सबसे ज्यादा सैलरी उन्हें नही मिलती जिनके पास उस फिल्ड का सबसे ज्यादा ज्ञान है बल्कि उन्हें मिलती है जिनमे व्यवहार की कला है | केवल तकनीकी ज्ञान या योग्यता के लिए आप किसी भी इजीनियर ,अकाउंटेंट आर्किटेक्ट को कुछ तनख्वाह पर नौकरी पर रख सकते हैं |


परन्तु अगर आपके अंदर तकनीकी ज्ञान भी है ,अपने विचारो को व्यक्त करने की कला भी है ,लीडर बनने की योग्यता है और लोगो में उत्साह भरने की छ मता है तो आप निश्चित रूप से उनसे अधिक कमा सकते हो  | जॉन डी.रॉकफेयर  ने कहा था -

सभी महानतम लीडर लोगो के साथ किस तरह व्यवहार करते थे हम उनकी जीवनियों में पढ़ते हैं जूलियस सीजर से लेकर थॉमस एडिसन तक  सभी महान लीडर्स इस कला में निपुण थे तभी वे महान लीडर्स बने | इसलिए लोगो से व्यवहार करने की कला दुनियां की सभी चीज से ज्यादा कीमती है |   

" हॉवर्ड के प्रसिद्ध प्रोफेसर विलियम जेम्स ने कहा था हम जो हो सकते हैं,उसकी तुलना में हम सिर्फ आधे जागे हुए ही होते हैं | हम अपनी योग्यता का बहुत कम हिस्सा हासिल कर पाते है | हम अपनी शारीरिक व मानसिक योग्यताओं  का बहुत कम हिस्सा ही इस्तेमाल करते हैं | हम  अपनी सम्भावनाओं का पुरा दोहन नही करते | उनके पास ऐसी बहुत सी छमता व शक्तियां होती हैं जिनका उपयोग करने में वो आमतौर पर असफल रहते हैं | 



अगर आप अपनी छमताओ या शक्तियों से परिचित हो तो  इन शक्तियों को जाग्रत करें ताकि आपका जीवन सुखमय बन सकें | 




Sunday, September 17, 2017

सामने वाले इंसान को तत्काल प्रभावित कैसे करें ?




दोस्तों ! हमारे काम शब्दो से ज्यादा तेज स्वर में बोलते हैं | आपकी मुस्कराहट कहती है ," में आपको पसंद करता हूं | आपसे मिलकर मुझे ख़ुशी होती है | आपको देखकर में खुश हुआ | 


पर ध्यान रहे झूठी मुस्कराहट से कोई फायदा नही होगा | हम समझ जाते हैं कि ये बनावटी है और इसलिए हम उसे पसंद नही करते | में जिस मुस्कराहट की बात कर रही हूँ वह असली मुस्कराहट होती है | दिल को छूने वाली मुस्कराहट ,एक ऐसी मुस्कान जो दिल से आती है और दिल तक पहुँचती है इसलिए उसकी कीमत बजार में बहुत ज्यादा है | 

मिशिगन यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर जेम्स वी.मैकानल मुस्कराहट के बारे में अपनी भावनाएं बताते हुए कहते हैं -



" मुस्कराने वाले लोग ज्यादा अच्छी तरह सीखा और बेच पाते हैं और अपने बच्चो को ज्यादा सुखद ढंग से पाल पाते हैं मुस्कान में तेवर से ज्यादा शक्ति होती है | इसलिए कोई बात सिखाने के लिए प्रोत्साहन दंड़ की तुलना में ज्यादा प्रभावी तरीका होता है "



आपको मुस्कराना मुश्किल लगता है तो फिर क्या करें ? आप दो काम कर सकते है पहली बात तो ये हैं कि खुद को मुश्कराने पर मजबूर करें  | जब अकेले हो तो सीटी बजाए या गुनगुनाए या गाए | इस तरह व्यवहार करें जैसे आप सचमुच खुश हो और कुछ समय बाद आपको ख़ुशी का अनुभव होने लगेगा | 

हमे लगता है हमारे कार्य हमारी भावना का अनुसरण करते हैं परंतु वास्तव में कार्य और भावना साथ -साथ ही चलते हैं|  और कार्य पर नियंत्रण करने से हमें  अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना ज्यादा आसान है जबकि भावनाओं को नियंत्रित करना अपेक्षाकृत कठिन है | 

खुश रहने का इकलौता रास्ता यह है कि चाहे हम खुश न हों पर हम इस तरह बोलें व्यवहार करें जैसे हम सचमुच खुश हों | 

दुनियां में हर व्यक्ति ख़ुशी की तलाश मे है और इसे हासिल करने का एक ही रास्ता है | अपने विचारो को नियंत्रित करके ख़ुशी हासिल करना | ख़ुशी हमारी बाहरी परस्थतियों पर निर्भर नही करती | यह तो हमारी अंदरूनी परिस्थतियों पर निर्भर करती है |   


सुख या दुःख का इस बात से कोई संबंध नही है कि आपके पास कितना है या आप  क्या हैं या आप कहा हैं या आप क्या कर रहे हैं | इसका संबंध तो इस बात से हैं कि आप इस बारे में क्या सोचते  हैं | 

उदाहरण के तौर पर दो लोग एक ही जगह पर एक काम करें और उनके पास एक बराबर पैसा और प्रतिष्ठा हो तो भी यह हो सकता है कि एक दुखी होगा और एक सुखी | क्यों ?क्यों कि उनका परस्थतियों को देखने का नजरिया अलग -अलग है | 

शेक्सपियर ने कहा था ," कोई भी चीज बुरी या अच्छी नही होती ,हमारा नजरिया ही उसे अच्छी या बुरी बनता है |  
   
अपने मष्तिक में उस योग्य ,गंभीर उपयोगी व्यक्ति की तस्वीर बनाए जो आप बनना चाहते हैं | और आपका यह विचार आपको हर घंटे उस विशिष्ट तस्वीर के करीब ले जायेगा विचार सर्वशक्तिमान है | सही मानसिक नजरिया रखिये साहस ईमानदारी  और ख़ुशी का नजरिया | सही सोचना रचनात्मक होना है | इच्छा से समस्त वस्तुए हासिल हो जाती हैं और सच्चे दिल से की गई प्रार्थना पूरी होती है | जैसा हम दिल से सोचते रहते हैं हम उसी तरह के बन जाते हैं | 

आपकी मुस्कराहट आपकी सदभावना का सदेशवाहक है | आपकी मुस्कराहट उन सभी लोगो की ज़िंदगियों को रोशन करती है जो इसे देखते हैं उस व्यक्ति के लिए जिसने दर्जनों लोगो को नाक भौ सिकोड़ते ,झुंझलाते हुए देखा हो आपकी मुस्कराहट बादलो के बीच से झांकते सूर्य की तरह होती है | खाश तोर पर तब जब कोई अपने बॉस ,ग्राहको ,टीचर या माता पिता या बच्चों के कारण दवाब या तनाव में हों ऐसे समय में आपकी मुस्कराहट उसे बता सकती है कि निराशा से समस्याए हल नही होती | मुस्कराहट बताती है दुनियां अब भी खुशगवार और रगीन हैं |  

दोस्तों ! ये बातें मैंने आपको "डेलकारनेगी" की बुक लोक व्यवहार प्रभावशाली व्यक्तित्व की कला कैसे सीखें से बताई हैं | अगर आप भी प्रभावशाली व्यक्तित्व की कला सीखना चाहते हैं तो आपके लिए ये बुक काफी हेलफुल रहेगी | 



Wednesday, September 13, 2017

लाइफ में सक्सेस होना चाहते हो ? तो सक्सेस होने के लिए पांच कार्य करने अनिवार्य हैं !!!


