कोई भी कार्य करो, रुकावटें आना आम बात है। कुछ रुकावटों को तो पार कर लेते हैं, लेकिन जब रुकावटें बार बार आती रहती हैं, तो ज्यादातर लोग हार मानकर पीछे हटने मे ही भलाई मानते हैं। रुकावटों के सामने घुटने टेक दते हैं।अपनी हार मानकर काम बीच में ही छोड़ देते हैं।
और ये हार ही हमारे व्यवहार पर हावी होने लगती हैं , हम कमजोर पड़ने लगते हैं, इससे हमारी तर्क शक्ति और चयन शक्ति खत्म होने लगती है । फिर हम उन चीजों का चयन करने लगते हैं ,जो हमारे लिए आसान हैं।
जो भी अवरोध हैं, ये सिर्फ मानसिक हैं :-मानसिक अवरोध व्यक्ति के नवाचार पर रोक लगा देते हैं । डाक़्टर रोजर बैनिस्टर ने मानसिक अवरोध को तोड़कर अनेक व्यक्तियों के लिए नए मार्ग खोल दिए है। सदियों से लोग मानते थे कि चार मिनट से कम समय मे एक मिल दौड़ना, किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। लेकिन रोजर बैनिस्टर ने अपनी इच्छा शक्ति और सोच से कई डॉकटरो विशेषज्ञों को गलत साबित करते हुए 1954 में एक मील की यात्रा तीन मिनट 59.4 सेकेंड में पूरी करके विश्व रिकॉर्ड बनाया । और इससे भी अधिक हैरानी की बात तो तब हुई जब चार मिनट का अवरोध टूटते ही कुछ महीनों बाद ही और कई धावकों ने चार मिनट से भी कम समय मे पार कर लिया । ऐसे न जाने कितने ही मानसिक अवरोध हमारे दिमाग मे जगह बनाए बैठे हैं । और हम उन अवरोधों को तोडने का प्रयत्न ही नहीं करते ।
जितने अवरोध इंसान तोड़ता है उतना ही सक्सेस की सीडी चढ़ता जाता है ।रिचर्ड वाइजमैन यूनिवर्सिटी आफ् हटफोर्टशायर मे मनोविज्ञान के प्रोफेसर कहते हैं कि -
और ये हार ही हमारे व्यवहार पर हावी होने लगती हैं , हम कमजोर पड़ने लगते हैं, इससे हमारी तर्क शक्ति और चयन शक्ति खत्म होने लगती है । फिर हम उन चीजों का चयन करने लगते हैं ,जो हमारे लिए आसान हैं।
जो भी अवरोध हैं, ये सिर्फ मानसिक हैं :-मानसिक अवरोध व्यक्ति के नवाचार पर रोक लगा देते हैं । डाक़्टर रोजर बैनिस्टर ने मानसिक अवरोध को तोड़कर अनेक व्यक्तियों के लिए नए मार्ग खोल दिए है। सदियों से लोग मानते थे कि चार मिनट से कम समय मे एक मिल दौड़ना, किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। लेकिन रोजर बैनिस्टर ने अपनी इच्छा शक्ति और सोच से कई डॉकटरो विशेषज्ञों को गलत साबित करते हुए 1954 में एक मील की यात्रा तीन मिनट 59.4 सेकेंड में पूरी करके विश्व रिकॉर्ड बनाया । और इससे भी अधिक हैरानी की बात तो तब हुई जब चार मिनट का अवरोध टूटते ही कुछ महीनों बाद ही और कई धावकों ने चार मिनट से भी कम समय मे पार कर लिया । ऐसे न जाने कितने ही मानसिक अवरोध हमारे दिमाग मे जगह बनाए बैठे हैं । और हम उन अवरोधों को तोडने का प्रयत्न ही नहीं करते ।
जितने अवरोध इंसान तोड़ता है उतना ही सक्सेस की सीडी चढ़ता जाता है ।रिचर्ड वाइजमैन यूनिवर्सिटी आफ् हटफोर्टशायर मे मनोविज्ञान के प्रोफेसर कहते हैं कि -
" अवरोध या रुकावटे हमारे रवैये के अनुसार अपना रंग दिखाते हैं । अगर आप पॉजिटिव सोचते हैं तो ये सड़कों के स्पीड ब्रेकर की तरह हैं जो सिर्फ कुछ पलों के लिए आपकी गति को धीमी करेंगे इससे ज्यादा कुछ नहीं हैं । हम स्पीड ब्रेकर पास जाते है, हल्का सा ब्रेक लगाते हैं, फिर वापिस अपनी स्पीड बढ़ा देते हैं "
महान साहित्यकार जॉर्ज बर्नर्ड शा कहते है कि -
" रुकावटें हमारी सफलता और मजबूती का पैमाना बन सकती हैं । हम जितनी बाधाए, रुकावटे और मुसीबतें पार करते रहते हैं, उतने ही मजबूत बनते जाते हैं "
