Saturday, June 18, 2016

जिंदगी में समझौता जरूरी है क्या ?

          
                     जिंदगी में समझौता जरूरी है क्या ?


हमारी इच्छा ,सोच व कर्म जब मेल खाते हैं, तभी हमें किसी फिल्ड में सक्सेस मिलती है । लेकिन होता क्या कि हम चाहते कुछ और हैं, करते कुछ और है, और सोचते कुछ और हैं ।  जब तीनों चीज एक नही हो पाती , तो टेलेंटिड होते हुए भी सक्सेस नहीं हो पाते । तो अब क्या करें ? क्योंकि मेरा मानना है कि इंसान के  लिए जितना जरूरी सांस लेना है, उतना ही जरूरी इस समय मे सक्सेस होना । क्योंकि सक्सेस हुए बिना, नही तो आप अपने परिवार को सब सुख सुविधा दे सकते हो। और ना ही आप समाज के उथान के लिए किसी कार्य में भाग ले सकते हो । अपने ही जीवन मे उलझकर रह जाओगे ना ही समाज व परिवार में आपकी कुछ इज्जत  होगी । कामयाब हुए बिना तो आपको समाज वाले तो क्या घर वाले भी नही पूछेंगे । अगर आप किसी  से बात भी करते हो तो वो ये सोचेंगे कही इसे कोई जरूरत तो नही है । कुछ मांगेगा तो नही। 

" पूछते है लोग आप कैसे, जब तक आप की जेब मे पैसे है " 

हो सकता  की आप अपनी कमाई से संतुष्ट हो या आपने अपने हालातों से समझौता कर लिया हो, लेकिन ये  जरूरी तो नहीं की आपके बच्चो ने भी समझौता कर  लिया है, या आपकी पत्नी ने अपनी इच्छाओं का दमन कर लिया हो । अगर  सब ने समझौता कर लिया  है तो बहुत अच्छी बात है। और अगर आपके बच्चे व पत्नी आपके हालातो से समझौता नही कर पाए तो जिंदगी बोझ बन जाएगी । 

समझौता दिल को सकूंन  नही देता:- आप खुद अपने जीवन में सोचिए जहां आपको समझौता करना पड़ा हो ? चाहे वो पढ़ाई हो , कॅरियर हो , शादी हो , जहां आपने समझौता किया क्या उससे खुश हो ?  नहीं ये हो ही नही सकता, इंसान समझौते से काम कर  के  कभी भी खुश नहीं रह सकता। कहने को तो में भी कई बार कह देती हूं की जीवन में समझौता करना पड़ता तभी जिंदगी में आगे बढ़ सकते हैं । लेकिन ये बात भी सच है की समझौते से जिंदगी कटती है, जी नहीं जाती, एक कसक हमेशा आपके मन में बनी रहती हमेशा दिल का एक कोना खाली रहता है। और कभी कभी ये खाली कोना जिंदगी में गलत कदम उठवा देता जिसके लिए जिंदगी भर पछताना पड़ता है।      

दिल से अटैच चीजों में कभी भी समझौता ना करें :-जिन चीजों में दिली लगाव है वहां समझौता ना करें । वरना आपकी जिंदगी घुट कर रह जाएगी । जैसे 

पढ़ाई :- कई लोग हालत या किसी दवाब में आकर गलत सब्जैक्ट ले लेते हैं । उनमे रूचि होती नही इसलिए पढ़ाई में मन नहीं लगता पर्सेंटेज खराब हो जाती है, इससे किसी अच्छे कॉलिज मे एडमिशन नही हो पाता या  कई बार तो फैल हो जाते हैं ।  जिससे उनका मनोबल कम हो जाता है और फिर वो पढ़ाई करने की हिम्म्त ही नहीं जुटा पाते । मेरी किलाश मेट थी "ज्योति संस्कृत मे हमेशा बिना मेहनत करे भी ९०%  से ऊपर नंबर रहते थे । लेकिन उसके घर वालो का कहना था कि संस्कृत पढ़  कर  क्या पंडित बनेगी । इग्लिश ले कम से कम बोलने में तो काम आएगी । इग्लिश उसकी समझ नहीं आती थी । १२ मे इग्लिश मे फैल हो गई, और फिर दुबारा पेपर देने की हिम्म्त ही नहीं जुटा पाई । आज एक हाउस वाइफ बन कर  जिंदगी गुजार रही है। अगर उस समय पर संस्कृत से पढ़ाई की होती तो कम से कम अच्छी टीचर होती ।   

कॅरियर :- मेरे एक दोस्त हैं उन्होंने m, b ,a  किया लेकिन अब घर वालो के कहने मे आकर या दोस्तों को देखर या पैसे को देखकर i a s  बनने की तैयारी कर  रहे हैं । मैने उन्हें इतनी टेंशन व उनके ऊपर बहुत दवाव देखा है की वो किस तरह कर पाएंगे ये सोच कर  ही डर लगता है । और कर भी लिया,  क्या ये उनकी पसंद है उस लेन में खुश रहेंगे ? मेरा भाई है १९ साल की ऐज में  army मे सलेक्सन हो गया और उसने जॉइन कर  लिया आज तक भी मैने उसे इस जॉब से सेटिस्फाई नहीं पाया । कुछ और करने  का रिस्क  नही  ले  पा  रहा, इसलिए जॉब छोड़ नहीं सकता । रह गई जिदगी समझौता बन कर । 

शादी :-कई लोगो को २० ,२५ साल के बाद भी ये कहता सुना है की हमारी शादी सिर्फ समझौता है । अब आप ही बताए जिन लोगो की शादी इतने दिनों के बाद भी समझौता है, उन लोगो की जिंदगी क्या रही होगी ? क्या  जिंदगी  जी उन्होंने ? पुरी जिंदगी ढोई होगी । क्या वो बच्चों को सही परवरिश दे पाए होंगे ? मेरा मानना ये है कि जो लोग हंसते है वो लोग ही हंसा सकते हैं, रोता हुआ इंसान किसी को हंसा सकता है ? जो इंसान खुद अपनी जिंदगी ढो रहा हो वो किसी को अच्छी जिंदगी दे सकता है  ?  नही किसी को कुछ देने के लिए पहले खुद भरा हुआ होना जरूरी है । 

हर चीज मे नफा नुकसान मत देखो कई चीजों के  नुक्सान में भी मजा है । खाने मे,  पहने मे,  या बिजनिस मे, राजनीति मे  समझौता चल सकता है । लेकिन हर चीज मे नही,  समझौते की जगह समाधान करें ।  






































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