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दोस्तों !  किसी भी कार्य की सफलता या असफलता उसके लिए की गई योजना पर निर्भर होती है|पूर्व नियोजित ढंग से किये गए कार्य में सफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है |और योजना के साथ ही इंसान की द्रढ़ इच्छा शक्ति भी उसे निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करती है|सक्सेस की सीढ़ी चढ़ने के लिए पांच कार्य करने अनिवार्य हैं - 


1 अपने टैलेंट को पहंचाने  :-  हर इंसान को भगवान ने कुछ ना कुछ टैलेंट के साथ दुनियां में भेजा है | जो इंसान अपने टैलेंट को पहंचान कर उसे अपना कैरियर चुनता है वो आसानी से सक्सेस हो जाता है । कहते भी हैं कि -

" जो अपने जीवन के महत्व एव सार को पहंचान लेते हैं वे ही सही फैसला लेते हैं "

ज्यादातर हम दुसरो से कंपेयर करते हैं, दुसरो के देखा देखी कैरियर चुनते हैं। इसलिए हम टेलेंटिड होते हुए भी सक्सेस नही हो पाते । 

2 खुद को झूठी दिलासा ना दें :-  जब काम अच्छा होता है तो इससे सम्मान व पहंचाना दोनों मिलते हैं । लेकिन अच्छा काम अनुभव से होता है। इसलिए कभी खुद को झूठी दिलासा ना दें। इसके लिए आप व्यवहारिक कदम उठाये और उन्हें धरातल पर रख कर देखें। 

3 जीतने की जिद और सकरात्मक सोच रखें :- अगर इंसान जीतने की जिद कर लें तो मंजिल तक पहुंच ही जाता है लेकिन जिद के साथ ये देखना भी जरूरी है कि आप में सामर्थ्य कितनी है ? ये कार्य आप कर्मठता से कर सकते हैं या नही ? अगर आपके अंदर इतनी ऊर्जा नही है तो , बिना ऊर्जा के आप कुछ नही कर सकते । शुरुआत करने के बाद हो सकता है कि आपकी राह में ऐसे रोड आएं जो आपको निरुत्साहित कर दें। ऐसी परिस्थिति में आप नकरात्मकता को हावी ना होने दें। ये सोच कर मन में तसल्ली रखें कि -

" सम्पनता दिमाग को जंग लगा देती है और कठनाई उसे पैना करती है "

4 कार्य को रुचिकर बनाएं  :-  हो सकता है कि आपकी पढ़ाई या कार्य बोरींग हो,ऐसे में आपका मन कार्य से जल्दी ऊब जायेगा । ऐसे में कार्य को रुचिकर बनाने का उपाय सोचें । अगर आपने अपना कार्य रुचिकर बना लिया तो आप निश्चय ही कार्य को इंजॉय करने लगोगे।डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि -

" अगर आप काम और सुख में बेलेंस बनाने में रूचि रखते हैं तो उन्हें बैलेंस करने का प्रयास छोड़ दीजिये, इसके बजाए अपने काम को सुखद बनाइये "

5 मेंटली स्ट्रॉग बनें  :-  जब भी हम समाज में कुछ नया करने चलते हैं तो दस बातें होती ही हैं पोजेटिव सोच वाले अच्छा बताएंगे और नेगेटिव सोच वाले कमियां। घर परिवार समाज वाले आपका मनोबल तोड़ने लगेंगे इससे निपटने के लिए मेंटली स्ट्रॉग होना जरूरी है । वैसे भी -

" रूढ़िवादी सोच से लड़ने का एक ही तरीका हैं , आप मेंटली स्ट्रॉग बन जाएं  "

जब आप मेंटली स्ट्रॉग होगे तो शरीर भी स्ट्रॉग बन जायेगा । बड़ा लक्ष्य बनाएं, जब लक्ष्य बड़ा होता है तो छोटी छोटी बातें असर नही करती। मन को सुंदर बनाएं। शरीरिक सुंदरता आखों को आकर्षित करती है और अच्छाई दिमाग को आकर्षित करती है। सुंदरता मन से है इसे शरीर से क्यों जोड़े ?


Sunday, September 10, 2017

अगर आप ये चाहते हैं कि दूसरे लोग आपमें रूचि लें !!!


दोस्तों ! ये आर्टिकल मैंने डेल कार्नेगी के लिखे सिद्धांत "हर जगह अपना स्वागत कैसे कराएं" से लिया है | हम सभी ऐसे लोगो को जानते हैं जो  इसी बात की कोशिश करते हैं कि दूसरे लोग उनमें रूचि लें | और इसी वजह से वे एक के बाद एक गलतियां करते चले जाते हैं | जिसकी वजह से उन्हें अपने प्रयास में सफलता नही मिलती और वे असफल हो जाते हैं |

हम ये भूल जाते हैं कि किसीकी किसी में कोई दिलचस्पी नही होती, सबकी दिलचस्पी खुद में होती हैं | जब हम ग्रुप फोटो भी देखते हैं जिसमे हमारी भी तस्वीर हो तो हम सबसे पहले किस की तस्वीर देखते हैं ? अपनी ना ? 

न्यूयार्क कंपनी ने यह जानने के लिए एक सर्वे किया कि टेलीफोन पर होने वाली चर्चा में किस शब्द का प्रयोग सबसे ज्यादा बार किया जाता है | सर्वे से ये पता चला कि "मै" शब्द सबसे ज्यादा बोला जाता है | 500 चर्चाओं में "मै", "मै "३,900 बार बोला गया | 

हम सभी ,चाहे फैक्ट्री में मजदूर हों, आफिस में क्लर्क हो या सिंहासन पर बैठे सम्राट हो -हम सभी ऐसे लोगो को पसंद करते हैं जो हमारी प्रसंशा  करते हैं जो हम में रूचि लेते हैं  | 

अगर आप सचमुच दोस्त बनाना चाहते हैं, किसी का दिल जीतना चाहते हैं तो लोगो से उत्साह से मिलना चाहिए | अगर आप फोन पर किसी से बाते करें तो भी आपको उसी उत्साह का प्रदर्शन करना चाहिए | बात करते वक्त सामने वाले को लगना चाहिए कि आप उससे बात करके खुश हो रहें हैं | दोस्त बनाने के लिए आपको दूसरे लोगो में रूचि लेनी होगी, उन के लिए कुछ करना होगा -ऐसा काम जिसमे समय ,ऊर्जा और विचार की जरूरत होगी | 



प्रसिद्ध रोमन कवि पब्लियस सायरस ने कहा था ," जब दूसरे लोग  हम में रूचि लेते हैं तब हम उनमे रूचि लेते हैं " | रूचि का प्रदर्शन सच्चा होना चाहिए | इससे रूचि प्रदशिर्त करने वाले का ही भला नही होना चाहिए , बल्कि उस व्यक्ति का भी भला होना चाहिए जिसमे रूचि ली जा रही है | यह टू वे स्ट्रीट है -दोनों ही पक्षों को लाभ होता है | 

अगर हम किसी व्यक्ति में सचमुच दिलचस्पी  लेते हैं ,तो वह चाहे कितना ही प्रसिद्ध या व्यस्त क्यों ना हो वो हमारी तरफ ध्यान देगा , हमें अपना  समय और सहयोग देगा |

विएना के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड एडलर ने व्हॉट लाइफ शुड मीन टू यू नाम की एक पुस्तक में लिखा है ,"जिस व्यक्ति की दूसरे लोगो में रूचि नही होती उसे जीवन में सबसे ज्यादा कठिनाईयां  आती हैं | और वो दुसरो को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है | इसी तरह के व्यक्ति ही सबसे ज्यादा असफल देखे गए हैं | 

दोस्तों ! अगर आप चाहते है कि दूसरे आपको पसंद करें ,अगर आप सच्चे दोस्त बनाना चाहते हैं ,अगर आप अपनी मदद करने के साथ - साथ दुसरो की भी मदद करना चाहते हैं  तो इस सिद्धांत को याद रखें |  जो आप देंगे वही आपके पास लौटकर आयेगा | इसलिए जो आप दुसरो से चाहते हो वो आप दुसरो को दो |  सम्मान चाहते हो सम्मान करो , प्यार चाहते हो प्यार दो , हैल्प चाहते हो हैल्प करो , साथ चाहते हो साथ दो , वफ़ा चाहते हो तो वफ़ा दो | 

   
  



      


Wednesday, September 6, 2017

जो ये कर सकता है उसके साथ पूरी दुनियां है !!!