सक्सेस की राह में रुकावटें आएगी ये सच्चाई है। लेकिन पॉजिटिव नजरिया रख कर आप इनसे उभर सकते हो, वरना असफल लोगो की तरह जिंदगी भर रोते रहो। मुसीबतें तो जिंदगी भर हर मोड़ पर आपके सामने आकर खड़ी होगीं । ये आपके हाथ मे है कि आप उनमे टूट कर बिखर जाते हो या सभल जाते हो। अगर सभल गए तो दूनिया आपकी सक्सेस की कहानी अपने बच्चो को सुनाएगी। और बिखर गए तो आपका परिवार व रिलेटिव आपकी नाकामयाबी का बोझ उठाएगा। अब आप पर निर्भर है की आप क्या बनना चाहते हो ? जो लोग करने या मरने और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते हैं , वे लोग कभी भी नही हारते।
मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी प्रॉबल्म को दो तरीके से देखता है ।
- एक प्रॉबल्म पर फोक्स करता है :- जो लोग प्रॉबल्म पर फोक्स करते हैं वे कभी प्रॉबल्म के सलूशन पर ध्यान नहीं देते । जिसकी वजह से वह कभी सलूशन तक नही पहुंच पाता ।
- दुसरा सलूशन पर फोक्स करता है :- जो सलूशन पर फोक्स करता है वो उसी के बारे मे सोचता रहता है, परेशानियों का डट कर सामना करता है और सलूशन निकाल कर ही दम लेता है।
२ प्रॉबलम्स आने पर रुक कर खङे ना हों :- बहुत से लोग अपने लक्ष्य के मार्ग मे परेशानी आने पर उसे स्पीड ब्रेकर के रूप मे ना देखकर एंड समझ लेते हैं, जहां से अब आगे नहीं बढ़ा जा सकता। और एफर्ट्स करना छोड़ दते हैं। रोड़ पर आने वाले ब्रेकर और लाइफ में आने वाले स्पीड ब्रेकर को आप एक ही तरीके से देख सकते हो जैसे ब्रेकर आने पर हम रोड़ पर नहीं रुकते वैसे ही हमे अपनी लाइफ मे भी परेशानी आने पर नहीं रुकना चाहिए।
३ दूसरों की सफलता को बड़ी मानकर उससे डर कर आगे बढ़ना बंद मत करो :- कई लोग दुसरो की सफलता से इतना प्रभावित होते है। और उन्ही को सब कुछ मानने लगते है, सोचने लगते हैं कि हम ऐसा कुछ नहीं कर पाएंगे । लेकिन ये सोचना छोड़ दो अपने कार्य पर ध्यान दो इससे आपको अपनी फिल्ड में सक्सेस मिलेगी। दूसरों की सक्सेस से डरने से कोई फायदा नहीं है। ऐसा कोई भी इंसान आपको नहीं मिलेगा, जो ये कहे की वो अपनी फिल्ड में बिना समस्या आए सफल हो गया। इस बात के लिए तो आप mentally prepared रहें इसी मे समझदारी है । लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रुकावटों का सामना तो करना ही पड़ता है ।
४ पोजिशन से सफलता को ना आंकें :- किसी ने सही कहा है की सफलता को पोजिशन से नहीं आंकना चाहिए। बल्कि इस बात से आंकना चाहिए कि इसे कितनी बाधाओं को पार करके पाया है। वैसे भी लाइफ के स्पीड ब्रेकर हमे गहराई से सोचने और प्रॉबल्म्स का सलूशन ढूड़ने में एक्सपर्ट बनाते हैं। ऐसा कोई रोड़ नही है जिस पर स्पीड ब्रेकर न हों। चाहे लाइफ का हो या सड़क का। ब्रेकर्स और बाधाए दोनों ही टम्परेली होते है जो हमे थोड़ी देर के लिए ही प्रभावित करते हैं।
५ स्पीड ब्रेकर पर ध्यान देते हुए चलें :- कई बार हमारा ध्यान ही स्पीड ब्रेकर पर नहीं जाता। और जब जाता है तब तक वो परेशानी हमे नुकसान पहुंचा चुकी होती है। ऐसे मे हम बीती बातो को तो नहीं बदल सकते हाँ आगे के लिए सावधान जरूर हो सकते हैं। इसलिए जो भी करो सोच समझ करो ।
"जब आप एक कठिन दौर से गुजरते हैं, तब कुछ लोग आपका विरोध करने लगते हैं, तब आप को लगता है कि अब आप कुछ और मिनट भी बर्दास्त नहीं कर सकते। ऐसी स्थति कभी हार ना माने क्यों कि यही वो समय और स्थान है जब आपका अच्छा समय शुरू होगा "
-रूमी
अध्यात्म की तरफ अग्रसर रहें :- व्यक्ति जितना स्वयं को अध्यात्म की तरफ प्रेरित करेगा, उतना ही उसके मस्तिक में मानसिक अवरोध कम पनपेगे।आध्यात्मिक व्यक्ति शांत चित्त रहता है । वह कठिन व असम्भव लगने वाले कार्यो को भी सहजता और शांति से कर लेता है। जब व्यक्ति नकारात्मक भावनाओ के साथ कार्य करता है तब ही उसके मन में मानसिक अवरोध उतपन होते हैं। इस लिए नकारत्मक भावनाओ से बचना अनिवार्य है। आप इनसे तभी बच सकते हो जब मन को राग दवेश ईर्ष्या और लोभ से दूर रख पाएं ।
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