हम क्या चाहते हैं इस बारें में बात करने से क्या फायदा ? यह तो बचपना है, मूर्खता है | जाहिर है आप जो चाहते हैं उसमे आपकी रूचि है | आपकी उसमे गहरी और प्रबल रूचि है परंतु किसी और की उसमे रूचि नही है | हम सभी आप ही की तरह हैं | हम सब अपने आप में रूचि लेते हैं | 

आप चाहते हैं कि आपके बच्चे सिगरेट पीना छोड़ दें ,तो आप उन्हें डांटिए मत,उन्हें भाषण मत दीजिए ,यह मत बताइये कि आप क्या चाहते हैं इसके बजाए उन्हें ये समझाइये कि अगर वे सिगरेट पिएंगे तो वो कभी बास्केटबॉल में शामिल नही हो पाएंगे | 

कर्म पैदा होता है हमारी मुलभुत इच्छा से | बिजनेस घर ,स्कुल और राजनीति में दुसरो को काम करने के लिए प्रेरित करने वाले लोगो को सबसे बढ़िया सलाह यही दी जा सकती  है सबसे पहले सामने वाले व्यक्ति में काम करने की प्रबल इच्छा जगाए | जो यह कर सकता है उसके साथ पूरी दुनियां है | जो ये नही कर सकता वह अकेला ही रहेगा | 

अगर सफलता का कोई रहस्य है ,तो वो ये है कि हममें यह योग्यता हो कि हम सामने वाले का नजरिया समझ सकें और हम किसी घटना को अपने नजरिए के साथ -साथ सामने वाले के नजरिए से भी देख सकें |  

अगर आप अपनी बातो का सकरात्मक प्रभाव चाहते हो तो अपना ध्यान अपनी इच्छाओं की बजाए दुसरो की इच्छाओ पर दो | उनके नजरिये से देखो | 

दुनियां में ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो स्वार्थी हैं और खुद का भला चाहते हैं | इस वजह से उस दुर्लभ व्यक्ति को बहुत लाभ होता है जो निस्वार्थ भाव से दूसरो की मदद करना चाहता है | उसके बहुत कम प्रतियोगी होते हैं | 

महान बिजनेस लीडर ओवेन डी. यंग ने एक बार कहा था : 'जो लोग खुद को दुसरो की जगह रख सकते हैं ,उन्हें इस बात की चिंता करने की जरूरत नही होनी चाहिए कि उनका भविष्य कैसा होगा | अगर आप ये सीख लें कि किस तरह दूसरे व्यक्ति के नजरिये से सोचा जाए और स्थति को दूसरों के नजरिये से देखा जाए तो ये आपके कैरियर की प्रगति में आधार स्तम्भ साबित हो सकती है | 

दूसरे व्यक्ति के नजरिए से स्थति को देखने और उसमे इच्छा जगाने का मतलब यह नही है कि आप सामने वाले का शोषण करना चाहते हैं जिससे उसे नुकसान हो और आपको फायदा | इससे दोनों को फायदा होना चाहिए | 

विलियम विन्टर ने एक बार कहा था ,'' आत्माभिव्यक्ति इंसान के स्वभाव की सबसे बड़ी जरूरत है | " हम इसी मनोवैज्ञानिक सूत्र को अपने बिजनेस में क्यों नही उतार पाते ? जब भी हमारे दिमाग में कोई बढ़िया विचार आए तो उसे हम अपने विचार के रूप में दुसरो के सामने पेश क्यों करें इसके बजाए हम ऐसी तरकीब क्यों ना करें कि यह विचार उनके दिमाग में अपने आप आ जाए | तब उन्हें यह विचार अपना लगेगा और वे इसे पसंद करेंगे और शायद वे इसे बिना किसी के कहे अपनी इच्छा से ही मान लेंगे | 

याद रखिए :" पहले तो सामने वाले व्यक्ति में काम करने की प्रबल इच्छा जगाएं | जो ये कर सकता है उसके साथ पूरी दुनियां है | जो यह नही कर सकता ,वह अकेला ही रहेगा | " 


लोगो को प्रभावित करने के मुलभुत तीन तरीके | 

 1  बुराई मत करो ,शिकायत ना करो | 

2 सच्ची बड़ाई करने की आदत डालें |  

3 सामने वाले व्यक्ति में प्रबल इच्छा जगाएं |  

दस्तो ! ये बातें मैने आपको 'डेल कार्नेगी की बुक ' लोक व्यवहार के खंड एक  ,लोगो को प्रभावित कैसे करें से बताई हैं | 


Sunday, September 3, 2017

दोस्त की परिभाषा क्या है ? कैसे पहंचाने सच्चे दोस्त ?




Image result for dosti दोस्ती क्या है ? इसकी जरूरत क्या है ? दोस्त कैसे होने चाहिए ? कैसे करें सच्चे दोस्तों की पहंचान ? आइये जानते हैं -

दोस्ती की डेफिनेशन :- जो सुख में खुश हो , दुःख में दुखी हो , जरूरत पड़ने पर तन मन धन लगाने को तैयार हो , अगर कही कुछ गलत हो रहा है उसे सुधारे , गलती हो जाने पर सबके सामने साथ दें , अकेले में गलती बताएं | खुद बेस्ट होने पर भी आपको कमतर ना मापें | किसी लालच में आकर दोस्ती ना करें | 

दोस्तों की जरूरत क्या है ? बचपन से लेकर बुढ़ापे तक जिंदगी के हर मोड़ पर इंसान को एक सच्चे दोस्त की जरूरत पड़ती है । कई बाते  तो ऐसी होती हैं जो हम लाइफ में किसी से  भी शेयर नही कर पाते सिर्फ  दोस्तों से ही करते हैं, एक दोस्त ही हमे सबसे ज्यादा समझ सकता है । रिसर्च में भी बताया गया है कि इंसान सबसे ज्यादा खुश दोस्तों में रहता है । 

दोस्त कैसे होने  चाहिए  ? सच्चा दोस्त जलन की भावना नही रखेगा वह आपकी सफलता देखकर कभी नही जलेगा | बल्कि आपकी खुशियों में शामिल होगा | वो रोज आकर आपका समय बर्बाद नही करेंगा। और ख़ुशी में जलन की वजह से ना आने का बहाना नही बनाएगा | रिस्ते कभी तब नही टूटते जब कोई इंसान आप के दुःख में काम ना आये बल्कि तब टूटते हैं जब सुख मे जलन की वजह से  साथ ना हो ।   

सच्चे व अच्छे दोस्तों की पहंचान कैसे करें ? :- दोस्त तो बहुत होते हैं लेकिन सच्चे दोस्त बहुत कम होते हैं |सच्चे दोस्त किसी किस्मत वाले को ही नसीब होते हैं | सच्चे दोस्तों को आसानी से पहंचना जा सकता है | सच्चे दोस्त कंपेयर की भावना नही रखते, आपकी सफलता देखकर नही जलते | ये मुँह पर मीठा-मीठा नही बोलते और पीठ पीछे बुराई नही करते | सच्चे दोस्तो  का पता दुःख में चलता है | जो आपको मुशीबत में छोड़ कर भाग जाएं वे सच्चे दोस्त नही हो सकते | 




Wednesday, August 23, 2017

जो लोगो की प्रशंसा की भूख को संतुष्ट करता है ,लोगो को अपने वश में कर सकता है !!!




इस दुनियां में सिर्फ एक ही तरीका है जिससे आप किसी से कोई काम करवा सकते हैं | क्या आप ने कभी ये सोचा है ? हाँ सिर्फ एक ही तरीका | और वह तरीका है उस व्यक्ति में वह काम करने की इच्छा पैदा करना | 



सिंह फ्रायड ने कहा था कि-
'' किसी भी काम को करने के पीछे मनुष्य की दो मुलभुत अकांक्षाएँ होती हैं : सैक्स की अकांक्षा और महान बनने की अकांक्षा"

डॉ ड़यूई ने कहा था कि मानव प्रकृति में सबसे गहन अकांक्षा "महत्वपूर्ण बनने की अकांक्षा" होती है | 

और अकांक्षाएँ तो लगभग  सभी की पूरी हो जाती हैं लेकिन "महत्वपूर्ण या महान बनने की अकांक्षा"शायद ही कभी संतुष्ट होती है |

विलियम जेम्स ने कहा था " हर मनुष्य के दिल की गहराई में ये लालसा छुपी होती है कि उसे सराहा जाए " गौर करें उसने इस अकांक्षा को इच्छा या चाहत नही कहा | उसने कहा सराहे जाने की "लालसा | "


ये एक ऐसी मानवीय भूख है जो स्थाई है | और वह दुर्लभ व्यक्ति जो लोगो की प्रशंसा की भूख को संतुष्ट करता है ,लोगो को अपने वश में कर सकता है | इंसान और जानवरो में यही फर्क है कि इंसानो में महत्वपूर्ण बनने की अकांक्षा होती है |

इसी अकांक्षा की वजह से रॉकफेयर ने करोड़ो डॉलर जमा किये कभी खर्च नही करें | इसी अकांक्षा के कारण आपके शहर का सबसे अमीर परिवार एक ऐसा घर बनाता है जो उसकी जरूरत के हिसाब से बहुत बड़ा होता है| 


जॉन डी रॉकफेयर को चीन के पीकिंग शहर में एक अस्पताल बनवाने के लिए करोड़ो डॉलर देने में महत्व का अहसास होता था | ऐसे लाखों गरीब लोगो की भलाई के लिए जिन्हे न कभी देखा था और ना देख पाएंगे | 


सहानभूति और ध्यान आकर्षित करने के लिए तथा महत्वपूर्ण होने का अनुभव करने के लिए लोग बीमार होने का बहाना करते हैं | उदाहरण के तौर पर मेसेज मेकिन्ले को ही ले लें | उन्हें महत्वपूर्ण होने का अहसास तब होता था जब वे अपने पति को यानी कि अमेरिका के राष्टपति को देश के महत्वपूर्ण मामलों  की उपेक्षा करने के लिए विवश कर देती थी | अमेरिका के राष्ट्पति की यह पत्नी चाहती थीं कि उनके पति अपने सारे काम- धाम को छोड़कर उनके पास बैठे रहें अपनी बाहों में लेकर उन्हें शांत करने की कोशिस करें | वे अपने पति का ध्यान खींचने के लिए इतनी व्याकुल थी की उन्होंने जोर देकर कहा कि दांतो के डॉ के पास जाते समय भी उनका पति उनके साथ रहे | एक बार जब उन्हें अकेले जाना पड़ा( क्यों की उनके पति का गृहमंत्री के साथ अपॉइटमेंट था ) इन श्रीमती जी ने तूफान खड़ा कर दिया | 


कई विशेषज्ञों का मानना है कि महत्वपूर्ण होने का अहसास ही कई लोगो को पागल हो जाने के लिए प्रेरित करता है | जो लोग पागल हो जातें हैं वे पागल पन  के स्वप्न लोक में अपने आपको महत्वपूर्ण बना लेते हैं | वे खुद को वह महत्व दे देते हैं | जो उन्हें असली दुनियां में नहीं मिलता | 


अगर कई लोग महत्व की भावना के इतने भूखें है कि वे उसके लिए सचमुच पागल हो सकतें हैं तो जरा सोचिए कि में और आप अपने आसपास के लोगो को सच्ची प्रशंसा देकर कितना बड़ा चमत्कार कर सकते हैं और कितना कुछ हासिल कर सकते हैं | 

परंतु सामान्य लोग क्या करते हैं कि जो बात उन्हें पसंद नही आती तो वे अपने कर्मचारियों को तुरंत डाट फटकार देते हैं और जब कोई पसंद आती है तो तब कुछ नही बोलते | 
  
आज तक मुझे कोई इंसान ऐसा नही मिला चाहें वह कितने भी ऊचें पद पर हो जो आलोचना की बजाय तारीफ के माहौल में ज्यादा बेहतर काम न कर सकता हो |  "


हम अपने बच्चों ,दोस्तों और कर्मचारियों के शरीर को पोषण देते हैं परन्तु हम उनके आत्मसम्मान का पोषण नही करते ? हम उन्हें प्रशंसा के दयालुतापूर्ण शब्द देना भूल जाते हैं | हम ये भूल जाते हैं कि तारीफ भी भोजन की तरह हमारी अनिवार्य आवश्यकता है | 

अपने संबंधो में हमे यह कभी नही भूलना चाहिए कि हमारे संगी साथी इंसान हैं और तारीफ के भूखें हैं | यह वह असली सिक्का है जिसे हर इंसान पसंद करता है | 


सच्ची प्रशंसा से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और आलोचना और मखौल से कुछ हाथ नही लगेगा |  लोगो को ठेस पहुंचाने से वे कभी नही बदलते न ही इससे कोई सकरात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए ऐसा व्यवहार करना निर्थक होता  है|  

हम अपनी उपलब्धियों अपनी इच्छाओं के बारे में सोचना छोड़ दें | चापलूसी को भूल जाएँ, ईमानदारी से सच्ची प्रशंसा करें | दिल खोलकर तारीफ करें और मुक्त कंठ से सराहना करें | अगर आप ऐसा करेंगे तो आप पाएंगे कि  शब्दों को अपनी यादों की तिजोरी में रखेंगे और जिंदगी  भर उन्हें दौहराते रहेंगे - आपने जो कहा है , वह आप भूल जाएंगे पर वे नहीं भूल पाएंगे | 

दोस्तों ! ये बातें मैने आपको डेल कारनेगी की बुक " लोक व्यवहार प्रभावशाली व्यक्तित्व की कला " से बताई हैं | इसमें लोगो के साथ व्यवहार करने का अचूक रहस्य बताया गया है | 


Friday, August 18, 2017

सोच ही आपकी उपलब्धि तय करती है!!!

दोस्तों ! भगवान ने आपको असीमित सोचने की शक्ति दी है। इंसान की सफलता उसकी डिग्री या पारिवारिक पृष्टभूमि से नही मापी जाती उसकी सोच के आधार पर मापी जाती है । मनुष्य के कर्मो में उसकी भावनाओं के साथ विचार शक्ति का गहरा संबंध है । तभी  वह क्रिया शील रहता है|  

पॉजिटिव सोच बहुमूल्य सम्पति है, इसकी शक्ति को पहंचाने :- पॉजिटिव सोच वाला इंसान ही अपनी क्षमता का सही नियोजन करता है। पॉजिटिव सोच आपको वहां ले जा सकती है जहां अन्य लोग नही पहुंच पाते।आप पॉजिटिव व बड़ी सोच से ही उन्नति कर जीवन में उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। आपका जीवन वैसा ही होता है जैसे आपके विचार  होते हैं | जीवन विचारो का दर्पण  है। 

" अगर आप बड़ा सोचेंगे तो बड़े काम करेंगे,बड़े काम करेंगे तो आपकी तरफ बड़े लोग आकर्षित होगे " 

अगर आप समस्याओ के बजाए सम्भावनाओ पर जोर देंगे तो बड़ा सोचना शुरू कर देगें । जब अपनी समस्याओ को अलग रख कर बेहतर उपयो के लिए सोचते हैं तो  नई दिशा मिलती है ।

पॉजिटिव सोचने की आदत डालें :-पॉजिटिव सोचने से  कुंठा तनाव व परेशानियां जाती रहेंगी। अपने चिंतन को नियत्रण करें। नेगेटिव चिंतन दुसरो की कमियां दिखाता है | नेगेटिव सोच ही दुःख का कारण है ।अधिकतर चिंता नेगेटिव सोच की वजह से होती हैं। हीन भावना ये सदेश देती है कि आप असफल, लापरवाह व अयोग्य व्यक्ति हैं। जबकि सकारत्मक सोचने से रचनात्मक शक्ति जाग्रत होती है। 

 जीवन में बड़ी उपलब्धियां चाहते हो तो बड़ा सोचें :-बड़ी सोच से ही आप बड़े बनोगे। इतना बड़ा सोचो कि आपको कोई छोटा न लगे | इतना अच्छा सोचो कि कोई छोटी सोच वाला इंसान आपका दिल ना दुखा सके, आप लड़ाई झगड़ो से बच सको, अपनी मजिल तक पहुंचने के लिए हर व्यसन से बच सको।ऐसा कोई भी कार्य नही है जिसे आप नही कर सकते । जब आप कमर कस कर काम करने के लिए तैयार हैं तो ईश्वर भी आपके साथ है। अगर किसी इंसान का तेज दिमाग पॉजिटिव सोच और समस्या सुलझाने का शौक है तो वो इंसान वाकई चमत्कार कर सकता है ।

हमारी सोच आस पास के महौल से प्रभावित होती है:- जब हमारे चारो तरफ छोटी सोच के लोग होते हैं तो हमे भी प्रभावित करते हैं | इसलिए छोटी सोच वाले इंसानो से बचें। जैसे खराब खाने से हमारी सेहत खराब हो जाती है उसी तरह से छोटी सोच वाला इंसान हमारा मष्तिक को खराब कर देता है । इसलिए  नेगेटिव सोच वाले इंसान की ना सलाह लेनी चाहिए और न ही इनका संग करना चाहिए। और जब बड़ी सोच वालो के बीच रहते हैं तो हमारी सोच विकसित होने लगती है। 

हालात बदलने के लिए अपनी सोच बदलें :- नेगेटिव सोच इंसान को महत्वपूर्ण कार्य नही करने देती। जो सोच बचपन में  बन जाती हैं वो उम्र भर चलती है इसे बदलना मुश्किल हो जाता है । अगर आप की सोच बचपन से अच्छी है तो ठीक है । अगर किसी वजह से नेगेटिव बन गई है तो क्या पूरी जिंदगी दुखी व परेशान रहेंगे ? या अपनी सोच की वजह से अपने आसपास के लोगो को दुखी करते रहेंगे ? या अपनी सोच को बदल कर खुशहाल जिंदगी जीना चाहेंगे ?आप अपनी नेगेटिव सोच होने के कारण  खुद हैं ।

शहद इकटठा करना हो , तो मधुमखी के छत्ते पर लात ना मारें !!!




दोस्तों ! सौ में से निन्यावने लोग किसी भी बात के लिए अपने आपको दोष नही देते | चाहें वे कितने ही गलत क्यों ना हों, परन्तु वे अपनी आलोचना नहीं करते ,अपनी गलती नही मानते |  



किसी की आलोचना करने का कोई फायदा नही है ,क्यों कि इससे सामने वाला व्यक्ति अपना बचाव करने लगता है ,बहाने बनाने लगता है या तर्क देने लगता है | आलोचना खतरनाक भी है क्योकि इससे उस व्यक्ति का बहुमूल्य आत्मसम्मान आहत होता है , उसके दिल को ठेस पहुंचती है और वह आपके प्रति दुर्भावना रखने लगता है | 



आलोचना से कोई सुधरता नही है अलबत्ता संबंध जरूर बिगड़ जाते हैं | जितने हम सराहना के भूखे होते हैं उतने ही हम निंदा से डरते हैं | आलोचना या निंदा से कर्मचारियों , परिवार के सदस्यों और दोस्तों का मनोबल कम हो जाता है और उस स्थति में कोई सुधार नही होता , जिसके लिए आलोचना की जाती है | 



यही मानव स्वभाव है | हर गलत काम करने वाला अपनी गलती के लिए दुसरो को दोष देता है परिस्थतियों को दोष देता है हम सब भी तो यही करते हैं | 



हमें यह अहसास होना चहिए कि आलोचना बूमरेंग की तरह होती है यह लौटकर हमारे ही पास आ जाती है , यानी बदले में वह व्यक्ति हमारी आलोचना करना शुरू कर देता है | किसी की आलोचना मत करो ,ताकि आपकी भी आलोचना न हो | 


तीखी आलोचना और डांटफटकार हमेशा बेमानी होती है और उनसे कोई लाभ नही होता|   


विशुद्ध स्वार्थी ढंग से सोचें तो भी दुसरो को सुधारने की बजाए खुद को सुधारना हमारे लिए ज्यादा फायदेमंद है| अगर आप किसी के दिल में द्वेष पैदा करना चाहते हैं जो सालो तक चलता रहे तो हमे कुछ नही करना सिर्फ चुनिंदा शब्दों में चुभती हुई आलोचना करनी है -इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की हमारी आलोचना कितनी सही या कितनी जायज है |     



लोगो के साथ व्यवहार करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम तार्किक लोगो से व्यवहार नही कर रहे हैं  | हम भावनात्मक लोगो से व्यवहार कर रहे हैं जिनमे पूर्वाग्रह भी है , खामियां भी हैं ,और गर्व और अहंकार भी है | 


कोई भी मुर्ख बुराई कर सकता है ,निंदा कर सकता है शिकायत कर सकता है | परंतु समझने और माफ़ करने के लिए आपको समझदार और संयमी होना पड़ता है | 


लोगो की आलोचना  करने की बजाय हमे उन्हें समझने की कोशिस करनी चाहिए | हमे ये पता लगाना चाहिए जो वो करते हैं, उन्हें वो क्यों करते हैं | यह आलोचना करने से ज्यादा रोचक और लाभ दायक होगा | यही नही इससे सहानुभूति सहन शीलता और दयालुता का माहौल भी बनेगा | सबको समझ लेने का मतलब है सबको माफ़ कर देना | 

डॉ जॉनसन ने कहा था ,भगवान खुद इंसान की मौत से पहले उसका फैसला नही करता " फिर में और आप ऐसा करने वाले कौन होते हैं | 

दोस्तों! ये आर्टिकल "डेल कारनेगी" की बुक लोक व्यवहार पर आधारित है | अगर आप प्रभावशाली व्यक्तित्व की कला सीखना चाहते  हैं तो आपको इस बुक से बहुत कुछ सीखने के लिए मिलेगा |   


Wednesday, August 9, 2017

सुसाइड का कोई और ऑप्शन नही ?



Image result for susaid kyu krte haiदोस्तों ! मैने एक न्यूज सुनी कि एक लड़के ने सुसाइड कर ली, उसके पास से एक लेटर मिला जिसमे लिखा था कि में खुद से हार गया हूं - में ना पढ़ाई में अच्छे  नंबर ला सकता हूं, ना किसी को मेरे ऊपर विश्वास है ना  मुझे खुद पर विश्वास है कि में जिंदगी में  कुछ कर पाऊंगा ,में ना खुद खुश रह सकता हूं ना किसी को खुश रख सकता , में किसी के लिए कुछ नही कर सकता इसलिए में इस दुनियां से जा रहा हूँ - क्या समस्याओं का समाधान है सुसाइड करना ? 


दोस्तों ! बच्चो को समझाने की बजाए बच्चो को समझने की जरूरत है | पैरेंट्स को अपने बच्चों की सिचवेशन समझने की जरूरत है | कही ना कही आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में बच्चे अपने आपको अकेला फील कर रहे हैं | इन्हें सुख सुविधा से ज्यादा टाइम देने की जरूरत है | इनके दिल के नजदीक रहो इनके दिल में चल रही हर बात को समझने की कोशिस करो | इनके सुख दुःख पूछो और अपने अनुभव बताओं | इससे इन्हे  हर परिस्थति को संभालने में मदद मिलेंगी | आज कही ना कही पेरेंट्स के बीच जनरेशन गेप  की वजह से बच्चे दिल में घुटते हैं | पहले बच्चे दादा दादी की कहानी सुनकर बड़े होते थे परिवार वालो के बीच में रहकर खुद सुरक्षित मानते थे | 

आज के बच्चे बचपन से ही कामयाब होना है, बड़ा आदमी बनना है ये सुनकर बड़े होते हैं | ये कोई नही सिखाता कि तुम्हे मेंटली स्टॉग बनना है ,फिजकली स्टॉग बनना है , इमोशनली स्ट्रॉग बनना है | इसलिए छोटी सी विपरीत परिस्थति आते ही बच्चे डामाडोल हो जाते हैं | पेरेंट्स अपनी सोच बदले | कामयाब बनाने से ज्यादा स्ट्रॉग बनाने की शिक्षा दें | तभी इस समस्या से उभरा जा सकता है | 


सुसाइड करने की सोचने वालो से मेरा एक ही सवाल है कि - जो इंसान खुद से हारा है तो उसे खुद को ही सजा देनी चाहिए ? या किसी दूसरे को ? उसने खुद को सजा क्यों नही दी ? सुसाइड करके उसने खुद को सजा कहा दी ? उसने तो अपने पेरेंट्स अपने भाई बहन व रिलेटिव को  सजा दी | क्या उसने सही किया ? 'नही ' ऐसे इंसान का मरणा ही अच्छा है जो अपनी गलती पर दुसरो को सजा देता हो | अगर वो जिंदा रहता तो पूरी जिंदगी लाइफ की हर फिल्ड में खुद फैल होता और सजा ओरो को देता जैसे फैलियर लोग देते हैं | अपनी हार की सजा उसे खुद को देनी चाहिए थी और वो सजा थी कि जो लोग उससे उम्मीद करते थे उन पर खरा उतरता | जी तोड़ मेहनत करके पढ़ाई में अच्छे नंबर लाता अपने मन को मार कर सब के लिए कुछ करता तब थी उसकी सजा, ये सजा देनी चाहिए थी खुद को |

में जानती हूँ खुद को मार कर जिन्दा रहना बहुत मुश्किल है लेकिन होना तो ऐसा ही चाहिए | खुद को मार कर ही इंसान आगे बढ़ सकता है लाइफ की हर फिल्ड में कामयाब हो सकता है | ये क्या हुआ फैल अपनी लापरवाही की वजह से खुद हुआ और सजा पेरेंट्स को दी | पैरेंट्स की क्या गलती थी अच्छा पाला पोसा अच्छा खर्च किया अपनी जिंदगी बच्चो पर न्यौछावर की और उसके बदले बच्चे ने जीवन भर का रोना दे दिया | 



ऐसी हीन भावना मन में लाने वालो से मेरा एक ही सवाल है कि क्या परमात्मा ने संसार में आपको इसलिए भेजा है कि आप अपने से हार कर ही मौत को गले लगा लो ? क्या इतनी सुंदर दुनियां इसलिए बनाई गई है कि आप उसे पूरी तरह देखे बिना ही चले जाओ ? क्या आपकी माँ ने आपको जन्म इसिलए दिया है कि आप एक दिन उन्हें खून के आंसू रुवाओँ ? क्या आपका परिवार एक बुझदिल इंसान को प्यार करता रहा ? नही दोस्तों आपको हर इंसान ने दिल से ज्यादा चाहा  है | अगर आप उनके थोड़े से गुस्से या डॉट से ऐसे डिसीजन ले रहे हो तो गलत है | वे आपकी भलाई के लिए ऐसा कर रहे हैं | ये जीनव अनमोल है इसका अपमान ना करो | आपके पैरेंट्स व परिवार वालो का विश्वास मत तोड़ो | इससे वो टूट जायेगे जिंदगी में कभी इस सदमे से बाहर नही निकल पाएंगे | 







Tuesday, August 8, 2017

क्रोध में लिया डिसीजन सिर्फ पछतावा देता है !!!




दस्तो! कई साल पुरानी बात है ज्योति की दोस्ती सुनीता से हुई | ज्योति धार्मिक प्रवृति की थी और  सुनीता भी धार्मिक प्रवृति की थी इसी के चलते उनकी दोस्ती  हुई | ज्योति की  कई धार्मिक बुजर्ग  महिलाओ के साथ दोस्ती  थी | वे महिलाएं हमेशा धर्मग्रंथो का पाठ रखती थी |  ज्योति भी उनके इन कार्य में साथ रहती थी इसलिये ज्योति को भगवान पर पूरा भरोषा था | और बुजर्गो के साथ रिश्ते मजबूत व अच्छे थे | ज्योति की दोस्त चाहती थीं कि यहां " श्रीमद भागवत " कराई जाये | लेकिन एक बड़ी महिलाएं कॉन्फिडेंस कम होने की वजह से मना कर देती कि ये इतना आसान नहीं है | ये सुनकर वे चुप रह जातीं  | 



एक बार एक बुजर्ग महिला के यहां " श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ" सप्ताह का पाठ रखा गया |  वो बुजर्ग महिला ही श्रीमदभागवत सुनाती थी | उनकी तबीयत खराब होने की वजह से ज्योति ही ज्यादातर सबको भागवत पढ़ कर सुनाती | सुनाते सुनाते ज्योति ने बोल  दिया कि "श्रीमद्भागवत सप्ताह  ज्ञान यज्ञ " करायेगे | इससे और कई महिलाएं मदद के लिए आगे आई |जब सुनीता को इस बात का पता लगा तो उसने और उसके हस्बैंड ने पुरे दिल से सेवा की | और पूरा गांव  भी सहयोग मे जुट गया | लेकिन जो महिला इस कार्य को असंभव बताती थी अब उसके मन में ही ईर्ष्या ने जन्म ले लिया और उसके मन में ये बात आने लगी की मुझे चार्ज सौपा जाना चाहिए | इसके चलते उनका ईगो ज्योति को एक्सप्ट नहीं कर पाया | और भी कई लोग ऐसे थे जिन्हे ये धर्मिक कार्य ना लग कर एक नाम कमाने या फेमस होने का जरिया दिख रहा था | इसके चलते उन्होंने "श्रीमद्भगवत ज्ञान यज्ञ" मे "में मेरी" शुरू कर दी | ज्योति ओपन माइड लेडिस है उसने व उसके दोस्तों ने किसी भी बात की या इंसान की परवाह किया बिना कार्य सम्पन कराया  | 


अब तो और भी ज्यादा बातें ज्योति को कही जाने लगी | ज्योति ने कहा कि अगली बार मीटिंग करो जो बात उचित हो उसे मानो जिस कार्य के फेवर में ज्यादा लोग हो वही कार्य करो |  मीटिंग हुई लेकिन ज्योति ने सुनीता को ये सोच कर नहीं बुलाया कि सुनीता उन लोगो की रिलेटिव है वे आप बुलाएंगे | दूसरी उसे अपने बीच भला बुरा क्यों बनाया जाए | 


इस बात को सुनीता ने अपनी इंसल्ट माना और उन लोगो में मिलकर अलग समिति बनाई | ज्योति ने उन्हें सेवा देनी चाही तो वो भी नही ली | और ज्योति  व उसके साथियों की जितनी इंसल्ट कर सकते थे उतनी की | अब जो ज्योति से सहमत थे उन सब ने मिलकर अलग  " रामकथा " करानी शुरू कर दी | वो सब दिल से जुड़े लोग थे इसलिए हर साल राम कथा अच्छी तरह होने लगी | और सैकड़ो लोग और जुड़ते गए | 



जो सुनीता की वजह से टूटे थे वो भी धीरे धीरे आकर ज्योति से आ मिले | लेकिन सुनीत के साथियों में आपस में कभी किसी की झगड़ा हो जाता तो कभी किसी का इससे धीरे धीरे सब टूटते गए  | दो बार में ही सब पीछे  हट गए | और जो लोग जुड़ते उनसे भी बहुत अच्छी तरह नही बन  पाई | इससे उन्हें ये कार्य करना  मुश्किल हो गया |अब वो ना कर पा रहे थे और ना पीछे हट सकते थे | गुस्से में लिए एक डिसीजन से अब वे सारे गांव के सामने शर्मिंदा थे | खुद कुछ नही कर पा रहे थे इसलिए रामकथा में बार बार रुकावट पैदा करने की कोशिस कर रहे थे | जो की हर बार नाकामयाब हो जाते थे |  इतनी सालों में अब ना ज्योति व सुनीता के बिच में दुश्मनी है और ना दोस्ती | जुड़ इसलिए नही सकते क्युकि इज्जत बेज्जती का ईसू बना रखा है | और पीछे इसलिए नही हट सकते की दुनिया क्या कहेगी | जो लोग इन्हें हवा देने वाले थे वो इन्हे छोड़ छोड़ कर ज्योति से आ मिले |  तभी तो कहा है कि -


" बिना विचारे जो करें सो पीछे पछताये "

Friday, July 28, 2017

नसीहत देना कितना आसान है ?


Related imageहैलो दोस्तों ! जब एक बच्चा बोलता है कि मुझे क्रिकेटर बनना है, तो या तो ज्यादातर पेरेंट्स हंसते हैं या गुस्सा करते हैं | और फिर उसे समझाने की कोशिस करते हैं कि बेटा क्रिकट बेकार की चीज है | इसमें अच्छा फ्यूचर नही बन सकता | उसका बेटा I AS बन गया ,इसकी बेटी DR बन गई | इतना कमा रहे हैं आप भी ऐसा ही करो, ऐसी नसीहत देने लगते हैं | और सोसायटी भी उसके दिमाग में बैठा देती है कि अच्छा पैसा कमाने से ही फ्यूचर सैफ है |  
        
इससे भी बुरा तब होता जब बच्चा भी ये मान लेता है कि क्रिकट खेलना टाइम पास के लिए तो अच्छा है, लेकिन इसमें फ्यूचर अच्छा नही बन सकता | अच्छे फ्यूचर के लिए डाक्टर या I A S बनंना ही उचित है | और उसका दिमाग इतना नेरोमाइड हो जाता है कि वो दुबारा इस फिल्ड के बारे में सोचने की कोशिस ही नही करता |

दुसरो से प्रभावित होकर किसी एक फिल्ड में एडविसन ले लेता है | और वहा वो ऐसे लेक्चर में बैठ कर कई साल बर्बाद कर देता है, जिसमे उसकी कोई रूचि नही होती |  जब रूचि नही होती तो उन क्लास में फॉक्स भी नही कर पाता | और जैसे तैसे कई साल बर्बाद करके डिग्री ले लेता है | इतने विश्वास के साथ में इसलिए कह रही हूं की मेरे बेटा भी ऐसा ही C.A है | 

अगर आप बच्चो को फ़ोर्स करने की बजाय उनकी  जगह खुद को रख कर देखोगे, तो पता चलेगा कि आप उनके साथ कितना अन्याय  कर रहे हो ?  जो आप उनसे अपेक्षा करते हो, उस पर खरा उतरना उनके लिए कितना मुश्किल है ? हर इंसान को भगवान ने अलग टैलंट से नवाजा है और जिस इंसान को भगवान ने जिस टैलंट से नवाजा है वो उसी में बेस्ट कर सकता है | दूसरे कार्य में वो जी जान से मेहनत करने पर भी बेस्ट नही कर पाता | 

मछली पानी में बहुत तेज तैरती है, लेकिन पेड़ पर नही चढ़ सकती | और बंदर पेड़ पर बहुत तेजी से चढ़ता है, लेकिन पानी में नही तैर सकता "  

इसका मतलब ये नही है कि उनके अंदर टेलेंट की कमी है 'नही ' बंदर में पेड़ पर चढ़ने का टेलेंट है और मछली में पानी में  तैरने का टेलेंट है | एक दूसरे के काम में वो कभी निपुण नही बन सकते | और हर कार्य में निपुण बनने की कोशिस भी नही करनी चाहिए | 

" हर कार्य में निपुण बनने की कोशिस करने वाले किसी भी कार्य में निपुण नही बन सकते, हर कार्य में औसत बन कर रह जाते हैं |  हर बीमारी का इलाज करने वाले डॉक्टर एक इस्पेसलिस्ट डॉक्टर से कम कमाते  है "

अगर आप एक्स्ट्रा ओडिनरी बनना चाहते हो तो अपनी पसंद की फिल्ड में इतने अच्छे बनो, उसकी इतनी नालिज रखो ,जितनी किसी और के पास ना हो | जब आप उस फिल्ड की मास्ट्री करने लगोगे तो आप इतने सक्सेस फूल बन जाओगे, जितना की आप ने सोचा भी नही होगा | और लोग आप को एक्स्ट्रा ओडिनरी कहने लगेंगे | 


कई पैरेंट्स को देखा होगा कि वो खुद अपनी फिल्ड में सक्सेस नही होते |लेकिन अपने सपनो को अपने बच्चो पर लांधने की गलती करते हैं कि वो उन्हें पूरा करें उनकी पसंद की फिल्ड में सक्सेस हों | थॉमस मर्टन ने लिखा था कि -

" हममे से हर एक का किसी न किसी तरह का पेशा होता है | ईश्वर हम सभी से उस के जीवन और सम्राज्य का हिस्सा बनने का आवाहन करता है|  इस सम्राज्य में हममे से हर एक के लिए एक खास जगह तय है अगर हम उस जगह को खोज लेते हैं तो हम सुखी हो जाते हैं अगर हम उसे नही खोज पाते हैं तो हम कभी पूरी तरह खुश नही रह सकते "


अब आप बताओ की बच्चे दुसरो की फिल्ड में कैसे सक्सेस हो सकते हैं ?और सक्सेस हो भी गए तो क्या खुश रह सकेंगे ? जब बच्चे उस काम में खुश नही रहेंगे तो वो कार्य बच्चो को बोझ लगने लगेगा ? ऐसी स्थति में पूरी जिंदगी या तो उस बोझ को ढोयेगे या फिर अपनी फिल्ड बदलने की सोचेगे | ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन्होंने सक्सेस होने के बाद फिल्ड बदली हैं जैसे रोमन सैनी डाक्टर थे वे अब भारतीय ऐजुकेशन को मजबूत बना रहे हैं |  कैलाश सत्यार्थी कैलास सत्यार्थी जी ने इंजिनयरिंग छोड़ कर समाज सेवा को अपना लक्ष्य बनाया 

इंसान अपनी पूरी मेहनत पूरी काबिलयत लगाने के बाद भी एक जगह आकर अटक जाता  है, जहां उन्हें एक अच्छे मेन्टर( कोच ) की जरूरत पड़ती | जो उसकी ऊगली पकड़कर उसे चला सके, उसे सही रास्ता दिखा सके, वो गलत सही की पिक्चर दिखा सकें | डॉ उज्व्वल पटनी का कहना है कि -

मेंटोर एक्स्पीरियस होना चाहिए, खुद अचीवर होना चाहिए | अचीवमेंट या शिखर तक पहुंचने का रास्ता वो दिखा सकता है, जिसने कुछ हासिल किया हो |  

अगर आप चाहते हो कि आपके बच्चे अपनी फिल्ड में सक्सेस हों तो पहले खुद को प्रूव करो, खुद को प्रूव करके ही आप बच्चो की लाइफ बदलने में सक्सेस हो सकते हो | पेरेंट्स को पहले अच्छा मेंटोर बनना पड़ता तब आपसे सीख कर बच्चे आगे बढ़ते हैं | जब आप सक्सेस हो तो बच्चो के लिए सक्सेस होना मुश्किल नही होता क्योकि बच्चे पेरेंट्स से हर सिचवेशन डील करना सीखते हैं | आपने देखा भी होगा जिनके पेरेंट्स अपने रिस्ते , कैरियर , या अन्य सिचवेशन को अच्छी तरह डील नही कर पाते, उनके बच्चो को भी ऐसी सिचवेशन डील करने  में दिक्क्त होती है |  

कई लोग बच्चो के फैलियर की वजह सुने बिना, उनकी परिस्थति को जाने बिना तुरंत रिएक्ट करते हैं और उनकी की आलोचना करना शुरू कर देते हैं | जब की आलोचना या उन पर नाराजगी करना उचित नही है | ज्यादातर लोगो को देखते हैं कि वे दुसरो के सामने खुद को कमतर आंकने लगते हैं या दुसरो की सक्सेस से जलने लगते हैं | तब अपने बच्चो से उम्मीद करने लगते हैं कि हमारे बच्चे सक्सेस हो|  जब वो नही हो पाते या उन्हें सक्सेस होने में अधिक समय लगता है तो पेरेंट्स होपलेस होने लगते हैं | उन्हें लगता है कि बच्चे उनकी परस्थति नही समझते इसलिए उन्हें गुस्सा आने लगता है | 

बहुत कम पैरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चो की मजबूरी समझते हैं |उनके शब्दों के पीछे छिपी मजबूरी को समझ पाते हैं | ज्यादातर पेरेंट्स को यही लगता है कि वे सही हैं और बच्चे गलत हैं | कितनी बार ऐसे मौके आते हैं जब बच्चो को हमारी इमोशनली स्पोट की जरूरत होती है, लेकिन हम रुखा व्यवहार करके झड़क देते हैं | लेकिन जब वे परिस्थतियों के चलते अपनी जिम्मेदारी अच्छी नही संभाल पाते तो हमे दुख होता है |

बच्चो को नसीहत देने से पहले थोडी देर रुककर सोचें, फिर अपनी राय दें | तब आप ठंडे दिमाग से और उसकी परिस्थतियों को समझकर राय देंगे | धैर्य और समझबूझ से जीने वाले ज्यादा अच्छा जीवन जी सकते हैं | हमेशा अपने बच्चो को  ज्यादा अच्छी तरह से अपने अनुभव बाट सकते हैं | जीवन में धैर्य और दुसरो को समझने का बड़ा महत्व है| ये हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं | ये गुण हमें तुरंत किसी को नसीहत देने या बुराई करने से रोकते हैं | दुसरो को समझने की कोशिश करनी चाहिए | उनकी की परस्थतियों को समझने की कोशिस करनी चाहिए | 



Sunday, July 23, 2017

आपकी सफलता में रुकावट आप खुद है !!!



Image result for safaltaहाय दोस्तों ! अगर आप ध्यान दें तो देखेंगे कि आपकी सफलता में रुकावट आप खुद है | अपनी ही कुछ गलत एक्टिविटीज से हम खुद ही अपनी सक्सेस  का रोड़ा बनतें हैं |  आइये जानते हैं कैसे - 

टाइम किलर एक्टिविटीज  :- दोस्तों ! हमअपना कीमती समय अँसेसरी कार्यो  व विचारों में बर्बाद कर देते हैं | जैसे हम सभी कुछ ना कुछ कार्य करते हैं लेकिन उसमे कुछ भूल या गलती हो जाती हैं तो उस भूल या हानि के बारे में हम सोच सोच कर खुद को पीड़ा पहुंचाते हैं और रुक कर खड़े हो जाते हैं | आप कहेगे ऐसा होना स्वाभिक है तो आप तनिक सूर्य की तरफ देखिये वो हर रात अंधकार से लड़ता है फिर भी शुबह नई ऊर्जा व नये तेज के साथ उदित होता है और संसार को नियमित रूप से प्रकाश देता है |  

बिना प्लानिंग के कार्य करना  :- दोस्तों !  मेरी एक बात याद रखना, ऐसे लोग जीवन में कभी सक्सेस नही हो सकते, जो सही से प्लानिंग नही करते | सक्सेस की पहली सीढ़ी सही प्लानिंग है | जिसने सही प्लानिंग कर ली सोच लो वो सक्सेस की पहली सीढ़ी चढ़ गया | सक्सेस होने के लिए हर कार्य को करने से पहले उसकी अच्छी तरह से  सोच समझकर प्लानिंग करें, तभी उस कार्य में सक्सेस मिल सकती है | लेकिन हम सोचने के लिए वक्त नही निकालते किसी ने सही कहा है कि -

"संसार की सभी समस्याएं आसानी से हल हो सकती हैं यदि इंसान सोचने को तैयार हो ,लेकिन दिक्क्त यह है कि अक्सर मनुष्य यह कोशिश करता है कि उसे कुछ सोचना ना पड़े क्युकि सोचना कठिन  लगता है "

 हार मान लेना  :- दोस्तों! में एक आर्टिकल पढ़ रही थी  उसमे एक बहुत अच्छी बात लिखी थी -

"लाख मुश्किलें आए ,बार -बार असफलता सामने आए, लेकिन जिंदगी का मुकाम वही होता है, जो आप तय करते हैं"

इसलिए जुट जाइये | जी - जान से लक्ष्य का पीछा कीजिए सफलता जरूर मिलेगी | ए पी जे अब्दुलकलाम जी ने अपने भाषण में एक बात कही थी -

" कोई इंसान कितना भी छोटा क्यों ना हो उसे  हौसला नही छोड़ना चाहिए | मुश्किलें मुशीबतें जिंदगी का हिस्सा हैं और तकलीफें कामयाबी की सच्चाइयां हैं | जैसे किसी ने कहा है  - खुदा ने ये वादा नही किया आसमान हमेशा नीला ही रहेगा ,जिंदगी भर फूलों से भरी राहें मिलेंगी | खुदा ने ये वादा नही किया कि सूरज है तो बादल नही होगें ,ख़ुशी है तो गम नही होगा , सकूंन है तो दर्द नही होगा "

मुझे ये गरूर नही कि मेरी जिंदगी सबके के लिए मिसाल बनेगी | मगर ये  हो सकता है कि कोई मायूस बच्चा किसी गुमनाम जगह पर जो समाज की किसी नामजूर हिस्से से हो, वो पढ़े उसे चेन मिले ,ये पढ़े उसकी उम्मीद रोशन हो जाएं| हो सकता है कुछ बच्चों को ना उम्मीदी से बाहर ले आए और जिसे वो मजबूरी समझते हैं वो मजबूरी ना लगे उन्हें यकीन रहे कि वे जहां भी हैं खुदा उनके साथ है | 

पेशेंस की कमी :- सक्सेस योग्यता,कड़ी मेहनत के साथ साथ समय मांगती है | कार्य को सफल बनाने के लिए जितनी एनर्जी की जरूरत होती है उतनी लगानी ही पड़ती है | आपने दुनियां के जितने भी महान लोगो के बारे में सूना है या देखा है- उन्हें सक्सेस रातो - रात  व आसानी से नही मिली | उन्होंने 16 से 18 घंटे सालों काम किया है | मुसीबतों का सामना किया है तब जाकर वे सक्सेस हुए हैं | महाभारत में लिखा है कि -

" जो इंसान अपने कार्य से आशाए व इच्छाएं नही रखता उसी व्यक्ति के कार्य पूर्ण होते हैं | एक असफलता से दुखी होकर जिसका मन नही डोलता ,एक सफलता से आनंदित होकर खुद को श्रेष्ठ नही मानता ऐसा व्यक्ति जीवन में बार - बार सफल होता है "  
  


    


Sunday, July 16, 2017

सपना और सफलता के संबंध में, सफल लोगो के 21 अनमोल विचार !!!

  

1 जिंदगी में ऊचा मुकाम हासिल करने के लिए बड़े सपने देखना अनिवार्य है | जो व्यक्ति ख्वाब देखता है वही व्यक्ति उपलब्धि हासिल करता है | 

2 सपने ऐसे देखो जो आपके अंदर बेचैनी पैदा कर दें आपको सोने ना दें |

3  आपको अपने सपने पर विश्वास होना चाहिए अगर आपको अपने सपने पर विश्वास नही है अगर आपको उसके पूरा होने पर थोड़ा सा भी संदेह है तो आपका मन डामाडोल रहेगा | ऐसी स्थति में आपका मन आपके सपने को पूरी तरह से ग्रहण नही करेगा |

4 सपने देखो तो उन पर यकीन करो | जो आँखे सपना देखती हैं वे उन्हें पुरा करने का रस्ता भी खोज लेती हैं |

5  जिन लोगो ने दुनियां को बदला है उन्होंने दुनियां को बदलने का सपना देखा था | 


6 इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि सपना देखते समय आपकी आर्थिक स्थति कैसी है ,आपकी शिक्षा कितनी है, आपकी उम्र कितनी है, आप किस पद पर काम करते हैं | फर्क तो इस बात से पड़ता है कि आप कितना बड़ा सपना देख रहे हैं अगर आपका सपना पर्याप्त बड़ा है तो वास्तविकता से कोई फर्क नही पड़ता है | 



7 अगर सपने के साथ प्रबल विश्वास ,संकल्प , लग्न और कड़ी मेहनत है तो वह हकीकत में बदल सकता है | मन आपको वही देता है जो आप सपना देखते हैं | 

8  बड़ी सफलता पाने वाले लोग बड़े सपने देखते हैं बड़े सपने की वजह से ही उन्हें बड़ी सफलता मिलती है

9  अपना सपना पूरा करने के लिए अपना सब कुछ दे दो तन ,मन ,धन, समय अपनी हर ख़ुशी | तो आपका सपना पूरा होकर रहेगा | 


10  सफलता की राह में कई मुश्किलें आएंगी, लेकिन अगर आप अपने  सपने पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो आपको मुश्किल दिखती ही नही हैं सिर्फ अपना सपना  दिखता है | सपना एक लक्ष्य की तरह हमेशा आप की आखों के सामने रहता है |

 11 विपरीत परिस्थति में भी अपने सपने को मरने नही देना चाहिए उसे पाने की हर संभव कोशिस करनी चाहिए | सफलता अवश्य मिलती है |


12 आप थक गए हो, हार गए हो तो भी अपने सपने को साकार करने की सकरात्मकता होनी चाहिए |


13  संसार में जिन व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की वे पहले केवल एक स्वप्न के रूप में थीं | पता नही इन सपनो को कितने दिन तक इन विचारको और महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने अपने मस्तिक में बैठाए रखा अंधकारपूर्ण घनी रातें ,निराशा की उबड़ खाबड़ घाटियां ,मुर्ख मित्रो और साथियों के ताने ना जाने इन विश्व विजेताओं को काटों के समान चुभते रहे होंगे, किन्तु बैठकर देखते रहने से ही रास्ता पुरा नही होता मंजिल नही मिलती है | 

14  हर इंसान के कुछ सपने होते हैं कुछ लोग उन्हें पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और सफल हो जाते हैं | और  कुछ केवल सपने देखते रह जाते हैं |

15 सपने देखना ही काफी नही होता उन्हें साकार करने के लिए मेहनत भी करनी पड़ती है | और सौभाग्य से मेहनत करने की क्षमता शारीरिक नही बल्कि मानसिक होती है | 

16 अगर सपना हो और मेहनत करने का जज्बा हो तो सफलता की यात्रा मुश्किल नही होती | 

17 अपने समय का हर मिनट सिर्फ उसी कार्य में लगाओ जो तुम्हें तुम्हारे सपने के पास लेकर जा रहा हो |


18 सफल व्यक्ति असफल व्यक्ति से ज्यादा मेहनत करते हैं | कामचोर व्यक्ति काम से तो बच सकते है लेकिन वह अपने सपने को साकार नही कर सकते |


19  वैज्ञानिको का दवा है कि इंसान अपनी क्षमता का 15 % उपयोग करता है अगर पुरे विश्वास और लग्न के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो सपना अतिरिक्त मानसिक क्षमता का ताला खोल देता है और आपको उसे साकार करने की ऊर्जा शक्ति और समाधान अपने आप मिल जाता है|  



20 ज्यादातर लोगो के पास सपने ही नही होते | और अगर होते भी हैं तो उन्हें साकार करने का भरोषा नही होता | और अधिकांश लोग अपने सपने को साकार करने के लिए मेहनत नही करते | 



21 जो लोग सुख पाने के सपने तो देखते हैं लेकिन उसके लिए अपने आपको कस कर काम करने के लिए तैयार नही करते | अपने काम की कीमत कितनी हो सकती है यह जाने बगैर, उन्हें काम के बदले पैसे ज्यादा चाहिए तो उनके सपने अधूरे रह जाते हैं |